We have decided to create the most comprehensive English Summary that will help students with learning and understanding.
The School Boy Summary in English by William Blake
The School Boy by William Blake About the Author
Poet Name | William Blake |
Born | 28 November 1757, Soho, London, United Kingdom |
Died | 12 August 1827, London, United Kingdom |
Artworks | The Ancient of Days, Newton, Nebuchadnezzar |
Poems | The Tyger, London, The Lamb |
The School Boy Summary in English
The poem throws light on the mindset of a school boy. He is unhappy. He loves outdoor life. He hears the birds sing. The blowing of horn by the huntsmen pleases him. He wants to enjoy the company of the skylark. But he can find such joy only on a summer morning.
Instead of living like a free bird, the boy is made to go to school. It makes him sad. He hates going to school because of his cruel old teacher. There the small children spend the day from morning to evening and get disappointed.
Sometimes the boy sits for hours with his head hanging down but he is caged. He finds no joy in reading his book. The school is a cheerless place for him. He gets fed up with the shower of words from his teacher.
The boy compares himself to a bird who is bom free to fly and enjoy life but he is caged. He cannot sing in a cage. The boy has the feeling of being a prisoner at school. He is all the time afraid of the teacher. As a caged bird he lets his wings droop down and forgets to share the joy of spring.
The poet calls upon the parents not to be so harsh or cmel to the children. School going kids are as delicate as birds and flowers. They need fresh air and free movement to grow healthy and happy. Keeping them under excess cage will make them unhappy. If a plant is denied air and is kept in dark, it won’t grow well and never bear fruit.
The School Boy Summary in Hindi
यह कविता एक स्कूली छात्र की मानसिक स्थिति पर प्रकाश डालती , नई है उसे बाहर घूमना न पसन्द है। वह पक्षियो का गायन सुनता है। शिकारियों के विगल की आवाज उसे खुशी देती है। वह स्काईलार्क पक्षी के माथ-साथ घूमना चाहता है। पर यह प आनन्द तो उस ग्रीष्म ऋतु के प्रातः काल मे ही मिल सकता है।
मुक्त पक्षी की भाँति रहने की बजाय बालक को स्कूल भेजा जाता है. वह उदास हो जाता है। उसे स्कूल जाने से घृणा है क्योंकि वहाँ उसका सामना क्रूर वृद्ध शिक्षक से होता है, सभी छोटे-छोटे बच्चे अपना सारा दिन आहें भरकर निराश भाव से बिताते हैं।
कभी-कभी बालक घंटों अपना सिर लटकाये बैठा रहता है। उसे अपनी पुस्तक पढ़ने में रुचि नहीं होती। स्कूल उसके लिये एक नीरस स्थान है। वह अपने शिक्षक के मुँह से निकलने वाले शब्दों की बौछार से तंग आ जाता है।
बच्चा स्वयं की तुलना एक पक्षी से करता है जो मुक्त उड़ने तथा जीवन का आनन्द लेने के लिए जन्मा है। परन्तु वह पक्षी पिंजरे में बंद है। वह बंद पिंजरे में रहकर नहीं गा सकता। बालक को भी स्कूल एक कारागार सा लगता है। वह सदैव शिक्षक से भयभीत रहता है। पिंजरे में बंद पक्षी की भांति वह अपने पंखों को नीचे टिका देता है और बसत क आनन्द में शामिल होना भूल जाता है।
कवि माता-पिता से अनुरोध करता है कि वे बच्चों के प्रति इतने कठोर और निष्ठर हो। स्कूली बच्चे तो कलियों और फूलों की भाँति कोमल होते हैं। उन्हें ताजी हवा तथा स्वच्छन्द विचरण की जरुरत होती है ताकि वे स्वस्थ और खुश रहे। उनको अतिशय देख रेख में रखने से वे मुरझा जाते हैं।
यदि किसी पौधे को धूप व हवा न मिले, अंधकार में रखा जाये तो वह न ना पूरा विकसित होगा न ही उसमें फल लग पायेंगें।