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The Treasure Within Summary in English by Ms. Bela Raja
The Treasure Within Summary in English
Every child is capable of doing big things. He can become a hero in the area of his interest. What is needed most is to discover his talent or aptitude. Hafeez is a living example of such a hero.
Hafeez Contractor is today India’s leading architect. But he was unhappy and careless at school. He loved doing things and hated mechanical learning. He used to have terrible dreams about appearing for a maths examination in which he knew nothing at all. When he reached the third standard, he lost interest in studies. He took interest in games and playing practical jokes on others. He passed all the school exams by using unfair means.
But, later, one sentence spoken to him by his Principal changed his life. He was in the 11th standard then. The Principal said that Hafeez was a good student, but had little interest in studies. He (the principal had taken care of him till that day but now he could no longer take care of him He should study hard. Only sports won’t take him far. He took his final examination. He could never get more than second class.
No doubt he was pulled up by his teachers at school. He received a caning every week for not doing homework or for his bad behaviour. Caning did hurt him badly, but he forgot about it soon when h$ was in playground. Every Saturday he went to see a movie. He was the leader of a gang of boys and took part in going fights. He used to open his textbooks only on the day just before exams.
How then he could become an architect? Hafeez told the interviewer that he wanted to join the army or the police force. But his mother told him to do his graduation first. So he joined Jaihind College in Bombay. There he studied French for seven years without learning anything. He later learnt this language from his cousin, an architect’s wife.
It so happened that Hafeez saw somebody drawing a window detail. He told the man that the window won’t open. He had a bet and he won it. His cousin’s husband asked him to design a house and he did it. He then asked Hafeez to join architecture. And Hafeez got first position in the entrance test in that college of architecture. He thinks that all his qualities grew from what he used to play and do during school.
He admitted frankly that he was bad at languages. He was also poor in maths. Gifted boys are said to be poor in learning. Class toppers often do veiy ordinarily later on. He himself could sketch on the spot. He judged the taste of a client from his way of talking and eating. Hafeez always hated maths. But now as an architect he loves that subject.
The Treasure Within Summary in Hindi
हर बच्चा महान कार्यों को करने में सर्य होता है। वह अपनी रुचि के क्षेत्र में हीरो या नायक बन सकता है। जरुरत इस बात की है कि उसकी प्रतिभा या रुचि को खोज लिया जाये! हफीज इस प्रकार के नायक का जीवंत उदाहरण है।
हफीज कंट्रेक्टर आज भारत के सर्वोच्च शिल्पकारों में से एक है। पर स्कूल में वह लापरवाह तेथा दुःखी रहता था। उसे काम करने में तो आनन्द आता था पर यंत्रवत पाउ याद करने में नहीं। उसे डरावने सपने आते कि वह गणित की परीक्षा दे रहा है पर उसे आता जाता कुछ भी नहीं है। जब वह तीसरी कक्षा में था तो पढ़ाई में उसकी रुचि समाप्त हो गई। उसका ध्यान तो खेल कूद तथा दूसरों के साथ मजाक करने में रहता था। उसने सभी स्कूली परीक्षायें नकल करके पास की।
पर बाद में उसके प्रिंसिपल द्वारा उसको बोले गये एक वाक्य ने उसके जीवन में परिवर्तन ला दिया। वह उस समय 11वीं कक्षा में था! प्राचार्य बोले, हफीज, तुम एक अच्छे बालक हो पर तुम्हारी रुचि पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल नहीं है। केवल खेल कूद के सहारे तुम जीवन में प्रगति नहीं कर पाओग। उसनं वाषक परीक्षा दी। वह कभी भी द्वितीय श्रेणी से ऊँची श्रेणी में उर्तीण नहीं हुआ।
नि:संदेह स्कूली शिक्षक उसके कान खींचा करते थे। उसे हर सप्ताह होमवर्क न करने अथवा कोई शैतानी करने के कारण बेंत खाने पड़ते थे। बेंत उसे काफी चोट तो पहुँचाती थी पर वह इसे शीघ्र ही भुलाकर खेल के मैदान में चला जाता था। हर शनिवार को वह एक फिल्म देखने जाता था। वह बालकों के गिरोह का सरगना भी था तथा झगड़े फसाद करता रहता था। वह अपनी पाठ्य पुस्तकें तो परीक्षा के ठीक एक दिन पूर्व ही खोलता था।
फिर वह इतना बड़ा शिल्पकार किस प्रकार से बन गया? हफीज ने साक्षात्कार करने वाले को बताया कि वह तो सैनिक बनना चाहता था अथवा सिपाही। पर उसकी माँ ने उसे बोला पहले ग्रेजुएट हो जाओ। इस कारण उसने बम्बई के जयहिन्द कॉलेज में प्रवेश ले लिया। वहाँ सात वर्षों तक उसने फ्रेंच भाषा पढ़ी पर वह उसे सीख नहीं पाया। बाद में उसने फ्रेंच भाषा अपनी चचेरी बहन से सीखी जिसका पति एक शिल्पकार था।
संयोग ऐसा हुआ कि हफीज ने किसी को खिड़की का मॉडल (प्रारूप) बनाते देखा। उसने उसे बताया कि तुम्हारी खिड़की तो खुल ही नहीं पायेगी। उसने शर्त लगा ली और जीत गया। उसकी बहन के पति ने उसे एक घर का नक्शा बनाने को कहा और हफीज ने बना दिया। फिर उसने हफीज को बोला कि शिल्प विद्यालय में प्रवेश ले लो। और हफीज ने प्रवेश परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पाया। उसे विश्वास है कि उसकी सारी समझ उन खेलों के माध्यम से विकसित हुई जो वह स्कूल के दौरान खेला तथा किया करता था।
हफीज ने स्पष्ट स्वीकार किया कि उसे भाषा सीखना मुश्किल लगता था। वह गणित में भी कमजोर था। प्राकृतिक प्रतिभा सम्पन्न बालक प्रायः पढ़ाई लिखाई में कमजोर होते हैं। कक्षा में प्रथम रहने वाले बालक बड़े होने पर बहुत कम चमक पाते हैं। वह स्वयं हाथ के हाथ नक्शे का रेखाचित्र बना दिया करता था। वह अपने ग्राहक की रुचि का अनुमान उसके बातें करने तथा भोजन करने के तरीके से लगा लेता है। हमेशा ही हफीज को गाणित से घृणा रहती थी! पर आज शिल्पकार के रुप में उसी गणित से उसे प्यार हो गया।