We have decided to create the most comprehensive English Summary that will help students with learning and understanding.
The Comet Summary in English by Jayant Narlikar
The Comet 1 Summary in English
Duttada was not a scientist or astronomer. But star-gazing was his pastime. He used to spend long nights studying the stars. His one ambition in life was to discover a new comet. He longed for enough money to buy a good telescope and also free time to study the stars. He got them both after retirement. He bought an eight-inch telescope to fulfil his secret ambition. He knew that comets come from the solar system. Like other planets they too go round the sun. But their movement is unusual. They could disappear for ages.
Indrani Debi, his wife, cursed the telescope. She called it Dibya or Dibya Chakshu i.e. Divine Eye. She thought that the telescope was another woman who had trapped her husband. It made him careless about his own well-being and the practical problems of living. He did not take precautions against cold.
The professional astronomers used big telescopes. Duttada’s eight-inch Dibya stood very little chance of spotting a new comet. Still Duttada was hopeful. He knew that the great scientists looked chiefly at faint stars. They missed such an insignificant thing as comet.
One night Duttada noticed a new comet. Two days later the news appeared in the paper that a Calcutta man Manoj Dutta had seen a comet and it was reported at Indian Institute of Astrophysics. This comet was heading towards the earth, and it would be seen with naked eyes in the next few months. It was named ‘Comet Dutta.’ He became famous, a celebrity.
There were felicitations for Duttada. But he didn’t like functions organised in his honour. He wished he had not discovered the new comet. His wife agreed but for a different reason. She was highly educated, still supertitious. She feared that comets brought ill-luck and calamities on the earth.
At Cambridge University, Dr James Forsyth got a message to see John Macpherson, Defence Science Advisor to the British Government. Sir John handed him an article which James had written and sent for publication to Nature’. It was very important because James had forewarned that Comet Dutta would hit the Earth and destroy it.
The collision could be avoided if it got broken into pieces while coming near the sun or it might collide with some other comet. The tragedy could occur in just ten months.
It was decided to call an urgent meeting of experts to find out ways to save the Earth. They had to do something to push the deadly comet out of the way.
The Comet 1 Summary in Hindi
दत्तादा कोई वैज्ञानिक या खगोलविद् नहीं थे। पर तारों को देखना समझना उनका शौक था। वे लम्बी रातें तारों का अध्ययन करने में बिताया करते थे। उनके जीवन में एक महत्वाकांक्षा थी कि एक नये धूमकेतु को खोज ले। उनकी तम्मन्ना थी कि उनके पास इतना पैसा हो जाये कि वह एक अच्छी दूरबीन खरीद ले तथा सितारों का अध्ययन करने के लिये उनके पास अवकाश हो। ये दोनों चीजें उन्हें नौकरी से अवकाश के बाद मिल गई। उन्होंने एक आठ इंच वाली दूरबीन अपनी गुप्त इच्छा की पूर्ति के लिये खरीद ली। वह जानते थे कि धूमकेतू सौरमण्डल से आते हैं। अन्य ग्रहों की भाँति वे भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पर उनकी परिक्रमा असामान्य तरीके की होती है। वे युगों तक दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।
उनकी पत्नी इन्द्राणी देवी उस दूरबीन को कोसती रहती थी। वह उसे दिव्या या दिव्य चक्षु कहती थी। उनके विचार से दूरबीन उनकी सौतन थी जिसने उनके पति को फाँस रखा था। दूरबीन उन्हें अपनी ही खोजखबर नहीं रखने देती, न ही वह जीने की व्यावहारिक समस्याओं की ओर ध्यान देते थे। वह ठण्ड से अपना बचाव भी नहीं करते थे।
पेशेवर खगोल शास्त्री बड़ी दूरबीनों का इस्तेमाल करते थे। उनके सामने भला आठ इंच दूरबीन से किस प्रकार नये-नये पुच्छल तारों को देख पाना संभव था। फिर भी दत्तादा को आशा थी। वह जानते थे कि बड़े वैज्ञानिक तो प्रमुख रुप से मद्धिम तारों पर दृष्टि रखते हैं। वे धूमकेतु जैसी तुच्छ चीजों को अनदेखा कर देते हैं।
एक रात को एक नया धूमकेतू दिख गया। दो दिन बाद यह समाचार अखबार में छपा कि एक कलकत्तावासी मनोज दत्ता ने एक नया धूमकेतु खोज लिया है और उसकी सूचना बैंगलौर स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान को दे दी है। उनकी खोज की पुष्टि हो गई। वह धूमकेतु पृथ्वी की ओर आ रहा है और कुछेक माह में नंगी आँखों से देखा जा सकेगा। इसका नाम रखा गया ‘दत्ता धूमकेतु’। वह विख्यात हस्ती हो गये।
दत्तादा को बधाईयाँ दी गईं। परन्तु अपने सम्मान में आयोजित समारोह उसे पसन्द नहीं थे। उनकी इच्छा थी कि उन्हें वह धमकेतु, नहीं खोजना चाहिए था। उनकी पत्नी भी उनसे सहमत हो गयी परन्तु उसका कारण अलग था। वह अत्यधिक शिक्षित थी, परन्तु अन्धविश्वासी थी। उसे भय था कि धूमकेतु पृथ्वी पर दुर्भाग्य तथा आपदाएँ लाते हैं।
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में Dr. James Forsyth को संदेश मिला कि वह अंग्रेजी सरकार के सुरक्षा सलाहकार John Macpherrson से आकर मिले। सर जॉन ने एक लेख उन्हें दिखाया जिसे James ने ही लिखकर ‘Nature’ पत्रिका में छपने के लिए भेजा था। यह बहुत महत्त्वपूर्ण था क्योंकि जेम्स ने भविष्यवाणी की थी कि दत्ता-कॉमेट पृथ्वी से टकरायेगा तथा पृथ्वी को नष्ट कर देगा।
इस टकराव को टाला जा सकता है यदि वह सूर्य के निकट आने पर चूर-चूर हो जाये अथवा वह किसी अन्य धूमकेतु से टकरा कर नष्ट हो जाये। यह त्रासदी दस माह में घट सकती है।
यह निर्णय लिया गया कि पृथ्वी को बचाने के लिये विशेषज्ञों की एक सभा बुलाई जाये। उन्हें घातक धूमकेतु को अपने रास्ते से हटाने के लिये कोई न कोई उपाय करना जरुरी था।
The Comet 2 Summary in English
The International Conference of Astronomers and Space Scientists discussed the ways to prevent the comet from hitting the Earth. Manoj Dutta was also invited. The issue was kept secret from the press and the people.
The experts suggested two ways to meet the challenge. The defensive measure was that the people should live in underground bunkers for safety. But it was not much practicable. The other course was to take offensive action. It meant that the comet should be given a push and made to change its path a little. This could be done by using nuclear explosion in space.
Finally a time table was drawn for the operation. It was code-named “Project Light Brigade’. On October 10, the spacecraft with nuclear material was to be sent. It would meet the comet on November 15 and try to destroy it. In case the experiment failed, the comet would hit the Earth on December 15. If it succeeded, this was the day the comet would pass by at a near but safe distance. Sir John Macpherson told Duttada that he would not buy any present for Christmas till 15 December.
Duttada returned home from England. He was welcomed warmly. But he was surprised to see some ceremony going on under a tent. Indrani Debi explained that they had arranged a peace Yajna. She called him first to get blessing of pundits because he had left the shores of India. Duttada’s brother explained that the Shanti Yajna would pacify the evil spirit behind the comet and save the Earth. Duttada tried in vain to convince them that comets had no relation with the evil spirit or any calamity on the Earth.
Since his return from England, Duttada was in regular touch with Sir John. The letters contained subtle hints about the progress of the project. The threat seemed veiy much real. In mid-October the operation began. Duttada kept constant watch on the comet. But he could not share his anxiety with any one.
On November 18, he received a message from Sir John that the operation was successful, and he was going to buy Christmas presents. On 15th December, the comet came closest to the earth, some 80,000 km. away. Millions saw it but no one knew the story.
Duttada told his wife with satisfaction that the comet had gone without causing any disaster. Indrani Debi gave all credit to the Shanti yajna performed by their grandson, eight-year-old Khoka on his behalf. Duttada now saw the gap between the scientific and the superstitious attitude. Perhaps human society would not grow out of blind beliefs and silly religious rituals.
The Comet 2 Summary in Hindi
खगोलशास्त्रियों तथा अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यह विचार किया कि जो धूमकेतु पृथ्वी से टकराने आ रहा है उसे किस प्रकार रोका जाये। मनोज दत्ता को भी आमंत्रित किया गया। इस विषय को समाचार पत्रों एवं लोगों से गुप्त रखा गया।
विशेषज्ञों ने इस चुनौती से निपटने के लिये दो रास्ते बताये। एक था रक्षात्मक उपाय जिसके अनुसार लोग सुरक्षा हेतु भूतल में बने गड्ढों में छिप जायें। पर यह उपाय व्यावहारिक नहीं था। दूसरा उपाय था आक्रामक प्रक्रिया। इसका अर्थ था कि धूमकेतू को धक्का देकर अपने रास्ते से कुछ दूर हटा दिया जाये। यह काम शून्य में परमाणु विस्फोट द्वारा किया जा सकता था।
अंत में इस कार्य के लिए एक योजना बनायी गयी जिसका नाम रखा गया ‘प्राजेक्ट लाइट ब्रिगेड’। प्रस्ताव किया गया कि 10 अक्तूबर को अंतरिक्ष यान परमाणु सामग्री के साथ भेजा जाये। उसकी भेंट धूमकेतु से 15 नवम्बर को होगी तथा इस प्रकार से धूमकेतु को नष्ट करने का प्रयास किया जाये। यदि यह प्रयोग असफल रहता है तो धूमकेतू पृथ्वी से 15 दिसम्बर को टकरा जायेगा और यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो घूमकेतू कुछ नजदीक वाली सुरक्षित दूरी से गुजर जायेगा।
सर जॉन मेक्फर्सन ने दत्ता को बताया कि मैं तो 15 दिसम्बर तक कोई क्रिसमस उपहार नहीं खरीदूंगा।
दत्तादा इंग्लैण्ड से भारत अपने घर लौटे। उनका भव्य स्वागत हुआ। पर एक तम्बू में कुछ समारोह होते देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ। इन्द्राणी देबी ने उन्हें बताया कि उन्होंने एक शांति यज्ञ का आयोजन किया है। उसने उन्हें पहले पण्डितों से आशीर्वाद लेने के लिए कहा क्योंकि उन्होंने समुद्री यात्रा की थी। दत्तादा के भाई ने बताया कि शांति यज्ञ करके धूमकेतु की दुरात्मा से पृथ्वी की रक्षा की जायेगी। दत्तादा ने उन्हें समझाने का निष्फल प्रयास किया कि धूमकेतु का दुरात्मा अथवा पृथ्वी पर आने वाली किसी विपदा से कोई संबंध नहीं होता।
उनके इंग्लैण्ड से भारत वापसी के समय से दत्तादा बराबर सर जॉन से संपर्क बनाये हुए थे। पत्रों में छिपा संकेत रहता था कि परियोजना की प्रगति कैसी है। खतरा काफी वास्तविक-सा दिख रहा था। अक्टूबर मध्य में आपरेशन शुरु हुआ। दत्तादा निरन्तर धूमकेतु को देखते रहते थे। पर वह अपनी चिन्ता किसी के साथ बाँट नहीं सकते थे।
18 नवम्बर को उन्हें सर जॉन का एक संदेश मिला कि उद्यम सफल रहा है और वह क्रिसमस उपहार खरीदने जा रहे हैं। 15 दिसम्बर को धूमकेतु पृथ्वी की निकटतम दूरी पर से गुजरा कोई 80,000 कि०मी० दूर। करोड़ों लोगों ने इस धूमकेतु को देखा पर इसकी कहानी का किसी को पता नहीं चला।
दत्तादा ने सन्तुष्ट होकर अपनी पत्नी को सगर्व बताया कि धूमकेतु का संकट बिना किसी हानि के टल गया। इन्द्राणी देवी ने इसका सारा श्रेय शांति यज्ञ को दिया जिसे उनके आठ वर्षीय पोते खोखा ने उनकी ओर से संपन्न किया था। दत्तादा ने अब वैज्ञानिक तथा अंधविश्वास के बीच की दूरी देख ली। शायद मानव समाज कभी भी अंधविश्वासों तथा मूर्खतापूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों से ऊपर नहीं उठ पायेगा।