NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

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पाठ्य-पुस्तक के बोध-प्रश्न

प्रश्न 1.
‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है? [CBSE]
उत्तर:
उन’ का अर्थ है-एक कम और कोटि का अर्थ है-करोड़। इस प्रकार उनाकोटी का शाब्दिक अर्थ है-एक करोड़ से एक कम। इस नाम के संबंध में एक पौराणिक कथा यह है कि पहले यहाँ कल्लू नामक कुम्हार रहता था। वह पार्वती का भक्त था। एक बार जब शिव और पार्वती आए तो कल्लू भी उनके निवास कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। पार्वती के कहने पर शिव उसे ले जाने को तैयार हो गए परंतु एक रात में एक लाख मूर्तियाँ बनाने की शर्त रख दी। कल्लू ने रात भर परिश्रम से मूर्तियाँ बनाई परंतु वे एक करोड़ से एक कम निकली। इसी बात से शिव कल्लू को वहीं छोड़कर चले गए। तब से इसका नाम उनाकोटी पड़ गया।

प्रश्न 2.
पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए। [CBSE]
उत्तर:
पहाड़ों को अंदर से काटकर यहाँ विशाल आधार मूर्तियाँ बनी हैं। एक विशाल चट्टान ऋषि भागीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा अवतरण की पौराणिकता को चित्रित करती है। गंगा अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी धंसकर पाताल लोक में न चली जाए। शिव को इसके लिए तैयार किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और इसके बाद उसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर बहने दें। शिव का चेहरा एक चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ तो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। भारत में यह शिव की सबसे बड़ी आधार मूर्ति है। पूरे साल बहनेवाला एक जल प्रपात पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है।

प्रश्न 3.
कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया? [CBSE]
उत्तर:
उनाकोटी में पार्वती भक्त कल्लू नामक कुम्हार रहता था। एक बार शिव पार्वती सहित वहाँ पधारे। कल्लू ने शिव के साथ उनके आवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाने की जिद की। तब पार्वती ने शिव से कहा कि उसे साथ ले चलें। इस पर शिव तैयार हो गए परंतु एक शर्त रख दी कि वह रात भर में उनकी एक कोटि मूर्ति तैयार करे। कल्लू ने रातभर मूर्तियाँ तैयार की परंतु वे संख्या में एक कम निकली। शिव को उसे साथ न ले जाने का बहाना मिल गया। वे कल्लू और मूर्तियों को छोड़कर चले गए। इस प्रकार कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी के साथ जुड़ गया।

प्रश्न 4.
‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई’-लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है? [CBSE 2012]
उत्तर:
त्रिपुरा के हिंसाग्रस्त मुख्य भाग में प्रवेश करने से पहले अंतिम पड़ाव टीलियामुरा ही है। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर अगले 83 किलोमीटर यानी मनु तक की यात्रा के दौरान ट्रैफिक सी०आर०पी०एफ० की सुरक्षा में काफिले की शक्ल में चलता है। मुख्य सचिव और आईजी० सी०आर०पी०एफ० से मैंने निवेदन किया था कि वे हमें घेरेबंदी में लेकर चलनेवाले काफिले के आगे-आगे चलें। काफिला दिन में 11 बजे के आसपास चलना शुरू हुआ। सभी काम में मस्त थे उस समय तक डर की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। पहाड़ियों पर इरादतन रखे दो पत्थरों की तरफ मेरा ध्यान आकृष्ट नहीं हुआ। दो दिन पहले हमारा एक जवान यहीं विद्रोहियों द्वारा मारा गया था’ मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। मनु तक की अपनी शेष यात्रा में, मैं यह ख्याल अपने दिल से निकाल नहीं पाया कि हमें घेरे हुए सी०आर०पी०एफ० के जवान हैं अन्यथा शांतिपूर्ण प्रतीत होनेवाले जंगलों में किसी जगह बंदूकें लिए विद्रोही भी छिपे हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना? [CBSE]
उत्तर:
त्रिपुरा तीन ओर बाँग्लादेश से तथा एक ओर भारत से घिरा है। यहाँ बाँग्लादेश से पश्चिम बंगाल से लोग घुसपैठ करके आए और यहाँ बस गए। ये लोग विभिन्न धर्मों को मानने वाले थे। त्रिपुरा में विश्व के चार बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व मौजूद है। इस तरह त्रिपुरा बहुधर्मी समाज का उदाहरण बनता गया।

प्रश्न 6.
टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?
उत्तर:
टीलियामुरा कुछ ज्यादा बड़ा गाँव है। यहाँ लेखक की मुलाकात हेमंत कुमार जमातिया से हुई, जो यहाँ के एक प्रसिद्ध लोक गायक हैं और जो 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी हो चुके हैं। हेमंत कोकबारोक बोली में गाते हैं। टीलियामुरा शहर के वार्ड नं 3 में लेखक की मुलाकात एक और गायक मंजु ऋषिदास से हुई। ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है। लेकिन जूते बनाने के अलावा इस समुदाय के कुछ लोगों की । विशेषता थाप वाले वाद्यों जैसे तबला और ढोल के निर्माण और उनकी मरम्मत के काम में भी है।

मंजु ऋषिदास आकर्षण महिला थीं और रेडियो कलाकार होने के अलावा नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। वे निरक्षर थीं लेकिन अपने वार्ड की सबसे बड़ी आवश्यकता यानी पेयजल के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी। नगर पंचायत को वे अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने और इसकी मुख्य गलियों में ईंटें बिछाने के लिए राजी कर चुकी थीं।

प्रश्न 7.
कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी? [CBSE]
उत्तर:
कैलाश नगर के जिलाधिकारी केरल से आए तेज़-तर्रार जवान थे। उन्होंने चाय के दौरान लेखक को टी.पी.एस. (तरू पोटैटो सीड) की खेती की सफलता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि आलू की परंपरागत खेती में जहाँ दो मीट्रिक टन बीज कल्लू कुम्हार की उनाकोटी की प्रतिहेक्टेयर जरूरत पड़ती है, वहीं टी.पी.एस. की मत्र 100 ग्राम बीज की ज़रूरत होती है। त्रिपुरा से टी.पी.एस. का निर्यात असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के अलावा वियतनाम, बांग्लादेश और मलेशिया को भी किया जा रहा है।

प्रश्न 8.
त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलु उद्योगों के विषय में बताइए?
उत्तर:
त्रिपुरा में आलू की खेती के साथ-साथ अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार की जाती हैं। अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। अन्य घरेलू उद्योगों में माचिस, साबुन, प्लास्टिक, स्टील, लकड़ी आदि के घरेलू उद्योग सर्वप्रसिद्ध हैं। घरेलू आवश्यकता प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। उद्योगों में भी बहुसंख्यक दौड़ में प्रतियोगी भावनाएँ बढ़ती जा रही हैं। जूते, सीमेंट, कपड़ा उद्योग जैसे घरेलू उद्योग लघु व विशाल रूपों में फैले हुए दिखाई देते हैं।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 1

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
बाढ़ की खबर सुनकर लोग परेशान हो उठे। वे नीचे का सामान ऊपरी मंजिलों में पहुँचाने लगे। रिक्शा, टमटम, ट्रक टैंपो आदि में सामान लादकर अन्यत्र जाने की तैयारी करने लगे। इसके अलावा कुछ लोग घर में ईंधन, मोमबत्ती दियासलाई, पीने का पानी जैसी आवश्यक चीजें एकत्र करने लगे।

प्रश्न 2.
बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था? [CBSE]
उत्तर:
लेखक उस क्षेत्र का रहने वाला था, जिसके आसपास अकसर बाढ़ आया करती थी। उसने बाढ़ देख रखा था, फिर भी 1967 में पटना में जो बाढ़ आई वह लेखक को असल जीवन में बाढ़ का अनुभव करा गई। उस साल पटना में लगातार अठारह घंटे वर्षा होती रही। उस बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने की उत्सुकता के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  1. यूँ तो लेखक ने दस वर्ष की आयु से बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों में कार्य किया था, किंतु बाढ़ को भोगने का उसका अनुभव नहीं था। वह स्वयं देखना चाहता था कि बाढ़ आने पर क्या-क्या परेशानियाँ झेलनी पड़ सकती हैं।
  2. तेज गति से निचले स्थानों को आप्लावित करके आगे बढ़ता पानी देख लोगों के चेहरे पर कैसे-कैसे भाव आते हैं, उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? इन्हें लेखक प्रत्यक्ष रूप से देखना चाहता था।
  3. लेखक के मन में यह इच्छा भी रही होगी कि बाढ़ में फंसे लोगों के प्रति स्वयं-सेवकों, राहतकर्मियों द्वारा अपने कर्तव्य का निर्वहन किस प्रकार किया जाती है तथा दूसरों को विपत्ति में देख कुछ लोगों का व्यवहार कैसा रहता है? यह भी देखा जाए।

प्रश्न 3.
सबकी जुबान पर एक ही जिज्ञासा-‘पानी कहाँ तक आ गया है?’-इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?
उत्तर:
‘पानी कहाँ तक आ गया है?’ इस कथन से जनसमूह की जिज्ञासा, उत्सुकता, भय, निडरता आदि की भावनाएँ व्यक्त हुई हैं। इन्हीं भावनाओं के कारण वे बाढ़ के पानी की स्थिति को जानने के लिए अधीर थे।

प्रश्न 4.
‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
‘इस जल प्रलय में” नामक पाठ के अंतर्गत ‘मृत्यु का तरल दूत’ बाढ़ के उस पानी को कहा गया है, जो ऊँचे-नीचे स्थानों को डुबोता हुआ, लोगों को भयभीत करता हुआ मृत्यु का संदेश लेकर आता है। इसे ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहने का कारण यह है कि बाढ़ के कारण निचले स्थानों की फसलें, जानवर आदि सभी कुछ जलमग्न हो जाते हैं। कच्चे मकान धराशायी हो जाते हैं। न जाने कितने लोग बाढ़ में फंसकर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। बाढ़ के कारण कई बार बिजली के खंभे गिर जाते हैं। इनमें प्रवाहित होने वाला करंट पानी में भी प्रवाहित होने से जल-जीव मृत्यु के शिकार बन जाते हैं।

प्रश्न 5.
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए।
अथवा
बाढ़ की खबर सुनकर आपदा के समय हमें क्या करना चाहिए? [CBSE]
उत्तर:
बाढ़ जैसी आपदाओं से बचने के लिए मैं कुछ सुझाव देना चाहूँगा-

  • नाले-नालियों की प्रतिवर्ष समुचित सफ़ाई की जानी चाहिए।
  • नालों में पॉलीथीन की थैलियाँ आदि बहकर नहीं जाने देना चाहिए।
  • नदी-नालों के किनारों पर तटबंध बनाना चाहिए ताकि उनकी जलधारण क्षमता बढ़ जाए और पानी बाहर न आने पाए।
  • शहरी क्षेत्रों में जलसंचयन का प्रबंधन करना चाहिए।
  • लोगों को आपदा प्रबंधन की जानकारी दी जानी चाहिए।

प्रश्न 6.
‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए अब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किसे मानसिकता पर चोट की गई है?
उत्तर:
पटना में बाढ़ का पानी भरता जा रहा था तभी बाढ़ देखने की उत्सुक भीड़ में से एक युवक ने कहा कि यहाँ तो सब तमाशा देखने आ गए हैं किंतु जब दानापुर डूब रहा था पटनिया बाबू लोग उसे देखने भी नहीं आए थे। इस कथन के माध्यम से पटना के लोगों की स्वार्थपरता, संकुचित मानसिकता, संवेदनहीनता, आत्म-केंद्रियता पर चोट की गई है। दानापुर जब डूब रहा था तब पटना के लोगों ने वहाँ के लोगों की सहायता नहीं की थी।

प्रश्न 7.
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी? [CBSE]
उत्तर:
खरीद-बिक्री बंद होने पर भी पान की बिक्री अचानक इसलिए बढ़ गई क्योंकि बाढ़ की खबर सुनकर लोगों में बेचैनी और हलचल बढ़ गई थी। यद्यपि उन्होंने सामान खरीदना बंद कर दिया था पर बाढ़ के बारे जानने के लिए अत्यंत उत्सुक थे। वे पान की दुकान के पास खड़े होकर बाढ़ के बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे थे और पान खाए जा रहे थे। इस तरह पान वाले की बिक्री बढ़ गई थी।

प्रश्न 8.
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
लेखक को जब अहसास हुआ कि बाढ़ का बढ़ता पानी उसके इलाके में भी घुस सकता है तो वह चिंतित हो उठा। उसने मोमबत्ती, दियासलाई, सिगरेट, पीने का पानी और कॉपोज की गोलियाँ आदि की व्यवस्था की। उसने राजेंद्र नगर चौराहे पर ‘मैगज़ीन कॉर्नर’ की सीढ़ियों पर बिछी पत्र-पत्रिकाओं में से कई हिंदी-बाँग्ला और अंग्रेजी की सिने पत्रिकाएँ खरीद लिया। उसका सोचना था कि इन पत्रिकाओं को पढ़ते हुए हफ्ते भर का समय आराम से बिताया जा सकता है।

प्रश्न 9.
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?
उत्तर:
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में जिन बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है उनमें पकाही घाव, हैजा, आंत्रशोथ, मलेरिया जैसी बीमारियाँ प्रमुख हैं।

प्रश्न 10.
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया? [Imp.]
उत्तर:
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में बीमार व्यक्तियों को कैंप में ले जाया जा रहा था। एक बीमार नौजवान के साथ उसका कुत्ता भी नाव पर चढ़ आया। डॉक्टर साहब भयभीत हो चिल्लाने लगे। बीमार नौजवान पानी में उतर गया। उसके उतरते ही कुत्ता भी पानी में उतर गया। युवक के पानी में उतरने का कारण यह था कि वह नौजवान कुत्ते से अपनापन तथा भावनात्मक लगाव रखता था। वह कुत्ते को अपने परिवार के सदस्य की तरह मानता था। वह अपने परिवार के इस सदस्य को कैसे छोड़कर जा सकता था? यही स्थिति कुत्ते की भी थी। उसने देखा कि जब उसका मालिक नाव से उतर गया है तो वह कैसे नाव में बैठा रहे। अपने मालिक को बाढ़ में छोड़कर वह अकेले कैंप में कैसे जाए, इसी भावना के अधीन हो कुत्ता भी नाव से उतर गया।

प्रश्न 11.
‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं-मेरे पास।’-मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा?
अथवा
लेखक के पास कलम, मूवी कैमरा और टेपरिकार्डर आदि का न होना सुखद एहसास भी था-क्यों? [CBSE]
उत्तर:
लेखक के मन में मूवी कैमरा, टेपरिकार्डर आदि की तीव्र उत्कंठी थी कि ये सब उसके पास होता तो वह बाढ़ग्रस्त लोगों की तसवीरें खींचता और पानी के कल-कल के अलावा लोगों की चीख-पुकार को टेप कर लेता, पर ऐसा करने के लिए पानी के अत्यंत निकट जाना पड़ता जिसके लिए लेखक में इतना साहस न था। इसके अलावा इस तरह के दृश्य और आवाजें किसी सैलानी या संवेदनहीन व्यक्ति को आनंदित कर सकते थे, किसी संवेदनशील को नहीं। लेखक संवेदनशील व्यक्ति था, इसलिए लेखक ने अंत में उक्त कथन कहा।

प्रश्न 12.
आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ समस्याएँ बन जाती हैं। इसका ताजा उदाहरण-सन् 2010 के सितंबर महीने में जब दिल्ली में कई दिनों तक रुक-रुककर वर्षा होती रही तथा इन्हीं दिनों में हरियाणा सरकार द्वारा ताजेवाला के हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी एक साथ छोड़ दिया तो यमुना उफान पर आ गई। दिल्ली में निचली कॉलोनियों तथा निचले स्थानों पर वर्षा का प्रानी जमा हो गया।

पानी नाले से बहकर यमुना में न जा सका। इस ठहरे हुए पानी को कई समाचार चैनल विभिन्न कोणों से बार-बार दिखा रहे थे, और उद्घोषणा कर रहे थे-देखिए ये लोग कैसे पानी में डूब रहे हैं। इसके अलावा यमुना में बढ़ते पानी को यूँ दिखा रहे थे, मानो पूरी दिल्ली ही डूब जाएगी। इससे लोगों में अनायास भय का वातावरण बन गया था। हैरान-परेशान जनमानस अफरा-तफरी में पड़ गया था।

प्रश्न 13.
अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कुछ साल पहले हम सबने सपरिवार उत्तराखंड भ्रमण का आनंद उठाने का निश्चय किया। जून के दिन थे। हम परिवार के सदस्य अपनी कार से दिल्ली से कार द्वारा देहरादून के लिए निकल पड़े। हमने पहले हरिद्वार, फिर देहरादून और फिर अन्य स्थलों को देखने के लिए दस दिनों का कार्यक्रम बनाया था। दुर्भाग्य से हरिद्वार देहरादून जाते ही बरसात शुरू हो गई। पता चला कि बदरीनाथ, केदारनाथ आदि तो बाढ़ में फँसे हैं।

सड़कें टूटने से आना-जाना बंद हो गया है। केदारनाथ का मंदिर तक क्षतिग्रस्त हो गया है। अखबारों में गाँव के गाँव बहने और लोगों के मरने की खबर पढ़कर मनभर आया। बाढ़ के दृश्य संबंधी चित्र इन स्थानों की दुर्दशा की कहानी कह रहे थे। कई स्थानों पर यातायात सुचारू होने में महीनों लग गए। अब हम आगे जाने का विचार छोड़ चुके थे और मौसम ठीक होने के दो दिन बाद दिल्ली वापस आ गए।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 1

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी? [CBSE]
उत्तर:
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी ताकि यह देखा जा सके कि-

  • कोई पशु भाग तो नहीं गया।
  • कोई पशु बीमार तो नहीं है।
  • कोई पशु बाड़े की दीवार को नुकसान तो नहीं पहुँचा रहा है।
  • नीलामी भर के लिए पेश हो गए हैं या नहीं।

प्रश्न 2.
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया? [Imp.][CBSE]
उत्तर:
छोटी बच्ची का बैलों के प्रति प्रेम उमड़ने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. छोटी बच्ची को उसकी सौतेली माँ सताती थी, यहाँ गया हीरा-मोती पर अत्याचार कर रहा था।
  2. छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। उसे अपनों से बिछड़ने के दुख का ज्ञान था।
  3. छोटी बच्ची माँ के मरने को अपना दुर्भाग्य मानती थी। वह हीरा-मोती को। उनका घर छूटने के कारण उन्हें अपने जैसा ही अभागा समझती थी।
  4.  छोटी बच्ची छल-प्रपंच से अभी दूर थी। उसका निश्छल मन हीरा-मोती पर होते अत्याचार को देख कर द्रवित हो गया, और प्रेम उमड़ आया।

प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं? [Imp.]
उत्तर:
कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति विषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं-

  • किसी व्यक्ति को अत्यधिक सीधेपन और सहनशीलता के कारण बेवकूफ़ नहीं समझना चाहिए।
  • मनुष्य हो या पशु उन्हें अपने धर्म और कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
  • मित्र को संकट में छोड़कर नहीं जाना चाहिए।
  • संगठन में शक्ति है। संगठित होकर बड़ी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।
  • पराजित दुश्मन के प्रति सदयता दिखानी चाहिए।
  • औरतों का सम्मान करना चाहिए।
  • अधिकाधिक भलाई करते रहना चाहिए।

प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
गधे को उसके स्वभाव के आधार पर मूर्खता का पर्याय समझा जाता है, पर लेखक प्रेमचंद ने उसकी स्वाभाविक विशेषताओं, सरलता और सहनशीलता के आधार पर एक नए अर्थ की ओर हमारा ध्यान खींचा है। गधे में निहित गुणों के आधार पर लेखक ने उसकी तुलना ऋषि-मुनियों से की है। सुख-दुख, लाभ-हानि तथा विपरीत परिस्थितियों में एक जैसा बने रहने के गुण के कारण लेखक ने उसके सरल और सहनशील होने की ओर संकेत किया है।

प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी? [CBSE]
उत्तर:
हीरा-मोती में गहरी मित्रता थी, यह एक नहीं अनेक-घटनाओं से पता चलता हैं, जैसे-

  • दोनों एक साथ नाद में मुँह डालते, एक साथ हटाते।
  • दोनों सायंकाल एक-दूसरे को चाट-चूटकर थकान मिटाते थे।
  • दानों के विचार परस्पर मिलते थे।
  • काम के समय दोनों एक-दूसरे का बोझ अपने कंधों पर लेने की कोशिश में रहते थे।
  • किसी आकस्मिक संकट का दोनों मिल-जुलकर मुकाबला करते थे।
  • दोनों में कोई भी किसी दूसरे को संकट में छोड़कर नहीं जाता था।
  • दोनों एक-दूसरे के साथ जीना-मरना चाहते थे।

प्रश्न 6.
लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।’-हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
हीरा के कथन से लेखक का दृष्टिकोण ज्ञात होता है कि उस समय समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी। वे पुरुषों द्वारा शोषित थीं। सामाजिक नियमों के अनुसार स्त्रियों को शारीरिक दंड देना अनुचित है। लेखक स्त्रियों की प्रताड़ना का विरोधी है। वह नारियों के सम्मान का पक्षधर है। वह स्त्रियों तथा पुरुषों की समानता का पक्षधर है।

प्रश्न 7.
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है? [Imp.]
उत्तर:
‘दो बैलों की कथा’ नामक इस कहानी में लेखक ने किसान जीवने वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को भावनात्मक और आत्मीय रूप में दिखाया है। झूरी किसान है। वह अपने दोनों बैलों हीरा-मोती से विशेष लगाव एवं स्नेह रखता है। वह उनके चारे-पानी का ध्यान रखता है। वह उन्हें अपमानित यो दंडित नहीं करता है। गया के घर से भाग कर आने पर वह उन्हें गले लगा लेता है।

इधर गया के साथ जा रहे बैलों के मन में भी भ्रम उत्पन्न हो जाता है कि उन्हें बेच दिया गया है। वे हर मुसीबत का सामना करते हुए भी गया के घर आने को उत्सुक रहते हैं। बैलों पर एक ओर गया जहाँ अत्याचार करता है, वही दूसरी ओर छोटी बालिका उन्हें रोटियाँ खिलाकर उनसे स्नेह करती है और भावी संकट के प्रति उन्हें सचेत करती हुई उनकी रस्सियाँ खोल देती है। इसी तरह कांजीहौस में नीलाम होने के बाद जब हीरा-मोती घर लौटते हैं तो झूरी ही नहीं उसकी पत्नी भी बैलों को माथा चूम लेती है। उनके आने से सबसे अधिक खुशी बच्चों को होती है जिससे बैलों के प्रति उनके भावनात्मक एवं आत्मीय लगाव प्रकट होता है।

प्रश्न 8.
इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे’-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए। [CBSE]
उत्तर:
मोती के उक्त कथन के आलोक में उसकी निम्नलिखित विशेषताएँ प्रकट होती हैं

  1. मोती स्वभाव से उग्र जरूर है पर दयालु भी है।
  2. मोती का स्वभाव परोपकारी है। वह कांजीहौस में बंद जानवरों की जान बचाता है।
  3.  मोती सच्चा मित्र है। वह मुसीबत के समय हीरा का साथ नहीं छोड़ता है।
  4.  मोती अत्याचार का विरोधी है। वह कांजीहौस की दीवार तोड़कर अत्याचार का विरोध करता है।
  5. मोती साहसी है। वह हीरा की मदद से साँड़ को पराजित करता है।

प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता की दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया। [CBSE]
उत्तर:
(क) इस कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि हीरा और मोती अपने विचारों का आदान-प्रदान मूक भाषा में कर लेते थे। वे एक-दूसरे के मन की बातें जान समझ लेते थे। यही उनकी पक्की दोस्ती का आधार था। वे मूक भाषा में सलाह कर बड़े से बड़े संकट का हल खोज लेते थे। मनुष्य जो सभी जीवों में स्वयं को श्रेष्ठ मानता है। उसके पास यह शक्ति नहीं है। इस मामले में वह पशुओं से हीन है।

(ख) हीरा-मोती ऊँची कद काठी वाले बैल थे। उन्हें पर्याप्त चारे के रूप में भोजन की जरूरत थी। वे गया द्वारा दिया गया सूखा भूसा नहीं खाते थे। ऐसे में नन्हीं बालिका द्वारा खिलाई गई एक रोटी से उनकी उदर पूर्ति कैसे होती, पर प्रेम से उन्हें आत्म संतुष्टि अवश्य होती। इस संतुष्टि के भाव से ही वे प्रसन्न हो उठते थे।

प्रश्न 10.
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दु:खी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री को जानकारी न थी।
(सही उत्तर के आगे () का निशान लगाइए।)
उत्तर:
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर:
हीरा-मोती परिश्रमी और सहनशील थे पर जब-जब उन्हें शोषण का सामना करना पड़ा तब-तब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ित किया गया। हीरा-मोती का शोषण उसी समय से शुरू हो जाता है जब वे गया के साथ पहली बार जा रहे थे। वे गया के साथ जाना नहीं चाहते थे पर गया उन्हें बलपूर्वक ले जा रहा था। इस शोषण का विरोध करते हुए वे रात में ही उसके घर से भागकर वापस आ गए।

गया जब उन्हें दुबारा ले गया और हल में जोत दिया तो इस शोषण का उन्होंने विरोध करते हुए कदम न उठाया इससे गया ने दोनों की खूब पिटाई की। इससे क्रुद्ध मोती हल लेकर भागा, जिससे जुआ-जोत सब टूट गए। गया के घर से पुनः भागते हुए वे साँड से भिड़कर शोषण का मुकाबला करने लगे। कांजीहौस में बंद होने और वहाँ चारा-पानी न मिलने के विरुद्ध उन्होंने भरपूर प्रयास किया और बाड़े की दीवार ढहाकर अन्य पशुओं को आजाद करा दिया। इसी तरह दढ़ियल के साथ जाते हुए उन्होंने अपनी रस्सियाँ छुटाईं और झूरी के थान पर आ पहुँचे। इस प्रकार उन्होंने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई और प्रताड़ना सही।

प्रश्न 12.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
उत्तर:
यह कहानी अप्रत्यक्ष रूप से आजादी के आंदोलन से जुड़ी है। ये दो बैल सच्चे भारतीय हैं, जिनमें से एक गाँधी जी की अहिंसा का समर्थक है तो दूसरा उग्र स्वभाव वाला है। दोनों मिलकर आजादी पाने के लिए संघर्षरत रहते हैं। झूरी का घर स्वदेश का प्रतीक है, जहाँ आने के लिए दोनों व्याकुल रहते हैं। उन्हें इसके लिए अनेक बाधाएँ झेलनी पड़ती हैं। जैसे क्रांतिकारियों को कालापानी की सजा होती थी उसी तरह इनको भी कांजीहौस में बंद कर दिया जाता है। वहाँ ये अपने साथियों को मुक्त कराते हैं। दोनों को मारने के लिए बधिक के हाथों बेच दिया जाता है परंतु अंततः ये झूरी के घर अर्थात् स्वदेश वापस आ ही जाते हैं। इस प्रकार निःसंदेह यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी जोर लगाता हूँ। ‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच • ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो। |
उत्तर:
निपातयुक्त वाक्य

  • मैं तो अब घर भागता हूँ।
  • बैलों को देखते ही दौड़ा और उन्हें बारी-बारी गले लगाने लगा।
  • आएगा तो दूर से ही खबर लूंगा।
  • मर जाऊँगा, पर उसके काम तो न आऊँगा।
  • हमारी जान को कोई जान ही नहीं समझता।

प्रश्न 14.
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखे लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
उत्तर:
(क) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-दीवार का गिरना था
संज्ञा आश्रित उपवाक्य-अधमरे से पड़े हुए जानवर भी चेत उठे।

(ख) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-सहसा एक दढ़ियल आदमी आया।
विशेषण आश्रित उपवाक्य-जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर।

(ग) वाक्य भेद-मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य-हीरा ने कहा
संज्ञा आश्रित उपवाक्य-गया के घर से नाहक भागे।

(घ) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-बिकेंगे
क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य-मैं बेचूंगा तो

(ङ) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य-अगर वह न पकड़ता।

प्रश्न 15.
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:

  • जान से हाथ धोना-(मृत्यु को प्राप्त होना) बरफ़ीले तूफ़ान में अनेक पर्वतारोहियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
  • दाँतों पसीना आना-(बहुत परेशान होना) चीते को पिंजरे में बंद करने के लिए चिड़ियाघर के कर्मचारियों को दाँतों पसीना आ गया।
  • चेत उठना-(सजग उठना) वर्षा की पहली फुहार पड़ते ही जीव-जंतु एवं वनस्पतियाँ चेत उठीं।
  • नौ-दो ग्यारह होना-(भाग जाना) पुलिस द्वारा आँसू गैस छोड़ते ही प्रदर्शनकारी नौ दो ग्यारह हो गए।
  • अंत करना-(जान से मार देना) पुलिस की एक गोली ने आतंकी का अंत कर दिया।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 16.
पशु-पक्षियों से संबंधित अन्य रचनाएँ हूँढ़कर पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 तुम कब जाओगे, अतिथि

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 तुम कब जाओगे, अतिथि.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?
उत्तर:
अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रहा है।

प्रश्न 2.
कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?
उत्तर:
कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं।

प्रश्न 3.
पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
उत्तर:
पति ने अतिथि का स्वागत स्नेह भीगी मुस्कान से गले लगाते हुए किया, जबकि उसकी पत्नी ने सादर नमस्ते किया। पति पत्नी ने अतिथि के खान-पान का पूरा ध्यान रखा।

प्रश्न 4.
दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?
उत्तर:
दोपहर के भोजन को औपचारिक डिनर जैसा भारी भरकम बनाया गया। दो सब्जियाँ, रायता तथा एक मीठा व्यंजन तैयार किया गया।

प्रश्न 5.
तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
उत्तर-
तीसरे दिन सुबह अतिथि ने लेखक से कहा कि वह धोबी को कपड़े देना चाहता है।

प्रश्न 6.
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
उत्तर:
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक ने अतिथि को डिनर की बजाय खिचड़ी खिलाई।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
उत्तर:
लेखक अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह अतिथि को विदा करने के लिए स्टेशन तक जाना चाहता था, परंतु ऐसा न हो सका क्योंकि अतिथि जाना ही नहीं चाहता था।

प्रश्न 2.
पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए-

  1. अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ कॉप गया। [CBSE 2012]
  2. अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
  3. लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।
  4. मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
  5. एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर:

  1. जब लेखक ने अपने घर आए अनचाहे अतिथि को देखा तो उसको बटुआ काँप उठा। आशय यह है कि उसे अपनी आर्थिक स्थिति डगमगाने का भय सताने लगा। उसे लगा कि इस मेहमान पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ेगा।
  2. अतिथि हमेशा देवता नहीं रहता। यदि वह थोड़े समय के लिए रहे तो देवता प्रतीत होता है। बाद में सामान्य मनुष्य प्रतीत होने लगता है। अगर वह लंबे समय तक टिक जाए तो राक्षस जैसा बुरा लगने लगता है।
  3. घर तभी तक ‘स्वीट होम’ यानि सुमधुर और आरामदायक जान पड़ता है जब तक कि उसमें घर के सदस्य ही रहें। कोई अनचाहा अतिथि उन पर बोझ बनकर न आ टिके। अतिथि के कारण घर की सरसता समाप्त हो जाती है।
  4. लेखक मन-ही-मन अंपने अनचाहे मेहमान से कहता है-अगर तुम पाँचवें दिन भी मेरे घर से न गए तो फिर मेरी सहनशीलता समाप्त हो जाएगी। मैं अगले दिन तक तुम्हें सह नहीं पाऊँगा। तुम्हें जाने के लिए कह दूंगा।
  5. देवता तभी भाता है, जबकि वह थोड़ी देर के लिए दर्शन दे। यदि वह आकर जम जाए तो काटने दौड़ता है। मनुष्य लंबे समय तक किसी को सम्मान नहीं दे सकता। अतिथि को तो बिल्कुल नहीं। यह मानव स्वभाव के विरुद्ध है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा? लेखक पर उसकी क्या प्रतिक्रिया हुई? . [CBSE 2012]
उत्तर:
लेखक सोच रहा था कि अतिथि दूसरे दिन चला जाएगा पर ऐसा न हुआ। अगले दिन उसने सोचा, शायद आज अतिथि जाएगा पर जब तीसरे दिन अतिथि ने लेखक से धोबी को कपड़े देने के लिए कहा तो इसका तात्पर्य यह था कि अतिथि आज भी जाने वाला नहीं। यह लेखक के लिए अप्रत्याशित आघात था क्योंकि लेखक ने ऐसा सोचा भी न था। इससे लेखक और भी चिंताग्रस्त हो गया कि पता नहीं उसे अतिथि से कब छुटकारा मिलेगा।

प्रश्न 2.
‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना’ इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना’ का आशय है-संबंधों का बदलना। पहले जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे, सौहार्दपूर्ण थे, उनका अब घृणा, तिरस्कार और बोरियत में बदलना। जब अतिथि आया था तो लेखक ने उसे प्रसन्नता के साथ निभाया। उसके लिए शानदार डिनर बनवाया। अगले दिन भी उसे अच्छा लंच कराया तथा सिनेमा दिखाया। परंतु इसके बाद भी जब वह टिका रहा तो लेखक के मन में उसके प्रति तिरस्कार जागने लगा। इस प्रकार संबंध परिवर्तन के दौर से गुजरने लगे।

प्रश्न 3.
जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए? [CBSE 2012]
उत्तर:
जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो उसके व्यवहार में कई बदलाव आए, जैसे-लेखक अब गर्मजोशी से अतिथि से बातें नहीं करता था। उसने अतिथि के भोजन को डिनर से खिचड़ी पर ला दिया था। वह हर समय अतिथि के जाने की प्रतीक्षा करने लगा। उसकी सहनशीलता का अंत होने वाला था। अतिथि को गले लगाकर स्वागत करने वाला लेखक अब अतिथि को ‘गेट आउट’ कहने के लिए तैयार हो गया था।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए-

  1. चाँद
  2. जिक्र
  3. आघात
  4. ऊष्मा
  5. अंतरंग

उत्तर:

  1. चाँद-चंद्रमा, निशाकर, मयंक
  2. जिक्र-चर्चा, संदर्भ
  3. आघात-चोट, व्याघात
  4. ऊष्मा-गर्मी, ऊर्जा, गरमाहट
  5. अंतरंग-भीतरी, अंदरूनी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए-

  1. हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
    …………………………………………………………………………….
  2. किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
    …………………………………………………………………………….
  3. सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)
    …………………………………………………………………………….
  4. इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)
    …………………………………………………………………………….
  5. कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)
    …………………………………………………………………………….

उत्तर:

  1. हम तुम्हें स्टेशन तक नहीं छोड़ने जाएँगे।
  2. किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी धुल जाएँगे?
  3. सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।
  4. इनके कपड़े कहाँ देने हैं?
  5. ये नहीं टिकेंगे।

प्रश्न 3.
पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए
(क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी जमीन पर अंकित कर चुके
(ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके
(ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे
(घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए
(ङ) तुम्हारे भारी भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।
उत्तर:
अपेक्षित नहीं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए
(क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।
(ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुसकराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।
(ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।
(घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।
(ङ) भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।
उत्तर:
अपेक्षित नहीं।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
‘अतिथि देवो भव’ उक्ति की व्याख्या करें तथा आधुनिक युग के संदर्भ में इसका आकलन करें। [CBSE 2012]
उत्तर:
‘अतिथि देवो भव’ का अर्थ है-अतिथि देवता के समान होता है। यह उक्ति कभी ठीक रही होगी। आधुनिक युग में यह उक्ति बेमानी हो गई है। आज लोगों के पास अपने लिए ही समय नहीं है। वे अतिथियों को कैसे समय दें? आज के लोग कमाने में, कैरियर बनाने में, पढ़ने-पढ़ाने में अधिक ध्यान देने लगे हैं। अतः अब अतिथि के आने पर उनकी खुशी बढ़ती नहीं, बल्कि कम होती है।

प्रश्न 2.
विद्यार्थी अपने घर आए अतिथियों के सत्कार का अनुभव कक्षा में सुनाएँ। |
उत्तर:
कल ही मेरे घर मेरे पिताजी के मित्र आए। मैंने आते ही उन्हें नमस्कार किया। उन्होंने मुझे बड़े प्यार से अपने पास बुलाया। मुझसे नाम पूछा, बातें की। तब मैं उनके लिए पानी लाया। फिर चाय-बिस्कुट लाया। वे बड़े प्यार-से मुझे निहारते रहे और बातें करते रहे। जब वे जाने लगे तो मैंने उन्हें फिर से नमस्ते की। मुझे उनका आना और बातें करना बहुत अच्छा लगा।

प्रश्न 3.
अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुक जाने पर लेखक की क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ हुईं, उन्हें क्रम से छाँटकर लिखिए।
उत्तर:

  • दूसरे दिन मन में आया कि बस इस अतिथि को अब और अधिक नहीं झेला जा सकता।
  • तीसरे दिन, वह राक्षस प्रतीत होने लगा।
  • चौथे दिन, मुसकान फीकी पड़ गई। ठहाके बंद हो गए। बातचीत रुक गई। डिनर की बजाय खिचड़ी बन गई। मन में आया कि उसे ‘गेट आउट’ कह दिया जाए।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 स्मृति

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पाठ्य-पुस्तक के बोध-प्रश्न

प्रश्न 1.
भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर:
भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में पिटाई की आशंका थी। वह पिटाई और उसके संभावित कारणों के बारे में सोच रहा था कि कहीं इस कड़ी सरदी में झरबेरी के बेर खाने चले आने के कारण बड़े भाई उसे पिटाई करने के लिए तो नहीं बुला रहे हैं।

प्रश्न 2.
मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी? [CBSE]
उत्तर:
मक्खनपुर पढ़ने जानेवाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आनेवाली उसकी क्रोधपूर्ण फुफकार सुनने में मजा लेते थे। कुएँ में ढेला फेंककर उसकी आवाज़ सुनने के बाद अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।

प्रश्न 3.
‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’-यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
उत्तर:
साँप की फुफकार होने या उसे ढेला लगने या न लगने की बात लेखक को अब तक याद नहीं, क्योंकि कुएँ में ढेला मारते समय उसकी टोपी में रखी चिट्ठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर रही थीं। चिठियों को यूँ गिरते देखकर लेखक अपनी भावी पिटाई को सोचकर भयभीत हो गया। उक्त कथन लेखक की भयाक्रांत, निराश और घबराहट भरी मनोदशा को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 4.
किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया? [CBSE]
उत्तर:
लेखक को चिठियाँ बडे भाई ने दी थीं। यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जातीं तो घर पर मार पडती। सच बोलकर पिटने का भय और झूठ बोलकर चिट्ठियों के न पहुँचने की जिम्मेदारी के बोझ से दबा वह बैठा सिसक रहा था। वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। चिट्ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। उसका मन कहीं भाग जाने को करता था, फिर पिटने का भय और जिम्मेदारी की दुधारी तलवार कलेजे पर फिर रही थी। उसे चिट्ठियाँ बाहर निकालकर लानी थीं। अंत में उसने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय कर ही लिया।

प्रश्न 5.
साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई? [CBSE]
उत्तर:
साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कुएँ की दीवार पर अपना पैर लगाकर कुछ मिट्टी गिराई। इससे साँप का ध्यान बँट गया और उसने मिट्टी पर जोर से मुँह मारा। लेखक ने डंडे से चिट्ठियों को सरकाया, इससे उसका ध्यान डंडे की ओर चला गया और उसने डंडे पर भरपूर वार किया। इस तरह उसने साँप का ध्यान बँटाकर चिट्ठियाँ उठाने में सफल हो गया।

प्रश्न 6.
कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए। [CBSE]
अथवा
चिट्ठियों को कुएँ से निकालना मौत का सामना करना था। कैसे? स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
लेखक की चिट्ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकाल लाना साहस का कार्य था। लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार किया और उसने छह धोतियों को जोड़कर डंडा बाँधा और एक सिरे को कुएँ में डालकर उसके दूसरे सिरे को कुएँ के चारों ओर घुमाने के बाद उसमें गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। धोती के सहारे जब वह कुएँ के धरातल से चार-पाँच गज ऊपर था, उसने साँप को फन फैलाए देखा। वह कुछ हाथ ऊपर लटक रहा था। साँप के पास पैर लटकते थे। वह आक्रमण करने की तैयारी में था।

साँप को धोती में लटककर नहीं मारा जा सकता था। डंडा चलाने के लिए काफी जगह चाहिए थी इसलिए उसने डंडा चलाने का इरादा छोड़ दिया। उसने डंडे से चिट्ठियों को खिसकाने का प्रयास किया कि साँप डंडे से चिपक गया। साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों को छू गया। लेखक ने डंडे को एक ओर पटक दिया। देवी कृपा से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्ठियों को उठाने में कामयाब हो गया।

प्रश्न 7.
इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है? [CBSE]
अथवा
बच्चे किस प्रकार की शरारतों में आनंद लेते हैं? [CBSE 2012]
उत्तर:
इस पाठ को पढ़ने के बाद अनेक बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है; जैसे-

  • बच्चे सरदी आदि की परवाह किए बिना पेड़ से फल आदि तोड़कर खाते रहते हैं।
  • उन्हें पिटाई से डर लगता है।
  • वे काम को जिम्मेदारी से करते हुए भी शरारतों में शामिल हो जाते हैं।
  • जीव-जंतुओं को सताने में उन्हें मज़ा आता है।
  • वे नासमझी में साँप जैसे जहरीले जीव से भी छेड़छाड़ करते हैं।

प्रश्न 8.
‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’-का आशय स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
मनुष्य हर स्थिति से निबटने के लिए अपना अनुमान लगाता है। वह अपने अनुसार भविष्य के लिए योजनाएँ बनाता है, पर ये योजनाएँ हर बार सफल नहीं हो पातीं। ये कई बार झूठी सिद्ध होती हैं। कई बार तो स्थिति बिलकुल उल्टी होती है। जिस प्रकार लेखक के साथ बचपन में घटित हुआ। मक्खनपुर जाते समय जब लेखक की चिट्ठियाँ गिर गईं। उस समय की स्थिति का लेखक ने अनुमान नहीं लगाया था। कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को लाना साहस का काम था। लेखक धोती के सहारे कुएँ में उतरा था। सामने साँप फन फैलाए बैठा था। धोती पर लटककर साँप को मारना बिलकुल असंभव था।

वहाँ डंडा चलाने की भी जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्ठियों को खिसकाने का प्रयास किया तो साँप ने डंडे से चिपककर आसन बदल लिया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल हुआ। लेखक इन सब बातों के लिए पहले से तैयार नहीं था, लेकिन स्थिति के साथ वह अपनी योजना में परिवर्तन करता गया।
इस प्रकार मनुष्य की कल्पना और वास्तविकता में बहुत अंतर होता है। यह बात इस घटना से सिद्ध हो जाती है।

प्रश्न 9.
‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
लेखक ने अपने बड़े भाई की पिटाई से बचने एवं चिट्ठियाँ डाकखाने में पहुँचाने की जिम्मेदारी के कारण उसने कुएँ में उतरने का निर्णय किया। वह कुएँ में पड़े विषैले साँप से होने वाले भावी खतरों को भी जानता था। इस जोखिमपूर्ण कार्य में उसकी मृत्यु भी हो सकती थी। उसने परिणाम पर कम ध्यान देकर चिट्ठियाँ उठाने में अपना पूरा ध्यान लगाया। उसने अपने उद्देश्य को सामने रखकर कार्य किया, क्योंकि फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर करता है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 3

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है? [CBSE]
उत्तर:
लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ का अभिप्राय है-हार्दिक आनंद, मानसिक सुख-शांति, शारीरिक आराम और संतुष्टि है। लेखक सुख को उपभोग सुख तक सीमित नहीं समझता है जैसा कि आज समझा जा रहा है।

प्रश्न 2.
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? [Imp.]

                                      अथवा

उपभोक्तावादी संस्कृति के क्या दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं? [CBSE]

                                     अथवा

उपभोक्तावादी संस्कृति से हमें क्या नुकसान हुए हैं? [CBSE]
उत्तर:
आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे जीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर रही है। उनमें से कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं

  1. आज हम अपने खाने-पीने और पहनने के लिए उन्हीं वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हैं जिनका विज्ञापन नित्य प्रति देखते हैं।
  2. हम पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण कर रहे हैं? इससे जीवन से शांति गायब हो रही है।
  3. उपभोक्तावादी संस्कृति से समाज में वर्गों के बीच दूरी बढ़ रही है।
  4.  सामाजिक सरोकार कम होते जा रहे हैं। इससे व्यक्ति केंद्रिकता बढ़ रही है।
  5.  नैतिक मापदंड तथा मर्यादाएँ कमज़ोर पड़ती जा रही हैं।
  6.  स्वार्थ की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है।
  7.  इस संस्कृति से भोग की आकांक्षाएँ आसमान को छू रही हैं। इससे हमारी सांस्कृतिक नींव हिल रही है।

प्रश्न 3.
लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है? [Imp.]
अथवा
उपभोक्तावादी संस्कृति के विषय में गाँधी जी के क्या विचार थे? [CBSE]
उत्तर:
गांधी जी ‘सादा जीवन उच्चविचार’ के सिद्धांतवादी थे। वे सामाजिकता, नैतिकता, प्रेम-सद्भाव और समानता के समर्थक थे। वे जानते थे कि उपभोक्तावादी संस्कृति भारत के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि उसका मूल आधार भोगवादी है। इस संस्कृति से सामाजिक सरोकार खतरे में पड़ गए हैं तथा हमारी सांस्कृतिक अस्मिता कमजोर पड़ती जा रही है, इस कारण गांधी जी ने इस संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती कहा है।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं। [CBSE]
(ख) प्रतिष्ठा के अनेक रूप होते हैं, चाहे वे हास्यास्पद ही क्यों न हो। [CBSE]
उत्तर:
(क) आज उपभोक्तावादी संस्कृति को अपनाने के फलस्वरूप मनुष्य उपभोग को ही चरम सुख मान बैठा है। वह उत्पाद एवं भोग के पीछे अंधाधुंध भागा जा रहा है। यह सब वह अनजाने में कर रहा है, इससे उसका चरित्र बदल रहा है। | उपभोग को ही वह जीवन का लक्ष्य मानने लगा है।

(ख) उपभोक्ता संस्कृति के प्रभाववश हम अंधानुकरण में कई ऐसी चीजें अपना लेते हैं, जो अत्यंत हास्यास्पद हैं; जैसे अमेरिका में लोग मृत्युपूर्व ही अंतिम क्रियाओं का प्रबंध कर लेते हैं। वे ज्यादा धन देकर हरी घास तथा संगीतमय फव्वारे की चाहत प्रकट कर देते हैं। भारतीय संस्कृति में ऐसे अंधानुकरण की हँसी उड़ना ही है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या न हो, लेकिन टी.वी. पर विज्ञापन देखकर हम उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित होते हैं? क्यों? [CBSE]
उत्तर:
टी.वी. पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों की भाषा अत्यंत आकर्षक और प्रभावशाली होती हैं। टी.वी. पर चलते-फिरते, हँसते गाते और मन वाले विज्ञापन हमें इस तरह सम्मोहित कर देते हैं कि हम कुछ और सोचे-समझे बिना उन्हें खरीदने के लिए लालायित हो उठते हैं।

प्रश्न 6.
आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन? तर्क देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
मेरे अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार विज्ञापन नहीं उनका गुणवत्ता होना चाहिए, क्योंकि

  1. विज्ञापनों में वस्तुओं के गुणों का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया जाता है, जिसकी वास्तविकता से कुछ लेना-देना नहीं होता है।
  2. विज्ञापनों का उद्देश्य उत्पादकों के हित में सोचना होता है, इसलिए वे उपभोक्ताओं के हित को सोचना तो दूर उनकी ब पर डाका डालते हैं।
  3. विज्ञापनों की भाषा भ्रामक तथा सम्मोहक शैली में होती है जिसमें हम हँसते जाते हैं।
  4.  विज्ञापनों के माध्यम से हम किसी वस्तु के गुण-दोष की सच्चाई नहीं जान सकते हैं।

प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही ‘दिखावे की संस्कृति’ पर विचार व्यक्त कीजिए। [Imp.]
अथवा
दिखावे की संस्कृति का हमारे समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
उपभोक्तावादी संस्कृति अधिकाधिक उपभोग के लिए प्रेरित करती है। यह संस्कृति उपयोग को ही सुख मान लेती है। इसके प्रभाव के कारण लोग अधिक से अधिक वस्तुएँ खरीदकर अपनी हैसियत का प्रदर्शन करने लगते हैं। इतना ही नहीं वे महँगी से महँगी वस्तुएँ खरीदकर दूसरों को नीचा दिखाना चाहते हैं। नि:संदेह उपभोक्तावादी संस्कृति दिखावे की संस्कृति है।

प्रश्न 8.
आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? अपने अनुभव के आधार पर एक अनुच्छेद लिखिए। [CBSE]
उत्तर:
आज उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को अत्यंत गहराई से प्रभावित कर रही है। इससे रीति-रिवाजों और त्योहारों के स्वरूप में काफी बदलाव आ गया है, जैसेरीति-रिवाज-उपभोक्ता संस्कृति ने हमारे रीति-रिवाजों का स्वरूप पूरी तरह बदल दिया है। पहले लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में वहाँ पहुँचकर शामिल हुआ करते थे, पर आज वे धन्यवाद, शुभकामना संदेश, जन्मदिन की बधाई आदि फोन या एस. एम. एस. के माध्यम से दे देते हैं।
किसी के पास आने-जाने का समय ही नहीं रह गया। वृह दिन गया जब लड़की की शादी में गली-मोहल्ले वाले तथा रिश्तेदार हर काम अपने हाथ से करते थे तथा बारात की सेवा, खान-पान के बाद ही कन्यापक्ष के लोग खाते थे, पर आज बैंक्वेटहाल यो होटल के कर्मचारी यह सब कर देते हैं। कन्यापक्ष के रिश्तेदार तथा निकट संबंधी बारातवालों का इंतजार किए बिना खा-पीकर चलते बनते हैं।
त्योहार-उपभोक्ता संस्कृति से त्योहार भी प्रभावित हुए हैं। आज होली, दीपावली, दशहरा, रक्षाबंधन, ईद मनाने के रिवाज में बदलाव आया है। दीवाली पर सरसों के तेल में जलाए जाने वाले दीपों का स्थान बिजली के बल्बों, लड़ियों, इलेक्ट्रिकल दीपों और मोमबत्तियों ने ले लिया है। इन अवसर पर बनने वाले पारंपरिक पकवानों की जगह फास्टफूड लेते जा रहे हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है।
इस वाक्य में बदल रहा है’ क्रिया है। यह क्रिया कैसे हो रही है-धीरे-धीरे। अतः यहाँ धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है। जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जहाँ वाक्य में हमें पता चलता है क्रिया कैसे, कब, कितनी और कहाँ हो रही है, वहाँ वह शब्द क्रिया-विशेषण कहलाता है।

(क) ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए क्रिया-विशेषण से युक्त पाँच वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिए।
(ख) धीरे-धीरे, ज़ोर से, लगातार, हमेशा, आजकल, कम, ज्यादा, यहाँ, उधर, बाहर-इन क्रियाविशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
(ग) नीचे दिए गए वाक्यों में से क्रिया-विशेषण और विशेषण शब्द छाँटकर अलग लिखिए।
                  वाक्य                                                                   क्रिया-विशेषण             विशेषण

  1. कल रात से निरंतर बारिश हो रही है।
  2. पेड़ पर लगे पके आम देखकर बच्चों के मुँह में पानी आ गया।
  3. रसोईघर से आती पुलाव की हलकी
    खुशबू से मुझे ज़ोरों की भूख लग आई।
  4. उतना ही खाओ जितनी भूख है।
  5. विलासिता की वस्तुओं से आजकल बाजार भरा पड़ा है।

उत्तर:
(क) (i) उत्पादन बढ़ाने पर जोर है चारों ओर।
(ii) वहाँ मंद ध्वनि में निरंतर संगीत भी।
(iii) सामंती संस्कृति के तत्व भारत में पहले भी रहे हैं।
(iv) विकास के विराट उद्देश्य पीछे छूट रहे हैं।
(v) नैतिक मानदंड ढीले पड़ रहे हैं।

(ख) धीरे-धीरे – सुमन धीरे-धीरे मेरे पास आ गई।
ज़ोर से – ज़ोर से आँधी आई और कपड़े उड़ गए।
लगातार – कल से लगातार बूंदाबाँदी हो रही है।
हमेशा – हरिश्चंद्र हमेशा सच बोलते थे।
आजकल – हज़ार और पाँच के नोट बंद होने से आजकल बड़ी परेशानी हो रही है।
कम – अधिक सुनकर भी कम बोलो।
ज्यादा – रचना ज्यादा बोल रही थी।
यहाँ – रंजना नहीं आई थी।
उधर – उधर बहुत शोर शराबा है।
बाहर – अध्यापक से डाँट खाकर छात्र बाहर चला गया।

(ग) 1. निरंतर – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण
कल रात – कालवाचक क्रिया-विशेषण
2. पके मुँह में – गुणवाचक विशेषण, स्थानवाचक क्रिया-विशेषण
3. हल्की जोरो की – गुणवाचक विशेषण, रीतिवाचक क्रिया-विशेषण
4. उतना, जितना – परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण
5. आजकल – कालवाचक क्रिया-विशेषण

पाठेतर सक्रियता

• ‘दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों का बच्चों पर बढ़ता प्रभाव’ विषय पर अध्यापक और विद्यार्थी के बीच हुए वार्तालाप को संवाद शैली में लिखिए।
उत्तर:

  • अध्यापक- बच्चो! आप विज्ञापन देखना पसंद करते हैं या नहीं?
  • विद्यार्थी- करते हैं सर! कई विज्ञापन तो बहुत सुंदर होते हैं।
  • अध्यापक- जैसे? विद्यार्थी-कोका-कोला का विज्ञापन।अध्यापक-इसमें क्या अच्छा है?
  • विद्यार्थी- सर आमिर खान की एक्टिंग? क्या एक्टिंग है।
  • अध्यापक- क्या तुम इस विज्ञापन को अच्छा विज्ञापन कहोगे?
  • विद्यार्थी- क्यों नहीं सर! इससे तो अच्छा विज्ञापन हो नहीं सकता।
  • अध्यापक- परंतु इससे यह कैसे पता चला कि तुम्हें कोका-कोला पीनी चाहिए या नहीं।
  • विद्यार्थी- सर! मैं तो एक्टिंग की बात कर रहा था।
  • अध्यापक- परंतु मैंने विज्ञापन की बात पूछी थी। जिस काम के लिए विज्ञापन बना था, क्या वह काम हो गया।
  • विद्यार्थी- (सोचते हुए) सर! वो तो हो गया। कोका-कोला कंपनी को अपना माल बेचना था, उसमें वह सफल रही।
  • अध्यापक- परंतु क्या कोका-कोला का कोई गुण पता चला, जिस कारण हमें कोका-कोला पीनी चाहिए।
  • विद्यार्थी- नहीं सर! वो तो नहीं पता चला।
  • अध्यापक- इसका मतलब यह भ्रामक विज्ञापन है। भटकाऊ, ललचाऊ या दिशाभ्रष्ट विज्ञापन है।
  • विद्यार्थी- परंतु आजकल तो सारे विज्ञापन ऐसे होते हैं।
  • अध्यापक- तभी तो मैं कहता हूँ। ये विज्ञापन लक्ष्य से भटके हुए हैं। ये उपभोक्ता को शिक्षित नहीं करते, केवल  अपने मायाजाल में अंधे करके उन्हें बाँधते हैं।

• इस पाठ के माध्यम से आपने उपभोक्ता संस्कृति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। अब आप अपने अध्यापक की सहायता से सामंती संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त करें और नीचे दिए गए विषय के पक्ष अथवा विपक्ष में कक्षा में अपने विचार व्यक्त करें।
क्या उपभोक्ता संस्कृति सामंती संस्कृति का ही विकसित रूप है?
उत्तर:
पक्ष में विचार-जी हाँ! उपभोक्तावादी संस्कृति सामंती संस्कृति का ही विकसित रूप है। पहले सामंत भोगवाद में जीवन बसर करते थे। उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य संसार का भोग करना होता था। उन्होंने ही अपनी आन-बान-शान के लिए ताजमहले, किले और बाग-बगीचे बनवाए। आम लोग कीड़े-मकौड़ों की भाँति गरीबी में पलते रहे और सामंत उनके खून पर पलकर भोगविलास करते रहे। आज यही काम उपभोक्तावादी संस्कृति के संचालक कर रहे हैं। वे सारी दुनिया को अपने उत्पादों के जाल में फंसा रहे हैं। इसके माध्यम से वे अपना साम्राज्य बढ़ा रहे हैं। आज अरबों-खरबों कमाने वाले पूँजीपति बढ़ते जा रहे हैं। उनके भोग के साधन भी बढ़ रहे हैं। ।

विपक्ष में विचार- उपभोक्तावादी संस्कृति सामंती संस्कृति का रूप नहीं है, बल्कि यह उपभोग के साधनों की प्रचुरता का प्रमाण है। पहले जो साधन बड़े-बड़े पूँजीपतियों को उपलब्ध होते थे, वे आज आम आदमी को भी मिलने लगे हैं। पहले राजा-महाराजा ही मोटरकार और हवाई जहाज की यात्रा का सुख ले पाते थे, अब मध्यमवर्गीय व्यक्ति भी इनका सुख ले रहा है। अतः यह सामंती संस्कृति का विकसित रूप नहीं है, बल्कि जन-जन की समृद्धि का प्रतीक है।

• आप प्रतिदिन टी.वी. पर ढेरों विज्ञापन देखते-सुनते हैं और इनमें से कुछ आपकी ज़बान पर चढ़ जाते हैं।
आप अपनी पसंद की किन्हीं दो वस्तुओं पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
नमकीन का विज्ञापन

  • श्रीमती – लीजिए आप भी खाइए! कुरकुरी नमकीन!!
  • श्रीमान – बस कुरकुरी?
  • श्रीमती – कुरकुरी नहीं, करारी भी!
  • श्रीमान – बस कुरकुरी और करारी?
  • श्रीमती – अजी खाइए तो! यह स्वादिष्ट भी है।
  • श्रीमान – अरे! तुम क्या खिलाओगी! मैं तुम्हें खिलाता हूँ ऐसी नमकीन-जो कुरकुरी भी है, करारी भी है, स्वादिष्ट भी है और चटपटी भी! और नाम भी है उसका खटमिठी।
  • श्रीमती – खटमिठी! यही तो मैं खिला रही थी-खटमिठी नमकीन।
  • दोनों – आप भी खाइए खटमिठी नमकीन!!

जूते का विज्ञापन
(पाँव देखकर) – अरे! यह पाँव को क्या हुआ?
घिस गए
और जूते!
वो तो लोहा हैं। वे टस-से-मस भी नहीं हुए!
वाह, बाऊ जी! इधर मेरे पैर देखो!
तुम्हारे पैर तो बिल्कुल ऐसे हैं, जैसे कभी धरती पर रखे ही नहीं।
और क्या! यह मेरे जूतों का कमाल है!
जूतों का कमाल!
जी हाँ! ये खुद घिस गए, किंतु पैर को सुरक्षित रखा!  बिल्कुल फूल से हैं जूते!
क्यों लौहपुरुष जी!
सच भई! जूते पैरों के लिए हैं; पैर जूतों के लिए नहीं। मैं भी अब खरीदा करूंगा रक्षक जूते। सुंदर! आरामदायक! रक्षक जूते!

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?
उत्तर:
महादेव भाई दूसरों से अपना परिचय गांधी जी का हम्माल तथा पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर के रूप में देते थे।

प्रश्न 2.
‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?
उत्तर:
‘यंग इंडिया’ नामक पत्र में अधिकतर लेख हॉर्नीमैन लिखा करते थे। अंग्रेजों ने उन्हें देश निकाला दे दिया। परिणामस्वरूप इस पत्र में लेख लिखने वालों की कमी हो गई।

प्रश्न 3.
गाँधी जी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?
उत्तर:
‘यंग इंडिया’ के प्रकाशन में गांधी जी ने यह निश्चय किया कि इसे सप्ताह में दो बार निकाला जाए क्योंकि काम बहुत अधिक बढ़ गया है।

प्रश्न 4.
गाँधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?
उत्तर:
गाँधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी किया करते थे।

प्रश्न 5.
महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?
उत्तर:
महादेव भाई के झोलों में ताजे-से-ताजे समाचार पत्र, मासिक पत्र और पत्रिकाएँ भरे रहते थे, जिन्हें वे सफर के दौरान पढ़ते थे।

प्रश्न 6.
महादेव भाई ने गाँधी जी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?
उत्तर:
महादेव भाई ने गाँधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ को अंग्रेजी अनुवाद किया।

प्रश्न 7.
अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?
उत्तर:
अहमदाबाद से ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ नामक साप्ताहिक निकलते थे।

प्रश्न 8.
महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?
उत्तर:
महादेव भाई रात होने तक काम करते रहते थे।

प्रश्न 9.
महादेव भाई से गाँधी जी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?
उत्तर:
“ए रे जखम जोगे नहि जशे।” अर्थात यह घाव कभी योग से नहीं भरेगा। गांधी जी द्वारा कहे गए इस वाक्य से उनकी और महादेव भाई की निकटता सिद्ध होती है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में लिखिए

प्रश्न 1.
गाँधी जी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?
उत्तर:
1919 में पंजाब जाते समय गाँधी जी को पलवल स्टेशन पर अंग्रेज़ सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। गाँधी जी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।

प्रश्न 2.
गाँधी जी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?
उत्तर:
पंजाब में हो रहे अत्याचारों को बताने के लिए आनेवालों की बातों को महादेव भाई संक्षिप्त टिप्पणियों के रूप में तैयार करते और गांधी जी के सामने प्रस्तुत करते। इसके अलावा वे आनेवालों के साथ गांधी जी के साथ उनकी मुलाकात भी कराते थे।

प्रश्न 3.
महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?
उत्तर:
महादेव भाई ने टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका और ‘शरद बाबू की कहानियाँ’ का अनुवाद किया। उन्होंने महात्मा गाँधी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद किया।

प्रश्न 4.
महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर:
महादेव भाई मगनवाड़ी में रहते थे। उसी समय से गाँव की सीमा पर मकान बनवाए जा रहे थे। वर्धा की असह्य गरमी में मगनवाड़ी से गाँव जाते, दिनभर काम करके शाम को फिर पैदल आते। इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। जो उनकी मृत्यु का कारण बन गया।

प्रश्न 5.
महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गाँधी जी क्या कहते थे?
उत्तर:
गाँधी जी अन्य टिप्पणीकारों को विश्वासपूर्वक यह कहते थे कि महादेव के लिखे नोट से अपने नोट का मिलान कर लो, गलती का पता चल जाएगा। उन्हें विश्वास था कि महादेव जो लिखेंगे, सही लिखेंगे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?
उत्तर:
पंजाब में फ़ौजी शासन ने घोर कहर बरपाया और पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इन नेताओं को फ़ौजी कानून के अंतर्गत जन्म कैद की सज़ाएँ देकर काला पानी (अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर) भेज दिया। लाहौर के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक पत्र ट्रिब्यून के संपादक श्री कालीनाथ राम को दस साल जेल की सजा दी गई।

प्रश्न 2.
महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था? [CBSE 2012]
उत्तर:
महादेव जी जो लिखते थे, वह बड़ा सुंदर व सटीक होता था। वह चाहे साधारण लेख हो या विरोधी समाचार पत्रों की प्रतिक्रियाओं का जवाब, सभी में उनकी शिष्टाचार भरी शैली होती थी। उनके कॉलम सीधी-सादी भाषा में सुस्पष्ट व उच्च भावों से भरे होते थे। वे विरोधियों की बातों का जवाब उदार हृदय से देते थे। यही कारण था कि वे सबके लाड़ले बन गए।

प्रश्न 3.
महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
महादेव भाई द्वारा लिखे गए अक्षर मोती जैसे सुंदर और त्रुटिरहित होते थे। पूरे भारत में उनकी लिखावट का सानी न था। वाइसराय को लिखे जाने वाले पत्र उन्हीं की लिखावट में लिखे जाते थे। उनकी लिखावट देख वाइसराय भी सोचने पर विवश हो जाते थे। वे सुंदर लिखते हुए भी तेज़ गति से लिख सकते थे। इन लेखों में इतनी शुद्धता होती थी कि लोग अपने लेख का मिलान महादेव द्वारा लिखे लेख से करते थे। उनकी लिखावट पढ़ने वाले को मंत्रमुग्ध कर देने वाली तथा मनोहारी थी।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
अपना परिचय उनके ‘पीर बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’ [CBSE 2012]
उत्तर:
महादेव भाई मज़ाक में अपने आपको गाँधीजी का सेवक, रसोइया, पानी भरने वाला भिश्ती और गधा कहते थे। यह कहने में वे गौरव का अनुभव करते थे। गाँधी जी की सेवा करने में उन्हें आनंद आता था। वे गौरव का अनुभव इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें गाँधी जी का सान्निध्य प्राप्त था।

प्रश्न 2.
इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफेद को स्याह करना होता था।
उत्तर:
आशय-महादेव भाई और उनके मित्र नरहरि भाई ने वकालत की पढ़ाई के साथ वकालत भी साथ-साथ शुरू की थी। इस पेशे में सच्चाई और ईमानदारी के लिए कोई जगह नहीं होती। यहाँ तो बुधिकौशल और वाक्पटुता के बल पर सच को झूठ और झूठ को सच साबित किया जाता है। इसी सच और झूठ के चक्कर में कई बार निर्दोष को सज़ा और दोषी को बाइज्जत बरी कर दिया जाता है।

प्रश्न 3.
देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।
उत्तर:
इसका आशय यह है कि महादेव की मृत्य अल्पायु में ही हो गई थी। इस संसार से जाने से पहले उन्होंने ऐसा काम किया था कि सारी दुनिया उन पर मुग्ध हो गई थी। वे शुक्रतारे की तरह अल्प समय में अपनी चमक बिखेरकर अस्त हो गए।

प्रश्न 4.
उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस-उसाँस लेते रहते थे।
उत्तर:
आशय- महादेव भाई की लिखावट अत्यंत सुंदर थी। यह लिखावट इतनी शुद्ध होती थी कि उसमें कॉमा और मात्रा की भी गलती नहीं होती थी। उनकी लेखन शैली मनोहारी होती थी। शिमला में बैठे वाइसराय को लिखे जाने वाले पत्र महादेव की लिखावट में भेजे जाते थे। इन पत्रों की लिखावट देख वाइसराय लंबी-लंबी साँसें लेने लग जाते थे क्योंकि ब्रिटिश सर्विस में उनके समान अक्षर लिखने वाला मिलना कठिन था।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए-

         सप्ताह    –    साप्ताहिक

  1. अर्थ        –    …………………
  2. साहित्य   –    …………………
  3. धर्म        –    …………………
  4. व्यक्ति    –    …………………
  5. मास       –    …………………
  6. राजनीति –    …………………
  7. वर्ष        –    …………………

उत्तर:

  1. अर्थ – आर्थिक
  2. साहित्य – साहित्यिक
  3. व्यक्ति  – वैयक्तिक
  4. धर्म  -धार्मिक
  5. मास  – मासिक
  6. राजनीति – राजनीतिक
  7. वर्ष  – वार्षिक

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए-
अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि

  1. आर्य           –     …………………….
  2. आगत         –     …………………….
  3. डर            –      …………………….
  4. आकर्षण     –     …………………….
  5. क्रय           –      …………………….
  6. मार्ग           –      …………………….
  7. उपस्थित     –      …………………….
  8. लोक          –      …………………….
  9. नायक        –      …………………….
  10. भाग्य         –      …………………….

उत्तर:

  1. आर्य – अनार्य
  2. आगत – अनागत
  3. डर – निडर
  4. आकर्षण – विकर्षण
  5. क्रये – विक्रय
  6. मार्ग – कुमार्ग
  7. उपस्थित – अनुपस्थित
  8. लोक – परलोक
  9. नायक – अधिनायक
  10. भाग्य – दुर्भाग्य ।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए,

  1. आड़े हाथों लेना
  2. अस्त हो जाना
  3. दाँतों तले अंगुली दबाना
  4. मंत्र-मुग्ध करना
  5. लोहे के चने चबाना

उत्तर:

  1. आड़े हाथों लेना – जब दुश्मन सामने आए तो नरमी न बरतना। उसे आड़े हाथों लेना
  2. अस्त हो जाना – कभी कांग्रेस में सेवा का भाव था। आज वह पवित्र भावना अस्त हो गई है।
  3. दाँतों तले अँगुली दबाना – नट को एक रस्सी पर चढ़ते देखकर सब लोग दाँतों तले अँगुली दबाने लगे
  4. मंत्र मुग्ध करना – लता मंगेशकर की मधुर आवाज़ ने सबको मंत्र मुग्ध कर दिया
  5. लोहे के चने चबाना – सैनिकों का जीवन आसान नहीं होता। उन्हें युद्ध के मैदान में लोहे के चने चबाने पड़ते हैं

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए

  1. वारिस     –   ……………..
  2. जिगरी     –   ……………..
  3. कहर       –   …………….
  4. मुकाम     –  ……………..
  5. रूबरू    –   ……………..
  6. फ़र्क       –   ……………..
  7. तालीम    –   ……………..
  8. गिरफ्तार –   ……………..

उत्तर:

  1. वारिस – उत्तराधिकारी
  2. जिगरी – हार्दिक
  3. कहर – जुल्म, अत्याचार
  4. मुकाम – लक्ष्य
  5. रूबरू – प्रत्यक्ष
  6. फ़र्क – अंतर
  7. तालीम – शिक्षा
  8. गिरफ़्तार – कैद, बंधक

प्रश्न 5.
उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए-
उदाहरण :
गाँधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
गाँधीजी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।

  1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे।
  2. पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
  3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।
  4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गाँधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
  5. गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।

उत्तर:

  1. महादेव भाई ने अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में दिया था।
  2. पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़े थे।
  3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
  4. देश-विदेश के समाचार पत्रों ने गाँधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी की।
  5. गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेवी की लिखावट में जाया करते थे।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
गाँधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
जलियाँवाला बाग में कौन-सी घटना हुई थी? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर:
जलियाँवाला बाग में वैशाखी के दिन जनसभा हुई थी। उस सभा पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवा दी थीं। उसमें हज़ारों लोग मारे गए थे।

प्रश्न 3.
अहमदाबाद में बापू के आश्रम के विषय में चित्रात्मक जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर:
साबरमती आश्रम साबरमती नदी के तट पर गुजरात में है।

प्रश्न 4.
सूर्योदय के 2-3 घंटे पहले पूर्व दिशा में या सूर्यास्त के 2-3 घंटे बाद पश्चिम दिशा में एक खूब चमकता हुआ ग्रह दिखाई देता है, वह शुक्र ग्रह है। छोटी दूरबीन से इसकी बदलती हुई कलाएँ देखी जा सकती हैं, जैसे चंद्रमा की कलाएँ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
वीराने में जहाँ बत्तियाँ न हों वहाँ अँधेरी रात में जब आकाश में चाँद भी दिखाई न दे रहा हो तब शुक्र ग्रह (जिसे हम शुक्र तारा भी कहते हैं) के प्रकाश से अपने साए को चलते हुए देखा जा सकता है। कभी अवसर मिले तो इसे स्वयं अनुभव करके देखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
सूर्यमंडल में नौ ग्रह हैं। शुक्र सूर्य से क्रमश: दूरी के अनुसार दूसरा ग्रह है और पृथ्वी तीसरा। चित्र सहित परियोजना पुस्तिका में अन्य ग्रहों के क्रम लिखिए।
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8 1
उत्तर:
सूर्य से नज़दीकी के क्रम से ग्रह

  1. बुध
  2. शुक्र
  3. पृथ्वी
  4. मंगल
  5. बृहस्पति
  6. शनि
  7. अरुण
  8. वरुण (नेप्च्यून)
  9. यम (प्लूटो)

प्रश्न 2.
‘स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी का योगदान’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:

  • गाँधी जी ने दक्षिणी अफ्रीका में स्वतंत्रता की लड़ाई शुरू की।
  • उन्होंने भारत में आकर कांग्रेस की कमान संभाली।
  • उन्होंने डांडी-यात्रा की। नमक आंदोलन किया। 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन चलाया। वे अनेक बार जेल गए। उन्होंने लाखों सत्याग्रहियों को प्रेरित किया। आखिरकार एक दिन देश आज़ाद हुआ।

प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र पर निम्न स्थानों को दर्शाएँ :
अहमदाबाद, जलियाँवाला बाग (अमृतसर), कालापानी (अंडमान), दिल्ली, शिमला, बिहार, उत्तर प्रदेश।
उत्तर:
नक्शा लेकर उस पर रंगों से चिह्न लगाएँ।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

साखियाँ

प्रश्न 1.
मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?[CBSE]
उत्तर:
मानसरोवर से कवि के दो आशय हैं-

  • तिब्बत में हिमालय की ऊँचाई पर स्थित पवित्र झील, जिसमें हंस क्रीड़ा करते हैं।
  • मनुष्य का पवित्र मन रूपी सरोवर।

प्रश्न 2.
कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी बताते हुए कहा है कि सच्चा प्रेमी अपने प्रेम अर्थात् ईश्वर की भक्ति करते हुए ईश्वर को पाने का प्रयास करता है। उसे ईश्वर के अलावा किसी सांसारिक वस्तु को पाने की रुचि नहीं होती है। वह लोभ, मोह, माया से ऊपर उठ चुका होता है। उसके लिए सांसारिक आकर्षण तथा बंधन ईश्वर की प्राप्ति में बाधक नहीं बन पाते हैं।

प्रश्न 3.
तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है?
उत्तर:
तीसरे दोहे में कबीर ने उस आध्यात्मिक ज्ञान को महत्त्व दिया है जो व्यक्तिव अनुभव से प्राप्त करता है।

प्रश्न 4.
इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है? [Imp.] [CBSE]
अथवा
‘संत सुजान’ से क्या आशय है? [CBSE 2012]
उत्तर:
इस संसार में सच्चा संत वही है जो-

  1. मोह-माया, लोभ, अपने-पराए की भावना से दूर रहता है।
  2. सांसारिक मोहमाया से दूर रहकर प्रभु की सच्ची भक्ति करता है।
  3. सुख-दुख, लाभ-हानि, ऊँच-नीच, अच्छा-बुरा आदि को समान रूप से अपनाता है।
  4. दिखावे की भक्ति नहीं करता है। वे सच्ची भक्ति से प्रभु को प्राप्त करना चाहता है।

प्रश्न 5.
अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
अंतिम दो दोहों में कबीर ने जिने संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है, वे हैं-

  • अपने-अपने धर्म को श्रेष्ठ मानने की कट्टरता और दूसरे धर्म की निंदा करना।
  • ऊँचे कुल में जन्म लेने के कारण बड़ा होने का अभिमान करने संबंधी संकीर्णता।

प्रश्न 6.
किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
कुछ लोगों का मानना है कि अच्छे कुल में जन्म लेने से ही वह महान नहीं बन जाता है। पहचान बनाने के लिए व्यक्ति को अच्छे कर्म करने होते हैं। व्यक्ति की पहचान उसके अच्छे कर्मों से होती है ऊँचे कुल में जन्म लेकर भी व्यक्ति यदि अच्छे कर्म नहीं करता है तो वह सम्मानीय नहीं हो सकता है। इसके विपरीत छोटे या निम्न कुल में ” भी जन्म लेकर व्यक्ति यदि अच्छे कर्म करता है तो सम्माननीय बन जाता है।

प्रश्न 7.
काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए हस्ती चढिए ज्ञान को, सहज दुलीचा डारि। स्वान रूप संसार है, भूकन दे झख मारि।।
उत्तर-
काव्यसौंदर्य
भावसौंदर्य- कवि ने ज्ञान की साधना में जुटे लोगों को देखकर संसार की प्रतिक्रिया की अभिव्यक्ति की है। साधक व्यक्ति को देखकर संसार उस पर तरह-तरह टीका-टिप्पणी करता है।

शिल्य सौंदर्य-

  • मिश्रित शब्दावली युक्त सधुक्कड़ी भाषा है जिसमें तत्सम शब्द का प्रयोग है।
  • दोहा छंद का प्रयोग है।
  • रूपक अलंकार का अति सुंदर प्रयोग है। इस अलंकार की छटा दर्शनीय है।
  • स्वान रूप संसार में उपमा तथा अनुप्रास अलंकार है।
  • ‘झख मारना’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग है।
  • भाषा में चित्रात्मकता है तथा दृश्य बिंबसाकार हो उठा है।

सबद (पद)

प्रश्न 8.
मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
मनुष्य ईश्वर को निम्नलिखित स्थानों पर ढूँढ़ता है-

  1. हिंदू ईश्वर को मंदिर तथा अपने पवित्र तीर्थस्थल कैलाश पर्वत पर ढूँढ़ता है।
  2. मुसलमान अपने प्रभु को काबा तथा मस्जिद में खोजता है।
  3. मनुष्य ईश्वर को योग, वैराग्य तथा अनेक प्रकार की धार्मिक क्रियाओं में खोजता है।

प्रश्न 9.
कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है? [CBSE]
उत्तर:
कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए जिन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है, वे हैं-

  • ईश्वर मंदिर-मस्जिद या देवालयों में नहीं रहता है।
  • ईश्वर काबा-काशी जैसे धर्म स्थलों पर नहीं रहता है।
  • ईश्वर को कर्मकांडों जैसे योग-वैराग्य द्वारा नहीं पाया जा सकता है।
  • भक्ति का दिखावा करने से ईश्वर नहीं मिलता है।

प्रश्न 10.
कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँसे में क्यों कहा है? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
सभी प्राणियों की रचना ईश्वर द्वारा की गई है। उसी ईश्वर का अंश आत्मा के रूप में प्रत्येक प्राणी में समाया हुआ है। जीव के अस्तित्व का कारण भी वही है, इसलिए कवि ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में कहा है।

प्रश्न 11.
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की? [CBSE]
उत्तर:
सामान्य हवा के चलने से आस-पास के वातावरण में विशेष परिवर्तन नहीं होता है किंतु आँधी आने से सारा दृश्य बदल जाता है। इसी तरह ज्ञान की आँधी आने से भक्त के मन से छल, कपट, मोह-माया, तृष्णा, लोभ-लालच तथा अज्ञानता का अंधकार नष्ट हो जाता है और व्यक्ति प्रभु भक्ति के आनंद में डूब जाता है इसलिए कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना आँधी से की है।

प्रश्न 12.
ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
अथवा
ज्ञान की आँधी आने पर व्यक्ति के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन देखने को मिलते हैं?[CBSE 2012]
उत्तर:
ज्ञान की आँधी के प्रभावस्वरूप भक्त के मन पर पड़ा भ्रम और अज्ञान का पर्दा हट गया। मन में जमा अंधकार दूर हो गया। वह मोह-माया के बंधनों से मुक्त हो गया। उसको मन निश्छल हो गया। वह प्रभुभक्ति में लीन हो सच्ची भक्ति करने लगा। उसकी परमात्मा से पहचान हो गई।

प्रश्न 13.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) हिति चित्त की है श्रृंनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।। उत्तर- इसका भाव यह है कि ईश्वरीय ज्ञान के आने से स्वार्थ-चिंतन समाप्त हो गया तथा सांसारिक मोह नष्ट हो गया।
(ख) आँधी पीछे जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर:
(क) भाव यह है कि ज्ञान की आँधी आने से पहले मनुष्य के मन में भ्रम को जो छप्पर पड़ा था उसे सहारा देने वाले स्वार्थ पूर्ण विचारों के खंभे टूट गए और सांसारिक मोह-माया का बंधन टूट गया।

(ख) ज्ञान की आँधी आने के बाद भक्त के हृदय में प्रभु-प्रेम की जो वर्षा हुई उसके आनंद में भक्त का हृदय पूरी तरह से सराबोर हो गया।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 14.
संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कबीर अपनी साखियों में कहते हैं कि मनुष्य को पक्ष-विपक्ष अर्थात् जातिगत भेदभाव से दूर रहना चाहिए। सबको हिंदू-मुसलमान आदि के झगड़ों से दूर रहना चाहिए। उनकी स्पष्ट धारणा थी कि जो निष्पक्ष होकर हरि का ध्यान करता है, वही ज्ञानी संत कहलाता है। वे हिंदू और मुसलमान दोनों की कट्टरता को फटकारते हुए कहते हैं

हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
कहै कबीर सो जीवता, जो दुहुँ के निकट न जाइ।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 15.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 9 1

पाठेतर सक्रियता

• कबीर की साखियों को याद कर कक्षा में अंत्याक्षरी का आयोजन कीजिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• एन.सी.ई.आर.टी द्वारा कबीर पर निर्मित फिल्म देखें।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15 मेघ आए

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
अथवा
मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए? [CBSE]
उत्तर:
बादलों के आने पर प्रकृति में बढ़ी गतिशीलताएँ निम्नलिखित हैं-

  • हवा बहने लगी।
  • पेड़ झुकने और उठने लगे।
  • आँधी चलने से गलियों में धूल उड़ने लगी।
  • बहती नदी अचानक ठिठक गई।
  • पीपल का पेड़ झुकने लगा।
  • लता पेड़ के पीछे छिपने लगी।
  • क्षितिज पर बिजली चमकने लगी।
  • जोरदार बरसात होने लगी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?

  • धूल
  • पेड़
  • नदी
  • लता
  • ताल

उत्तर:

  • धूल – किशोरी लड़की का जो मेहमान के आने की सूचना देने भाग रही है।
  • पेड़ – गाँव के पुरुष।
  • नदी – गाँव की विवाहिता औरतें।
  • लता – नवविवाहिता, जो साल भर से पति का इंतजार कर रही थी।
  • ताल – घर का सदस्य।

प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
उत्तर:
लता ने अपने पति मेघ को दरवाजे की ओर से देखा, क्योंकि ग्रामीण संस्कृति में नवविवाहिता नायिका अपने मायके वालों की उपस्थिति में अपने पति से बातें नहीं करती है। वह बात करने के लिए, उसे देखने के लिए उत्सुक रहती है, इसलिए ओट से देखती है।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूघट सरके।
उत्तर:
(क) भाव-लता रूपी नायिका मेघ रूपी मेहमान से क्षमा माँगते हुए कहने लगी मुझे माफ करना क्योंकि एक साल तक तुम्हारे न आने का मेरे मन में भ्रम बन गया था। अन्य भाव-वर्षा होने से व्याकुल ग्रामवासियों के मन का यह भ्रम मिट गया कि इस साल मेघ नहीं बरसेंगे।
(ख) भाव-नदी में उठती-गिरती लहरें देखकर लगता है कि नदी आने वाले मेघ रूपी मेहमान को पूँघट उठाकर तिरछी नजर से देख रही है। अन्य भाव-गाँव की स्त्रियाँ आते मेहमान को देखने के लिए ठिठक गई और पूँघट उठाकर तिरछी नजर से देखने लगीं।

प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
अथवा
मेघों के आने पर गाँव में कैसा वातावरण हो गया? [CBSE]
उत्तर:
मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा रूपी नवयुवतियाँ प्रसन्न हो उठीं। वे मेहमान के आने की सूचना देने के लिए घर की ओर भागीं। घर की स्त्रियाँ दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर मेहमान को देखने लगीं। पेड़ गरदन उचकाकर देखने लगे। लताएँ पेड़ों की ओट में छिपने लगीं। आकाश में बादल छा गए और बिजली चमकने लगी। थोड़ी ही देर में बादल बरसने लगे।

प्रश्न 6.
मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर:
बादल काले-काले हुँघराले होते हैं। इनकी सुंदरता देखते ही बनती है। बादलों के बीच कभी सतरंगी इंद्रधनुष दिखता है, जिससे बादलों का सौंदर्य बढ़ जाता है। बादलों के आगमन की सूचना देती या आगवानी करती हवा आई। बादल गाँव में सजे-धजे मेहमान के रूप में आए।

प्रश्न 7.
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:
कविता में आए मानवीकरण अलंकार के उदाहरण

  • मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
  • आगे-आगे नाचती गाती बयार चली,
  • पेड़ झुक कर झाँकने लगे, गरदन उचकाए,
  • आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
  • बाँकी चितवन उठी, नदी ठिठकी
  • बूढे पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
  • बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
  • हरषायो ताल लाया पानी परातभर के

रूपक अलंकार का उदाहरण
क्षितिज अटारी गहराई

प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. मेहमान के आने पर खुशी छा जाना।
  2. गाँववालों द्वारा मेहमान को उत्सुकतापूर्वक देखना।
  3. बड़ों-बूढ़ों द्वारा स्वागत-सत्कार किया जाना।।
  4. घर के किसी सदस्य द्वारा पानी लाना, हाथ-पाँव धुलवाने का प्रबंध करना।

प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए। [CBSE]
उत्तर:
कविता में आकाश में बादलों के आने का वर्णन इस प्रकार है-
आकाश में बादल आते ही हवा चलने लगी। हवा के चलने से पेड़ झुकते-उठते हुए प्रतीत होने लगे। आँधी चलने से धूल उड़ने लगी और दरवाजे खिड़कियाँ खुलने लगीं। नदी का बहाव रुक गया, लता पेड़ की ओट में छिपने लगी। आसमान में बादल गहरे हो गए, बिजली चमकी और बरसात होने लगी।

इसी प्रकार गाँव में मेहमान (दामाद) का वर्णन इस प्रकार है-
गाँव में मेहमान को आता देख लड़कियाँ मेहमान के आने की सूचना देने घर की ओर दौड़ पड़ी। गाँव वाले मेहमान को उचक-उंचंककर देखने लगे। स्त्रियाँ दरवाजे-खिड़कियाँ खोलकर उत्सुकता से देखने लगीं। मेहमान के आने पर घर के बुजुर्ग ने राम-जुहार की। घर का कोई युवा थाल में पानी भर लाया। मेहमान की नवविवाहिता पत्नी ने सालभर बाद आने की उससे शिकायत की। दोनों के मन का भ्रम दूर हुआ और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे।

प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य लिखिए
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
उत्तर:
काव्य-सौंदर्य
भाव-सौंदर्य – गाँव में मेघ रूपी बादलों के आने का सजीव चित्रण किया गया है।
शिल्प-सौंदर्य-

  • भाषा आम-बोलचाल के शब्दों से युक्त है जिसमें चित्रात्मकता है।
  • सजे-धजे मेहमान द्वारा बादलों को उपमानित करने से उत्प्रेक्षा अलंकार है।
  • मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के-मानवीकरण एवं अनुप्रास अलंकार है।

प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
वर्षा आने से पूर्व ही आसमान बादलों से ढंक जाता है। बिजली चमकने लगती है। वर्षा होने पर चारों ओर उल्लास का वातावरण छा जाता है। पत्ते धुले-धुले से नज़र आने लगते हैं। बच्चे नहाने के लिए बाहर निकल आते हैं। शीतल हवा चलने चलती है। पेड़ झूम-झूमकर अपनी खुशी प्रकट करते हैं। बादल गरज-गरजकर नगाड़े बजाते हुए प्रतीत होते हैं। दादुर और मोर इस धुन के साथ तान मिलाने लगते हैं। वर्षा बंद होते ही लोग रंग-बिरंगे छाते लेकर निकल पड़ते हैं। बच्चे कागज़ की नाव तैराने के लिए तालाब की ओर चल पड़ते हैं।

प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए। [CBSE]
उत्तर:
कवि ने पीपल को ही बुजुर्ग इसलिए माना है क्योंकि पीपल का पेड़ आकार में काफी बड़ा तथा पुराना होता है। यह गाँव के लिए साफ हवा देने के अलावा कल्याणकारी भी होता है।

प्रश्न 13.
कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नज़र आते हैं, लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति में अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है परंतु समय और परिस्थितियाँ बदलने से इस परंपरा में बहुत बदलाव आ गया है। पहले यातायात और संचार के साधन कम होने से मेहमान का प्राय; अपना नहीं हो पाता था और न एक-दूसरे से बात करने, हाल-समाचार जानने का मौका मिल पाता था। इसके अलावा तब लोगों की दिनचर्या इतनी व्यस्त न थी। लोग समय निकालकर आव-भगत करते थे। इसके अलावा बढ़ती महँगाई से भी मेहमान की आतिथ्य परंपरा प्रभावित हुई है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 14.
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर:
कविता में आए मुहावरे                                   वाक्य-प्रयोग

  1. सुधि लेना (याद करना)                         तुम काम में इतने डूबे रहते हो कि माँ की सुधि लेने की भी फुर्सत नहीं रह गई है।
  2. गाँठ खुलना (मन का मैल दूर होना)        तुम्हारी बातें सुनकर मेरे मन की गाँठ खुल गई
  3. बाँध टूटना (धैर्य समाप्त होना)               देखो अपने सब्र का बाँध न टूटने दो, यही परिवार के लिए ठीक होगा।
  4. बन-ठन के आना (सज-सँवरकर आना)  शादी में मेहमान बन-उन कर आए हैं।
  5. गरदन उचकाना (उचक कर देखना)      मेहमान को देखने के लिए लड़कियाँ गरदन उचकाने लगीं।

प्रश्न 15:
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर:
बन-ठन, सँवर, यार, पाहुन, उचकाए, चितवन, जुहार, सुधि, लीन्हीं, ओर, किवार, ताल, परात, अटारी, भरम।

प्रश्न 16.
‘मेघ आए’ कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘मेघ आए’ कविता की भाषा प्रवाहमयी, चित्रात्मक, सरल और सजीव है। इसमें शब्दों की क्लिष्टता और जटिलता नहीं है। कवि ने अपनी बात को लोक भाषा में कह दिया है; जैसे-‘मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।’ कविता में आँचलिक शब्दों की बहुलता है। तत्सम शब्द बस नाम मात्र के हैं। जो हैं भी वे आम बोलचाल में प्रचलित हैं। कविता में संवाद ग्रामीणों की जुबान में ही रखे गए हैं; जैसे‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ तथा क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।’ इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस कविता की भाषा सरल और सहज है।

पाठेतर सक्रियता

• वसंत ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
लो वसंत ऋतु आ गई है। उसके स्वागत में प्रकृति का मुखमंडल खिल उठा है। आकाश सजकर सरोवरों के दर्पण में मुँह निहार रहा है। वृक्षों ने उनके स्वागत में धरती पर फूल बिछा दिए हैं। हवा उन्हें पंखा कर रही है। कोयले कू-कू करके उनका अभिनंदन कर रही हैं।

• प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

धिन-धिन-धा धमक-धमक
मेघ बजे
दामिनि यह गई दमक
मेघ बजे
दादुर का कंठ खुला
मेघ बजे
धरती का हृदय धुला
मेघ बजे
पंक बना हरिचंदन
मेघ बजे
हल का है अभिनंदन
मेघ बजे
धिन-धिन-धा

  1. ‘हल का है अभिनंदन’ में किसके अभिनंदन की बात हो रही है और क्यों?
  2. प्रस्तुत कविता के आधार पर बताइए कि मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
  3. पंक बना हरिचंदन’ से क्या आशय है?
  4. पहली पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
  5. ‘मेघ आए’ और ‘मेघ बजे’ किस इंद्रिय बोध की ओर संकेत हैं?

उत्तर:

  1. यहाँ स्वयं स्रष्टा अर्थात् भगवान के अभिनंदन की बात हो रही है क्योंकि वही कर्ता है।
  2. मेघ आने पर चारों ओर जल बरसने की संगीत-ध्वनि होने लगी। आकाश में बिजली चमकने लगी। मेंढक आवाज़ करने लगे। धरती साफ-स्वच्छ हो गई। कहीं कीचड़ जम गई।
  3. धरती पर कीचड़ जमा हो गया। परंतु प्रसन्नता के कारण वह चंदन-लेप-सा प्रतीत होने लगा।
  4. अनुप्रास अलंकार।
  5. ‘मेघ आए’ में आँख से देखने का बोध है। (दृश्य बिंब)
    ‘मेघ बजे’ में कान से सुनने का बोध है। (श्रव्य बिंब)

• अपने शिक्षक और पुस्तकालय की सहायता से केदारनाथ सिंह की ‘बादल ओ’, सुमित्रानंदन पंत की ‘बादल’ और निराला की ‘बादल-राग’ कविताओं को खोजकर पढ़िए।
उत्तर:
केदारनाथ सिंह की कविता ‘बादल ओ’ में प्यासी प्रकृति की पुकार है कि बादल शीघ्र बरसें और उनकी प्यास बुझाएँ।
पंत की ‘बादल’ में बादल के विविध रूपों की रोचक वर्णन है।
निराला की ‘बादल-राग’ में बादल क्रांति के दूत बनकर क्रांति का आह्वान करते हैं।
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की ‘मेघ आए’ कविता में बादल को सजे-सँवरे नायक के रूप में दिखाते हुए प्रकृति का बहुरूपी वर्णन है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू

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पाठ्य-पुस्तक के बोध-प्रश्न

प्रश्न 1.
सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे? [CBSE)
उत्तर:
सोनजुही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में गिल्लू से जुड़े अनेक विचार उमड़ने लगे। उसे स्मरण हो आया कि इसी सोनजुही की सघन हरियाली में गिल्लू छिपकर बैठता था। जब लेखिका सोनजुही के निकट आती थी तो उसके कंधे पर कूदकर उसे चौंका देता था। लेखिका को गिल्लू जिस हालत में मिला था तथा दो वर्ष तक उसके साथ की गई क्रियाएँ एक-एककर उसे याद आने लगीं थी।

प्रश्न 2.
पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है? [CBSE 2012]
अथवा
कौओं कब समादरित और कब अनादरित लगने लगता है? [CBSE]
उत्तर:
कौओ एक विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया जाता है तो कभी अनादर। श्राद्ध के दौरान लोग कौए को आदर से बुलाते हैं। पाठ के आधार पर कौए को समादरित इसलिए कहा गया है क्योंकि माना जाता है कि जो लोग मर जाते हैं, वे कौए के रूप में अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं। कौए को खाना खिलानेवाला यह मानता है कि उसने अपने प्रियजनों को खाना खिला दिया। कौए के माध्यम से ही दूर बसे प्रियजनों के आने का संदेश मिलता है। इसका अनादर इसलिए किया जाता है, क्योंकि कौआ काँव-काँव करके हमारा सिर खा जाता है इसकी कर्कश वाणी किसी को नहीं भाती। अतः यह अनादरित होता है।

प्रश्न 3.
गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया? [CBSE]
अथवा
लेखिका ने घायल गिल्लू की देखभाल किस प्रकार की? [CBSE]
उत्तर:
गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार करने के लिए उसे गमले और दीवार के बीच से सावधानीपूर्वक निकाला गया। उसके घावों के रक्त को रुई से साफ़ कर उन पर पेंसिलीन का मरहम लगाया गया। कुछ घंटों के प्रयास के बाद उसके मुँह में एक बूंद पानी टपकाया गया। इस तरह लगातार की गई देखभाल से वह तीसरे दिन तक स्वस्थ हो गया।

प्रश्न 4.
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था? [CBSE 2012]
उत्तर:
जब लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करता। इसके लिए वह लेखिका के पैर तक आकर तेज़ी से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। गिल्लू यह क्रिया तब तक करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न दौड़ती। इस प्रकार गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो जाता। लेखिका के गिल्लू की समझदारी और इस प्रकार के कार्य-कलापों पर हैरानी होती थी।

प्रश्न 5.
गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
अथवा
गिल्लू को क्यों और कैसे मुक्त किया गया? [CBSE 2012]
उत्तर:
गिल्लू के जीवन में प्रथम वसंत आने पर वह जाली के पास बैठकर बाहर की गिलहरियों को अपनेपन से झाँका करता था। उसे ऐसा करता देख लेखिका को लगा कि अब उसे मुक्त करना आवश्यक है। उसके लिए उसने खिड़की की कीलें निकालकर जाली का कोना खोल दिया। इसी रास्ते से गिल्लू बाहर जाता, गिलहरियों के साथ खेलता-कूदता और ठीक चार बजे कमरे में वापस आ जाता।

प्रश्न 6.
गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर:
एक बार लेखिका मोटर दुर्घटना में घायल हो गई और उसे कई दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा। अस्पताल से घर आने पर गिल्लू ने उसकी सेवा की। वह लेखिका के पास बैठा रहता। वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बालों को इस प्रकार सहलाता रहता जिस प्रकार कोई सेविका हल्के हाथों से मालिश करती है। जब तक गिल्लू सिरहाने बैठा रहता लेखिका को ऐसा प्रतीत होता मानो कोई सेविका उसकी सेवा कर रही है। उसका वहाँ से हटना लेखिका को किसी परिचारिका के हटने के समान लगता। इस प्रकार लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू ने परिचारिका की भूमिका निभाई।

प्रश्न 7.
गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है? [CBSE]
उत्तर:
उस दिन गिल्लू ने दिन भर न कुछ खाया और न बाहर गया। वह रात में अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया। उसने अपने ठंडे पंजों से लेखिका की उसी अँगुली को पकड़ लिया जिसे उसने बचपन में तब पकड़ा था, जब लेखिका ने उसे मरणासन्न स्थिति में उठाया था। यह सब चेष्टाएँ देखकर लेखिका ने जान लिया कि गिल्लू का अंत समय समीप है।

प्रश्न 8.
‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’-का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विधाता प्रदत्त जीवन के दो पहलू हैं-जीवन और मरण। जीवन खुशी का अनुभव कराता है तो मृत्यु दुख का। गिल्लू के जीवन का मार्मिक अंत हो गया। सुबह का उजाला पुनः फैलाने के लिए वह मृत्यु की गोद में समा गया था। मृत्यु का आभास वेदनापूर्ण था। उसने पारिवारिक माहौल को अवसाद से भर दिया। जिन्हें परिवार के सदस्य की भाँति पाला-पोसा गया हो और जब वही छोड़कर चले जाते हैं तो जीवन को अनुभूति दुखद हो जाती है। गिल्लू भी महादेवी के लिए पारिवारिक सदस्य की भाँति था। उसके साथ उनका साहचर्यजनित लगाव था परंतु अधूरेपन व अल्पावधि का अनुभव कराकर गिल्लू का प्रभात की प्रथम किरण के रूप में मौत की गोद में सो जाना लेखिका को हिलाकर रख गया। मृत्यु पर किसी का वश नही चलता। इसी कारण सभी हाथ पर हाथ रखकर बैठने के सिवा कुछ नहीं कर सकते।

प्रश्न 9.
सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर:
सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता है कि किसी वासंती के दिन गिल्लू जूही के पीले फूल के रूप में अवश्य खिल उठेगा।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 10

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 10 दोहे

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता? [CBSE]
(ख) हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है? [CBSE)
(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है? [CBSE]
अथवा
‘एकै साधे सब सधै’ से रहीम का क्या भाव है? [CBSE)
(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता? (च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा? । [CBSE]
(छ) ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है? [CBSE]
अथवा
(ज) “मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। [CBSE]

उत्तर:
(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले जैसा इसलिए नहीं हो पाता है, क्योंकि टूटने पर जब प्रेम-संबंधों को जोड़ने की कोशिश की जाती है तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। ऐसा करने पर भी मन की मलिनता पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाती है। इससे प्रेम संबंधों में पहले जैसी घनिष्ठता नहीं आ पाती है।

(ख) हमें अपना दुख दूसरों पर इसलिए प्रकट नहीं करना चाहिए क्योंकि जिस अपेक्षा के कारण हम दूसरों को अपना दुख सुनाते हैं, सुनने वाले की प्रतिक्रिया उसके विपरीत होती है। जो व्यक्ति हमारे दुखों के बारे में सुनता है वह मदद करने के बजाय हँसी उड़ाने लगता है।

(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि कीचड़ के बीच स्थित थोड़ा-सा पानी दूसरों के काम आता है। विभिन्न पक्षी, कीड़े-मकोड़े और अन्य छोटे-छोटे जीव इसे पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं, जबकि सागर का जल जो असीमित मात्रा में होता है, खारा होने के कारण किसी के काम नहीं आता है।

(घ) एक को साधने अर्थात् एक काम में मन लगाकर पूरा प्रयास करने से काम उसी तरह सध जाता है जिस प्रकार पेड़ की पत्तियों, तना, शाखा आदि को पानी देने के बजाय केवल उसकी जड़ों को पानी देने पर वह भरपूर मात्रा में फल देता है। इसके विपरीत जड़ के अलावा हर जगह पानी देने पर भी वह सूख जाता है।

(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य इसलिए नहीं कर पाता है क्योंकि जल ही कमल की अपनी संपत्ति होती है जिसके सहारे वह जीवित रहता है। इस जल रूपी संपत्ति के अभाव में सूर्य भी कमल की रक्षा करने में असमर्थ हो जाता। है और कमल सूख जाता है।

(च) अवध नरेश अर्थात् श्रीराम को चित्रकूट इसलिए जाना पड़ा था, क्योंकि अपने पिता के वचनों की रक्षा करने एवं उन्हें निभाने के लिए चौदह वर्ष के वनवास के लिए गए। वनवास जाते हुए उन्होंने अपने वनवास के कुछ दिन चित्रकूट में बिताए थे।

(छ) नट अपने शरीर को सिकोड़कर छोटा बनाने और कुंडली मारने की कला में पारंगत होने के कारण ऊपर चढ़ जाता। है, जहाँ जन सामान्य के लिए पहुँचना कठिन होता है।

(ज) मोती के संदर्भ में ‘पानी’ का अर्थ है-उसकी चमक, जिसके कारण मोती बहुमूल्य मानी जाती है और आभूषण बनती है। मनुष्य के संदर्भ में ‘पानी’ का अर्थ है-इज्ज़त, प्रतिष्ठा और मान-सम्मान। इसके कारण ही व्यक्ति समाज में आदर का पात्र समझा जाता है। चून (आटा) के संदर्भ में पानी’ का अर्थ जल है जिसके मेल से वह रोटियों के रूप में वह प्राणियों का पोषण करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँट न लैहैं कोय।
(ग) रहिमन मूलहिं सचिबो, फूलै फलै अघाय।।
(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
(छ) पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून। ‘

उत्तर:
(क) प्रेम संबंध एक बार टूटने से दुबारा नहीं बनते। यदि दुबारा बनते भी हैं तो उनमें पहले के समान घनिष्ठता नहीं रहती। मन में अविश्वास बना रहता है।

(ख) मनुष्य को अपना दुख सबके सामने प्रकट नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें अपने हृदय में छिपाकर रखना चाहिए। लोग उसे जानकर केवल मज़ाक उड़ाते हैं। कोई भी उन दु:खों को बाँटता नहीं है।

(ग) अनेक देवी-देवताओं की भक्ति करने की अपेक्षा अपने इष्टदेव के प्रति आस्था रखना अधिक अच्छा होता है। जिस प्रकार जड़ को सींचने से पेड़ के फूल-पत्तों तक का पोषण हो जाता है। उसी प्रकार इष्ट के प्रति ध्यान कर लें तो सांसारिक सुख स्वयं मिल जाते हैं।

(घ) दोहा छंद आकार में छोटा है, परंतु अर्थ बहुत गहरा लिए हुए होता है। उसका गूढ़ अर्थ ही उसकी गागर में सागर भरने की प्रवृत्ति को स्पष्ट कर देता है। ठीक वैसे ही जैसे नट कुंडली को समेटकर रस्सी पर चढ़ जाता है।

(ङ) हिरण संगीत पर मुग्ध होकर शिकारियों को अपना जीवन तक दे देता है अर्थात अपनी अस्तित्व समर्पित कर देता है तथा मनुष्य दूसरों पर प्रसन्न होकर उसे धन देता है और उसका हित भी करता है। किंतु जो दूसरों पर प्रसन्न होकर भी उसे कुछ नहीं देता, वह पशु तुल्य होता है।

(च) प्रत्येक मनुष्य का अपना महत्त्व होता है। समयानुसार उसकी उपयोगिता है। कवि ने तलवार और सुई के उदाहरण द्वारा यह तथ्य सिद्ध किया है। जहाँ छोटी वस्तु का उपयोग होता है वहाँ बड़ी वस्तु किसी काम की नहीं होती और जहाँ बड़ी वस्तु उपयोगी सिद्ध होती है वहाँ छोटी वस्तु बेकार साबित होती है। सुई जो काम करती है वह काम तलवार नहीं कर सकती और जिस काम के लिए तलवार है वह काम सुई नहीं कर सकती। हर चीज़ की अपनी उपयोगिता है।

(छ) मोती में यदि चमक न रहे, वह व्यर्थ है। मनुष्य यदि आत्म-सम्मान न बनाए रखे तो बेकार है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं होता। पानी के बिना मोती, मनुष्य और चून नहीं उबर सकते। मोती की चमक, मनुष्य को आत्म-सम्मान व आटे की गुँथना सभी पानी के द्वारा ही संभव है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है

  1. जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
  2. कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
  3. पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।

उत्तर:

  1. जा पर विपदा पड़त है, सो आवत यह देश।
  2. बिगरी बात बनत नहिं, लाख करौ किन कोय।
  3. रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।

प्रश्न 4.
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
उदाहरण :

          कोय            –       कोई,                       जे         –       जो

  1. ज्यों             –       ……………….               कछु       –       ………………
  2. नहिं             –       ………………               कोय       –       ………………
  3. धनि             –       ………………              आखर      –      ………………
  4. जिय            –        ……………..              थोरे          –      ……………..
  5. होय             –        ……………..              माखन      –      ……………..
  6. तरवारि         –       ……………..              सचिबो      –      ……………..
  7. मूलहिं          –        ……………..             पिअत       –       ……………..
  8. पिआसो       –         ……………..             बिगरी        –      ……………..
  9. आवे            –         …………….             सहाय         –      ……………..
  10. ऊबरै           –        ……………..             बिनु           –      ……………..
  11. बिथा            –        ……………..            अठिलैहैं     –       ………………
  12. परिजाये       –        ………………

उत्तर:

  1. ज्यों   –  ज्यों                       कछु   – कुछ
  2. नहिं    –  नहीं                     कोय  –  कोई
  3. धनि    –  धन्य                    आखर  –  अक्षर
  4. जिय  –  जीव                      थोरे  –  थोड़े
  5.  होय  –  होता                     माखन  –  मक्खन
  6. तरवारि  –  तलवार              सचिबो  –  सींचना
  7. मूलहिं  –  मूल को               पिअत  –  पीते ही
  8. पिआसो  –   प्यासा              बिगरी  –  बिगड़ी
  9. आवे  –  आए                     सहाय  –  सहायक
  10. ऊबरे  –  उबरे                   बिना   –  बिथा
  11.  बिथा  –  व्यथा                   अठिलैहैं  –  इठलाएँगे
  12. परिजाय  –  पड़ जाए।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘सुई की जगह तलवार काम नहीं आती’ तथा ‘बिन पानी सब सून’ इन विषयों पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:
सुई की जगह तलवार काम नहीं आती पहला छात्र-सुई का काम सुई से ही हो सकता है। दूसरा छात्र-तलवार सुई का काम नहीं कर सकती। तीसरा छात्र-तलवार का महत्त्व अपनी जगह है। चौथा छात्र-सुई जोड़ती है, तलवार काटती है।

प्रश्न 2.
चित्रकूट’ किस राज्य में स्थित है, जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में

परियोजना कार्य

प्रश्न1.
नीति संबंधी अन्य कवियों के दोहे/कविता एकत्र कीजिए और उन दोहों/कविताओं को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका परं लगाइए।
उत्तर:
रहीम के दोहे चार्ट पर लिखकरे कक्षा में टाँगिए।

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