NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 पद

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए। [CBSE]
(ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद सौंदर्य आ गया है, जैसे-पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
(ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए- .
उदाहरण :

  • दीपक             बाती
  • …………….         …………….
  • ……………          ……………
  • ……………          ……………
  • ……………          ……………

(घ) दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
(ङ) दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
(च) रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नाम से पुकारा है? [CBSE]
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसईआ।
उत्तर:
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना करते हुए कवि ने अपने प्रभु को चंदन, बताते हुए अपनी तुलना पानी से, घन बताते हुए उसे देखकर प्रसन्न होने वाले मोर से, दीपक के साथ जलकर प्रकाश फैलाने वाली बाती से, मोती। के साथ जुड़कर माला बनाने वाले धागे से और सोने में मिलकर उसको मूल्य बढ़ाने वाले सुहागे से की है।

(ख) नाद सौंदर्य प्रस्तुत करने वाले इस पद के अन्य शब्द हैं- मोरा-चकोरा, बाती-राती, धागा-सुहागा, दासा-रैदासा।

(ग) पहले पद में अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध पद हैं-

  • चंदन – पानी
  • दीपक – बाती
  • घन – मोर
  • मोती – धागा
  • चाँद – चकोर
  • सोना – सोहागा
  • स्वामी – दास

(घ) दूसरे पद में कवि ने अपने आराध्य प्रभु को ‘गरीब निवाजु’ कहा है। कवि को पता है कि उसके प्रभु ने समाज के उस वर्ग का भी उधार किया है जिसे कोई स्पर्श भी नहीं करना चाहता है। उन्होंने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि का उद्धार किया जो समाज के अत्यंत पिछड़े एवं दबे वर्ग से थे। समाज में इस वर्ग का सहायक ईश्वर के अलावा कोई और नहीं होता है। प्रभु द्वारा ऐसे लोगों का उद्धार करने के कारण कवि ने उन्हें गरीब नवाजु कहा है।

(ङ) “जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ पंक्ति का आशय है कि संत कवि रैदास समाज में फैली अस्पृश्यता को पसंद नहीं करते हैं। समाज के लोग इस वर्ग से दूरी बनाकर रहना चाहते हैं। वे छुआछूत के कारण उनके करीब भी नहीं जाते हैं, परंतु कवि के प्रभु इस भेदभाव को नहीं मानते हैं और अपने स्पर्श से उसका भी कल्याण करते हैं। प्रभु अपनी समदर्शिता, दयालुता, उदारता के कारण किसी भक्त से भेदभाव नहीं करते हैं।
(च) रैदास ने अपने स्वामी को गरीब निवाजु, गुसाईं हरिजीउ आदि नामों से पुकारा है।

(छ)
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 1

प्रश्न 2.
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-

  1. जाकी अँग-अँग बास समानी
  2. जैसे चितवत चंद चकोरा
  3. जाकी जोति बरै दिन राती
  4. ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करे ।
  5. नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै [CBSE]

उत्तर:

  1. जिसकी सुगंध मेरे अंग-अंग में समा चुकी है अर्थात् मेरे जीवन रूपी जल में परमात्मा रूपी चंदन की सुगंध समा गई है।
  2. जिस प्रकार चकोर पक्षी दिन-रात चाँद की ओर निहारता रहता है, वैसे ही मैं अपने प्रभु की ओर निहारता रहता हूँ।
  3. रैदास कहते हैं कि उसके जीवन में दिन-रात उसी प्रभु की ज्योति जल रही है।
  4. रैदास कहते हैं कि प्रभु ही सर्वसमर्थ हैं, दीनदयालु और कृपालु हैं। उन्होंने रैदास जैसे अछूत को महान संत बना दिया। ऐसी असीम कृपा ईश्वर ही कर सकता है।
  5. रैदास कहते हैं-गोबिंद सर्वसमर्थ है। वह निडर है। वह रैदास जैसे नीच प्राणी को उच्च कोटि का संत बना सकता है।

प्रश्न 3.
रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
संत कवि रैदास अपने आराध्य प्रभु से अत्यंत घनिष्ठ प्रेम करते हुए अनन्य भक्ति भाव रखते हैं। वे अपने प्रभु से मिलकर उसी प्रकार एकाकार हो जाते हैं; जैसे-चंदन के साथ पानी, घन के साथ मोर, चाँद के साथ चकोर और सोने के साथ सुहागा। वे अपने प्रभु से अनन्य भक्ति करते हैं। उनका प्रभु गरीबों को उद्धार करने वाला है। वह गरीब निवाज गरीबों के माथे पर भी छत्र सुशोभित करने वाला है, अछूतों का उद्धार करने वाला, नीचों को ऊँचा करने वाला तथा अपनी कृपा से सभी का उद्धार करने वाला है।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
भक्त कवि कबीर, गुरु नानक, नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए। |
उत्तर:
कबीर, नानक और नामदेव की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में से पढ़े। मीराबाई के पद पाठ्यक्रम की पुस्तकें खोजकर पढ़ें।

प्रश्न 2.
पाठ में आए दोनों पदों को याद कीजिए और कक्षा में गाकर सुनाइए।
उत्तर:
छात्र याद करके कक्षा में सुनाएँ।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 13

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है? [Imp.]
उत्तर:
कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ इसलिए कहा है क्योंकि गाँव में चारों ओर हरियाली फैली है। गाँव का वातावरण शांत एवं आकर्षक है। वहाँ खेतों में हरी-भरी फ़सलें हैं जो फल-फूल से लदी हैं। वहाँ हरियाली पर चमकती धूप पड़ने से पृथ्वी के मुसकराने का आभास होता है। दूर से देखने पर गाँव मरकत के डिब्बे-से प्रतीत होते हैं। अपनी इसी सुंदरता के कारण गाँव लोगों का मन हर लेते हैं।

प्रश्न 2.
कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?
उत्तर:
कविता में शिशिर और वसंत ऋतु का वर्णन है। इसी ऋतु में पेड़ों के पत्ते गिरने शुरू होते हैं। उनमें नई-नई कोंपलें, शाखाएँ, फल-फूल आने शुरू होते हैं। आमों में मंजरियाँ आने का समय भी यही है। खेतों में फसलें-मटर, सेम, अलसी के फलने-फूलने का समय यही होता है। इसी समय चारों ओर फूल खिलने, उन पर तितलियाँ मँडराने लगती हैं। कटहल, जामुन के मुकुलित होने, अमरूद पकने, कोयल के मदमस्त होने का यही समय है।

प्रश्न 3.
गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है? [Imp.]
उत्तर:
गाँव को मरकत डिब्बे-सा खुला इसलिए कहा गया है क्योंकि गाँव में हरे-भरे पेड़ और हरी-भरी फ़सलें हैं जिससे वहाँ चारों ओर हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। मरकत या पन्ना भी हरे रंग का रत्न होता है जो चमकीला होता है। गाँव की हरियाली पर सूर्य की धूप पड़ने से वह चमक उठती है, जिससे हरा-भरा गाँव मरकत-सा प्रतीत होता है।

प्रश्न 4:
अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं? [CBSE]
उत्तर:
अरहर और सनई में फलियाँ आने पर जब हवा चलती है उन फलियों से हल्की-हल्की आवाज़ आती है। इसे सुनकर कवि को लगता है कि धरती ने अपनी कमर पर करधनी बाँध रखी हो। उस करधनी में लगे हुँघरुओं से यह आवाज़ आ रही है। सनई और अरहर के पेड़ उसे धरती की कमर में बँधे किंकिणियों जैसे लगते हैं।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए

  1. बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती
  2. हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए।

उत्तर:

  1. गंगा के दोनों किनारों पर फैली चमकती रेत पर पानी की लहरों से जो टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ बनी हैं, उन्हें देखकर लगता है कि ये रेखाएँ रेत पर साँपों के चलने से बनी हैं।
  2. हरियाली पर पड़ी धूप के कारण ऐसा लग रहा है जैसे हँसती हुई हरियाली और सरदी की धूप आलस्य से भरकर सुखपूर्वक सोए हुए हैं।

प्रश्न 6.
निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर हो रहा झलक
उत्तर:
अलंकार –

  1. अनुपास अलंकार-‘ह’ और ‘र’ वर्ण की पुनरावृत्ति के कारण।
  2. हरे-हरे–पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
  3. हरित-रुधिर-रक्त, हरे रंग का। विरोधाभास अलंकार।
  4. तिनकों के तन पर-रूपक और मानवीकरण अलंकार।

प्रश्न 7.
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
उत्तर:
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह गंगा-यमुना के मैदानी भाग में फैले किसी गाँव का हो सकता है। रचना और अभिव्यक्ति

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
भाव – कविता में गाँव के प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृधि का सुंदर चित्रण है। कविता में कवि का प्रकृति प्रेम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। कवि ने फसलों-मटर, सेम, सरसों, तीसी; सब्ज़ियों-गाजर, मूली, लौकी, टमाटर आदि; फलों-आम, जामुन, कटहल, अमरूद, आँवला; पक्षियों-कोयल, मगरौठी, सुरखाव, बगुले आदि के अलावा ढाक, पीपल के पत्तों का गिरना आदि का सूक्ष्म चित्रण किया है।

भाषा – कवि ने तत्सम शब्दों की बहुलता वाली परिनिष्ठित खड़ी बोली का प्रयोग किया है। भाषा सरल, मधुर तथा प्रवाहमयी है, जिसमें उपमा, रूपक, अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण आदि अलंकारों का प्रयोग है।

प्रश्न 9.
आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं लिखें।

पाठेतर सक्रियता

• सुमित्रानंदन पंत ने यह कविता चौथे दशक में लिखी थी। उस समय के गाँव में और आज के गाँव में आपको क्या परिवर्तन नज़र आते हैं?-इस पर कक्षा में सामूहिक चर्चा कीजिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• अपने अध्यापक के साथ गाँव की यात्रा करें और जिन फ़सलों और पेड़-पौधों का चित्रण प्रस्तुत कविता में हुआ है, उनके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
स्वयं अभ्यास के लिए।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10 वाख

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?
उत्तर:
यहाँ ‘रस्सी’ शब्द मनुष्य की साँसों की डोरी के लिए प्रयुक्त हुआ है, जिसके सहारे वह शरीर रूपी नाव खींच रही है। यह रस्सी कच्चे धागे से बनी होने के कारण अत्यंत कमज़ोर है।

प्रश्न 2.
कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं? [Imp.]
उत्तर:
कवयित्री लोभ, मोह-माया आदि से मुक्त नहीं हो पाई है। वह कोरी प्रभु भक्ति के सहारे भवसागर पार करना चाहती है। उसकी साँसों की डोर अत्यंत कमजोर है, इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के लिए किए गए प्रयास विफल हो रहे हैं।

प्रश्न 3.
कवयित्री को ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है? [CBSE]
उत्तर:
कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से तात्पर्य उसके प्रभु या परमात्मा की शरण से है, ताकि वह सांसारिकता से मुक्ति पा सके।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई। [CBSE]
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी।
उत्तर:
(क) भाव-कवयित्री ने अपनी जीवन सांसारिक विषयों में फंसकर गॅवा दिया। उसने जीवन के अंतिम समय में अपने जीवन का लेखा-जोखा देखा तो उस भक्ति के फलस्वरूप प्रभु को देने लायक उसके पास कुछ भी न था।
(ख) भाव-इन पंक्तियों में कवयित्री ने मनुष्य को सांसारिक भोग तथा त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाने की सलाह दी है कि विषय-वासनाओं के अधिकाधिक भोग से कुछ मिलने वाला नहीं है तथा भोगों से विमुखता एवं त्याग की भावना से मन में अहंकार पैदा होगा इसलिए मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए।

प्रश्न 5.
बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है? [Imp.] [CBSE]
अथवा
ललद्यद के अनुसार, बंद द्वार की साँकल कैसे खुलती है? [CBSE]
उत्तर:
बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री ने यह सुझाव दिया है कि मनुष्य इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर संयमी बने तथा भोग और त्याग के मध्य का मार्ग अपनाए। इससे प्रभु प्राप्ति का रास्ता खुल सकेगा।

प्रश्न 6.
ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति । नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?
उत्तर:
उपर्युक्त भाव निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त हुआ है-
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
माझी को हूँ, क्या उतराई?

प्रश्न 7:
‘ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘ज्ञानी’ से कवयित्री का अभिप्राय है आत्मज्ञानी व्यक्ति जो यह जान गया है कि मैं कौन हूँ तथा आत्मा-परमात्मा में क्या नाता है?

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है।
(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?
(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
उत्तर:
(क) समाज में भेदभाव के कारण देश और समाज को बहुत हानि हो रही है।
उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  1. समाज का बँटवारा हो गया है। एक वर्ग से दूसरे वर्ग के बीच अकारण ही मतभेद पैदा हो गया है।
  2. भेदभाव के कारण पैदा हुआ समाज का उच्च-वर्ग, निम्न-वर्ग को हीन दृष्टि से देखता है।
  3. त्योहारों के अवसर पर अनायास झगड़े होते रहते हैं।
  4. आपसी भेदभाव के कारण एक वर्ग दूसरे वर्ग को संदेह और अविश्वास की दृष्टि से देखता है।
  5. हमारी सहिष्णुता समाप्त होती जा रही है। आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
    जिसका परिणाम उग्रवाद, अलगाववाद के रूप में हमारे सामने आ रहा है।

(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं-

  1. सभी लोगों को चाहे वे किसी जाति, धर्म के क्यों न हों, अपने नाम के साथ जातिसूचक शब्दों को लिखना बंद कर देना चाहिए।
  2. अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।
  3. पाठ्यक्रम में समता को बढ़ाने वाला तथा जातीयता को बढ़ावा न देने वाले कुछ पाठ शामिल किए जाएँ।
  4. नौकरियों तथा सेवाओं में आरक्षण समाप्त कर योग्यता को आधार बनाया जाना चाहिए।
  5. धार्मिक, जातीय, क्षेत्रीयता, भाषा की राजनीति करने वाली पार्टियों तथा उनके नेताओं को प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
  6. सभी के लिए शिक्षा की एक समान व्यवस्था होनी चाहिए ताकि युवा पीढ़ी के मन में ऊँच-नीच का भेदभाव पैदा न हो।

पाठेतर सक्रियता

• भक्तिकाल में ललद्यद के अतिरिक्त तमिलनाडु की आंदाल, कर्नाटक की अक्क महादेवी और राजस्थान की मीरा जैसी भक्त कवयित्रियों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए एवं उस समय की सामाजिक परिस्थितियों के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• ललद्यद कश्मीरी कवयित्री हैं। कश्मीर पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
कश्मीर भारत का स्वर्ग कहा जाता है। इसके ऊँचे-ऊँचे पहाड़ मन को मोहित कर लेते हैं। यहाँ केसर की खेती खूब होती है। यहाँ बारह महीनों ठंड रहती है। भारत के ही नहीं, विश्व भर के लोग यहाँ भ्रमण के लिए आते हैं। यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय है-पर्यटन। यहाँ के लोग बहुत शांतिप्रिय रहे हैं। परंतु पिछले 60 वर्षों से यहाँ के लोगों में राजनीति का विष फैल गया है। जो पंडित अपनी विद्वता के लिए विश्व-भर में मशहूर थे, उन्हें सांप्रदायिक शक्तियों के द्वारा कश्मीर की घाटी से बाहर खदेड़ दिया गया है। वे आज भी मारे-मारे घूम रहे हैं। इस प्रकार शांति की यह धरती आज अंगारों से धधक रही है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 2

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं? [Imp.]
उत्तर:
यद्यपि लेखिका ने अपनी नानी को कभी नहीं देखा था फिर भी वह उनके व्यक्तित्व से प्रभावित थी क्योंकि-

  • उसकी नानी अनपढ़, परंपरागत नारी थीं। उनके पति साहबों की भाँति रहते थे, किंतु वे उनसे प्रभावित हुए बिना अपनी मरजी से जीती थीं।
  • उनके मन में स्वतंत्रता के प्रति जुनून था जिसका प्रदर्शन उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में कर दिया था।
  • वे अन्य भारतीय माताओं के समान अपनी पंद्रह वर्षीया बेटी के विवाह के लिए चिंतित हो उठी।
  • वे स्पष्टवादिनी थी। उन्होंने अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को बुलवाकर अपने मन की बात निःसंकोच रूप से कह दिया था।
  • लेखिका की नानी के दृढ़ निश्चय के कारण उनकी बेटी का विवाह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले होनहार लड़के से हो सका।
    नानी के इन गुणों के कारण लेखिका उनके व्यक्तित्व से प्रभावित थी।

प्रश्न 2.
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही? [Imp.][CBSE]
उत्तर:
यूँ तो लेखिका की नानी का आज़ादी के आंदोलन में कोई प्रत्यक्ष योगदान न था क्योंकि वे अनपढ़, परंपरागत, परदानशीं, दूसरों की जिंदगी में दखल न देने वाली महिला थीं, पर कम उम्र में ही अपनी मृत्यु को निकट जान वे अपनी पंद्रहवर्षीय बेटी (लेखिका की माँ) के लिए चिंतित हो उठीं।
उन्होंने अपने पति से कहा कि वे परदे का लिहाज़ छोड़कर उनके स्वतंत्रता सेनानी मित्र प्यारेलाल शर्मा से मिलना चाहती हैं। तथा उनसे मिलकर कहा कि उनकी बेटी का रिश्ता वे स्वयं तय करें। जिस वर से उनकी बेटी की शादी हो वह भी उन्हीं (शर्मा जी) जैसा ही आज़ादी का सिपाही हो।
इस तरह उनकी स्वतंत्रता आंदोलन में परोक्ष भागीदारी रही।

प्रश्न 3.
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में
(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए। [CBSE]
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
अथवा
लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए। [CBSE]
उत्तर:
(क) लेखिका की माँ घर परिवार की परंपरा का निर्वाह नहीं करती थी फिर भी वे सबके दिलों पर राज करती थी। इसके आलोक में लेखिका की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • वे खूबसूरत परीजात-सी जादुई लगती थीं।
  • वे किसी की गोपनीय बात को दूसरों से नहीं कहती थी।
  • वे झूठ नहीं बोलती थी।
  • वे हर बात पर उचित राय-सलाह दिया करती थी।
  • उनके मन में आजादी के प्रति जुनून था।

(ख) उक्त कथन के आलोक में लेखिका की दादी के घर के माहौल में अनेक बातें कल्पना से परे लगने के बाद भी सत्य थी। वहाँ परिवार के सदस्यों को अपनी निजता बनाए रखने की छूट थी। वे अपने काम अपने ढंग से स्वतंत्रतापूर्वक करते थे। लेखिका की दादी संचय के विरुद्ध थी। वे अपनी तीसरी धोती दान दे देती थी। परिवार में महिलाओं की इज्ज़त थी। लेखिका की माँ की राय लेकर उसे महत्त्व दिया जाता था। लेखिका की दादी अपनी पुत्रवधू के गर्भवती होने पर मंदिर गई और पहली संतान कन्या के रूप में पाने की मन्नत माँगी । वे घर में पूजा-पाठ आदि के द्वारा धार्मिक वातावरण बनाए रखती थी।

प्रश्न 4.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी? [Imp.]
उत्तर:
लेखिका की परदादी लीक से हटकर चलने वाली महिला थी। उन्होंने लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी होगी क्योंकि उस समय ऐसी मन्नत माँगना और सबके सामने बताना अत्यंत साहसपूर्ण कार्य था। ऐसा करके वे सबसे अलग दिखने की चाह रखती होंगी। उनके ऐसा करने का दूसरा कारण यह रहा होगा कि वे स्वयं एक महिला थीं।

उन्होंने महिला होकर स्वतंत्र जीवन जिया था तथा अपने जीवन में किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं देखी थी, इसलिए महिला होना उनके लिए गर्व की बात थी।

प्रश्न 5.
डराने धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
अथवा
डरा-धमका कर क्या किसी को रास्ते पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर प्रकाश डालिए। [CBSE]
उत्तर:
कभी-कभी कुछ लोग परिस्थितिवश या किसी दबाव में आकर अनैतिक आचरण करने लगते हैं। ऐसे ही लोगों की तरह वह चोर भी था जो परदादी के घर में चोरी करने घुस आया पर परदादी के जाग जाने से वह हड़बड़ा गया। परदादी ने पुलिस के हवाले नहीं किया बल्कि उससे माँ-बेटे का संबंध जोड़कर उसे कुछ सोचने पर विवश कर दिया। इस घटना के बाद चोर सुधरकर खेती करने लगा। इस तरह हम कह सकते हैं कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को राह पर लाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है-इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए? [CBSE]
उत्तर:
शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है, यह बात लेखिका को अपने पारिवारिक वातावरण से पता चल चुकी थी। बच्चों की शिक्षा के लिए उसने निम्नलिखित प्रयास किए

  1. शादी के बाद लेखिका को कर्नाटक के बागनकोट में रहना पड़ा वहाँ उसके बच्चों की शिक्षा हेतु उचित प्रबंध न था। उसने वहाँ के कैथोलिक विशप से प्राइमरी स्कूल खोलने का अनुरोध किया।
  2. लेखिका ने कर्नाटक के बागनकोट के स्थानीय तथा समृद्ध लोगों की मदद से एक प्राइमरी स्कूल खोला, जिसमें अंग्रेजी-हिंदी-कन्नड़ तीन भाषाएँ पढ़ाई जाती थीं। लेखिका ने इसे सरकार से मान्यता भी दिलवाई, जिससे स्थानीय बच्चों को शिक्षा के लिए दूर न जाना पड़े।

प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
जीवन में उन इनसानों को अधिक श्रद्धाभाव से देखा जाता है जो अच्छे कर्म करते हैं, अपने धन-बल का दुरुपयोग नहीं करते हैं तथा मानवीय मूल्यों को बनाए रखते हैं। पाठ से पता चलता है कि सत्य बोलने वाले, किसी की गुप्त बात को दूसरों से न कहने वाले, दृढ़ निश्चय वाले, स्वतंत्रता की ज्योति जलाए रखने वाले, दूसरों से स्नेह करने वाले, उन्हें यथोचित आदर देने वाले, दूसरों की मदद करने वाले, बने-बनाए रास्ते से अलग चलने वाले, देश प्रेम की उत्कट भावना रखने वाले लोग दूसरों के लिए श्रद्धा के पात्र होते हैं तथा लोग उनके प्रति श्रद्धाभाव रखते हैं।

प्रश्न 8.
‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
लेखिका अपने जीवन में इस बात को बहुत पसंद करती थी कि ‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।’ लेखिका की बहन और लेखिका इसके उदाहरण हैं। लेखिका की बहन रेणु जिस काम को सोचती थी, उसे करके ही रहती थी। कोई कितना भी समझाता रहे पर वह नहीं मानती थी। इसमें उसकी जिद कम दृढ़ निश्चय अधिक झलकता है।

एक बार वह बारिश में दो मील दूर स्कूल जाने की जिद पर पैदल जाने के लिए अड़ी रही। सब कहते रहे कि स्कूल बंद होगा, पर वह न मानी। बारिश में गई और स्कूल बंद देखकर वापस आ गई। इसें तरह वह मंजिल की ओर अकेले बढ़ने की दिशा में उत्सुक दिखती है।

लेखिका भी जीवन की राह पर अकेले चलते हुए डालमिया नगर में स्त्री-पुरुषों के नाटक खेलकर सामाजिक कार्य हेतु धन एकत्र किया तथा कर्नाटक में अथक प्रयास से अंग्रेज़ी-कन्नड़-हिंदी तीन भाषाएँ पढ़ाने वाला स्कूल खोलकर उसे मान्यता दिलाना उनके स्वतंत्र सोच रखने तथा लीक से हटकर चलने वाले व्यक्तित्व की ओर संकेत करता है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई? [CBSE]
उत्तर:
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल इसलिए नहीं हुई क्योंकि उसकी माँ ने बचपन में ही दक्षिण दिशा के प्रति यमराज का भय दिखा दिया था। इसके कारण कवि को दक्षिण दिशा अविस्मरणीय हो गई।

प्रश्न 2.
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था? [Imp.]
उत्तर:
कवि ने दक्षिण दिशा को लाँघ सकना असंभव बताया क्योंकि कोई ऐसा निश्चित बिंदु नहीं है जहाँ जाकर यह दिशा समाप्त हो जाती हो। दक्षिण में चलकर हम जहाँ भी ठहरते हैं, उसके आगे से फिर दक्षिण दिशा शुरू हो जाती है। इस प्रकार दक्षिण को लाँघ पाना संभव नहीं था।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है? [Imp.]
उत्तर:
कवि के अनुसार आज हर दिशा इसलिए दक्षिण दिशा होती जा रही है क्योंकि शोषणकारी ताकतें और शोषक अपनी शक्ति बढ़ाते हुए चारों ओर फैलाते जा रहे हैं। इन ताकतों के विस्तार के कारण आम आदमी कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है।

प्रश्न 4.
भावे स्पष्ट कीजिए-
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं।
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं।
उत्तर:
भाव-प्राचीन परंपरानुसार लोगों का मानना था कि यमराज दक्षिण दिशा में रहता है।
उस समय लोगों में न इतनी धनलोलुपता थी और न मानवीय मूल्यों का इतना ह्रास हुआ था। आज सभ्यता के खतरनाक विकास के साथ लोगों में स्वार्थ तथा शोषण की प्रवृत्ति बढ़ी है। ये शोषण करने वाली शक्तियाँ किसी एक दिशा तक सीमित न रहकर चारों ओर फैली हुई हैं। रचना और अभिव्यक्ति

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी
(क) वह आपको क्या सीख देती हैं?
(ख) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?

उत्तर:
(क) कवि की माँ की ही तरह मेरी माँ भी सत्य बोलने, बड़ों का कहना मानने अत्याचार का सामना करने अपने आसपास साफ़-सफ़ाई रखने तथा ईश्वर पर भरोसा बनाए रखने की सीख देती है।

(ख) हाँ, मुझे अपनी माँ की सीख उचित जान पड़ती है। इसका कारण यह है कि दुनिया की हर माँ अपनी संतान की सदा भलाई चाहती है। उसे दुनियादारी की समझ संतान से अधिक होती है। वह अपने अनुभव की सीख संतान तक पहुँचाना चाहती है इसलिए उसकी सीख उचित होती है।

प्रश्न 6.
कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
ईश्वर का भय दिखाना इसलिए आवश्यक हो जाता है, जिससे

  1. हम अनैतिक कार्य न करें।
  2. हमारी ईश्वर में आस्था बनी रहे।
  3. हम असत्य तथा बुराई का दामन न पकड़े।
  4. हम मर्यादित जीवन जिएँ।

पाठेतर सक्रियता

• कवि का मानना है कि आज शोषणकारी ताकतें अधिक हावी हो रही हैं। ‘आज की शोषणकारी शक्तियाँ’ विषय . पर एक अनुच्छेद लिखिए।
(आप शिक्षकों, सहपाठियों, पड़ोसियों, पुस्तकालय आदि से मदद ले सकते हैं।)
उत्तर:
कवि की यह बात सही है कि आज शोषणकारी शक्तियाँ बहुत अधिक हावी हो चुकी हैं। धीरे-धीरे यह शोषण बढ़ता ही जा रहा है। कहने को यह समाज सभ्य है। परंतु हमारी सभ्यता संस्कारों पर नहीं, शोषण पर टिकी है। आज उसी को श्रेष्ठ माना जा रहा है जिसके पास बंगला, कोठी, कार है; जिसके बच्चे ऊँचे स्कूलों में पढ़ते हैं। लोग यह नहीं देखते कि उसके पास यह धन कहाँ से आया है। इसलिए बड़े-बड़े धनपतियों की खूब पूजा हो रही है। वे चुनाव जीत रहे हैं और समाज के महापुरुष बने हुए हैं।
इसके विपरीत, ईमानदार व्यक्ति धक्के खा रहे हैं। उनकी मजाक उड़ाई जा रही है। यह देखकर हर आदमी अपने आदर्श बदल रहा है। वह सेवा, त्याग को आदर्श तजकर व्यवसायी बनता जा रहा है। इसी व्यावसायिकता में शोषण छिंपा है। व्यवसायी व्यक्ति सोचता है कि मैं कैसे और अधिक धन कमा लें। अधिक धन कमाने की हर युक्ति शोषण को बढ़ावा देती है। अत: आज चप्पे-चप्पे पर शोषणकर्ता मिलते हैं। न केवल हमें शोषणकर्ता मिलते हैं, बल्कि बदले में हम भी औरों का शोषण करने की सोचने लगते हैं। किसी कवि ने सच कहा है-

तल के नीचे हाल वही, जो तल के ऊपर हाल।
मछली बचकर जाए कहाँ, जब जल ही सारा जाल।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? [Imp.]
उत्तर:
एक बार सालिम अली के बचपन में उनकी एअरगन से घायल होकर एक गौरैया गिर पड़ी। सालिम अली ने इस पक्षी की देखभाल, सुरक्षा और इसके बारे में नाना प्रकार की जानकारियाँ एकत्र करनी शुरू कर दी। इससे उनके मन में पक्षियों के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। इस घटना और पक्षियों के बारे में बढ़ती रुचि और जिज्ञासा ने उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया।

प्रश्न 2.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर:
सालिम अली तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पास केरल की “साइलेंट वैली” को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर गए। उन्होंने प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने, पक्षियों की रक्षा, वनों की अंधाधुंध कटाई आदि बातें उठाई होंगी। सालिम अली के ऐसी निःस्वार्थ बातें तथा पर्यावरण के प्रति चिंता को देख कर चौधरी साहब की आँखें भर आईं होंगी।

प्रश्न 3.
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरेया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
उत्तर:
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि फ्रीडा जानती थी कि लॉरेंस प्रकृति और पक्षियों से असीम प्रेम करते थे। वे अपने घर की छत पर बैठने वाली गौरैया को बहुत प्रेम करते थे। वे घंटों उसके साथ समय बिताते थे। गौरैया और लॉरेंस एक-दूसरे से घुल-मिल गए थे। पक्षियों के प्रति लॉरेंस के इसी प्रेम को वह बताना चाहती थी।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे। [Imp.]

उत्तर:
(क) अंग्रेजी के कवि डी.एच. लॉरेंस प्रकृति के प्रेमी थे। उनका जीवन प्रकृतिमय हो चुका था। उन्हीं की भाँति सालिम अली भी स्वयं को प्रकृति के लिए समर्पित कर चुके थे। यहाँ तक कि वे स्वयं प्रकृति के समान सहज-सरल, भोले और निश्छल हो चुके थे।
यहाँ नैसर्गिक जिंदगी के प्रतिरूप के दो अर्थ हैं1. प्रकृति में खो जाना; प्रकृतिमय हो जाना। 2. प्रकृति के समान सहज-सरले हो जाना।।

(ख) लेखक कहना चाहता है कि सालिम अली की मृत्यु के बाद वैसा पक्षी-प्रेमी और कोई नहीं हो सकता। सालिम अली रूपी पक्षी मौत की गोद में सो चुका है। अतः अब अगर कोई अपने दिल की धड़कन उसके दिल में भर भी दे और अपने शरीर की हलचल उसके शरीर में डाल भी दे, तो भी वह पक्षी फिर-से वैसा नहीं हो सकता क्योंकि उसके सपने अपने ही शरीर और अपनी ही धड़कन से उपजे थे। वे मौलिक थे। किसी और की धड़कन और हलचल सालिम अली के सपनों को पुनः जीवित नहीं कर सकती। आशय यह है कि उनके जैसा पक्षी-प्रेमी प्रयासपूर्वक उत्पन्न नहीं किया जा सकता।

(ग) सालिम अली प्रकृति के खुले संसार में खोज करने के लिए निकले। उन्होंने स्वयं को किसी सीमा में कैद नहीं किया। वे एक टापू की तरह किसी स्थान विशेष या पशु-पक्षी विशेष से नहीं बँध गए। उन्होंने अथाह सागर की तरह प्रकृति में जो-जो अनुभव आए, उन्हें सँजोया। उनका कार्यक्षेत्र बहुत विशाल था।

प्रश्न 5.
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार लेखक जाबिर हुसैन की भाषाशैली में निम्नलिखित विशेषताएँ दिखती हैं-

  1. बिंबात्मकता – लेखक द्वारा इस पाठ में जगह-जगह पर इस तरह शब्द चित्र प्रस्तुत किया है कि उसका दृश्य हमारी आँखों के सामने साकार हो उठता है; जैसे-
    • इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली।
    • भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है।
    • मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए पक्षी को जगाना चाहेगा।
  2. शब्दावली की विविधता – लेखक ने इस पाठ में मिली-जुली शब्दावली अर्थात् तत्सम्, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है; जैसे-
    • यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है।
    • जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वे प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नज़र से देखने को उत्सुक रहते हैं।
    • कब माखन के भाँड़े फोड़े थे और दूध-छाली से अपने मुँह भरे थे।
    • इन जैसा बर्ड-वाचर’ शायद ही कोई हुआ हो।
    • जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा।
  3. मुहावरेदार भाषा – लेखक ने जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग कर भाषा को सरस, रोचक एवं सजीव बना दिया है जैसे-
    • अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर जीने वाले पक्षियों की वकालत कौन करेगा?
    • पर्यावरण के संभावित खतरों का जो चित्र सालिम अली ने उनके सामने रखा, उसने उनकी आँखें नम कर दी थीं।
    • यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी।
  4. संवाद-शैली का प्रयोग – लेखक ने अपने इस संस्मरण में संवाद शैली द्वारा ऐसा प्रभाव उत्पन्न कर दिया है मानो दो व्यक्ति बातें कर रहे हों; जैसे-
    • मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए हुए पक्षी को जगाना चाहेगा।
    • मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।

प्रश्न 6.
इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए। [Imp.]
अथवा
सालिम अली हर समय क्या लिए रहते थे और क्यों? [CBSE]
उत्तर:
सालिम अली जाने-माने पक्षी-विज्ञानी थे। उन्हें पक्षियों के बारे में जानने के अलावा प्रकृति एवं पर्यावरण की भी चिंता रहती थी। वे अपने कंधों पर सैलानियों-सा बोझ लटकाए, गले में दूरबीन टाँगें पक्षियों की खोज में दूर-दराज के क्षेत्रों में निकल जाया करते थे। पक्षियों की खोज में दुर्गम स्थानों पर घंटों बैठना उनकी आदत थी।

वे पर्यावरण के प्रति भी चिंतित थे। पर्यावरण की चिंता को लेकर वे एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से भी मुलाकात कर चुके थे। वे प्रकृति की दुनिया में अथाह सागर बनकर उभरे थे।

प्रश्न 7.
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
‘साँवले सपनों की याद’ नामक पाठ में प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली के उन सपनों का चित्रण है जो वे खुली आँखों से देखते रहे और उन्हें अनुभव करते रहे। लेखक जाबिर हुसैन ने उन्हीं सपनों की यादों का शब्द चित्र इस संस्मरण में प्रस्तुत किया है। इसके अलावा पाठ में यमुना के साँवले पानी और वृंदावन से जुड़ी यादों का संगम है। इस तरह यह शीर्षक पूरी तरह सार्थक है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण बचाने के लिए हम निम्नलिखित रूप में अपना योगदान दे सकते हैं

  1. हमें पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना होगा तथा खाली जगहों पर नए पौधे लगाने का प्रयास करना होगा।
  2. प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कम-से-कम प्रयोग करेंगे।
  3. ऐसी वस्तुओं का प्रयोग करेंगे, जो बायोडिग्रेबल हो अर्थात् आसानी से सड़कर जमीन में मिल जाए।
  4. छोटे पेड़-पौधों की रक्षा का विशेष प्रबंध करेंगे।
  5. फैक्ट्रियों से निकले दूषित पानी तथा कचरों का उचित तरीके से निपटारा करेंगे।
  6. हम कूड़ा-करकट इधर-उधर नहीं फेंकेंगे।
  7. पर्यावरण के प्रति हम लोगों में जागरूकता फैलाएँगे।

• अपने घर या विद्यालय के नज़दीक आपको अकसर किसी पक्षी को देखने का मौका मिलता होगा। उस पक्षी का नाम, भोजन, खाने का तरीका, रहने की जगह और अन्य पक्षियों से संबंध आदि के आधार पर एक चित्रात्मक विवरण तैयार करें।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• आपकी और आपके सहपाठियों की मातृभाषा में पक्षियों से संबंधित बहुत से लोकगीत होंगे। उन भाषाओं के लोकगीतों का एक संकलन तैयार करें। आपकी मदद के लिए एक लोकगीत दिया जा रहा है

अरे अरे श्यामा चिरइया झरोखवै मति बोलहु।
मोरी चिरई। अरी मोरी चिरई! सिरको भितर बनिजरवा।
जगाई लइ आवउ, मनाइ लइ आवउ।। 1।।
कबने बरन उनकी सिरको कवने रँग बरदी।
बहिनी! कवने बरन बनिजरवा जगाइ ले आई मनाइ ले आई।। 2।।
जरद बरन उनकी सिरको उजले रंग बरदी।
सँवर बरन बनिजरवा जगाइ ले आवउ मनाइ लै आवउ।। 3।।

उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• विभिन्न भाषाओं में प्राप्त पक्षियों से संबंधित लोकगीतों का चयन करके एक संगीतात्मक प्रस्तुति दें।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• टीवी के विभिन्न चैनलों जैसे-एनिमल किंगडम, डिस्कवरी चैनल, एनिमल प्लेनेट आदि घर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों को देखकर किसी एक कार्यक्रम के बारे में अपनी प्रतिक्रिया लिखित रूप में व्यक्त करें।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• एन.सी.ई.आर.टी. को श्रव्य कार्यक्रम सुनें-‘डा. सालिम अली’
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद की जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं? [Imp.]
उत्तर:
लेखक हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है, उससे प्रेमचंद की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर आती हैं-

  • प्रेमचंद का व्यक्तित्व संघर्षशील था। वे अभावों में जीते हुए भी संघर्ष करते रहे।
  • प्रेमचंद सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे।
  • प्रेमचंद दिखावे से दूर रहकर एवं आडंबरहीन जीवन जीते थे।
  • प्रेमचंद मर्यादित. जीवन जीते थे।
  • वे महान साहित्यकार थे जिन्होंने समाज के उपेक्षित वर्ग के जीवन को अपनी कृतियों में स्थान दिया।

प्रश्न 2.
सही कथन के सामने () का निशान लगाइए
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 1

प्रश्न 3.
नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रही है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। [Imp.]
(ख) तुम पर्दे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं। [Imp.][CBSE]
(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो? [Imp.]

उत्तर:
(क) जूता धनवान, शक्ति और सत्तासीन लोगों का प्रतीक है जबकि टोपी ज्ञानवान और गुणवानों का। दुर्भाग्य से समाज में सदा से ही ज्ञानवानों की अपेक्षा धनवानों को मान-सम्मान प्रदान किया गया है। ज्ञानवानों को सदा ही धनवानों के सामने झुकना पड़ा है। कुछ ज्ञानवान भी अपना स्वाभिमान भुलाकर दूसरों के जूतों पर कुरबान होते आए हैं।

(ख) प्रेमचंद आडंबर एवं दिखावे से दूर रहने वाले व्यक्ति थे। वे जिस हाल में थे, उसी में खुश रहते थे। उनके पास दिखावा करने योग्य कुछ न था। इसके विपरीत कुछ लोग अपनी कमियों को छिपाने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं। लेखक ने लोगों की इसी प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है।

(ग) यह एक सामान्य-सा नियम है कि व्यक्ति जिस वस्तु को घृणा के योग्य समझता है उसे पैर से इशारा करता है। यहाँ प्रेमचंद सामाजिक कुरीतियों एवं बुराइयों को घृणित समझते थे। वे उनकी ओर पैर की उँगली से इशारा करके उनसे संघर्ष करते रहे।

प्रश्न 4.
पाठ में एक जगह पर लेखक सोचती है कि ‘फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?
उत्तर:
प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं

  1. लोग प्रायः ऐसा सोचते और करते हैं कि दैनिक जीवन में साधारण कपड़ों का प्रयोग करते हैं और विशेष अवसरों के लिए वे अच्छे कपड़े रखते हैं। प्रेमचंद के पास शायद दूसरी पोशाक नहीं थी।
  2. लेखक सोचता है कि सादा जीवन जीने वाला यह आदमी भीतर-बाहर सब एक-सा है। इसका दोहरा व्यक्तित्व नहीं है, इन्होंने कभी दिखावटी जीवन नहीं जिया।

प्रश्न 5.
आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
उत्तर:

  1. प्रेमचंद की वेषभूषा देखकर लेखक उनकी पोशाक पर टिप्पणी करता है पर तुरंत ही अपनी टिप्पणी बदल लेता है।
  2. समाज में फैली दिखावे की प्रवृत्ति सच्चा चित्रण है।
  3. समाज में फैली रुढ़ियाँ, कुरीतियाँ व्यक्ति की राह में रोड़ा उत्पन्न करती हैं, इसे दर्शाया गया है।
  4. लेखक प्रेमचंद के जूते फटे होने के कारणों पर अनेक संभावनाएँ प्रकट करता है।
  5. कुंभनदास का प्रकरण एकदम सटीक बन पड़ा है।

प्रश्न 6.
पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा? [CBSE]
उत्तर:
‘टीला’ रास्ते में आने वाला वह अवरोध है जिसको लाँघना कठिन होता है। यहाँ व्यंग्य
में टीला शब्द का प्रयोग प्रेमचंद के जीवन में आने वाली सामाजिक कठिनाइयों के लिए किया गया है, जिसे पंडित, पुरोहित, मौलवी, जमींदार आदि समाज के कथित ठेकेदारों ने खड़ी की है। इनके कारण ही ऊँच-नीच की भावना, जाति-पाँति, छूआछूत, बाल-विवाह, शोषण, बेमेल विवाह, अमीर-गरीब की भावना आदि टीले के रूप में खड़ी हो मार्ग को अवरुद्ध करती हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
उत्तर:
राजनीति जब से धन कमाने का जरिया बनी है तब से हर गली-मुहल्ले में नेता पैदा हो रहे हैं। कुछ ऐसा ही हमारे पड़ोस में भी है। मेरे घर से चार घर छोड़ते ही पाँचवाँ घर नेताजी का है। लोग बताते तो हैं कि वे दसवीं फेल हैं पर इच्छाएँ बड़ी लंबी। इन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने सफ़ेद कुरता-पायजामा सिलवाया और एक जैकेट लिया। वे पिछले चुनाव में खड़े हुए और भाग्य ने जोर मारा, वे जीत भी गए। विधायक बनते ही जोड़-तोड़कर मंत्री बने। अब वे अपने कुरते-पायजामे का सही उपयोग कर विरोधियों को ठिकाने लगवाया। उन पर हत्या, लूटपाट और अवैध वसूली के मुकदमे दर्ज हुए, पर उन पर कोई असर नहीं पड़ा। वे सर्वत्र अपने सफ़ेद पहनावे के कारण दागों पर सफेदी का चादर डाले घूमते-फिरते हैं। लोग जानते हैं कि इस सफ़ेद कपड़े से उन्होंने कितने दाग छिपा रखे हैं।

प्रश्न 8.
आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है? [CBSE]
उत्तर:
आज के समय में लोगों की सोच और दृष्टिकोण में काफी बदलाव आ गया है। लोग प्रथम मुलाकात में व्यक्ति का स्वागत-सत्कार उसकी वेशभूषा देखकर ही करते हैं। आज गुणी-से-गुणी व्यक्ति भी अच्छे कपड़ों के अभाव में आदरणीय नहीं बन पाता है। ऐसे में लोग अपनी वेशभूषा के प्रति विशेष रूप से सजग हो गए हैं।

लोग अपनी हैसियत जताने के लिए अच्छे कपड़े पहनते हैं। आज सादा-जीवन जीने वालों को पिछड़ा समझा जाने लगा है। अब तो ऐसे भी छात्र-छात्राएँ मिल जाएँगे जिन्हें पढ़ाई की चिंता कम अपने आधुनिक फैशन वाले कपड़ों की अधिक रहती है। संपन्न वर्ग को ऐसा करते देख मध्यम और निम्न वर्ग भी वैसा ही करने को लालायित हो उठा है

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
मुहावरे – वाक्य प्रयोग
हाँसला पस्त करना – नोटबंदी के कारण छोटे-छोटे दुकानदारों और उद्यमियों के हौंसले पस्त हो गए।
कुएँ के तल में होना – गरीबी के कारण लोगों की हँसी कुएँ के तेल में चली जाती है।
न्योछावर होना – वीर सैनिक देश की आन-बान और शान के लिए युद्ध में न्योछावर हो जाते हैं।
लहूलुहान होना – बस से टकराकर भिखारी लहूलुहान हो गया।
चक्कर काटना – पके आम तोड़ने के लिए कुछ लड़के कब से चक्कर लगा रहे हैं।
ठोकर मारना – पिता के वचनों का मान रखने के लिए राम ने अयोध्या के राज सिंहासन को ठोकर मार दिया।
पहाड़ फोड़ना – मज़दूर आते ही ऐसे पड़ गया मानो पहाड़ फोड़कर आया हो।
संकेत करना – ट्रैफिक पुलिस ने संकेत किया और गाड़ियाँ चल पड़ीं।
टीला खड़ा होना – समाज ने ऐसे नियम बनाए थे कि होरी की राह में कदम-कदम पर टीले खड़े थे।

प्रश्न 10.
प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है

  1.  साहित्यिक पुरखे
  2.  महान कथाकार
  3. उपन्यास सम्राट
  4.  युग प्रवर्तक
  5.  जनता के लेखक।

पाठेतर सक्रियता

• महात्मा गाँधी भी अपनी वेश-भूषा के प्रति एक अलग सोच रखते थे, इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे, पता लगाइए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी जीवन में सादगी को बहुत महत्त्व देते थे। वे इसलिए भी सादे और कम कपड़े पहना करते थे क्योंकि भारत के बहुत से गरीब लोगों के पास तन ढकने के लिए वस्त्र नहीं थे। वे कहा करते थे-इस देश में कुछ लोगों के पास एक भी वस्त्र नहीं है। तब कीमती और अधिक वस्त्र रखना उनके साथ अन्याय करना है।

• महादेवी वर्मा ने ‘राजेंद्र बाबू’ नामक संस्मरण में पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का कुछ इसी प्रकार चित्रण किया है, उसे पढ़िए। 
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• अमृतराय लिखित प्रेमचंद की जीवनी ‘प्रेमचंद-कलम का सिपाही’ पुस्तक पढ़िए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए। [CBSE]
(ख) चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
(ग) “आदमीनामा’ शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है?
(घ) इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों? [CBSE]
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि मानव के निम्नलिखित रूपों का बखान करती है

  • बादशाही रूप का
  • दीन-हीन निर्धन और फकीर का
  • मालदार आदमी का
  • एकदम कमज़ोर मनुष्य को
  • स्वादिष्ट भोग भोगते इनसान का
  • सूखी रोटियाँ चबाने वाले मनुष्य का।

(ख) कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक-दोनों रूपों का तुलनात्मक प्रस्तुतीकरण किया है। वे रूप इस प्रकार हैं-
          सकारात्मक                             नकारात्मक

  1. बादशाह                                 भिखारी-फकीर और गरीब
  2. मालदार                                 कमज़ोर
  3. भोग भोगता इनसान                 सूखी रोटियाँ खाता इनसान
  4. चोर पर निगाह रखने वाला        उनकी जूतियाँ चुराने वाला
  5. जान न्योछावर करने वाला         जान लेने वाला
  6. सहायता करने वाला                 अपमान करने वाला, सहायता के लिए पुकारने वाला
  7. शरीफ़ लोग                             कमीने लोग
  8. अच्छे लोग                               बुरे लोग

इनके अतिरिक्त आदमी ही सद्गुरु या पीर है और आदमी ही शिष्य है। आदमी ही इमाम है और आदमी ही नमाज़ी है।
(ग) इस कविता के इन अंशों को पढ़कर मेरे मन में मनुष्य के बारे में यह धारणा बनती है कि वह भाग्य और परिस्थितियों का दास होता है। उसकी परिस्थितियाँ ही उसे बादशाह बनाती हैं या फकीर बना देती हैं। कभी वह किसी की पगड़ी उछालता है तो कभी किसी की सहायता करता है। कभी किसी की जान का दुश्मन बन जाता है तो कभी उस पर जान तक न्योछावर कर देता है। कभी वह सहायता के लिए पुकार लगाता है तो कभी किसी की करुण पुकार सुनकर सहायता के लिए दौड़ता है। ये सब रूप उसकी परिस्थितियों के परिणाम हैं। ।
(घ) मुझे निम्नलिखित पंक्तियाँ बहुत सुंदर प्रतीत हुईं –

यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।

क्यों-इन पंक्तियों की सरलता, रवानगी और विविधता ने मुझे छू लिया। पहली पंक्ति में जान वारने का चित्रण है तो । दूसरी पंक्ति में जान से मारने का। तीसरी पंक्ति में अपमान करने का चित्रण है तो चौथी में सहायता की पुकार लगाने वाले का। पाँचवीं पंक्ति में सहायता करने वाले का चित्रण है। ये पाँचों बिंब बहुत सजीव बन पड़े हैं।
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न हैं। वह धन-संपदा का स्वामी बनना चाहता है। मालदार, भोगी और बादशाह बनना चाहता है। वह सद्गुरु बनकर लोगों को उपदेश देना चाहता है। इस प्रकार दुनिया भर का सम्मान प्राप्त करना चाहता है। वह करुणावान भी है। इसलिए वह दुखियों की सहायता भी करना चाहता है।
आदमी में पशु जैसा स्वार्थ भी होता है। कभी-कभी वह चोरी, हिंसा, हत्या, अपमान, लड़ाई-झगड़ा आदि बुराइयों में भी लिप्त होता दिखाई देता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अंशों की व्याख्या कीजिए-
(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
उत्तर:
नज़ीर अकबराबादी कहते हैं कि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रूप हैं। उनके भाग्य अलग-अलग हैं। कोई बादशाह है। तो कोई दीन-हीन फकीर और भिखारी है। किसी को दुनियाभर का सारा ऐश्वर्य प्राप्त है तो कोई दर-दर का भिखारी है। आदमी में दोनों संभावनाएँ छिपी हुई हैं।

(ख) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ती वज़ीर ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
उत्तर:
देखिए अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न ‘4’।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
(क)
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
उत्तर:
इन पंक्तियों में व्यंग्य यह है कि हर आदमी के स्वभाव और रुचि में अंतर होता है। वह अच्छा बनने पर आए तो कुरआन पढ़ने वाला और नमाज अदा करने वाला सच्चा धार्मिक मनुष्य भी बन सकता है। यदि वह दुष्टता पर आ जाए तो ऐसे पवित्र धार्मिक लोगों की जूतियाँ चुराने का काम भी कर सकता है। कुछ लोग बुराई पर नज़र रखने में रुचि लेते हैं। इस प्रकार अपने-अपने स्वभाव के अनुसार सबके कार्य भिन्न हो जाते हैं।

(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी |
उत्तर:
इन पंक्तियों में बताया गया है कि मनुष्य को परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न कार्य एवं व्यवहार करने पड़ते हैं। कभी-कभी वह औरों का अपमान करने पर उतारू हो जाता है तो कभी संकट में फँसकर दूसरों की सहायता के लिए पुकार लगाता है। कभी-कभी वह करुणावान बनकर दूसरों की रक्षा करने को तत्पर हो जाता है। आशय यह है कि मनुष्य-स्वभाव में बुराइयाँ और अच्छाइयाँ दोनों हैं। यह उस पर निर्भर है कि वह किस ओर बढ़ चले।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।

  • राज़ (रहस्य)
  • फ़न (कौशल)
  • राज (शासन)
  • फन (साँप का मुँह)
  • ज़रा (थोड़ा)
  • फ़लक (आकाश)
  • जरा (बुढ़ापा)
  • फलक (लकड़ी का तख्ता)।

ज़ फ़ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।
उत्तर:

  1. ज़ – हाज़िर, मज़दूर
  2. फ़ – फ़ासला, रफ़्तार।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए
(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना
उत्तर:
(क) टुकड़े चबाना – मैंने वह गरीबी भी भोगी है जब मुझे जैसे-तैसे टुकड़े चबाकर जीना पड़ा।
(ख) पगड़ी उतारना – आजकल के बच्चे छोटी-छोटी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने बाप की पगड़ी उतार लेते हैं।
(ग) मुरीद होना – जब से मैंने भगवान रजनीश का प्रवचन सुना, तभी से मैं उनका मुरीद हो गया।
(घ) जान वारना – भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करते-करते अपनी जान वार दी।
(ङ) तेग मारना – यदि आदमी क्रोध में आ जाए तो वह किसी को तेग मारने से भी नहीं चूकता।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
अगर ‘बंदर नामा’ लिखना हो तो आप किन-किन सकारात्मक और नकारात्मक बातों का उल्लेख करेंगे।
उत्तर:
सकारात्मक – संवेदनशील, पारिवारिक प्राणी, परिवार की रक्षा, समूह में रहने की कला, स्वाभिमानी स्वभाव, आक्रमण से रक्षा करने का स्वभाव।
नकारात्मक – मनमाने ढंग से विचरण, दूसरों को बिना कारण काटना।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?
उत्तर:
हीरे के प्रेमी उसे साफ़-सुथरा खरादा हुआ और आँखों में चकाचौंध करने वाले रूप में पसंद करते हैं।

प्रश्न 2.
लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
त्तर:
लेखक ने अखाड़े की मिट्टी और धूल से सनने को संसार का सबसे दुर्लभ सुख माना है।

प्रश्न 3.
मिट्टी की आभा क्या हैं? उसकी पहचान किससे होती है?
उत्तर:
मिट्टी की आभा धूल है। उसके रूप और गुण की पहचान उसके धूल से होती है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
उत्तर:
ग्रामीण जीवन में गोधूलि बेला होती है। उस समय वातावरण में उठी हुई धूल शिशु के मुख पर सुशोभित होती है। हर ग्रामीण शिशु इस सुख का अनुभव करता है। अत: ग्रामीण जीवन में धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती।

प्रश्न 2.
हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है? [CBSE]
उत्तर:
हमारी सभ्यता इसलिए धूल से बचना चाहती है क्योंकि वह खुद को प्रगतिशील, आधुनिक और शहरी संस्कृति को अपनाने वाली है। इसका मानना है कि धूल से इनके बनवटी श्रृंगार फीके और धुंधले पड़ जाएँगे। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे भी धूल में न खेलें और न उसे हाथ लगाएँ।

प्रश्न 3.
अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है? [CBSE]
उत्तर:
अखाड़े की मिट्टी विशेष होती है। वह तेल और मट्टे से सिझाई हुई होती है। जब यह पसीने से लथपथ शरीर पर फिसलती है तो ऐसा लगता है कि मानो आदमी कुआँ खोदकर निकला हो।

प्रश्न 4.
श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
उत्तर:
श्रद्धा, भक्ति और स्नेह की भावना की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन इसलिए है क्योंकि धूल का जुड़ाव व्यक्ति की मातृभूमि से होता है। एक सती स्त्री इसे अपने माथे से लगाती है। योद्धा इसे अपनी आँखों से लगाकर देशभक्ति और देश के प्रति श्रद्धा प्रकट करता है। किसी धूल-धूसरित बालक को गोद में उठाकर उसके प्रतिस्नेह प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 5.
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यग्य किया है? [CBSE]
उंत्तर:
लेखक ने नगरीय सभ्यता को बनावटी, नकली तथा चकाचौंध-भरी कहा है। नगर के लोग मिट्टी को मैल कहकर उससे दूर रहते हैं। इस कारण वे धूल में सनने का तथा स्वाभाविक खेलों का आनंद नहीं ले पाते।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (5(0-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
लेखक वालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है? [CBSE]
अथवा
लेखक ने ‘धूल’ पाठ में बाल कृष्णा के सहज सौंदर्य के साथ किसकी तुलना करते हुए उसे महत्त्वहीन बताया। हैं और क्यों? [CBSE 2012]
उत्तर:
लेखक बालकृष्ण के मुँह पर छाई गोधूलि को इसलिए श्रेष्ठ मानता है क्योंकि अभिजात्य वर्ग ने सौंदर्य में वृद्धि करने वाले अनेक साधनों का आविष्कार कर लिया, पर बालकृष्ण के मुख पर लगी धूल जैसा सौंदर्य बढ़ाती है, उसके सामने सारे सौंदर्य फीके नजर आते हैं। इसके अलावा इसी धूल में खेल-कूदकर शिशु बड़ा होता है। जिन बच्चों का बचपन गाँव में बीतता है, उनके धूल-धूसरित शरीर के बिना बचपन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 2.
लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है? [CBSE]
उत्तर:
लेखक ने मिट्टी और धूल में अंतर बताया है। उसके अनुसार मिट्टी शरीर है तो धूल प्राण है। मिट्टी शब्द है तो धूल उससे उत्पन्न रस है। मिट्टी चाँद है तो धूल उसकी चाँदनी है। दूसरे शब्दों में, मिट्टी की आभा की दूसरा नाम है-धूल। कहने का आशय यह है कि धूल में चमक होती है, आभा होती है। मिट्टी की पहचान उसकी धूल से होती है।

प्रश्न 3.
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है? [CBSE 2012
उत्तर:
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है; जैसे-आम की बागों के पीछे छिपते सूर्य की किरणों में जो धूलि सोने को मिट्टी कर देती है, सूर्यास्त के बाद रास्ते पर गाड़ी के निकल जाने के बाद जो रुई के बादलों की तरह या ऐवरावत हाथी के नक्षत्र पथ की तरह जहाँ की तहाँ स्थिर रह जाती है। चाँदनी रात में मेले में जाने वाली गाडियों के पीछे धूल कवि की कल्पना की भाँति उमड़ती चलती है। यही धूल फूल की पंखुड़ियों पर सौंदर्य बनकर छा जाती है।

प्रश्न 4.
ही वह घन चोट न टूट’ का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
उन -इस उक्ति का अर्थ है-हीरा वही है जो घन की चोट खाकर भी न टूटे। आशय यह है कि असली हीरा सुदृढ़ होता है। पाठ के संदर्भ में इसका अर्थ है-ग्रामीण लोग हीरे की भाँति सुदृढ़ होते हैं। वे संकटों की मार से हारते नहीं हैं। जिन्हें इस देश की धूल-मिट्टी से प्यार है, वे हर संकट में और अधिक मज़बूत होकर उभरते हैं।

प्रश्न 5.
धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘धूल’ पाठ से स्पष्ट होता है कि धूल, धूली, धूलि, धूरि और गोधूलि आदि की व्यंजनाएँ अलग-अलग हैं। धूल मानव जीवन का यथार्थवादी गई है जबकि ‘धूलि उसकी कविता है। ‘धूलि’ छायावादी दर्शन है जिसकी वास्तविकता संदिग्ध है और ‘धूरि’ लोक संस्कृति को जागरण है और गोधूलि ग्रामीण क्षेत्रों में सूर्यास्त के समय गायों के खुरों से उठने वाली वह धूल है जो वन प्रांत से घर की ओर दौड़ती-भागती गायों के खुरों से उठती है। इन सबका रंग एक ही है, रूप की भिन्नता भले ही हो।

प्रश्न 6.
‘धूल पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘धूल’ पाठ का केंद्रीय भाव लिखिए। पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है? [CBSE 2012]
उत्तर:
धूल’ पाठ का मूल भाव है-ग्रामीण सभ्यता का गुणगान करना। जो लोग गाँव की धूल में सनकर पले-बढ़े हैं, वे हीरे के समान सुंदर और सुदृढ़ हैं। ग्रामीण जीवन की तुलना में नागरिक जीवन का बनावटी सौंदर्य काँच के समान नकली और नश्वर होता है। लेखक के अनुसार, ‘धूल मिट्टी की महिमा का नाम है। वह मिट्टी की आभा है। यह गर्द या मैल नहीं है, बल्कि पवित्र है। सती हो या योद्धा-सब इसे अपने माथे पर सुशोभित करते हैं। हमें चाहिए कि हम धूल का सम्मान करें, इसके संपर्क में रहें।।

प्रश्न 7.
कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने यह कहा है कि गोधूलि को अपनी कविता का विषय बनाकर कितने ही कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है परंतु सच्चाई तो यही है कि गोधूलि पूरी तरह से गाँवों की संपत्ति है जो शहरों के हिस्से में नहीं आई है। शहरों में तो बस धूल धक्कड़ है। यहाँ धूलि होने पर भी गोधूलि कहाँ हो सकती है। इसकी एक विडंबना यह भी है कि कवियों ने अपनी कविता में जिस धूल को अमर किया है वह हाथी-घोड़ों के चलने से दौड़ने वाली धूल नहीं, बल्कि गायों और गोपालकों के पैरों से उठने वाली धूलि है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।
उत्तर:
जो धूल फूल के ऊपर बैठ जाती है और उसका श्रृंगार करती है, वही धूल शिशु के मुँह पर बैठकर उसकी स्वाभाविक शारीरिक आभा को और अधिक निखार देती है। आशय यह है कि धूल के कारण शिशु का मुख और फूल दोनों सुंदर प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 2.
‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की-लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
इन पंक्तियों द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि धन्य-धन्य वे नर कहकर लेखक ने उस व्यक्ति को धन्य कहा है परंतु ‘मैले जो करत’ कहकर अपनी हीन भावना भी प्रकट कर दी क्योंकि धूल-धूसरित शिशु को गोद में उठाने से अपने कपड़ों के मलिन होने से चिंतित भी है। यह व्यक्ति धूल भरे हीरों का प्रेमी नहीं है।

प्रश्न 3.
मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में। [CBSE]
उत्तर:
लेखक के अनुसार, मिट्टी और धूल में वही अंतर है जो कि शब्द और रस में, देह और प्राण मैं, चाँद और चाँदनी में है। आशय यह है कि मिट्टी स्थूल है। ‘धूल’ उसका सूक्ष्म सौंदर्य और प्रभाव है।

प्रश्न 4.
हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।
उत्तर:
नगरीय सभ्यता द्वारा धूल को हेय समझने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य करते हुए लेखक कहता है कि धूल को माथे से लगाने योग्य है। इससे देशभक्ति की भावना की अभिव्यक्ति होती है पर नगर का अभिजात्य और आधुनिक कहलाने वाले वर्ग यदि इसे माथे से न लगाए तो इस पर पैर रखकर इसका अपमान भी न करे। अर्थात धूल का अपमान नहीं सम्मान करना चाहिए।

प्रश्न 5.
वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।
उत्तर:
इस पंक्ति में लेखक कहता है-ये धूल भरे हीरे अर्थात् मैले-कुचैले दीखने वाले ग्रामीण बंधु कभी विद्रोह पर उतर आए तो तुम पर ऐसी चोट करेंगे कि तुम्हें इनकी ताकत का तथा अपनी कमज़ोरी का साफ पता चल जाएगा। आशय यह है कि ये ग्रामीण जने वास्तविक हैं और ठोस हैं, जबकि नगरवासी चकाचौंध भरी नकली जिंदगी जीते हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छाँटिएउदाहरण : विज्ञापित-वि (उपसर्ग) ज्ञापित संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्द्वद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन।
उत्तर:

  1. संसर्ग = सम् + सर्ग
  2. उपमान = उप + मान
  3. संस्कृति = सम् + कृति
  4. दुर्लभ = दुः + लभ
  5. निर्द्वद्व = निः + द्वंद्व
  6. प्रवास = प्र + वास
  7. दुर्भाग्य = दुः + भाग्य
  8. अभिजात = अभि + जीत
  9. संचालन = सम् + चालन

प्रश्न 2.
लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल हान जैसे प्रयोग किए हैं। धूल से संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
अन्य प्रयोग इस प्रकार हैं-
धूल का स्पर्श करना, धूल से बढ़कर होना, धूल दिखाई देना, धूलि भरा, धूल से खेलना।
वाक्य प्रयोग-

  1. धूल का स्पर्श करना – सभी पहलवान अखाड़े में उतरने से पहले धूल का स्पर्श करते हैं।
  2. धूल से बढ़कर होना – जिस तत्त्व ने हमारे जीवन का निर्माण किया, वह धूल से बढ़कर और कोई नहीं है।
  3. धूल दिखाई देना – जिन्हें अपनी संस्कृति पर गर्व नहीं है, उन्हें स्वर्ण में भी धूल दिखाई देती है।
  4. धूलि भरा – माँ को अपने पुत्र का धूलि भरा चेहरा बहुत मनमोहक लगता है।
  5. धूल से खेलना – हम बचपन से ही धूल से खेल-खेलकर बड़े हुए हैं।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
शिवमंगल सिंह सुमन की कविता ‘मिट्टी की महिमा’, नरेश मेहता की कविता ‘मृत्तिका’ तथा सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की ‘धूल’ शीर्षक से लिखी कविताओं को पुस्तकालय में हूँढ़कर पढ़िए।

उत्तर:
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘मिट्टी की महिमा’ के कुछ शब्द इस प्रकार हैं-

मिट्टी की महिमा मिटने में
मिट-मिट हर बार सँवरती है।
मिट्टी मिट्टी पर मिटती है।
मिट्टी मिट्टी को रचती है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
इस पाठ में लेखक ने शरीर और मिट्टी को लेकर संसार को असारता का जिक्र किया है। इस असता का वर्णन अनेक भक्त कवियों ने अपने काव्य में किया है। ऐसी कुछ रचनाओं का संकलन कर कक्षा में भित्ति पत्रिका पर लगाइए।

उत्तर:
कबीर का एक पद है-

रहना नहिं देस बिराना है।
यहु संसार कागद की पुरिया बूंद पड़े घुलि जाना है।
यहु संसार झाड़ औ झाँखड़ उरझ पुरझ मरि जाना है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ

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पाठ्य-पुस्तक के बोध-प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?
उत्तर:
लेखक मालाबार से तक्षशिला (पाकिस्तान) के पौराणिक खंडहर देखने गया था। वह तेज धूप में भूख-प्यास से परेशान होकर एक गाँव की ओर चला गया। वहाँ चपातियों की महक महसूस कर एक दुकान में खाना खाने के लिए गया, जहाँ उसका हामिद खाँ से परिचय हुआ।

प्रश्न 2.
“काश में आपकं मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।’-हामिद ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:
लेखक ने हामिद खाँ को हिंदू-मुसलमान संबंधों के बारे में बताया, उन्हें पहले तो विश्वास नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान में मुसलमानों को अत्याचार करनेवालों की संतान समझा जाता था। लेखक ने हामिद खाँ को बताया कि भारत में हिंदू मुसलमान मिलकर रहते हैं। एक-दूसरे के त्योहारों में सम्मिलित होते हैं। हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे न के बराबर होते हैं। मुसलमानों की मसजिद हिंदुओं के निवास स्थान के पास होती है। हामिद खाँ विश्वास ही नहीं कर पाया कि वे हिंदू हैं और इतने गौरव से एक मुसलिम से बात कर रहें है। मुसलमानी होटल में भी भारत में खाना खाने में किसी हिंदू को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेखक द्वारा हिंदू-मुसलमान की एकता भरी बातों पर हामिद खाँ पहले तो भरोसा नहीं कर पाया इसलिए वे उनके देश में आकर ये सब देखना चाहता था।

प्रश्न 3.
हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर:
हामिद को लेखक की निम्नलिखित बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था-

  • भारत में हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं।
  • हिंदू निस्संकोच मुसलमानों के होटलों में खाना खाने जाते हैं।
  • यहाँ सांप्रदायिक दंगे न के बराबर होते हैं।

प्रश्न 4.
हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इनकार क्यों किया?
उत्तर:
हामिद खाँ पाकिस्तान का रहनेवाला था। वह एक भला आदमी था। मानवीय भावनाओं का उसके जीवन में बहुत महत्त्व था। भूख के कारण होटल ढूंढते हुए लेखक तंग गलियों में स्थित हामिद खाँ के होटल पर पहुँच गए वहाँ उनकी मेहमाननवाजी अच्छा इंसान समझ कर की गई। खाने के बदले लेखक पैसे देना चाहते थे परंतु हामिद खाँ ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया। एक रुपये के नोट को वापिस करते हुए हामिद खाँ ने कहा कि मैंने आपसे पैसे ले लिए, लेकिन मैं चाहता हूँ कि ये पैसे आपके पास रहें। आप जब भारत पहुँचे तो उनकी मेहमाननवाजी को याद रखें। लेखक की इंसानियत व उनकी मेल-मिलाप की बातों से हामिद खाँ प्रभावित हुआ था इसलिए उसने मेहमाननवाज़ी के पैसे लेने से इंकार कर दिया।

प्रश्न 5.
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के संबंध सद्भावपूर्ण थे। वे एक-दूसरे को शक की दृष्टि से नहीं देखते थे। वे आपस में लड़ते-झगड़ते नहीं थे। हिंदू इलाकों में भी मस्जिदें थीं। यहाँ सांप्रदायिक दंगे बहुत ही कम होते थे।

प्रश्न 6.
तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?
उत्तर:
तक्षशिला में धर्म के नाम पर धार्मिक झगड़े जन्म लेते रहते थे। इन झगड़ों की खबरें समाचार-पत्र में छपती रहती थीं। लेखक ने जब इस सांप्रदायिक झगड़े की खबर पढ़ी तो उसका सीधा ध्यान हामिद खाँ की ओर गया। उसने प्रार्थना की कि भगवान हामिद खाँ की दुकान को कोई नुकसान न पहुँचाए। हिंदू-मुसलिम भेद-भाव की आग उस तक न पहुँच पाए। इससे लेखक के स्वभाव की मानवीय भावना का परिचय मिलता है। उनकी दृष्टि में धर्म की प्रधानता नहीं थी। मानवीयता प्रमुख थी। हामिद खाँ उन्हें भला मानव लगा इसलिए उसके प्रति हमदर्दी व सहानुभूति की भावना उनके मन में थी।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 गीत – अगीत

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
(ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है? [CBSE]
(ग) प्रेमी जब गीत गाता है, तो प्रेमी की क्या इच्छा होती है? [CBSE]
(घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।
(ङ) प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।
(च) मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।
(छ) सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
(ज) “गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।
उत्तर:
(क) जब नदी किनारों से कुछ कहते हुए बह जाती है तो गुलाब सोचता है-‘यदि परमात्मा ने मुझे भी स्वर दिए होते तो मैं भी अपने पतझड़ के दिनों की वेदना को शब्दों में सुनाता। निम्नलिखित पंक्तियाँ देखिए-

गाकर गीत विरहं के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलको कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।”

(ख) जब शुकः गाता है तो शुकी का हृदय प्रसन्नता से फूल जाता है। वह उसके प्रेम में मग्न हो जाती है।
(ग) जब प्रेमी प्रेम के गीत गाता है तो प्रेमी (प्रेमिका) की इच्छा होती है कि वह उस प्रेम गीत की पंक्ति में डूब जाए, उसमें लयलीन हो जाए। उसके शब्दों में –

‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की बिधना’ ।

(घ) सामने नदी बह रही है। वह मानो अपनी विरह वेदना को कलकल स्वर में गाती हुई चली जा रही है। वह किनारों को अपनी व्यथा सुनाती जा रही है। उसके किनारे के पास एक गुलाब का फूल अपनी डाल पर हिल रहा है। वह मानो सोच रहा है कि यदि परमात्मा ने उसे स्वर दिया होता तो वह भी अपने दुख को व्यक्त करता।
(ङ) प्रकृति का पशु-पक्षियों के साथ गहरा रिश्ता है। पशु-पक्षी प्रकृति की उमंग के साथ उमंगित होते हैं। कविता में कहा गया है

गाता शुक जब किरण वसंती,
छूती अंग पर्ण से छनकर।

जब सूर्य की वासंती किरणें शुक के अंगों को छूती हैं तो वह प्रसन्नता से गा उठता है।
(च) प्रकृति मनुष्य को भी आह्लादित करती है। साँझ के समय स्वाभाविक रूप से प्रेमी का मन आल्हा गाने के लिए ललचा उठता है। यह साँझ की ही मधुरिमा है जिसके कारण प्रेमी के हृदय में प्रेम उमड़ने लगता है।
(छ) गीत और अगीत में थोड़ा-सा अंतर होता है। मन के भावों को प्रकट करने से गीत बनता है और उन्हें मन-ही-मन ।
अनुभव करना ‘अगीत’ कहलाता है। यद्यपि ‘अगीत’ को प्रकट रूप से कोई अस्तित्व नहीं होता, किंतु वह होता अवश्य है।
जिस भावमय मनोदशा में गीत का जन्म होता है, उसे ‘अगीत’ कहा जाता है।
(ज) “गीत अगीत’ का मूल भाव यह है कि गीत के साथ-साथ गीत रचने की मनोदशा भी महत्त्वपूर्ण होती है। मन-ही-मन भावानुभूति को अनुभव करना भी कम सुंदर नहीं होता। उसे ‘अगीत’ कहा जा सकता है। माना कि गीत सुंदर होता है, परंतु गीत के भावों को मन में अनुभव करना भी सुंदर होता है।

प्रश्न 2.
संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
(क) अपने पतझर के सपनों का
                 मैं भी जग को गीत सुनाता
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इनके रचयिता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। कवि ने इन पंक्तियों में गुलाब के मन की व्यथा प्रस्तुत की है।

व्याख्या- नदी को किनारों से बातें करता देख किनारे खड़ा गुलाब सोचता है कि नदी को स्वर मिला है, वह किनारों से बातें कर रही है। इसी प्रकार यदि ईश्वर ने मुझे भी स्वर दिया होता तो मैं भी अपने पतझड़ के सपनों के गीत संसार को सुनाता।

(ख) गाता शुक जब किरण वसंती ।
                 छूती अंग पर्ण से छनकर
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इनके रचयिता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। कवि ने इन पंक्तियों में तोते की प्रसन्नता और गीत-गान का वर्णन किया है।

व्याख्या- पेड़ की सघन डाल पर बैठे तोते को जब सूर्य की वसंती किरणे स्पर्श करती हैं तो पेड़ की पत्तियों से छनकर आती किरणों के प्रभाव से वह पुलकित हो उठता है और गीत गाना शुरू कर देता है।

(ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की।
                 बिधना यों मन में गुनती है।
उत्तर:
प्रसंग- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ स्पर्श भाग-1 में संकलित कविता ‘गीत-अगीत’ से ली गई हैं। इनके रचयिता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। इन पंक्तियों में प्रेमी के गीतों को सुनकर भाव-विभोर हुई प्रेमिका के मनोभावों को वाणी दी गई है।

व्याख्या- कवि मानवीय प्रेम के बारे में बताता है कि प्रेमी के गीत का पहला स्वर उसकी राधा पर ऐसा प्रभाव डालता है। कि वह उसके करीब आकर गीत सुनकर भाव-विभोर हो जाती है और सोचती है कि हे ईश्वर! मैं उसके गीतों की कड़ी क्यों न हुई। यदि उसके गीतों की कड़ी होती तो उसका सामीप्य पा जाती।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य-विन्यास लिखिए-
उदाहरण : तट पर एक गुलाब सोचता
                एक गुलाब तट पर सोचता है।

  1. देते स्वर यदि मुझे विधाता ।
  2. बैठा शुक उस घनी डाल पर
  3. गूंज रहा शुक का स्वर वन में ।
  4. हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
  5. शुकी बैठ अंडे है सेती ।

उत्तर:

  1. यदि विधाता मुझे स्वर देते।
  2. शुक उस घनी डाल पर बैठा।
  3. शुक का स्वर वन में गूंज रहा।
  4. मैं गीत की कड़ी क्यों न हुई?
  5. शुकी बैठकर अंडे सेती है।

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