Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 4 with Solutions

निर्धारित समय :2 घण्टे
अधिकतम अंक : 40

सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र में कुल 2 खंड हैं- खंड ‘क’ और ‘ख’।
  • खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
  • खंड ‘ख’ में कुल 5 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
  • कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
  • प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए यथासंभव क्रमानुसार उत्तर लिखिए।

खंड ‘क’

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) वजीर अली ने वकील का कत्ल क्यों किया और फिर अपनी सुरक्षा कैसे की?
उत्तरः
वजीर अली को अपने देश से लगाव तथा अंग्रेजों से नफरत थी। वह किसी भी तरह भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद करना चाहता था। जब उसे अवध के तख्त से बेदखल करके बनारस भेज दिया गया, तब उसने गुस्से में अंग्रेज़ी वकील का कत्ल कर दिया और उसके बाद से घाघरा के जंगलों में छिपता हुआ अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंक रहा था और अपनी सुरक्षा के साथ-साथ अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश कर रहा था।

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 4 with Solutions

(ख) कवि सुमित्रानंदन पंत’ ने वृक्षों को किस रूप में देखा और वर्णित किया है?
उत्तरः
विशाल पर्वतों के ऊपर ऊँचे-ऊँचे वृक्षों को देखकर कवि ने कल्पना की है, मानो वे वृक्ष उन पर्वतों के हृदय से निकल रही उनकी बड़ी-बड़ी आकांक्षाएँ हैं और वह आकांक्षा आकाश को छूने की है। अर्थात् उन वृक्षों के माध्यम से शायद पर्वत आसमान को छू लेना चाहते हैं किंतु छूने में असमर्थ हैं। घने बादलों और भावी वर्षा के कारण वातावरण बिल्कुल सूना है। हवा न चलने से वृक्ष बिल्कुल स्थिर हैं और उनकी स्थिरता में कवि को उनकी उदासी दिखाई दे रही है क्योंकि वह पर्वतों की इच्छाओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

(ग) कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ हमें कैसा जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहे हैं?
उत्तरः
कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ हमें पशु प्रवृत्ति से ऊपर उठकर जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जीवन भर केवल अपनी जरूरतों को पूरी करते रहना पशुओं की प्रवृत्ति होती है। मनुष्य होने के नाते हमें सभी के सुख-दुख को ध्यान में रखना चाहिए, किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। किसी भी प्रकार का घमंड करना मनुष्य को शोभा नहीं देता। हम सभी ईश्वर की संताने हैं और उस दृष्टि से हम सब एक हैं। यदि यह जानते हुए भी हम किसी को तकलीफ देते हैं या किसी के काम नहीं आते हैं तो यह बहुत बड़ा अनर्थ है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 से 70 शब्दों में दीजिए- (4 × 1 = 4)
(क) लोक सेवा की प्रेरणा नेहरू जी को अपने परिवार से ही विरासत में मिली थी। जब वह छोटे थे, उनकी माँ उनके जन्म दिवस पर हर वर्ष उनका वजन तुलवाती
और उतने ही वजन के वस्त्र, खाद्य पदार्थ आदि जरूरतमंद लोगों में बंटवाती थी। नेहरू जी का बाल मन यह देखकर बहुत खुश होता था कि उनके कारण कितने लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ रही है। यही भावना बड़े होते-होते देश सेवा में परिवर्तित हो गई। उन्होंने सदैव अपने सुख और आराम से ऊपर उठकर देश और देशवासियों के लिए सोचा। जो प्रेरणा नेहरू जी को अपने परिवार से मिली वही प्रेरणा ‘मनुष्यता’ कविता भी हमें दे रही है। आप इस बात से कहां तक सहमत हैं?
अथवा
(ख) महात्मा गाँधी जिस स्कूल में पढ़ते थे, वहाँ खेल-कूद अनिवार्य था। यदि कोई विद्यार्थी खेल-कूद के समय मैदान में उपस्थित नहीं होता तो उसे दंडित किया जाता था या जुर्माना देना पड़ता था। गाँधी जी नियमित रूप से खेल-कूद के लिए समय पर मैदान में पहुँच जाते। एक दिन गाँधीजी अपने पिता की सेवा में लगे हुए थे। वे जानते थे कि यदि वे खेलने स्कूल के मैदान में नहीं पहुँचे तो उन्हें दंडित किया जाएगा किंतु उस समय बीमार पिता की सेवा करना उन्हें अधिक आवश्यक जान पड़ा। उन्होंने खेल के मैदान में न जाने का फैसला सहर्ष कर लिया। मनुष्यता कविता में जो कुछ कवि ने हमें बताया है, गाँधी जी का निर्णय क्या उसी दिशा में है?
तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तरः
परहित सरिस धर्म नहीं कोई’। यह संदेश नेहरु जी के जीवन के इस अंश से मिल रहा है और यही संदेश कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त ने ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से हमें दिया है। कवि का मानना है कि मनुष्य ही वह है जो अपना जीवन मानवता की सेवा में व्यतीत करे। जब हम ‘पशु प्रवृत्ति’ से ऊपर उठकर सभी के हित में कार्य करते हैं, तभी एक महान जीवन जीते हुए सुमृत्यु को प्राप्त होते हैं। हमारा शरीर तो वैसे भी नश्वर है, अमर तत्व तो आत्मा है और उसे महान बनाने के लिए हमें किसी भी रूप में दान करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। उदारता, दया, करुणा, सहानुभूति जैसे गुण हमें पशुत्व से ऊपर उठाकर मनुष्यत्व और देवत्व की ओर ले कर जाते हैं।

नेहरु जी को जो संस्कार अपने परिवार से मिले उन्होंने उन्हें एक सच्चा देशभक्त बनकर देश हित में कार्य करने की प्रेरणा दी। मनुष्यता कविता भी हमें यही बता रही है कि हम सब एक हैं। इसी को कष्ट पहुँचाकर हम सुखी नहीं रह सकते क्योंकि एक का सुख सबका सूख और एक का दुख सभी को दुख देता है। अतः हमें जीवन में एक उत्तम मार्ग का चुनाव करना चाहिए और मिलजुल कर सहर्ष उस पर आगे बढ़ना चाहिए।
अथवा
(ख) कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ ने ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से मनुष्य होने का वास्तविक अर्थ बताते हुए उन गुणों का वर्णन किया है जो मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के लिए आवश्यक हैं। कवि का मानना है कि हमें पशुओं जैसा जीवन नहीं जीना चाहिए बल्कि अपने साथ-साथ दूसरों का भी हितचिंतन करना चाहिए। सभी के हित को ध्यान में रखते हुए हमें दान देने में कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए। उदारता, परोपकार, दया, करुणा आदि ऐसे मानवीय गुण वही पनपते हैं जहां स्वार्थ नहीं होता।

उपरोक्त उदाहरण में गाँधी जी ने खेलकूद का आकर्षण त्याग कर और सजा के कष्ट को भी भुला कर पिता की सेवा करने का निर्णय लिया। यह उनकी उदारता और मानवता को दर्शाता है। यदि वे उस समय बीमार पिता को छोड़कर खेलने चले जाते तो उनकी अंतरात्मा उन्हें कभी माफ नहीं करती। परहित में एक अच्छा निर्णय लेने से हमारी आत्मा को बल मिलता है और यही मानव जीवन का उद्देश्य है। इस नश्वर शरीर में वास करने वाली आत्मा ही है जो संस्कार ग्रहण करती है और वह संस्कार जन्मों तक हमारे साथ रहते हैं। अतः हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे बुरे संस्कारों की छाप आत्मा पर पड़े। यही मनुष्यता कविता का भी संदेश है।

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प्रश्न 3.
पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) पाठ सपनों के से दिन’ के आधार पर पी. टी. सर व हैडमास्टर शर्मा जी के स्वभाव का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तरः
पाठ ‘सपनों के से दिन’ में लेखक ने अपने दो अध्यापकों का विशेष ज़िक्र किया है-हैडमास्टर शर्मा जी, जो कि बहुत ही नम्र स्वभाव के थे व दूसरी ओर मास्टर प्रीतमचन्द (पी. टी. सर) जो कि अत्यधिक सख्त स्वभाव के थे। छात्रों को अनुशासन में रखने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते थे, यहाँ तक कि खाल खींचने के मुहावरे को प्रत्यक्ष करके भी दिखा देते थे। लेखक के मन में उनके व्यक्तित्व की गहरी छाप बन गई थी। उनका सख्त स्वभाव, बाघ जैसी तीखी नज़रें छात्रों को भयभीत करके रखती थीं, किन्तु दूसरी ओर उनके अन्दर एक कोमल हृदय भी छिपा था जो तब सामने आया जब बच्चों ने उन्हें अपने तोतों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करते हुए, बादाम खिलाते हुए देखा। दूसरी ओर हैडमास्टर शर्मा जी अत्यधिक नम्र स्वभाव के थे, उन्हें छात्रों को दण्ड देना या उनके साथ कठोर व्यवहार करना बिल्कुल नापसन्द था। जब उन्होंने पी. टी. सर को छोटे बच्चों को कठोर दण्ड देते देखा, तो उन्हें तुरन्त मुअत्तल कर दिया था जो उनके ठोस किन्तु संवेदनशील व्यक्तित्व की पहचान है।

(ख) मुन्नी बाबू के व्यवहार का टोपी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरः
पाठ ‘टोपी शुक्ला’ में टोपी और इफ्फन घनिष्ठ मित्र थे। मुन्नी बाबू टोपी का भाई था। वह टोपी को नीचा दिखाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देता था। एक बार टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते हुए देखा था किंतु उसने किसी को कुछ नहीं बताया था क्योंकि शिकायत करना उसके व्यवहार में ही नहीं था। किंतु मुन्नी बाबू ने उल्टा झूठ बोलते हुए घरवालों के सामने यह कहा कि उसने टोपी को कबाब खाते हुए देखा था। इस झूठी शिकायत के परिणामस्वरूप टोपी की बहुत पिटाई हुई, अपमानित होना पड़ा और उसके मन में मुन्नी बाबू के लिए नफरत पैदा हो गई। फिर भी मुन्नी बाबू को कभी अपनी गलती का अहसास या शर्मिन्दगी महसूस नहीं हुई।

(ग) अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। पाठ ‘हरिहर काका’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
हरिहर काका एक सीधे-सादे और भोले किसान थे। अपना अधिकांश समय वे खेती-बाड़ी में बिताते और जो वक्त मिलता उसे ठाकुरबारी में धर्म चर्चा में व्यतीत करते। किंतु जीवन में कुछ ऐसे अनुभव हुए जिन्होंने उन्हें अनपढ़ होते हुए भी दुनिया की बेहतर समझ दे दी। वे अपने भाइयों के परिवार के पास साथ रहते थे, जिनसे उन्हें काफी मोह था किंतु जैसे-जैसे यह सच उनके सामने आया कि वह सब लोग उनसे नहीं बल्कि उनकी जमीन जायदाद से प्रेम करते हैं, तो उनका मोहभंग होता चला गया। ठाकुरबारी के महंत के प्रति उनके मन में अपार स्नेह और श्रद्धा के भाव थे किंतु महंत ने भी जमीन के लालच में जो दुर्व्यवहार हरिहर काका के साथ किया, उसने उन्हें बता दिया कि कोई किसी का नहीं होता, सब दौलत के लालच में संबंध बनाया करते हैं। ऐसे कड़वे अनुभवों के कारण हरिहर काका का सभी से विश्वास उठ गया था और उन्होंने यह निर्णय लिया था कि वे जीते जी अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करेंगे।

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खंड ‘ख’ : लेखन

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (6)
(क) नवीन शिक्षा नीति

  • नई कानून नीतियाँ
  • बच्चे देश का भविष्य
  • एजुकेशन फॉर ऑल

उत्तरः
नवीन शिक्षा नीति
समय और आवश्यकता के अनुसार नए कानून नीतियाँ और नीतियाँ बनाई जाती हैं। यह योजनाएँ जनता और देश के हित को ध्यान में रखते हुए निर्धारित होती हैं। इनके सुपरिणाम तभी आ सकते हैं जब इनको अमल में लाने का कार्य सचारु रुप से किया जाए। बच्चे ही किसी देश का भविष्य होते हैं और युवा पीढ़ी देश की रुधिर का काम करती है यदि वही मजबूत नहीं होगी तो देश का ढाँचा भी मजबूत नहीं हो पाएगा इस सच्चाई को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रणाली का दुरुस्त होना अति आवश्यक है। अतः केंद्र सरकार ने 34 साल पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए नई शिक्षा नीति 2020 का ऐलान किया। इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी। 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे। यानि 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है। नई शिक्षा नीति में विद्यालय पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 की नई पाठयक्रम संरचना लागू की जाएगी जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है। सभी ग्रेजुएशन कोर्स में ‘मेजर’ और ‘माइनर’ का डिवीज़न होगा। जैसे विज्ञान का छात्र भौतिकी को मुख्य विषय तथा संगीत को ऐच्छिक विषय के रूप में चुन पाएगा।

बच्चे 2 से 8 साल के बीच काफी तेजी से भाषा को सीख लेते हैं और कई भाषाएँ जानना मस्तिष्क पर काफी सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसलिए शुरू से ही तीन भाषाएँ पढ़ाई जाएंगी। पाँचवी कक्षा तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी स्तर से होगी। साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में माध्यमिक स्तर तक ‘एजुकेशन फॉर ऑल’ का लक्ष्य रखा गया है। अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा। इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढाँचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी। इस प्रकार यह नवीन शिक्षा नीति हमारे लिए नई उम्मीद लेकर आई है जिसे अभिभावकों, अध्यापकों तथा छात्रों ने परस्पर सहयोग से सफल बनाना है।

अथवा

(ख) परिश्रम का महत्व

  • परिश्रम का अर्थ लाभ
  • इसके अभाव में जीवन
  • आदर्श स्थिति।

उत्तरः
परिश्रम का महत्व
धरती पर जितने भी जीव हैं उन्हें अपना जीवन बनाए रखने के लिए मेहनत या संघर्ष तो करना ही पड़ता है। यदि जीव केवल अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने योग्य ही श्रम करता है तो वह परिश्रम नहीं कहलाएगा। किन्तु जब वह अपने व अन्य लोगों के जीवन को सुखमय बनाने के लिए या अपनी व समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास करता है तो वह परिश्रमी कहलाता है। परिश्रम शारीरिक भी हो सकता है, मानसिक भी। जितना परिश्रम करेंगे, उतना ही हम अपने को स्वस्थ व चुस्त रख सकेंगे। हर कार्य में सफलता के लिए परिश्रम तो करना ही पड़ता है, भले ही उसका स्तर भिन्न हो। कहा भी गया है

“परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।”
अर्थात् परिश्रम में ही सफलता का मूल मन्त्र छिपा है। जो व्यक्ति परिश्रम से जी चुराता है, वह अपनी व सबकी नजरों में कभी ऊँचा नहीं उठ पाता, आलस्य उसे घेरे रहता है, अन्य लोगों पर उसकी निर्भरता बढ़ती जाती है जो कि एक अभिशाप के समान है। अतः परिश्रम से जी न चुराते हुए उसे जीवन का अभिन्न अंग बना लेना चाहिए।

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अथवा

(ग) नारी और नौकरी

  • कामकाजी महिला की स्थिति
  • समाज व परिवार पर प्रभाव
  • नारी का व्यक्तित्व।

उत्तरः
नारी और नौकरी:
समाज के उत्थान, देश के विकास में निःसन्देह नारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्राचीन भारत में नारी को देवी कहना उसके सम्माननीय स्थान का सूचक है। मध्यकाल में नारी की स्थिति दयनीय व शोचनीय हो गई। अनेक सामाजिक कुरीतियों के रूप में उसका शोषण किया गया और यह आधुनिक युग तक जारी रहा, किन्तु अब नारी जागरूक हो रही है, उसके सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वह शिक्षित होकर लगभग हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कन्धे-से-कन्धा मिलाकर आगे बढ़ रही है। आज नारी को दोहरी भूमिका निभानी पड़ रही है। भले ही गृहस्थी को चलाने में पुरुष उसे सहयोग देने लगा है, किन्तु गृहस्थी के कार्य, बच्चों का पालन-पोषण जिस कुशलता के साथ स्त्री कर सकती है, पुरुष उसका मुकाबला नहीं कर सकता। अतः अपना स्थान ऊँचा उठाने, पुरुषों को नीचा दिखाने या केवल अपना अहंकार शान्त करने के लिए नौकरी करने के प्रयास में अपनी गृहस्थी को अनदेखा नहीं करना चाहिए। नारी की नौकरी से यदि बच्चों का पालन-पोषण उचित ढंग से न हो पाया तो देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। अतः नारी और नौकरी में इस प्रकार सामंजस्य होना चाहिए कि उसका दुष्प्रभाव भावी पीढ़ी पर न पड़े, बल्कि समाज का सर्वांगीण विकास हो सके।

प्रश्न 5.
प्रधानाचार्या को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखकर छात्रवृत्ति देने के लिए अनुरोध कीजिए।
अथवा
कोरियर कम्पनी के प्रबन्धक को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखकर कोरियर खो जाने या गन्तव्य तक न पहुँचने की शिकायत कीजिए।
उत्तरः
श्रीमती प्रधानाचार्या जी,
सर्वोदय विद्यालय,
विकासपुरी, नई दिल्ली-110020
विषय-छात्रवृत्ति के लिए प्रार्थना।
आदरणीय महोदया,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं का छात्र हूँ। कक्षा पहली से लेकर नौवीं तक की परीक्षाएँ मैंने अछे अंकों से उत्तीर्ण की हैं तथा अनेक प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करके विद्यालय का नाम रोशन किया है। ऐसे में मुझे विद्यालय से छात्रवृत्ति की अपेक्षा है। मेरी आपसे विनती है कि छात्रवृत्ति के रूप में आप मुझे व अन्य योग्य छात्रों को सहयोग दें ताकि हमें आगे भी बेहतर परिणाम लाने का प्रोत्साहन मिले। आशा है आप मेरी प्रार्थना पर विचार करेंगी।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी छात्र,
क ख ग
दिनांक :

अथवा

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(ख) परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक : ……………
प्रबन्धक महोदय,
डे-नाइट कोरियर सर्विस,
जनकपुरी, नई दिल्ली।
विषय – कोरियर खो जाने की शिकायत।
आदरणीय महोदय,
मैं दिल्ली के विकासपुरी क्षेत्र की निवासी हूँ। मैंने आपकी कोरियर कम्पनी के द्वारा पिछले महीने की 15 तारीख को जयपुर एक उपहार कोरियर करवाया था। मुझे बताया गया था कि वह दो दिन में वहाँ पहुँच जाएगा, किन्तु अब एक महीने से ज्यादा समय हो गया है, उसका कुछ पता नहीं। इस बीच मैंने कई बार आपकी कम्पनी को फोन किया, किन्तु कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। मैं चाहती हूँ कि या तो उस उपहार की कीमत, जो कि 5 हजार है, मुझे दी जाए या फिर उसका पता लगाकर सही स्थान पर पहुँचाया जाए। आशा है आप जल्द ही पत्र का उत्तर देंगे व उचित कदम उठायेंगे।
धन्यवाद।
भवदीया,
क ख ग

प्रश्न 6.
(क) विद्यालय में क्रिकेट की कोचिंग के लिए विशेष प्रबन्ध किए गए हैं। इसकी जानकारी सभी छात्रों को देने हेतु प्रबन्धक की ओर से 50 शब्दों में सूचना लिखिए।
अथवा
आपके क्षेत्र में मच्छरों को मारने की दवा का छिड़काव लगातार तीन दिन तक होने वाला है। क्षेत्रवासियों को उस समय बाहर न निकलने व सावधान रहने की सलाह देते हुए सचिव की ओर से 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
संस्कृति विद्यालय
सूचना
दिनांक………………….
क्रिकेट कोचिंग की व्यवस्था सभी छात्रों को जानकर खुशी होगी कि विद्यालय में क्रिकेट की कोचिंग के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। मशहूर खिलाड़ी श्री अरविन्द जी द्वारा यह कोचिंग प्रतिदिन सायं 4-7 बजे तक विद्यालय के मैदान में ही दी जाएगी। इच्छुक छात्र 30 जुलाई तक अपना नामांकन हस्ताक्षरकर्ता को करा दें। शुल्क मात्र 1500/- प्रति माह।
बलराम यादव
खेल समिति अध्यक्ष

अथवा

निर्मला सोसायटी
सूचना

दिनांक………………

दवा का छिड़काव

सोसायटी के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता | है कि अगले तीन दिन तक प्रातः 11 बजे व सायं 4 बजे मच्छर मारने की दवा का छिड़काव होगा। कृपया उस समय के आस-पास घर से बाहर न निकलें। यह कार्य सभी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। सभी का सहयोग अपेक्षित है। धन्यवाद।
पी. के. जैन
सचिव

(ख) आपके विद्यालय में पौधों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी की जानकारी विद्यार्थियों को देने के लिए लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
पुलिस अध्यक्ष द्वारा लोगों को सचेत करने के लिए लगभग 50 शब्दों में सूचना जारी कीजिए कि बढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिए सबको सतर्क और सावधान रहना है। (2½)
उत्तरः
क ख ग विद्यालय
सूचना

दिनांक…………………

पौधों की प्रदर्शनी का आयोजन

विद्यालय में पहली बार पौधों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रकृति प्रेमी अपने मनपसंद पौधे | बाजार से आधे दाम में खरीद सकते हैं।
विद्यालय के मालियों तथा विद्यार्थियों के सहयोग से इन | पौधों का बीजारोपण किया गया है।
प्रदर्शनी से संबंधित जानकारी इस प्रकार है-
समय- प्रातः 10:00 से 12:00
दिनांक- 15 से 18 फरवरी
स्थान- विद्यालय का मैदान
प्रदर्शनी में विद्यालय के छात्रों, उनके परिवारीजनों तथा| मित्रों का स्वागत है।
कृपया कोविड-19 नियमों का पालन अवश्य करें तथा अनुशासन बनाए रखें।

धन्यवाद छात्र
संघ अध्यक्ष

अथवा

विकासपुरी थाना
सूचना

दिनांक…………………

सभी रहें सचेत सावधान

आप सभी को विदित है कि पिछले कुछ महीनों से | निरंतर अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है।
पुलिस अपना काम कर रही है किंतु आप सभी को इन बढ़ते अपराधों के प्रति सचेत और सावधान रहना है।
दिल्ली पुलिस आपके लिए, आपकी सेवा में हर वक्त मौजूद है।
दिल्ली पुलिस के आँख और कान बनिए।
जहाँ कहीं भी कुछ संदिग्ध गतिविधि, व्यक्ति या वस्तु दिखाई दे, तुरंत हमें सूचित करें।
छोटे से छोटे अपराध को भी अनदेखा न करें।
आपकी सतर्कता, हमारी ताकत है
इसे कमजोर न होने दें।
धन्यवाद
अध्यक्ष
दिल्ली पुलिस

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प्रश्न 7.
(क) स्टील की पानी की बोतल बनाने वाली एक कम्पनी ‘अंश’ के लिए 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप विज्ञान विषय से स्नातक हैं। नौकरी करने की इच्छा से अपना विवरण देते हुए 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Term 2 Set 4 with solutions 2

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अथवा

मैं विकासपुरी दिल्ली का निवासी, विज्ञान विषय से | स्नातक हूँ। कम्प्यूटर की अच्छी जानकारी रखता हूँ। उम्र 24 साल, 2 साल का अनुभव, अंग्रेजी भाषा पर पूर्ण अधिकार। योग्य पद रिक्त होने पर कृपया सूचित करें। दूरभाष-8198314263

(ख) आपने जनवरी, 2021 में 10 लीटर का कूलर खरीदा था किंतु अब किसी कारणवश आप वह कूलर बेचना चाहते हैं। उसके लिए 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
‘स्वादिष्ट और पौष्टिक मखानों की कंपनी’ कंपनी स्वाद की ओर से 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
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अथवा

स्वाद मखाने
स्वाद और सेहत से भरपूर
स्वाद मखाने घर लाइए ज़रुर…
चाय के साथ कुछ स्वादिष्ट चटपटा करारा खाने को जी चाहता है…

तो देर किस बात की
स्वाद मखानों का लुत्फ उठाइए
अलग अलग स्वाद… अलग-अलग रंगों में उपलब्ध
तो लीजिए कुछ पारंपरिक कुछ नए स्वाद

किफायती दाम
100 ग्राम – ₹ 200
250 ग्राम – ₹350
500 ग्राम – ₹550
1 किलो – ₹ 800
जल्दी कीजिए…सभी प्रकार के मखाने सीमित मात्रा | में उपलब्ध हैं। विशेष माँग पर 2 दिन के अंदर किसी भी किस्म के मखाने आप घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं। ऑर्डर करने के लिए संपर्क करें- ……………….

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए- 5

  • वैश्विक महामारी करोना
  • मेलजोल
  • सद्भावना

अथवा

नीचे दी गई पंक्तियों को पूरा करते हुए लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए।

  • ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’

उत्तरः
सद्भावना कोरोना महामारी के चलते सभी अपने-अपने घरों में बंद थे। इतना लंबा समय शायद ही हमने कभी घर में रहकर बिताया हो। हम सब तो अपने-अपने घरों में मोबाइल और लैपटॉप पर कामों में व्यस्त रहते थे। घर के पास में ही एक मकान बन रहा था जिसमें चौकीदार अपने परिवार के साथ रहता था, चार छोटे बच्चे थे जो आते जाते-नमस्ते करते, उदास घूमते रहते थे। मैं कुछ-न-कुछ उन्हें देने की कोशिश करती पर कई बार मैंने महसूस किया उन्हें लेने में संकोच होता था। मैंने सोचा क्यों न उन्हें कोई ऐसा काम दिया जाए ताकि वे व्यस्त भी रहें और कुछ लेने में संकोच भी न करें।

हमारी कॉलोनी के बीचों-बीच एक बड़ा पार्क था। माली भैया आ नहीं रहे थे तो पार्क की देखभाल नहीं हो पा रही थी। मैं सुबह पार्क में चक्कर लगाने जाती थी। तब वे बच्चे भी वहीं घूम रहे होते थे। एक दिन मैंने बोला “चलो, मिलकर पार्क की सफाई करते हैं। बच्चे झट से अपने घर से झाडू ले आए और एक बच्चा बाल्टी ले आया, नल से पानी भर-भर कर उसने सभी पेड़-पौधों को पानी दिया। इधर-उधर पड़े कागज, प्लास्टिक उठाकर कूड़ेदान में डाले। हमारा रोज का क्रम बन गया। शाबाशी देते हुए मैं उनसे काम करवाती और उसके बाद घर जाकर उन्हें कभी खाने का सामान, कभी कपड़े दे देती। पार्क के साथ-साथ बच्चों की भी रंगत बदल गई। उन दोनों को ही देखकर मेरे दिल को जो सुकून मिलता उसका तो कहना ही क्या। प्रकृति और एक-दूसरे के प्रति सद्भावना बहुत बड़ा सुखद परिवर्तन ला सकती है।

अथवा

(ख) मन के हारे हार है मन के जीते जीत:
कक्षा छठी तक मैं सरकारी स्कूल में पढ़ी थी। माता-पिता प्राइवेट स्कूल की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे, किंतु छठी के बाद दीदी की जिद से मम्मी-पापा ने मुझे प्राइवेट स्कूल में दाखिल करा दिया।

सरकारी स्कूल से प्राइवेट स्कूल में जाने पर मुझे जमीन-आसमान का अंतर नजर आया। प्राइवेट स्कूल के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे। मुझे शर्म आने लगी, मैं उनके साथ घुल-मिल नहीं सकी। सभी विषय भी अंग्रेजी में पढ़ाए जाते थे, मैं बहुत घबरा गई। माँ ने मुझे समझाया “अगर तुम इस तरह से हार मान जाओगी, तो तुम्हारी हार निश्चित ही हो जाएगी। कोशिश करो, सहपाठियों के साथ बातचीत शुरू करो, अध्यापिकाओं से बेझिझक सवाल करो।

माँ के प्रोत्साहन से मैं हिम्मत करके स्कूल गई। आत्मविश्वास के साथ कुछ बच्चों से बातचीत हुई। मेरी अंग्रेजी की अध्यापिका शायद मुझे कुछ दिन से देख रही थीं, उन्होंने मुझे अलग से बुलाया और समझाया कि “भाषा तुम्हारे आगे बढ़ने में बाधा नहीं बन सकती। तुम पढ़ाई में ध्यान दो। अंग्रेजी भाषा का डर अपने दिल से निकाल दो। अंग्रेजी की कहानियाँ पढ़ो, छोटे-छोटे वाक्यों बोलना शुरू करो, फिर तुम्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।” मैंने वही किया। अंग्रेजी का समाचार पत्र पढ़ने लगी, दीदी के साथ थोड़ी-थोडी अंग्रेजी बोलनी शुरू की और देखते-देखते कुछ दिन में मेरी झिझक दूर हो गई। जब अंग्रेजी बोलने का आत्मविश्वास आया तो सभी विषय भी समझ में आने लगे और मैं कक्षा में जवाब भी देने लगी। अपने डर पर जीत हासिल करके उस कथन को सही सिद्ध किया कि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’।