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The Cop and the Anthem Summary in English by O. Henry
The Cop and the Anthem by O. Henry About the Poet
Author Name | O. Henry |
Born | 11 September 1862, Greensboro, North Carolina, United States |
Died | 5 June 1910, New York, New York, United States |
Full Name | William Sydney Porter |
Short stories | The Gift of the Magi, The Last Leaf |
Nationality | American |
The Cop and the Anthem Summary in English
Soapy was a young man. He had left his home and parents. He became a vagabond. He spent his days alone in Madison Square. It was all right in summer. He made his bed warm with three newspapers. There were quite a few others like him living there.
What would happen during the winter? He started feeling uneasy. The winter was coming. He felt cold on the park-bench. He realised the need to find some cozy place. But he did not think of going to warmer regions outside the country. Just three months in the orison on Blackwell’s Island was what he wanted. There he was sure of getting food and a bed every night. He would be safe from cold wind and also from fear of the police. He had been to prison for a number of times during winter.
He decided to go to prison somehow. If he goes to any other place, he would have to pay for the room and meals. He might be asked to wash their clothes and answer all of personal questions. Prison was better than all other options. He would be his own master there.
Soapy thought of easy ways to reach the prison. If he goes to eat at restaurant and then tell them he had no money they would call a cop who would arrest him. Next morning die judge would send him to jail. His face was clean and his coat was good enough. But as soon as he put his foot inside the restaurant, the waiters blocked his entry.
He next went to a shop with a glass window. He threw a big stone through the glass. A cop arrived. But the cop did not consider soapy to have done because he had not tried to run out. The cop saw another man running, and went after him. Soapy was shocked at heart for failing two times.
Next he went to another restaurant and sat down at a table was soon eating a big dinner. When he had finished he said that he had no money. Soon he was thrown on the street outside by the waiters. His dream of being taken to prison failed again. No cop was going to arrest him.
Then he began to shout as if he had drunk too much. He danced and cried out. The cop ignored him, taking him for some noisy college boy.
Then he stole a man’s umbrella, kept beside a shop door. The owner followed him. But he let Soapy go because he himself was carrying a stolen umbrella.
Soapy, at last, came to a quiet street. He stopped at his old childhood home. There was a sudden change in his soul. He felt sorry for wasting his life in such a way. He decided to pull himself out of the mud, and get a job. Soon there came a cop who arrested min for hanging around there. Next morning the judge sent Soapy to prison on Blackwell’s island for three months.
The Cop and the Anthem Summary in Hindi
सोपी एक युवक था! उसने अपने घर तथा माता-पिता को छोड़ दिया था। वह आवारा हो गया। वह अपने दिन मेडिसन स्क्वेअर में सरल बिताने लगा। ग्रीष्म ऋतु में तो उसे कोई कष्ट न हुआ। उसने तीन अखबार बिछाकर अपना बिस्तर बना लिया। उसी की तरह के कुछ अन्य लोग भी वहाँ रहा करते थे।
शीत ऋतु में क्या होगा? वह बेचैनी महसूस करने लगा। शीत ऋतु आ रही थी। सोपी को पार्क की बेंच पर ठण्ड लगने लगी। उसने कोई गरम स्थान खोजने की जरुरत महसूस किया। पर उसके मन में देश से बाहर किसी गर्म प्रदेश में जाने का विचार नहीं आया। ब्लेकवेल टापू पर तीन माह कैद में बिताना ही उसकी एक मात्र तमन्ना थी। वहां प्रति रात उसे भोजन और बिछावन मिलने की तो गारंटी थी। वह वहाँ ठण्ड तथा पुलिस दोनों से सुरक्षित रहेगा। वह पहले भी कई बार वहाँ (कैद में) शीत ऋतु बिता चुका था।
वह किसी प्रकार जेल पहुँचने के उपायों पर विचार करने लगा। यदि वह किसी अन्य स्थान पर शरण लेने गया तो उसे कमरे तथा भोजन का पैसा देना पड़ेगा। उसे यह भी कहा जा सकता था कि कपड़े धोओ और अनेक प्रश्नों का उत्तर भी दो। जेल जाना सभी अन्य विकल्पों से बेहतर था। वहाँ वह अपना स्वामी स्वयं होगा।
सोपी ने जेल जाने के सरल उपायों पर विचार किया। एक तो यह था कि वह किसी रेस्तरां में जाकर खाना खाये और फिर कह दे मेरे पास तो कोई पैसा नहीं। वे लोग पुलिस को बुला लेंगे जो उसे हिरासत में ले लेगी। अगले दिन जज उसे जेल भेज देगा। उसका चेहरा साफ सुथरा था और कोट भी बुरी हालत में न था। पर जैसे ही उसने अपना पैर रेस्तरां के अन्दर रखा, वेटर ने उसे प्रवेश करने से रोक दिया।
इसके बाद वह एक दुकान के सामने गया जिसमें कांच लगी खिड़की थी। उसने एक बड़ा-सा पत्थर शीशे पर फेंका। सिपाही आ गया। पर उसने सोपी को अपराधी नहीं समझा क्योंकि सोपी ने भागने का कोई प्रयास नहीं किया। उसने तो एक अन्य व्यक्ति को भागते देखा, और उसी के पीछे भाग चला। सोपी का मन उदास हो गया, वह दो बार असफल हो चुका था। । – इसके बाद सोपी एक अन्य भोजनालय में गया तथा एक मेज पर जा बैठा। जब वह खाना खा चुका तो बोला कि उसके पास पैसे नहीं है। वेटरों ने उसे बाहर सड़क पर फेंक दिया। उसका जेल जाने का सपना फिर अधूरा रह गया। कोई भी सिपाही उसे बन्दी बनाने को तैयार न था।
फिर सोपी इस प्रकार से शोर मचाने लगा मानो अधिक शराब पी रखी हो। वह नाचता तथा चिल्लाता रहा। सिपाही ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया, उसने समझा कि यह कोई शोर करने वाला विचलित छात्र है।
फिर सोपी ने एक दुकान के बगल में रखी छतरी उठा ली। छतरी मालिक ने पीछा किया पर शीघ्र हो उसने सोपी को जाने दिया क्योंकि उसके पास भी वह छतरी चोरी की थी।
अंत में सोपी एक शांत सड़क पर आ गया। वह अपने पुराने ढंग में बने बचपन वाले घर के सामने ठहर गया। उसके मन में अचानक बदलाव आ गया। उसे अपना जीवन व्यर्थ गंवाने पर अफसोस हुआ। उसने निश्चय कर लिया कि वह अब कीचड़ से निकलकर कोई नौकरी कर लेगा। शीघ्र ही वहां एक सिपाही आ गया जिसने उसे आवारागर्दी के अपराध में पकड़ लिया। अगली प्रातः जज ने सोपी को ब्लेकवेल टापू जेल में तीन माह के लिये भेज दिया।