NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि
(क) उस समय लड़कियों की दशा कै री थी?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर:
(क) महादेवी वर्मा के बचपन के समय लड़कियों की दशा बहुत अच्छी न थी। लड़कियों के प्रति समाज की सोच अच्छी न थी। लड़कियों को बोझ समझा जाता था। उनके पैदा होने पर लोगों को दुख होता था। वे उन्हें मार देते थे। खुद लेखिका का परिवार इसका उदाहरण है जहाँ दो सौ वर्षों तक कोई लड़की पैदा नहीं हुई।

(ख) उस समय की तुलना में आज लड़कियों की दशा में बहुत बदलाव आ गया है। यद्यपि विज्ञान और तकनीक का कुछ लोग दुरुपयोग करके कन्या भ्रूणहत्या करवा देते हैं पर इसके विरुद्ध कानून बन जाने से स्थिति में सुधार आया है। विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे-लाडली योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, विभिन्न स्थानों पर महिलाओं के लिए आरक्षण, बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्ति आदि सुलभ होने के कारण अब लड़कियों को बोझ नहीं समझा जाता है। इस तरह परिस्थितियों में सुधार आया है।

प्रश्न 2.
लेखिका उर्द-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
उत्तर:
लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई क्योंकि

  1. उसके घर में उर्दू-फारसी का माहौल न था, जिससे बचपन में उसे इस भाषा को सीखने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिला।
  2. लेखिका के मन में यह बात बैठ गई थी कि उर्दू-फारसी सीखना उसके वश की बात नहीं।
  3.  इस भाषा को सीखने में वह रुचि नहीं लेती थी।
  4. उर्दू सिखाने वाले मौलवी के आने पर वह चारपाई के नीचे छिप जाया करती थी।

प्रश्न 3.
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताओं का उल्लेख किया है-

  • वह परिवार में हिंदी भाषा लाई
  • पूजा-पाठ में उनकी विशेष रुचि थी।
  • वे संस्कृत जानती थी और गीता पढ़ती थीं।
  • वे मीरा के पद तथा प्रभाती ‘जागिए कृपा निधान पंछी बन बोले’ गाती थी।
  • वे ब्रज भाषा में पद रचना भी करती थीं।

प्रश्न 4.
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है? [Imp.]
उत्तर:
जवारा के नवाब और लेखिका का परिवार एक ही कंपाउंड में रहता था। मुसलमान और हिंदू परिवार होने के बाद भी दोनों परिवारों के संबंध बहुत अच्छे थे। दोनों के त्योहारों को एक-दूसरे के परिवार वाले मिल-जुलकर मनाते थे। एक का जन्मदिन दूसरे के परिवार में मनाया जाता था।

रक्षाबंधन के दिन लेखिका नवाब के बेटे को राखी बाँधती थी तो मुहर्रम के दिन लेखिका के परिवार के बच्चे हरे कपड़े पहनते थे। लेखिका के छोटे भाई को मनमोहन नाम नवाब की पत्नी द्वारा ही दिया गया था।

आज हिंदू और मुसलमान के नाम पर जगह-जगह दंगे होते हैं। इसके अलावा धर्म, संप्रदाय आदि के नाम पर वैमनस्यता उत्पन्न हो गई है। उस तरह के सांप्रदायिक सद्भाव सचमुच स्वप्न बनकर रह गए हैं।

प्रश्न 5.
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर:
जेबुन्निसा की जगह यदि मैं होती तो और महादेवी वर्मा का कुछ काम करती तो महादेवी से अपेक्षा भी रखती कि

  • वे पढ़ाई में मेरी मदद कर दिया करें।
  • वे मुझे तुकबंदी करना सिखाएँ।
  • वे अपने साथ मुझे भी कवि सम्मेलनों में ले जाया करें ताकि कविता पाठ का आनंद मैं भी उठा सकें।

प्रश्न 6.
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर:
देशहित में या देश पर आई किसी आपदा निवारण के लिए मैं पुरस्कार में मिली कोई वस्तु या अपनी निजी वस्तु सहर्ष दे दूंगा। पुरस्कार से प्यार तो मुझे भी है पर देशहित की बात आने पर यह प्यार देश के लिए बढ़ जाएगा। मेरे लिए व्यक्तिगत हित, देशहित के सामने कोई महत्त्व नहीं रखता है।

प्रश्न 7.
लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर:
महादेवी क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल के छात्रावास में रहती थीं वहाँ कई प्रांतों से लड़कियाँ पढ़ने आती थीं। उनकी मातृभाषा और बोली-भाषा अलग थी। उनमें कुछ अवधी बोलती थी तो कुछ ब्रज और कुछ बुंदेलखंडी। सब हिंदी में पढ़ाई करती थी। सब एक ही मेस में खाती थी। एक ही प्रार्थना में खड़ी होती। वहाँ सांप्रदायिकता या वाद-विवाद जैसी कोई बात नहीं थी।

प्रश्न 8.
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर:
मैं जहाँ रहता हूँ वहीं पास में कुछ मुसलमानों के घर भी हैं। एक बार पाकिस्तान | भारत के साथ क्रिकेट के एक नजदीकी मुकाबले में हार गया। कुछ शरारती लड़कों ने मुसलमानों के घर के पास पटाखे फोड़ दिया। यह बात मुसलमानों को नागवार गुजरी। उन्होंने एक हिंदू लड़के को पीट दिया। बस क्या था, दंगे जैसी स्थिति बन गई।

पता चला कि दोनों ओर के दस आदमी घायल हो चुके हैं। मैं उस दिन अपनी कोचिंग की कक्षाएँ समाप्त कर दस बजे लौट रहा था कि सबसे किनारे वाले मकान के रऊफ चाचा ने मुझे अंदर खींच लिया और सारी बातों से अवगत कराया। उन्होंने मेरे घरवालों को फोन किया।
घरवाले पुलिस के साथ वहाँ आए और रऊफ चाचा को धन्यवाद देकर मुझे घर ले गए। यह घटना याद कर मैं आज भी रऊफ चाचा का कृतज्ञ हो उठता हूँ।

प्रश्न 9.
महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर:
सोमवार
15 अगस्त, 2016 आज विद्यालय में प्रातः 9 बजे स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। इस राष्ट्रीय पर्व के शुभ अवसर पर आगंतुकों, अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की गई तथा मंच सजाया गया। प्रातः 8बजे से ही देशभक्तिपूर्ण गीत बजाए जा रहे थे। मुख्य अतिथि के आते ही दीप प्रज्वलित करके सरस्वती वंदना की गई और सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गया।

इसी कार्यक्रम में मुझे राष्ट्र कवि दिनकर की कविता ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। का पाठ करना था। मन में भय की लहर जब-तब दौड़ जाती थी। एक उत्सुकता भी थी कि कब मेरा नाम पुकारा जाए, अंततः उद्घोषक ने मेरा नाम पुकारा। मैं सहमा-सा मंच गया। मन में सरस्वती माँ का स्मरण किया और कविता पढ़ना शुरू कर दिया। कविता होते ही जब तालियाँ बजी तब मन खुशी से भर गया। मैं खुशी मन से आकर अपनी सीट पर बैठ गया और बाकी कार्यक्रम का आनंद उठाने लगा।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10.
पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए

  1. विद्वान,
  2. अनंत,
  3. निरपराधी,
  4. दंड,
  5. शांति।

उत्तर:

  1. विद्वान – विदुषी (विपरीतलिंग)
  2. अनंत – अंत
  3. निरपराधी – अपराधी
  4. दंड – पुरस्कार
  5. शांति – बेचैनी।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए
निराहारी               –     निर्      +     आहार       +     ई
सांप्रदायिकता
अप्रसन्नता
अपनापन
किनारीदार
स्वतंत्रता
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 1

प्रश्न 12.
निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए
उपसर्ग – अन्, अ, सत् स्व, दुर्
प्रत्यय – दार, हार, व, अनीय
उत्तर:
उपसर्ग   –

  • अन् – अनधिकार, अनादर ,
  • अ – अन्याय, अकाल
  • सत् – सत्संगति, सत्पथ
  • स्व – स्वाध्याय, स्वराज्य
  • दुर – दुर्गति, दुराचार

प्रत्यय    –

  • दार – हवादार, देनदार
  • हार – तारनहार, पालनहार
  • वाला – ताँगेवाला, रिक्शावाला
  • अनीय – दयनीय, पूजनीय।

प्रश्न 13.
पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-
पूजा -पाठ                                   पूजा और पाठ
……………………..                            …………………….
…………………….                             …………………….
…………………….                             …………………….
…………………….                             …………………….
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 2

पाठेतर सक्रियता

• बचपन पर केंद्रित मैक्सिम गोर्की की रचना ‘मेरा बचपन’ पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• ‘मातृभूमि : ए विलेज विदआउट विमेन’ (2005) फिल्म देखें। मनीष झा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में कन्या भ्रूण हत्या की त्रासदी को अत्यंत बारीकी से दिखाया गया है।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• कल्पना के आधार पर बताइए कि लड़कियों की संख्या कम होने पर भारतीय समाज का रूप कैसा होगा? :
उत्तर:
यदि देश में लड़कियों की संख्या कम हो गई तो बहुत ही चिंताजनक स्थितियाँ बन जाएंगी। प्रत्येक पुरुष का विवाह नहीं हो सकेगा। इसलिए कुँवारे पुरुष गलत रास्तों की ओर चल पड़ेंगे। समाज में बलात्कार जैसी घटनाएँ बढ़ेगी। स्त्रियों का बाजारों में निकलना भी कठिन हो जाएगा। दूसरी ओर वेश्यावृत्ति बढ़ेगी। यह भी हो सकता है कि एक स्त्री का दो-तीन पुरुषों के साथ विवाह हो। इससे हमारी समाज-व्यवस्था में उथल-पुथल मच जाएगी।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 4

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 माटी वाली

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 माटी वाली.

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.
‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?
उत्तर:
शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। मेरी समझ में इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  • माटी वाली नाटे कद की बुढ़िया थी जो कंटर में माटी लाया करती थी।
  • माटी वाली यह कार्य करने वाली अकेली महिला थी जो घर-घर लाल माटी दिया करती थी।
  • टिहरी शहर की रेतीली मिट्टी से लिपाई नहीं की जा सकती थी। इसलिए उसकी मिट्टी की ज़रूरत हर घर को थी।
  • वह टिहरी शहर में वर्षों से मिट्टी दे रही थी।
  • शहर में रहने वाले यहाँ तक किराएदार भी उसी से मिट्टी लेते थे।
  • उसका कंटर, जिसमें ढक्कन नहीं होता था, अपनी विशेष पहचान रखता था।

प्रश्न 2.
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था? [Imp.]
उत्तर:
माटी वाली समाज के अत्यंत गरीब मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। वह सुबह जल्दी उठकर माटाखान जाती तथा मिट्टी खोदकर कंटर में भरती और मिट्टी सहित कंटर सिर पर रख शहर में घर-घर घूमती थी। इसके बदले में लोग उसे एक-दो सूखी रोटियाँ कभी-कभी ताजा-बासी साग या चाय दे देते। उसे अपनी बीमार पति की चिंता भी रहती थी।
उसकी देखभाल भी वही करती थी। अपनी इसी दिनचर्या को अपनी नियति मानकर वह जिए जा रही थी। ऐसे में उसके पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का ज्यादा समय न था।

प्रश्न 3.
“भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ अभिप्राय यह है कि भूख ने होन पर यदि स्वादिष्ट और उच्च कोटि का भोजन मिलता है। तो भी खाने का मन नहीं करता है। इसके विपरीत यदि भूख लगी हो तो रूखा-सूखा या बासी खाना जैसे भी खाने को मिल जाए तो भी रुचिकर लगता है। उसे खाकर पेट ही नहीं भरते वरन संतुष्टि की अनुभूति करते हैं। अतः भोजन मीठा नहीं होता है, भूख मीठी होती है।

प्रश्न 4.
पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’-मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हमारे घरों में पूर्वजों के अथक परिश्रम से बनाई हुई कुछ पुरानी वस्तुएँ होती हैं जो उनके न रहने पर भी पूर्वजों की याद दिलाती हैं। पीढ़ियों से चली आ रही यही धरोहर विरासत के नाम से जानी जाती है।
हमें इनका महत्त्व इनका मूल्य देखकर नहीं समझना चाहिए। हमें यह अनुमान लगाना चाहिए कि अपनी आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी कमी करके बचाई गई राशि से उन्होंने यह सब बनाया होगा। इसके लिए उन्हें कितनी ही मेहनत करनी पड़ी होगी।
लोग धरोहर का मूल्य समझे बिना, उन्हें अनुपयोगी वस्तु समझकर औने-पौने दाम में बेच दिया करते हैं। वे आज के दौर की सौंदर्य वृदृधि वाली वस्तुएँ खरीद लेते हैं तथा अपने पूर्वजों की यादें नष्ट करते हैं। हमें अपने पूर्वजों की बनाई वस्तुओं को सहेजकर रखना चाहिए तथा उनकी रक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
माटी वाली की रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है? [Imp.]
उत्तर:
माटी वाली जब किसी घर में चाय के समय पर माटी देने पहुँच गई तो घर की मालकिन ने उसे दो रोटियाँ दीं, जिनमें से माटी वाली ने एक खा लिया और दूसरा कपड़े में लपेट दिया। सामने वाले घर से कामिनी नामक लड़की के बुलाने पर जब वहाँ गई तो माटी लाने के लिए उसे दो रोटियाँ और मिल गईं जिन्हें उसने कपड़े में बाँध लिया। घर जाते हुए वह सोच रही थी कि ये रोटियाँ वह अपने बीमार अशक्त बुड्ढे के सामने परोस देगी। वह हद से हद एक या डेढ़ रोटियाँ ही खा सकेगा। बाकी डेढ़ रोटियों से वह अपना काम चला लेगी। उसके द्वारा रोटियों का ऐसा हिसाब लगाया जाना उसकी घोर गरीबी की ओर संकेत करता है कि वह किस तरह दूसरे घरों से मिली रोटियों पर गुजर करने को विवश है।

प्रश्न 6.
आज माटी वाली बुड़े को कोरी रोटियाँ नहीं देगी-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
माटी वाली को घर-घर माटी पहुँचाने से इतनी आय नहीं हो पाती थी कि वह कुछ साग या सब्जी खरीद सके। उसे घर की मालकिनों से जो एक-दो रोटियाँ मिल जाती थीं उन्हें ही बचाकर अपने बीमार पति (बूढ़े) के लिए ले जाती थी। वह इन रोटियों को साग या सब्ज़ी के बिना ही खा लिया करता था।
माटी वाली इस बात से दुखी है पर विवश है कि वह कुछ कर भी नहीं सकती है। उस दिन जब वह तीन रोटियाँ बचाकर ले जा रही थी तो सोच रही थी कि आज वह कुछ प्याज (एक-पाव) खरीद कर ले जाएगी और अपने बूढ़े को रोटियों के साथ प्याज कूटकर देगी। रोज सूखी रोटियाँ खाने वाला उसका बीमार पति आज तो प्याज के साथ रोटियाँ खा लेगा।

प्रश्न 7.
‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए। [Imp.]
उत्तर:
‘गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए’–कथन का आशय यह है कि गरीब आदमी अपनी गरीबी के बोझ तले दबा होता है। ऐसे आदमी के पास न रहने का कोई ठिकाना होता है न जीविका का कोई साधन। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को मरने के बाद शमशान घाट पर ही ठिकाना मिलता है जहाँ उसकी माटी जलाई या दफनाई जाती है। शमशान उजड़ने के बाद गरीब आदमी का अंतिम ठिकाना भी नष्ट हो जाएगा। अतः गरीब आदमी का शमशान हर हाल में बचा रहना चाहिए।

प्रश्न 8.
विस्थापन की समस्या पर एक अनुच्छेद लिखिए। [Imp.]
उत्तर:
आज व्यक्ति, समाज, देश सभी प्रगति के पथ पर अग्रसर होकर विकास करना चाहते हैं। विकास के लिए देश में बिजली, पानी, सड़कें आदि की अच्छी व्यवस्था बहुत ही आवश्यक है।

जिन स्थानों पर बिजली, सड़क संबंधी परियोजनाएँ स्थापित की जाती हैं वहाँ के नागरिकों की जमीन को अधिग्रहीत कर लिया जाता है। इसके बदले उन्हें कहीं अन्यत्र स्थान दिया जाता है। विस्थापितों के लिए मात्र जगह दे देने से ही समस्या हल नहीं हो जाती है। लोगों को अपना बसा-बसाया घर छोड़ने के साथ व्यवसाय तथा खेती-बारी से भी दूर होना पड़ता है।

सरकारी आदेश की अवहेलना भी नहीं की जा सकती है। लोग अपने पुरखों की बनाई ज़मीन-जायदाद, घर आदि को छोड़ना नहीं चाहते हैं। उनके लिए ऐसा कर पाना बहुत ही कष्टकर होता है।

कुछ लोग इस दुख को नहीं सह पाते हैं और विक्षिप्त जैसे हो जाते हैं तो कुछ लोग मृत्यु को प्राप्त कर लेते हैं।
सबसे बुरी स्थिति उन लोगों की होती है जो किसी ज़मीन पर रहते तो हैं पर उनके पास जमीन का कोई प्रमाण पत्र नहीं होता है। इसके अभाव में वे नई जगह में अपना आवास नहीं बना सकते हैं तथा उनके पास जो था उससे भी हाथ धो बैठते हैं।

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Structure of Carbonyl Group

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Structure of Carbonyl Group

The carbonyl carbon Structure of Carbonyl Group img 1 is sp2 hybridised and the carbon – oxygen bond is similar to carbon – carbon double bond in alkenes. The carbonyl carbon forms three σ bonds using their three sp2 hybridised orbital. One of the sigma bond is formed with oxygen and the other two with hydrogen and carbon (in aldehydes) or with two carbons (in ketones).

All the three ‘σ’ bonded atoms are lying on the same plane as shown in the fig (12.1). The fourth valence electron of carbon remains in its unhybridised ‘2p’ orbital which lies perpendicular to the plane and it overlaps with 2p orbital of oxygen to form a carbon – oxygen π bond. The oxygen atom has two nonbonding pairs of electrons, which occupy its remaining two p-orbitals.

Oxygen, the second most electro negative atom attracts the shaired pair of electron between the carbon and oxygen towards itself and hence the bond is polar. This polarisation contributes to the reactivity of aldehydes and ketones.

Structure of Carbonyl Group img 2

A carbonyl group is a chemically organic functional group composed of a carbon atom double-bonded to an oxygen atom → [C=O]. The simplest carbonyl groups are aldehydes and ketones usually attached to another carbon compound. These structures can be found in many aromatic compounds contributing to smell and taste.

Properties of Carbonyl Compounds:

  1. These are to be polar in nature. They exhibit both positive and negative charge in slight form.
  2. These compounds are reported to be insoluble in water but sometimes they dissolve other forms of polar molecules.
  3. These are known to be as chemically reactive compounds.

Carbonyl group, in organic chemistry, a divalent chemical unit consisting of a carbon (C) and an oxygen (O) atom connected by a double bond.

Formula of Carbonyl Group

Both organic families have the general formula CnH2nO. The carbonyl functional group (C = O) consists of a carbon atom double-bonded to an oxygen atom. The position of the C=O. functional group in the carbon chain marks the difference between aldehydes and ketones.

Examples:

Examples of inorganic carbonyl compounds are carbon dioxide and carbonyl sulphide. A special group of carbonyl compounds are 1, 3-dicarbonyl compounds that have acidic protons in the central methylene unit. Examples are Meldrum’s acid, diethyl malonate and acetylacetone.

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 एक फूल की चाह

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है-
(i) सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।
उत्तर:
मेरा हृदय काँप उठता था,
बाहर गई निहार उसे;

(ii) पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।
उत्तर:
ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;
स्वर्ण-कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि-कर-जाले।

(iii) पुजारी से प्रसाद/फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन:स्थिति।
उत्तर:
भूल गया उसका लेना झट,
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोच,-बेटी को माँ के ये
पुण्य-पुष्प हूँ जाकर मैं।

(iv) पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।
उत्तर:
अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको ले न सका मैं हा!
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा!

(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?
उत्तर:
बीमार बच्ची सुखिया ने अपने पिता के सामने यह इच्छा प्रकट की कि वह उसके लिए (सुखिया के लिए) मंदिर से देवी के प्रसाद का एक फूल ला दें।

(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?
उत्तर:
सुखिया के पिता पर निम्नलिखित आरोप लगाकर दंडित किया गया-

  • वह अछूत है। उसने मंदिर में जबरदस्ती प्रवेश करके मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा नष्ट की है।

(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?
उत्तर:
जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने सुखिया को घर में नहीं पाया। उसकी मृत्यु जानकर वह श्मशान भागा हुआ गया जहाँ उसके निकट संबंधी सुखिया को जला चुके थे। चिता की आग बुझ चुकी थी। अब वहाँ राख की ढेरी मात्र थी। उसने अपनी फूल-सी बच्ची को राख की ढेरी के रूप में पाया।

(ङ) इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए। [CBSE]
उत्तर:
इस कविता का केंद्रीय भाव यह है कि छुआछूत मानवता पर कलंक है। किसी को जन्म के आधार पर अछूत मानना और उसे मंदिर में प्रवेश न करने देना अपराध है। सुखिया के पिता को तथाकथित भक्तों ने केवल इसलिए पीटा क्योंकि वह अछूत था। इस कारण उसे मंदिर में नहीं आने दिया गया। न्यायालय ने भी उस पर अन्याय किया। उसे सात दिनों की सज़ा केवल इसलिए सुनाई गई क्योंकि उसने मंदिर में घुसकर मंदिर की पवित्रता नष्ट की थी। कवि कहना चाहता है कि अछूतों पर किए जाने वाले ये अत्याचार घिनौने हैं। इन्हें रोका जाना चाहिए।

(च) इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/बिंबों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण : अंधकार की छाया
उत्तर:

  1. कितना बड़ा तिमिर आया!
  2. कब आई संध्या गहरी
  3. हाय वही चुपचाप पड़ी थी
  4. मंदिर था विस्तीर्ण विशाल
  5. हुई राख की थी ढेरी!

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए-
(क)अविश्रांत बरसा करके भी
 आँखें तनिक नहीं रीतीं
उत्तर:
आशय-सुखिया के पिता की आँखें निरंतर बहती रहीं। फिर भी उनमें से आँसू नहीं थमे। उसके हृदय की वेदना कम नहीं हुई।
अर्थ-सौंदर्य-इसमें सुखिया के पिता की असीम वेदना पूरे वेग से प्रकट हुई है। उसकी वेदना अनंत है। विशेषोक्ति अलंकार का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। बहुत कुछ बरसने के बाद भी वे आँसुओं से भरी रहीं।

(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी
उत्तर:
आशय- सुखिया के पिता ने देखा कि सुखिया की चिता बुझ चुकी थी। उसकी फूल जैसी कोमल बच्ची अब इस दुनिया में नहीं थी। उसे अपनी बच्ची की जगह राख की ढेरी मिली। इससे उसके हृदय का दुख और भी बढ़ गया।

अर्थ सौंदर्य- सुखिया के पिता ने देखा कि उसके निकट संबंधियों ने जो चिता जलाई थी, वह बुझ चुकी है, परंतु इससे सुखिया के हृदय की चिता धधकने लगी। एक चिता का बुझना, दूसरी को धधकना हृदय के बढ़े दुख की अभिव्यक्ति कर रहा है।

(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर ।
उत्तर:
आशय-सुखिया के पिता ने अपनी बेटी को बीमारी की अवस्था में बिस्तर पर पड़े देखा। उसे याद आया कि सुखिया बहुत चंचल थी, शरारती थी। वह पल-भर के लिए भी टिककर नहीं बैठती थी। आज वही नटखट लड़की बीमारी की लाचारी के कारण बिस्तर पर ऐसे चुपचाप लेटी पड़ी थी मानो वह शांति की स्थिर मूर्ति हो।
अर्थ-सौंदर्य-इसमें बीमारी की मनोदशा में उत्पन्न होने वाली मौन उदासी का हृदयद्रावक चित्रण हुआ है।
‘अटल शांति-सी’ उपमा बहुत सुंदर बन पड़ी है। ‘हाय’ शब्द से हृदय की वेदना व्यक्त हो चली है।

(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर ।
किया अनर्थ बड़ा भारी
उत्तर:
आशय- सुखिया का पिता अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर से देवी का प्रसाद लेने गया। उस अछूत के मंदिर में प्रवेश करने को मंदिर की पवित्रता भंग करने और देवी को अपमानित करने वाला माना गया। उसका मंदिर में प्रवेश करना भारी अनर्थ होने जैसा था।
अर्थ-सौंदर्य- एक अछूत द्वारा मंदिर में प्रवेश करना समाज के तथाकथित उच्च वर्ग को ऐसा लग रहा था, जैसे बड़ा भारी अनर्थ हो गया। अर्थात् अब देवी रुष्ट हो जाएगी और भारी तबाही मच जाएगी। इस भाव के लिए बड़ा भारी अनर्थ शब्द का प्रयोग हुआ है।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘एक फूल की चाह’ एक कथात्मक कविता है। इसकी कहानी को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
‘एक फूल की चाह’ का संक्षिप्त कहानी रूप सुखिया नाम की एक अछूत कन्या थी, जो सदैव हँसती-खेलती रहती थी। एक बार उस क्षेत्र में भयंकर महामारी फैली, जिसकी चपेट में सुखिया भी आ गई। उसे बुखार ने जकड़ लिया। धीरे-धीरे उसका चलना-फिरना, उठना-बैठना बंद हो गया। उसका शरीर कमज़ोर हो गया। यहाँ तक कि आवाज़ भी कमज़ोर पड़ने लगी। उसने अर्ध बेहोशी की हालत में अपने पिता से मंदिर से देवी के प्रसाद का एक फूल लाने के लिए कहा। उसके पिता ने उसकी इच्छा पूरी करने की कोशिश की और स्वच्छ कपड़े पहनकर मंदिर में चला गया। वहाँ पूजा के समय दीप-धूप चढ़ाकर प्रसाद के फूल लेकर आ रहा था कि मंदिर में कुछ सवर्ण भक्तों ने पहचान लिया और चिल्लाकर कहा कि यह अछुत मंदिर में कैसे आ गया।

उन्होंने उस अछूत पिता को मारा-पीटा और न्यायालय ले गए जहाँ उसे सात दिनों का कारावास मिला। कारावास का दंड भोगकर जब वह घर गया तो सुखिया उसे नहीं मिली। उसके मरने की बात जानकर वह भागा-भागा श्मशान गया जहाँ उसे अपनी बच्ची की जगह राख की ढेरी मिली। उसने अपना दुख प्रकट करते हुए कहा, “हाय ! मेरी फूल-सी बच्ची राख की ढेरी बन चुकी है। मैं माता के प्रसाद का एक फूल देकर उसकी अंतिम इच्छा भी न पूरी कर सका।”

प्रश्न 2.
‘बेटी’ पर आधारित निराला की रचना ‘सरोज-स्मृति’ पढ़िए।
उत्तर:
पुस्तकालय से पुस्तक निकलवाकर पढ़िए।

प्रश्न 3.
तत्कालीन समाज में व्याप्त स्पृश्य और अस्पृश्य भावना में आज आए परिवर्तनों पर एक चर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:
समाज की तत्कालीन परिस्थितियों और वर्तमान परिस्थितियों पर छात्र स्वयं चर्चा करें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 14

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
‘इस विजन में ………… अधिक है’-पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है। और क्यों?
उत्तर:
‘इस विजन में …… अधिक है’ पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का आक्रोश यह है कि नगरों में सब अपनी रोटी-रोजी और स्वार्थ पूर्ति में इतने रम गए हैं कि उन्हें व्यवसाय और पैसों के अलावा कुछ नज़र नहीं आता है। इस आक्रोश का कारण यह है कि लोग पैसों के चक्कर में प्रेम, सौंदर्य, सहज मानवीय व्यवहार भूलने के साथ प्रकृति से भी दूर होते चले गए हैं।

प्रश्न 2.
सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा? [CBSE][Imp.]
उत्तर:
कवि देखता है कि खेत में चना, अलसी आदि छोटे हैं वही सरसों उनकी तुलना में बढ़कर लंबी और बड़ी हो गई है। उसमें पीले फूल भी नजर आ रहे हैं। यह देख कवि सरसों को सयानी कहना चाहता है। वह अन्य फसलों से बढ़कर हाथ पीले कर विवाह मंडप में जाने को तैयार है।

प्रश्न 3.
अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
अलसी प्रेमातुर नायिका है। उसकी कमर लचीली और शरीर दुबला-पतला है। वह अपने सिर पर नीले फूल धारण करके कह रही है कि इन फूलों को जो छुएगा उसे वह अपने हृदय का दान दे देगी।

प्रश्न 4.
अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर:
अलसी के लिए हठीली विशेषण का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि-

  1. किसान ने उसे चने से अलग कतार में बोया होगा, पर वह हठपूर्वक चने के पास उग आई है।
  2. दुबले शरीर वाली अलसी बार-बार हवा के झोंके से झुक जाती है और उठकर खड़ी हो जाती है और फिर चने के बीच नजर आने लगती है।
  3. उसकी हठ है कि उसके सिर पर सजे नीले फूलों को छूने वाले को ही अपना दिल दे देगी।

प्रश्न 5.
‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’ में कवि की किस सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है? [Imp.]
उत्तर:
पोखर के पानी में सूर्य का प्रतिबिंब बनना एक प्राकृतिक एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे लोग सदियों से देखते आए हैं। कवि को यही प्रतिबिंब चाँदी के बड़े से गोल खंभे के रूप में दिखाई देता है। इससे कवि की सर्वथा अनूठी एवं सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है।

प्रश्न 6.
कविता के आधार पर हरे चने’ का सौंदर्य अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर:
हरे चने का पौधा आकार में छोटा है। वह अपने सिर पर गुलाबी रंग की पगड़ी बाँधे खड़ा है। उसे देखकर लगता है कि वह दूल्हे के रूप में सजकर खड़ा है।

प्रश्न 7.
कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?
उत्तर:
‘ग्राम श्री’ कविता में एक नहीं अनेक स्थानों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है; जैसे-

  1. बाँधे मुरैठा शीश पर
    छोटे गुलाबी फूल को
    सज कर खड़ा है।
  2. नील फूले फूल को सिर पर चढ़ाकर
    कह रही है, जो छुए यह
    हूँ हृदय का दान उसको।
  3. हाथ पीले कर लिए हैं।
    व्याह मंडप में पधारी।
  4. फाग गाता मास फागुन
    आ गया है आज जैसे।
  5. प्रकृति का अनुराग-अंचलं हिल रहा है।
  6. हैं कई पत्थर किनारे
    पी रहे चुपचाप पानी
  7. देखते ही मीन चंचल
    ध्यान-निद्रा त्यागता है।

प्रश्न 8.
कविता में से उन पंक्तियों को ढूंढिए जिनमें निम्नलिखित भाव व्यंजित हो रहा है और चारों तरफ़ सूखी और उजाड़ जमीन है लेकिन वहाँ भी तोते का मधुर स्वर मन को स्पंदित कर रहा है।
उत्तर:
चित्रकूट की अनगढ़ चौड़ी
कम ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ
दूर दिशाओं तक फैली हैं।
बाँझ भूमि पर
इधर-उधर रीवा के पेड़
काँटेदार कुरूप खड़े हैं।
सुन पड़ता है।
मीठा-मीठा रस टपकाता
सुग्गे का स्वर
टें टें हें टें;

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 9.
‘और सरसों की न पूछो’-इस उक्ति में बात को कहने का एक खास अंदाज है। हम इस प्रकार की शैली का प्रयोग कब और क्यों करते हैं?
उत्तर:
‘और सरसों की न पूछो’-इस प्रकार की शैली का प्रयोग हम किसी की प्रशंसा, आश्चर्य, निंदा करने का भाव व्यक्त करने के लिए करते हैं। उदाहरणार्थ-दशहरी आम की मिठास बताने के लिए विक्रेता कह देता है- “इस आम की मिठास न पूछो।” इस प्रकार की शैली का प्रयोग हम भावातिरेक की दशा में करते हैं।

प्रश्न 10.
काले माथे और सफ़ेद पंखों वाली चिड़िया आपकी दृष्टि में किस प्रकार के व्यक्तित्व का प्रतीक हो सकती है?
उत्तर:
काले माथे और सफेद पंखों वाली चिड़िया किसी सफेदपोश व्यक्तित्व का प्रतीक हो सकती है। इसी चिड़िया की तरह ही वह भी अपने शिकार पर नज़र रखता है। वह परोपकार, समाजसेवा आदि का दावा करता फिरता है परंतु अवसर मिलते ही अपना काम कर जाता है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 11.
बीते के बराबर, ठिगना, मुरैठा आदि सामान्य बोलचाल के शब्द हैं, लेकिन कविता में इन्हीं से सौंदर्य उभरा है और कविता सहज बन पड़ी है। कविता में आए ऐसे ही अन्य शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर:
कविता में आए सामान्य बोलचाल के कुछ शब्द हैं चंद गहना, मेड़, नीले फूले, सयानी, फाग, फागुन, पोखर, चकमकाता, टाँग, माथ, उजली, चट, झपाटे, चटुल, औ, अनगढ़, बाँझ, सुग्गा, टें टें दें टें, जुगुल, चुप्पे-चुप्पे।

प्रश्न 12.
कविता को पढ़ते समय कुछ मुहावरे मानस-पटल पर उभर आते हैं, उन्हें लिखिए और अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर:
कविता में आए कुछ मुहावरे निम्नलिखित हैं-

  1. बीता भर                  जरा-सा, छोटा-सा   –  बीता-भर का दिखने वाला यह साँप बहुत ही जहरीला है।
  2. सिर चढ़ाना              बढ़ावा देना            –  प्यार में संतान को इतना मत सिर पर चढ़ाओ कि वह एक दिन
    परिवार के लिए मुसीबत बन जाए।
  3. हृदय का दान देना    समर्पित होना         –  सुमन तो कब से हृदय का दान दे चुकी थी।
  4. हाथ पीले करना       विवाह करना         –  दहेज-प्रथा ने गरीब माँ-बाप की चिंता बढ़ा दी है कि वह
    अपनी बेटियों का हाथ कैसे पीला करें।
  5. गले में डालना          जल्दी से खाना       –  ठेकेदार को आता देख मज़दूर ने जल्दी से रोटियाँ गले में
    डालीं और काम पर लग गया।
  6. हृदय चीरना            दुख पहुँचाना          –  कठोर बातें हृदय चीर देती हैं।
  7. प्यास बुझाना          तृप्त होना               –  कुएँ के शीतल जल ने हम दोनों की प्यास बुझा दी।
  8. झपाटे मारना          अचानक टूट पड़ना –  बाज ने झपाटे मारकर चिड़िया के बच्चे को दबोचा और
    उड़ गया।

पाठेतर सक्रियता 

• प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

देहात का दृश्य

अरहर कल्लों से भरी, हुई फलियों से झुकती जाती है,
उस शोभासागर में कमला ही कमला बस लहराती है।
सरसों दानों की लड़ियों से दोहरी-सी होती जाती है,
भूषण का भार सँभाल नहीं सकती है कटि बलखाती है।
है चोटी उस की हिरनखुरी* के फूलों से गूंथ कर सुंदर,
अन-आमंत्रित आ पोलंगा है इंगित करता हिल-हिल कर।
हैं मसें भींगती गेहूँ की तरुणाई फूटी आती है,
यौवन में माती मटरबेलि अलियों से आँख लड़ाती है।
लोने-लोने वे घने चने क्या बने-बने इठलाते हैं,
हौले-हौले होली गा-गा धुंघरू पर ताल बजाते हैं।
हैं जलाशयों के ढालू भीटों ** पर शोभित तृण शालाएँ,
जिन में तप करती कनक वरण हो जाग बेलि-अहिबालाएँ।
हैं कंद धरा में दाब कोष ऊपर तक्षक बन झूम रहे,
अलसी के नील गगन में मधुकर दृग-तारों से घूम रहे।
मेथी में थी जो विचर रही तितली सो सोए में सोई,
उस की सुगंध-मादकता में सुध-बुध खो देते सब कोई।

  1. इस कविता के मुख्य भाव को अपने शब्दों में लिखिए।
  2. इन पंक्तियों में कवि ने किस-किसका मानवीकरण किया है?
  3. इस कविता को पढ़कर आपको किस मौसम का स्मरण हो आता है?
  4. मधुकर और तितली अपनी सुध-बुध कहाँ और क्यों खो बैठे?

* हिरनखुरी – बरसाती लता
** भीटा – ढूह, टीले के शक्ले की ज़मीन

उत्तर:

(1) अरहर की फलियाँ पौधों पर लद आई हैं। सरसों के पौधे अपने दानों के भार से झुके हुए हैं। हिरनखुरी के फूल खिल आए हैं। गेहूँ के पौधे विकसित हो चले हैं। मटरबेलि पर भंवरे मँडराने लगे हैं। चने के घने झाड़ सुंदर प्रतीत हो रहे हैं। तालाबों के ढलवाँ किनारों पर घास के गुंफ उग आए हैं। उनमें कुछ बेलें भी लहराने लगी हैं। मूली, गाजर, आलू, शकरकंदी जैसे कंदमूल उग रहे हैं। अलसी के पौधों पर नीले फूल खिल चुके हैं। उन पर भंवरे गुंजार कर रहे हैं। मेथी की फसलों में तितलियाँ सोई हुई हैं। उसकी सुगंध की मादकता से सभी प्रसन्न हैं।

(2) इनमें निम्नलिखित का मानवीकरण किया गया है

  • अरहर – अरहर कल्लों से भरी हुई फलियों से झुकती जाती है।
  • सरसों –  सरसों दानों की लड़ियों से दोहरी-सी होती जाती है। | भूषण का भार सँभाल नहीं सकती है कटि बल खाती है।
  • गेहूँ – हैं मसें भीगतीं गेहूँ की तरुणाई फूटी आती है। मटरबेलि-यौवन में माती मटरबेलि अलियों से आँख लड़ाती है।
  • चने – लोने-लोने वे घने चने क्या बने-बने इठलाते हैं।
  • बेलि – जिनमें तप करती कनक वरण हो जाग बेलि-अहिबालाएँ।

(3) इस कविता को पढ़कर शीतकालीन मौसम का स्मरण हो आता है। इन्हीं दिनों में ये फसलें उगती हैं।

(4) मधुकर अलसी के नीले फूलों पर मुग्ध होकर अपनी सुध-बुध खो बैठे।
तितली मेथी की सुगंध से मोहित होकर अपनी सुध-बुध खो बैठी।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
उत्तर:
किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें यह पता चल जाता है कि उस व्यक्ति की हैसियत क्या है तथा वह व्यक्ति किस श्रेणी का है।

प्रश्न 2.
खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था? [CBSE]
उत्तर:
खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि वह फुटपाथ पर बैठी हुई फफक-फफककर रो रही थी।

प्रश्न 3.
उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर:
उस स्त्री को देखकर लेखक का मन इतना व्यथित हो गया कि वह उसके पास जाकर रोने का कारण पूछना चाहता था, पर उसकी पोशाक उसे ऐसा करने से रोक रही थी।

प्रश्न 4.
उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था? [CBSE]
उत्तर:
स्त्री का लड़का साँप से डसे जाने के कारण मर गया।

प्रश्न 5.
बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
उत्तर:
बुढ़िया का बेटा ही घर में कमाऊ सदस्य था। वही घर का गुजारा चलाता था। उसकी मृत्यु के बाद घर में ऐसा कोई नहीं था, जो कमाकर उधार लौटा देता, इसलिए बेटे के बिना बुढ़िया को कौन उधार देता।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है? [CBSE]
उत्तर:
मनुष्य के जीवन में पोशाक को महत्त्व है। उसकी पोशाक ही समाज में उसका दर्जा तथा अधिकार तय करती है। पोशाक के कारण कभी उसके सब रास्ते खुल जाते हैं और कभी अड़चनें आ घेरती हैं।

प्रश्न 2.
पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है? [CBSE]
अथवा
खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुकने से रोकती है, क्यों? [CBSE]
उत्तर:
पोशाक हमारे लिए उस समय बंधन और अड़चन बन जाती है जब हम अपने से निचले स्तर के व्यक्ति के दुख में शामिल होकर सहानुभूति प्रकट करना चाहते हैं तब पोशाक हमारे आड़े आ जाती है।

प्रश्न 3.
लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया? [CBSE]
उत्तर:
लेखक ने देखा कि वह स्त्री फुटपाथ पर बैठकर फफक-फफककर रोए चली जा रही थी। लेखक की पोशाक तथा स्थिति ऐसी थी कि उसके साथ बाजार में बैठकर उसका हाल-चाल जानना कठिन था। इससे उसे भी संकोच होता तथा लोग भी व्यंग्य करते। इसलिए वह चाहकर भी उसके रोने का कारण नहीं जान पाया।

प्रश्न 4.
भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था? [CBSE]
उत्तर:
बुढिया के पास शहर के निकट डेढ़ बीघा जमीन थी, जिसमें उसका बेटा भगवाना सब्ज़ियाँ और मौसमी फल उगाता था। वह उन्हें बाजार में बेच देता था और होने वाली आय से गुजारा चलाता था।

प्रश्न 5.
लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी? ‘ [CBSE 2012]
उत्तर:
लड़के की मृत्यु के अगले ही दिन उसकी माँ के सामने पोतों की भूख और बहू की बीमारी की समस्या आ खड़ी हुई। पोते-पोतियाँ भूख से बिलबिला रहे थे और बहू बुखार से तप रही थी। घर में पैसा नहीं था। इसलिए वह मजबूरी में पुत्र शोक के अगले ही दिन खरबूजे बेचने चल पड़ी।

प्रश्न 6.
बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर:
बुढ़िया का दुख देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आ गई क्योंकि बुढिया अपने मृत बेटे का शोक न मना सकी, जबकि उसके पड़ोस की संभ्रांत महिला अपने बेटे की मृत्यु के बाद अढाई मास तक बिस्तर से भी न उठ सकी थी।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें बना रहे थे। कोई उसे बेहया कह रहा था। किसी ने कहा कि उस स्त्री की नीयत ही ठीक नहीं है। एक आदमी ने कहा कि यह कमीनी औरत है जिसके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान कुछ नहीं है। उसके लिए रोटी का टुकड़ा ही सब कुछ है। एक लाला जी ने कहा कि यह औरत औरों का धर्म-ईमान बिगाड़कर अँधेर मचा रही है। पुत्र शोक के कारण यह सूतक में है। इसलिए उसे इन दिनों में कोई सामान नहीं छूना चाहिए।

प्रश्न 2.
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला? [CBSE]
उत्तर:
पास-पड़ोस की दुकानों पर पूछने से लेखक को यह पता चला कि बुढिया का तेईस वर्षीय जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती है। उसका लड़का शहर के पास स्थित डेढ़ बीघा जमीन पर कछियारी करता था। इसमें उगने वाली सब्जियों और फलों को बेचकर वह घर का गुजारा चलाता था। परसों जब बुढ़िया का लड़का मुँह अँधेरे खरबूजे तोड़ रहा था तभी गीली मेड़ की तरावट में विश्राम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया। उसे साँप ने डॅस लिया। बुढ़िया ने उसके इलाज के लिए झाड़-फेंक और पूजा-अर्चना कराई, पर सब व्यर्थ। इससे उसके बेटे की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 3.
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए? [CBSE]
उत्तर:
बुढ़िया का लड़का भगवाना साँप के डसने से बेहोश हो गया था। जैसे ही बुढ़िया को पता चला, वह उसका विष दूर करने के लिए गाँव के ओझा को बुला लाई। ओझा ने खूब झाड़-फेंक की। परंतु साँप का विष दूर न हो सका। बुढ़िया जो कर सकती थी, उसने किया। उसने ओझा को प्रसन्न करने के लिए नागराज की पूजा भी की। घर में जो आटा और अनाज था, वह भी ओझा के हवाले कर दिया। परंतु इतना करने पर भी उसका पुत्र बच न सका।

प्रश्न 4.
लेखक ने बुढ़िया के दु:ख का अंदाज़ा कैसे लगाया? [CBSE]
उत्तर:
लेखक ने रोती बुढ़िया के दुख का अंदाजा अपने पड़ोस की उस संभ्रांत महिला को याद करके लगाया। उस संभ्रांत महिला का बेटा भी मर गया था। उसके दुख से दुखी महिला अढाई महीने तक पलंग पर पड़ी रही। वह हर दस पंद्रह मिनट में बेहोश हो जाती थी और बेहोश न होने पर आँखों से आँसू बहते रहते थे। उसके सिरहाने दो-दो डॉक्टर सदैव बैठे रहते थे। हर दम उसके सिर पर बरफ़ रखी जाती थी। ऐसी दशा को याद करके लेखक ने जान लिया कि इस बुढ़िया का दुख भी उतना ही गहरा है, पर उसके पास शोक मनाने का समय नहीं है।

प्रश्न 5.
इस पाठ का शीर्षक ‘दु:ख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए। [CBSE]
उत्तर:
इस पाठ का शीर्षक है-‘दुःख का अधिकार’। यह शीर्षक एकदम उचित है। लेखक यह कहना चाहता है कि यद्यपि दुःख प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार है। परंतु हर कोई इसे संभव नहीं कर पाता। एक महिला संपन्न है। उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं है। उसके पास पुत्र शोक मनाने के लिए डॉक्टर हैं, सेवा-कर्मी हैं, साधन हैं, धन है, समय है। परंतु गरीब लोग अभागे हैं। वे चाहें भी तो शोक प्रकट करने के लिए आराम से दो आँसू नहीं बहा सकते। सामने खड़ी भूख, गरीबी और बीमारी नंगा नाच करने लगती है। अतः दु:ख प्रकट करने का अधिकार गरीबों को नहीं है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
अथवा
लेखक ने पतंग का उदाहरण क्यों दिया है? स्पष्ट कीजिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
उक्त पंक्ति का आशय यह है कि जब व्यक्ति ज्यादा महँगी और अच्छी पोशाक पहन लेता है तो उसकी सामाजिक स्थिति बढ़ जाती है। वह संपन्न व्यक्तियों की श्रेणी में आ जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति जब अपने से कमजोर स्थिति वाले व्यक्ति के दुख के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करना चाहता है तो उसकी पोशाक उसे गरीब व्यक्ति के स्तर तक नहीं जाने देती है। यह स्थिति वैसी होती है जैसे हवा की लहरों के कारण पतंग सीधे नीचे जमीन पर नहीं आ पाती है।

प्रश्न 2.
इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
उत्तर:
एक राह चलता आदमी भगवाना की माँ को बेटे की मृत्यु के अगले ही दिन ख़रबूजे बेचते देखकर कहता है-ये गरीब लोग कमीने होते हैं। इनका अपने बेटा-बेटी से, पति-पत्नी से या धर्म-ईमान से कोई लगाव नहीं होता। ये केवल एक रोटी के टुकड़े के लिए अपनी सारी भावनाएँ तथा आस्थाएँ बेच देते हैं।

प्रश्न 3.
शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और ……….. दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है। [CBSE 2012]
उत्तर:
जब किसी गरीब और विवश व्यक्ति के घर में भूख से रोते-बिलखते बच्चे, भूखी और बीमार कोई अन्य सदस्य हो तो शोक मनाने की बात कैसे सोची जा सकती है, शोक कैसे मनाया जा सकता है। उन रोते बिलखते बच्चों के लिए रोटी और बीमार सदस्य की दवा का प्रबंध होना आवश्यक है। ऐसा करने के कारण गरीब व्यक्ति को शोक मनाने की सुविधा भी नहीं। ऐसे में वह क्या करे। दुखी होने का अधिकार भी उन्हीं लोगों के पास है जिनके पास धन-दौलत और तरह-तरह की सुविधाएँ हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्द-समूहों को पढ़ो और समझो

  1. कङ्घा, पतङ्ग, चञ्चल, ठण्डा, सम्बन्ध।
  2. कंघा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।
  3. अक्षुण्ण, सम्मिलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।
  4. संशय, संसद्, संरचना, संवाद, संहार।
  5. अँधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में, मैं।

उत्तर:
ध्यान दो कि ङ, ज्, ण, न् और म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखीं-इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। हाँ, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोग नहीं होगा; जैसे-अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, ल, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा, परंतु उसका उच्चारण पंचम वर्गों में से किसी भी एक वर्ष की भाँति हो सकता है; जैसे-संशय, संरचना में ‘न्’, संवाद में ‘म्’ और संहार में ‘ङ’।
( ं) यह चिह्न है अनुस्वार का और ( ँ) यह चिह्न है अनुनासिक का। इन्हें क्रमशः बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार को प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिक का स्वर के साथ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए|

  1. ईमान        …………………………..
  2. बदन          …………………………..
  3. अंदाज़ा       …………………………..
  4. बेचैनी         …………………………..
  5. गम            …………………………..
  6. दर्जा           …………………………..
  7. ज़मीन        …………………………..
  8. ज़माना        …………………………..
  9. बरकत        …………………………..

उत्तर: 

  1. ईमान     –    सच्चाई
  2. बदन      –    शरीर, देह, गात
  3. अंदाजा   –    अनुमान
  4. बेचैनी     –    तड़प, व्याकुलता
  5. गम        –    दुःख, वेदना, कष्ट, पीड़ा
  6. दर्जा       –    श्रेणी
  7. ज़मीन     –    धरती, भूमि
  8. ज़माना    –    युग, समय
  9. बरकत     –   वृद्धि, उन्नति, विकास

प्रश्न 3.
निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण : बेटा-बेटी ।
उत्तर:
पाठ में आए संबंधवाची शब्द-युग्म निम्नलिखित हैं-
बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, पोता-पोती।
अन्य शब्द-युग्म इस प्रकार हैं-
धर्म-ईमान, मरे-जिए, आते-जाते, दान-दक्षिणा, चूनी-भूसी, दुअन्नी-चवन्नी।

प्रश्न 4.
पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए-
बंद दरवाजे खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
उत्तर:

  1. बंद दरवाजे खोल देना –
    इसका अर्थ है-जहाँ पहले सुनवाई नहीं होती थी, वहाँ अब बात सुनी जाती है। जहाँ पहले तिरस्कार होता था, वहाँ अब मान-सम्मान होता है। यदि आदमी के कपड़े अच्छे हों तो लोग कपड़े देखकर स्वागत-सत्कार करते हैं।
  2. निर्वाह करना –
    पेट भरना, घर का खर्च चलाना। भूख से बिलबिलाना-भूख के कारण तड़पना। भगवाना के बच्चे अगले ही दिन भूख से तड़पने लगे।
  3. कोई चारा न होना –
    कोई उपाय न होना। भगवाना की माँ के पास अपने पोता-पोती का पेट भरने के लिए तथा बहू की दवा-दारू करने के लिए पैसे नहीं थे। कोई उधार भी नहीं देता था। अतः उसके पास खरबूजे बेचने के सिवाय और कोई चारा न था।
  4. शोक से द्रवित हो जाना –
    दुःख को देखकर करुणा से पिघल जाना। जब लोगों ने लेखक के पड़ोस में रहने वाली संभ्रांत महिला के दु:ख को देखा तो वे शोक से द्रवित हो गए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क)

  1. छन्नी-ककना
  2. अढ़ाई-मास
  3. पास-पड़ोस
  4. दुअन्नी-चवन्नी
  5. मुंह-अँधेरे
  6. झाड़ना-फेंकना।

उत्तर:

  1. छन्नी-ककना – गरीब बुढ़िया को अपने बेटे का कफ़न खरीदने के लिए अपनी छन्नी-ककना भी बेचना पड़ा।
  2. अढ़ाई मास – संभ्रांत महिला पुत्र-शोक में अढाई मास तक पलंग पर रही।
  3. पास पड़ोस – लेखक ने पास पड़ोस के दुकानदारों से गरीब महिला के दु:ख का कारण जाना।
  4. दुअन्नी-चवन्नी – महिला को गरीब जानकर किसी पड़ोसी ने उसे दुअन्नी-चवन्नी भी उधाएँ न दी।
  5. मुँह अँधेरे – अखबार बेचने वाले मुँह अँधेरे ही चलकर अखबार बाँट आते हैं।
  6. झाड़ना-फेंकना – ओझा साँप के काटे का इलाज झाड़-फेंक करके करता है।

(ख)

  1. फफक-फफककर
  2. बिलख-बिलखकर
  3. तड़प-तड़पकर
  4. लिपट-लिपटकर

उत्तर:

  1. फफक-फफककर – बुढिया खरबूजे बेचते समय फफक-फफककर रो रही थी।
  2. बिलख-बिलखकर – पुत्र को मृत देखकर उसकी माँ बिलख-बिलखकर रोई।
  3. तड़प-तड़पकर – साँप से काटे जाने पर भगवाना ने तड़प-तड़पकर प्राण दे दिए।
  4. लिपट-लिपटकर – दुखियारी माँ अपने मृत बेटे के शरीर से लिपट-लिपटकर रोई।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य-संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए-
(क)

  1. लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।
  2. उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।
  3. चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ। |

उत्तर:

  • गरीबों को हर हाल में मेहनत करनी ही पड़ती है।
  • न चाहते हुए भी ओझा को झाड़-फेंक कर बुलाना ही पड़ा।

(ख)

  1. अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।
  2. भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।

उत्तर:

  • मनुष्य जैसा काम करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है।
  • कृष्ण मथुरा जो गए, तो वापस नहीं लौटे।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक से होती है। इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य की पहली पहचान उसकी पोशाक से होती है। गरीब-अमीर, गंभीर-चंचल, सब प्रकार के लोगों की अलग पहचान होती है। सुदामा की पोशाक देखकर कृष्ण के द्वारपालों ने उसे अंदर ही नहीं आने दिया। एक राजा का मित्र भला फटेहाल कैसे हो सकता है?

प्रश्न 2.
यदि आपने भगवाना की माँ जैसी किसी दुखिया को देखा है तो उसकी कहानी लिखिए।
उत्तर:
मेरे पड़ोस में रहने वाली एक विधवा के तीन बच्चे हैं। घर में कमाने वाला कोई नहीं है। आसपास के लोग उसे सहयोग देने की बजाय उस पर ताने कसते हैं। वे कहते हैं-यह मनहूस अपने पति को खा गई। वह दिनभर बर्तन माँजकर बच्चों को पढ़ाती है। कभी-कभी घर में अन्न का दाना भी नहीं होता तो उसका दुख देखकर मेरे आँसू निकल आते हैं। मैं उसे कुछ सहायता देना चाहूँ तो वह स्वीकार भी नहीं करती।।

प्रश्न 3.
पता कीजिए कि कौन-से साँप विषेले होते हैं? उनके चित्र एकत्र कीजिए और भित्ति पत्रिका में लगाइए।
उत्तर:
इंटरनेट से साँप के चित्र खोजिए और उन्हें भित्ति-पत्रिका में लगाइए।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया? [CBSE]
उत्तर:
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को महल की रक्षा करने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए-

  • यह महल जड़ पदार्थ है, जिसने अंग्रेजों के विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया है। अतः यह दोषी नहीं है।
  • मैना को यह राजमहल अत्यंत प्रिय था।
  • अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाने वाले दोषी हो सकते हैं। अतः उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए।

प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों? [CBSE][Imp.]
उत्तर:
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी क्योंकि इस मकान में वह पल-बढ़कर बड़ी हुई थी। वह मकान उसके पिता का था जो उसे बहुत प्रिय था। मैना की दृष्टि में इस मकान ने अंग्रेज़ों का अहित नहीं किया है। इससे उसकी अनेक यादें जुड़ी हैं।
अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे क्योंकि नाना साहेब जिन्होंने कानपुर में अंग्रेज़ों के खिलाफ हथियार उठाए थे तथा विद्रोह का नेतृत्व किया था, यह मकान उन्हीं का था। वे नाना साहब की हर वस्तु, नष्ट करना चाहते थे। वे नाना से बदला लेने के लिए ऐसा कर रहे थे।

प्रश्न 3.
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे? [CBSE][Imp.]
उत्तर:
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के निम्नलिखित कारण थे-

  • मैना और ‘हे’ की पुत्री दोनों सहचरी थीं।
  • जनरल ‘हे’ नानासाहब के पास आया-जाया करते थे।
  • जनरल ‘हे’ को अपनी मृत पुत्री ‘मैरी’ की छवि मैना में दिखाई दे रही थी।
  • वे सहृदय तथा संवेदनशील इंसान थे।

प्रश्न 4.
मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?
उत्तर:
मैना को अपना राजमहल बहुत ही प्रिय था। उस मकान को अउटरम ने ध्वस्त कर दिया था। वह प्रासाद के अवशेष पर बैठकर रोना चाहती थी पर अउटरम ने इसकी अनुमति नहीं दी क्योंकि उसके विलाप से सैनिकों में भी सहानुभूति पैदा हो सकती थी। यह सहानुभूति अंग्रेज़ी सेना के विरुद्ध विद्रोह की भावना भड़का सकती थी।

इसके अलावा यह भी डर था कि मैना पर सहानुभूति दिखाने पर उसे अंग्रेज़ी सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। उसे मैना के साहसी स्वभाव ने भयभीत कर दिया था।

प्रश्न 5.
बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों? [CBSE][Imp.]
उत्तर:
मैं बालिका मैना के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ अपनाना चाहूँगा-

  • साहस – मैना ने जिस साहस से जनरल ‘हे’ से बात की वह अनुकरणीय है।
  • वाक्पटुता – मैना वाक्पटु है। वह अपनी वाक्पटुता से ‘हे’ को महल की रक्षा करने के लिए तैयार कर लेती है।
  • निडरता – मैना निडर है। वह सैनिकों से घिरी होने पर भी नहीं डरती है।
  • जन्मभूमि से प्रेम – मैना अपनी जन्मभूमि से असीम प्रेम करती है। वह चाहती तो महल छोड़कर अन्यत्र भाग जाती पर उसने अपने मातृभूमि से प्रेम के कारण अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया।

स्वगृह-प्रेम – मैना को अपने राजमहल से स्वाभाविक प्रेम है। उसके टूटने पर वह दुख सहन नहीं कर पाती। इसलिए वह एक बार उस टूटे महल पर बैठकर रो लेना चाहती है। यह स्वगृह-प्रेम अनुकरणीय है। । ये दोनों ही गुण उसे महिमा प्रदान करते हैं। इसलिए इन्हें हम भी अपनाना चाहेंगे।

प्रश्न 6.
‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था-बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी। इस वाक्य में भारत सरकार’ से क्या आशय है?
उत्तर:
6 सितंबर के टाइम्स पत्र में छपे वाक्य में प्रयुक्त भारत सरकार’ का अर्थ है-भारत में शासन चलाने वाले ब्रिटिश या ‘अंग्रेज़ी सरकार से है क्योंकि भारत में उस समय वही शासन कर रही थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी? [Imp.]
उत्तर:
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना से भरपूर ऐसे लेखों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही होगी। ऐसे लेख लोगों में देश प्रेम का संचार करते हैं तथा अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हैं। इन लेखों में अंग्रेजों द्वारा किए गए अमानुषिक व्यवहार का हृदयस्पर्शी वर्णन होता है जिससे मन में त्याग, बलिदान की भावना और अत्याचार से मुकाबला करने का साहस बढ़ता है। इससे लोग एकजुट होकर अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन को तैयार हो जाते होंगे। यह आजादी पाने की दिशा में एक और कदम होता था।

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर:
मैना के बलिदान पर एक रेडियो समाचार-यह आकाशवाणी का……… चैनल है।
आज के विशेष कार्यक्रम में मैना के बलिदान पर रेडियो समाचार प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके प्रस्तुतकर्ता हैं श्री……..।
कल अंग्रेज़ सरकार ने कानपुर के किले में ऐसा कायरतापूर्ण कृत्य किया जो इतिहास को कलंकित करता रहेगा।
नाना साहब की जिस पुत्री मैना को जनरल अउटरम ने आधी रात को गिरफ्तार किया था, उसे हथकड़ी डाल रात में ही कानपुर के किले में डाल दिया था।
समाचार यह है कि मैना को योजनाबद्ध तरीके से जलती आग में भस्म कर दिया गया।
आग की भीषण लपटों में जलती उस बालिका के बलिदान को देश की स्वतंत्रता के लिए पवित्र मानकर कानपुर की जनता शीश झुका रही है। मैना के इसे बलिदान से उसका नाम अमर हो गया है।

प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप
(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।
(ख) अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिंदी गद्य का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए।
उत्तर:
उसी दिन संध्या समय लार्ड केनिंग का एक तार आया, जिसका आशय इस प्रकार था-
“लंदन के मंत्रिमंडल का यह मत है, कि नाना की स्मृति-चिह्न तक मिटा दिया जाए। इसलिए वहाँ की आज्ञा के विरुद्ध कुछ नहीं हो सकता।”
उसी क्षण क्रूर जनरल आउटरम की आज्ञा से नाना साहब के सुविशाल राजमंदिर पर तोप के गोले बरसने लगे। घंटे भर में वह महल मिट्टी में मिला दिया गया।

पाठेतर सक्रियता

• अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• इन पुस्तकों को पढ़िए‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ’-राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली। ‘
1857 की कहानियाँ’-ख्वाजा हसन निजामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।

उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
आज़ाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हजार रुपये भेंट किए। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा-”जब हम आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हजार रुपये दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।”

मुझे याद आता है सन् 1937 का जमाना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया-‘चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।”
मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।

  1. स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया?
  2. दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया?
  3. दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं?
  4. आज़ादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा?
  5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे?

उत्तर:

1. स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान दो प्रकार से किया गया

  1. पंजाब में उनके सम्मान में एक राजनीतिक सम्मेलन आयोजित किया गया।
  2. उन्हें मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने 51000 रु. की राशि भेंट की।

2. दुर्गा भाभी ने भेंट-स्वरूप मिले 51000 रु. की राशि को लेने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि वे स्वतंत्रता-संघर्ष के बदले कोई मूल्य नहीं लेना चाहती थीं। उनका संघर्ष निस्वार्थ था। उस संघर्ष में कितने क्रांतिकारी अपना सर्वस्व न्योछावर करके शहीद हो गए थे। अतः उन्होंने वह राशि उनकी याद में एक स्मारक बनाने के लिए समर्पित कर दी।

3. दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति में रुचि नहीं रखती थीं। इसलिए वे उससे दूर बनी रहीं।

4. आज़ादी के बाद उन्होंने देश की नई पीढ़ी के निर्माण के लिए एक विद्यालय खोला और उसी में समर्पित रहीं।

5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ अपनाने योग्य हैं

  1. निस्वार्थ देशभक्ति
  2. लोभ, पुरस्कार और धन का देश-हित में त्याग
  3. दृढ़ निश्चय
  4. चुनावी राजनीति की दलदल से दूरी
  5. देश के भविष्य निर्माण में लगन।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर ‘‘एक हमारा जमाना था’. ” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर:
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद अधेड़ उम्र के व्यक्ति हैं जिन्होंने पुराना समय देख रखा है, उसे जिया है और अनुभव किया है। एक हमारा ज़माना था’ ऐसा बार-बार कहकर वे अपने बचपन और युवावस्था के दिनों को याद करके कहते हैं। यह सत्य कि उस समय महँगाई बहुत कम थी। हर तरह की वस्तुएँ सस्ती थीं इससे खाने-पीने का अपना एक अलग मज़ा था। इसके अलावा न इतना प्रदूषण था और न इतनी मिलावट, ऐसे में उनका ऐसा कहना ठीक था परंतु उसकी तुलना वर्तमान काल से करना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि कुछ बातें उस समय अच्छी थी तो बहुत-सी बातें आज अच्छी हैं।

प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है? [Imp.]
उत्तर:
उमा के पिता रामस्वरूप, आधुनिक विचारों वाले तथा स्त्री शिक्षा के समर्थक हैं। वे अपनी पुत्री उमा को बी.ए. तक पढ़ाते हैं। उसके विवाहयोग्य होने पर जब वे योग्य वर की तलाश करते हैं तब वही शिक्षा राह का रोड़ा बन जाती है।
पेशे से वकील तथा समाज में उठने-बैठने वाले गोपाल प्रसाद और बी.एस.सी. कर मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाला उनका बेटा शंकर दोनों ही कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं। उन्हें दसवीं पढ़ी बहू ही चाहिए। अधिक पढ़ी-लिखी लड़की उन्हें पसंद नहीं। अपनी बेटी की शादी के लिए रामस्वरूप इस बात को (उमो का बी.ए. पास होना) छिपा जाते हैं।
उनके आचरण का यह विरोधाभास उनकी इस विवशता को प्रकट करता है कि आधुनिक समाज का सभ्य नागरिक होने के बावजूद उन्हें रूढ़िवादी लोगों के दबाव के सामने झुकना पड़ रहा है।

प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर:
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह इसलिए उचित नहीं है क्योंकि वह उमा की उच्च शिक्षा रूपी उस तथ्य को छिपा रहे हैं जिसके लिए न उमा ने कोई पाप किया है और न चोरी। इसके अलावा आज नहीं तो कल इस सत्य का पता शंकर और उसके पिता को चलना ही है तब आज छिपाने से बात जितनी बनने की संभावना है, कल उससे अधिक बिगड़ने की। इसके अलावा विवाह जैसे मांगलिक कार्य में झूठ का सहारा लेना तनिक भी उपयुक्त नहीं क्योंकि झूठ की बुनियाद पर खड़ा महल अधिक समय तक नहीं टिकता है।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिज़नेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर:
आधुनिक विचार रखने वाले तथा शिक्षा के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण रखने वाले रामस्वरूप ने बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाई कि उच्च शिक्षा प्राप्त उनकी बेटी को विवाह अत्यंत आसानी से हो जाएगा, पर अंततः उन्हें अपनी सोच बदलनी पड़ी। उधर गोपाल प्रसाद वकील होकर भी रूढ़िवादी विचारों वाले व्यक्ति हैं।
उनका मानना है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लड़की घर के लिए अच्छी नहीं होती। इसलिए रामस्वरूप गोपाल प्रसाद की अपेक्षाकृत कम अपराधी हैं क्योंकि परिस्थितियों से विवश होकर उन्होंने झूठ बोला। हालाँकि झूठ बोलना भी अपराध है। अगर कोई किसी कारणवश मजबूरी में चोरी करता है, तो क्या वह चोर नहीं कहलाएगा, क्या वह अपराधी नहीं होगा?
निश्चित रूप से अपराधी ही कहलाएगा। इस तरह दोनों ही अपराधी हैं।

गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं। इसलिए वे बातचीत के बीच कहते हैं-चलो, अब बिजनेस की बात कर ली जाए। शादी को व्यवसाय मानना पाप है। इससे मानव तथा मानवीय संबंधों की गरिमा कम होती है। व्यक्ति वस्तु में बदल जाता है। शादी एक व्यापार या धंधा बन जाता है। इससे विवाह में लाभ-हानि की भाषा में बातें होती हैं। संबंधों की मधुरता नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 5.
“… आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड़ी भी है या नहीं ..” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है? [Imp.]
उत्तर:
आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं… उमा इस कथन द्वारा शंकर की अनेक कमियों की ओर संकेत करना चाहती है, जैसे-

  • वह शंकर के दुर्बल चरित्र की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि वह लड़कियों के हॉस्टल के आसपास चक्कर लगाता हुआ पकड़ा गया था।
  • वह शंकर की शारीरिक दुर्बलता की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि शंकर सीधा तनकर बैठने में भी असमर्थ है।
  • वह शंकर की वैचारिक दुर्बलता की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि शंकर स्वयं मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। परंतु चाहता है कि उसकी शादी जिस लड़की से हो वह अधिक से अधिक दसवीं तक पढ़ी हो।
  • वह शंकर के विवेकहीन तथा रुढिगत विचारों की ओर संकेत करना चाहती है।

प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है। उमा चरित्रवान है। वह शिक्षित लड़की है। उसके पिता रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद से उमा की शिक्षा की बात छिपा जाते हैं परंतु गोपाल प्रसाद के पूछने पर वह अपनी शिक्षा के बारे में दृढ़तापूर्वक बता देती है।
इसके विपरीत शंकर स्वयं तो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है, परंतु वह नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी भी उच्च शिक्षा प्राप्त हो। अतः समाज को शंकर जैसे व्यक्तित्व की जरूरत नहीं है।
शंकर जैसे व्यक्तित्व से हमें न अच्छे समाजोपयोगी स्वस्थ विचारधारा वाले नागरिक मिलेंगे और न ही इनसे समाज और राष्ट्र की उन्नति में योगदान की अपेक्षा की जा सकती है। वास्तव में समाज को उमा जैसे साहसी, स्पष्टवादीनी तथा उच्च चरित्र वाले व्यक्तितत्व की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। [Imp.]
उत्तर:
प्रायः किसी रचना के शीर्षक का निर्धारण उसके प्रमुख पात्र, घटना, समस्या, मूलभाव, संवेदना, निहित संदेश आदि के आधार पर किया जाता है परंतु कुछ शीर्षक प्रतीकात्मक होते हैं जो अपनी प्रतीकात्मकता के कारण पाठकों में उत्सुकता और जिज्ञासा जगाते हैं। शीर्षक छोटा रोचक होना चाहिए। रीढ़ की हड्डी’ यूँ तो मानव शरीर की मुख्य हड्डी है परंतु यहाँ यह चारित्रिक मज़बूती का प्रतीक हैं जो एकांकी के प्रमुख पात्र शंकर की कमियों को पूर्णतया खोल कर देती हैं। इसके साथ ही यह शीर्षक संक्षिप्त रोचक तथा जिज्ञासा जगाने वाला है। अतः ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक पूर्णतया सार्थक है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
कथावस्तु के आधार पर निःसंदेह उमा ही इस एकांकी का मुख्य पात्र है। वास्तव में इस एकांकी में रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद, शंकर तथा उनका नौकर तथा महिला पात्रों में प्रेमा तथा उमा हैं। इनमें से रामस्वरूप तथा गोपालदास एकांकी के अधिकांश भाग में उपस्थित रहते हैं, किंतु इनमें से कोई भी चारित्रिक रूप से आकर्षित नहीं कर पाती है।

रामस्वरूप परिस्थितियों के अधीन हो समझौता कर लेते हैं तो गोपाल प्रसाद में अनुकरणीय चरित्र या गुणों का अभाव दिखता है। शंकर दोहरे व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। उसमें समाजोपयोगी तथा समाज का आदर्श व्यक्ति बनने की योग्यता नहीं है।

इनमें उमा बी.ए. पास सुशिक्षित लड़की है जो चरित्रवान, साहसी, अपनी बात को दृढ़तापूर्वक कहने वाली है। वह अपनी तथा समाज में नारियों की
सम्मानजनक स्थिति के लिए चिंतित दिखती है। एकांकी के कम अंश में उपस्थित रहने पर भी वही मुख्य पात्र है।

प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए। [CBSE]
उत्तर:
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ-

  • रामस्वरूप अधेड़ उम्र वाले व्यक्ति हैं जो लड़कियों की उच्च शिक्षा के पक्षधर हैं।
  • रामस्वरूप शिक्षा के साथ-साथ पेंटिंग, संगीत आदि के प्रति रुचि रखनेवाले हैं।
  • रामस्वरूप में भी मानवीय कमियाँ हैं। वे लड़केवालों की इच्छा के आगे अपनी बेटी उमा की उच्च शिक्षा छिपाने को विवश हो जाते हैं।
  • रामस्वरूप अपनी बीवी को बजता ग्रामोफ़ोन कहकर अपनी विनोदप्रियता प्रकट करते हैं।
  • वे अपने जमाने को आज के समय से बेहतर मानते हैं।

गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ-

  • गोपाल प्रसाद उच्च शिक्षित वकील हैं परंतु चालाक किस्म के व्यक्ति हैं।
  • वे रूढ़िवादी विचारों वाले हैं, क्योंकि अपने बेटे के लिए वे दसवीं पास बहू ही चाहते हैं।
  • वे विवाह जैसे पवित्र संस्कार को बिजनेस समझते हैं।
  • वे अपने बेटे के विवाह में भरपूर दहेज चाहते हैं।
  • गोपाल प्रसाद अपनी तथा अपने बेटे की कमियों को सरलता से नहीं स्वीकारते हैं।

प्रश्न 10.
इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए। [Imp.]
उत्तर:
‘रीढ़ की हड्डी’ नामक एकांकी के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. समाज में लड़कियों को समुचित सम्मान न मिलने की समस्या को समाज के सामने लाना।
  2. लड़कियों के विवाह में आने वाली समस्या को समाज के सामने लाना।
  3.  लड़कियों के विवाह के समय उनकी पसंद-नापसंद, रुचि आदि को महत्त्व न दिया जाना।
  4.  लड़कियों के विवाह के समय उनके माता-पिता को दबाया जाना तथा उन्हें अनुचित समझौता करने पर विवश किया जाना
  5.  समाज के उन लोगों को बेनकाब करना जो शिक्षा के प्रति दोहरी मानसिकता रखते हैं।
  6.  उन लोगों की मानसिकता को उजागर करना जो लड़कियों को समाज में सम्मानजनक स्थान नहीं देना चाहते हैं।

प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर:
स्त्री और पुरुष जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। इस गाड़ी के सुचारू परिचालन हेतु दोनों का समान होना आवश्यक है। इस समानता के लिए महिलाओं की शिक्षा, सम्मान और अधिकार पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्हें समाज में गरिमामय स्थान दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं-

  • लड़कियों की शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • उन्हें शिक्षा के साथ खेल-कूद, कला, संगीत आदि में आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए।
  • महिलाओं को कंप्यूटर तथा कौशल विकास का प्रशिक्षण देना चाहिए।
  • नौकरियों और व्यवसाय में उनके लिए स्थान आरक्षित होना चाहिए।
  • उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए उन्हें छूट मिलनी चाहिए।
  • महिलाओं के प्रति समाज को स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
  • महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मोखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उन एक दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
रा की शोभा ने क्या कर दिया?
उत्तर:
लाल रंग (लालिमा) ने उत्तर दिशा में कुछ देर के लिए फैलकर उस दिशा की सुंदरता में वृद्धि कर दिया था।

प्रश्न 2.
बादले किसकी तरह हो गए थे?
उत्तर:
बादल सफेद पूनी अर्थात् सफेद कपास की तरह हो गए।

प्रश्न 3.
लोग किन-किन चीजों का वर्णन करते हैं?
उत्तर:
लोग आकाश, पृथ्वी और जलाशयों का सौंदर्य देखते हैं और उन्हीं का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 4.
कीचड़ से क्या होता है?
उत्तर:
कीचड़ से, तन तथा कपड़े मैले होते हैं।

प्रश्न 5.
कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?
उत्तर:
कीचड़ जैसा रंग कला-प्रेमी और फोटोग्राफर पसंद करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग पुस्तक के गत्तों, दीवारों और वस्त्रों का रंग कीचड़ जैसा पसंद करते हैं।

प्रश्न 6.
नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है?
उत्तर:
नदी के किनारे का कीचड़ तब बहुत सुंदर प्रतीत होता है, जब वह सूखकर ठोस हो जाता है तथा उसमें दरारें पड़ जाती हैं।

प्रश्न 7.
कीचड़ कहाँ सुंदर लगता है?
उत्तर:
गंगा या सिंधु के किनारों के अलावा, खंभात की खाड़ी तथा मही नदी के मुहाने पर दूर-दूर तक फैला कीचड़ सुंदर लगता है।

प्रश्न 8.
‘पंक’ और ‘पंकज’ शब्द में क्या अंतर है?
उत्तर:
‘पंक’ का अर्थ है-कीचड़। पंकज’ का अर्थ है-कमल का फूल। पंक से ही पंकज उत्पन्न होता है। इसलिए उनमें पिता-पुत्र का संबंध है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती?
उत्तर:
कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति इसलिए नहीं होती क्योंकि वे बाह्य सौंदर्य देखने के आदी हैं। वे कीचड़ को गंदगी का प्रतीक मानते हुए उससे बचकर चलते हैं। वे कीचड़ को शरीर और कपड़े गंदे करने वाला मानते हैं।

प्रश्न 2.
जमीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं?
उत्तर:
ज़मीन ठोस होने पर अनेक पशु उस पर आकर चहलकदमी करते हैं तथा उछल-कूद करते हैं। इन पशुओं में प्रमुख हैं-गायें, भैंसें, बैल, पाडे, भेड़े और बकरियाँ। भैसों के पाड़े तो इस ठोस जमीन पर खूब कुश्ती करते हैं।

प्रश्न 3.
मनुष्य को क्या भान होता जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता?
उत्तर:
मनुष्य को यदि यह भान होता है कि जिस भोजन को खाने से उसका पेट भरता है उसका स्रोत अन्न उसी कीचड़ में पैदा होता है, जिसे वह गंदा समझता है, तो वह कभी कीचड़ का तिरस्कार न करता।

प्रश्न 4.
पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़े की क्या विशेषता हैं?
उत्तर:
खंभात में माही नदी के सामने जो विशाल और अति गहरा कीचड़ फैला हुआ है, उसमें पूरे का पूरा पहाड़ ही लुप्त हो सकता है। आशय यह है कि यह कीचड़ जमीन के नीचे बहुत गहराई तक है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है?
उत्तर:
कीचड़ का रंग कलाभिज्ञों, चित्रकारों, मूर्तिकारों के अलावा जनसाधारण को भी अच्छा लगता है। कलाभिज्ञ पके हुए मिट्टी के बर्तनों पर यही रंग देखना चाहते हैं। छायाकार फ़ोटो खींचते समय फ़ोटो में एक दो स्थान पर इसका रंग देखना चाहते हैं, इस रंग से वे खुश होते हैं। इसके अलावा जनसाधारण पुस्तकों के गत्तों, अपने घर की दीवारों, अपने कीमती वस्त्रों का रंग कीचड़ जैसा देखना चाहते हैं। इससे वे खुश होते हैं।

प्रश्न 2.
कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?
उत्तर:
कीचड़ सूखकर टुकड़ों में बँट जाता है। अधिक गरमी के कारण उन टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं। तब वे नदी के किनारे फैले हुए ऐसे प्रतीत होते हैं मानो दूर-दूर तक खोपरे सूखने के लिए पड़े हों। कीचड़ के अधिक सूखने पर उस पर पशु चलते हैं तथा किल्लौल करते हैं। तब उनके पैरों के निशानों से अद्भुत शोभा अंकित हो जाती है। यों लगता है मानो उन पर अभी-अभी भैंसों के कुल का महाभारत लड़ा गया हो।

प्रश्न 3.
सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?
उत्तर:
सूखे कीचड़ का सौंदर्य हमें तालाबों के किनारे, गंगा और सिंधु जैसी नदियों के विस्तृत किनारों के मीलों-मील फैले क्षेत्रों में दिखाई देता है। इसके अलावा खंभात की खाड़ी और मही नदी के मुँह से आगे, जहाँ तक हम देख पाते हैं, तक कीचड़ का सौंदर्य दिखता है।

प्रश्न 4.
कवियों की धारणा को लेखक ने युक्ति शून्य क्यों कहा है?
उत्तर:
लेखक ने कवियों की धारणा को युक्ति शून्य ठीक ही कहा है। वे बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं, किंतु आंतरिक सौंदर्य और उपयोगिता को बिल्कुल नहीं देखते। ये कविजन कीचड़ में उगने वाले कमल को तो बहुत सम्मान देते हैं किंतु कीचड़ का तिरस्कार करते हैं। वे केवल अपने काम की, सौंदर्य की और प्रत्यक्ष. महत्त्व की बात का आदर करते हैं किंतु उन्हें उत्पन्न करने वाले कारणों का सम्मान नहीं करते।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।
उत्तर:
आशय- नदी के किनारे का गीला कीचड़ जब सूखकर ठोस हो जाता है तो मद में डूबे पाड़े अपने सींगों से कीचड को रौंदकर आपस में लड़ते हैं। इससे उस कीचड़ में उन पाड़ों के सींगों और पैरों के चिह्न अंकित हो जाते हैं। इन अनगिनत पदचिह्नों को देखकर ऐसा लगता है जैसे महिषकुल में अब तक जितने भी भारतीय युद्ध हुए हैं, उनका इतिहास इस कीचड़ में लिख उठा है।

प्रश्न 2.
“आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते!” कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम!
उत्तर:
कविजन मनमानी करते हुए पंक से उत्पन्न कमल की तो प्रशंसा करते हैं किंतु पंक को महत्त्व नहीं देते। वे अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहते हैं-पंकज की प्रशंसा करना ठीक ही है। हम लोग वासुदेव कृष्ण की पूजा करते हैं किंतु इस कारण वसुदेव की तो पूजा नहीं करते। इसी प्रकार हम हीरे को बहुत मूल्यवान मानते हैं किंतु उसके जनक पत्थर या कोयले की तो प्रशंसा नहीं करते। इसी प्रकार मोती को गले में डालते हैं किंतु उसकी जननी सीपी को गले में धारण नहीं करते।
लेखक कवियों के इन अकाट्य तर्को से तंग आकर कहता है-कीचड़ की प्रशंसा करने के बारे में कम-से-कम इन कवियों से बात ही न की जाए तो अच्छा है। ये अपनी मनमानी करते हैं। इन्हें जो भा गया, सो भा गया। उसके आगे वे किसी की नहीं सुनते।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-

  1. जलाशय      …………………           …………………           …………………
  2. सिंधु            …………………           …………………           …………………
  3. पंकज          …………………           …………………           …………………
  4. पृथ्वी            …………………          …………………           …………………
  5. आकाश       …………………           …………………           …………………

उत्तर: 

  1. जलाशय – सरोवर, सर, तड़ाग, पुष्कर, पोखर।
  2. सिंधु – सागर, समुद्र, रत्नाकर, जलनिधि, जलधि।
  3. पंकज – कमल, नीरज, वारिज, जलज।
  4. पृथ्वी – धरती, धरा, भू, वसुधा, धारयित्री।
  5. आकाश – गगन, नभ, व्योम।।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए

  1. कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है। ……………………
  2. क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है। ……………………
  3. हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।  ……………………
  4. पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं।  ……………………
  5. आप वासुदेव की पूजा करते हैं।  ……………………

उत्तर:

  1. का (संबंध कारक)
  2. का (संबंध कारक) ने। (कर्ता कारक)
  3. से (अधिकरण कारक)
  4. पर (अधिकरण कारक)
  5. की (कर्म कारक)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ से भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए-

  1. आकर्षक
  2. यथार्थ
  3. तटस्थता
  4. कलाभिज्ञ
  5. पदचिह्न
  6. अंकित
  7. तृप्ति
  8. सनातन
  9. लुप्त
  10. जाग्रत
  11. घृणास्पद
  12. युक्तिशून्य
  13. वृत्ति

उत्तर:

  1. आकर्षक – मोर का नृत्य सबको आकर्षक प्रतीत होता है।
  2. यथार्थ – हमें कल्पना नहीं, यथार्थ को महत्त्व देना चाहिए।
  3. तटस्थता – साधु संतों की तटस्थता सज्जनों के लिए शुभ नहीं है।
  4. कलाभिज्ञ – चित्र प्रदर्शनी में बड़े-बड़े कलाभिज्ञ उपस्थित थे।
  5. पदचिह्न – हम महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलकर अपना जीवन महान बना सकते हैं।
  6. अंकित होली के पक्के रंग अब भी मेरे कुरते पर अंकित हैं।
  7. तृप्ति – हिमालय को कितना भी निहारू, तृप्ति नहीं मिलती।
  8. सनातन – शक्तिशाली राजाओं का दबदबा सनातन काल से चला आ रहा है।
  9. लुप्त – आज कितनी ही पशु जातियाँ इस संसार से लुप्त हो चुकी हैं।
  10. जाग्रत – आज भारत अपने विकास के लिए जाग्रत हो चुका है।
  11. घृणास्पद – कीचड़ से लथपथ मनुष्य घृणास्पद प्रतीत होता है।
  12. युक्तिशून्य – सामने खड़े शेर को देखकर मैं युक्तिशून्य हो गया।
  13. वृत्ति – कवियों की वृत्ति मनमानी होती है।

प्रश्न 4.
नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए

  1. देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए।
    ……………………………………………………………………………
  2. कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए
    ……………………………………………………………………………
  3. हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है।
    ……………………………………………………………………………

उत्तर:

  1. मेरे देखते-देखते वहाँ भगदड़ मच गई और भयभीत लोगों के चेहरे श्वेत पूनी जैसे हो गए।
  2. सूर्योदय का सौंदर्य देखना हो तो कन्याकुमारी पहुँचना चाहिए
  3. पंकज़ सदा पंक से ही पैदा होता है।

प्रश्न 5.
न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए

  1. तुम घरे ………………. जाओ।
  2. मोहन कल ………………. आएगा।
  3. उसे ………………. जाने क्या हो गया है?
  4. डॉटो ………………. प्यार से कहो।
  5. मैं वहाँ कभी ………………. जाऊँगा ।
  6. ………………. वह बोला ……………….. मैं।

उत्तर:

  1. तुम घर मत जाओ।
  2. मोहन कल नहीं आएगा।
  3. उसे जाने क्या हो गया है?
  4. डाँटो मत प्यार से कहो।
  5. मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगा।
  6. ने वह बोला मैं।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
विद्यार्थी सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य देखें तथा अपने अनुभवों को लिखें।
उत्तर:
सूर्योदय की वेला अत्यंत पावन होती है। जब ओंस से गीले वातावरण में सूरज की नम किरणें चौंधियाती हुई आँखों में प्रवेश करती हैं तो सुख का अहसास होता है। पक्षी चहचहाते हैं। ठंडी हवाएँ चलती हैं।
सूर्यास्त के समय आकाश में शांति छा जाती है। रंगबिरंगी किंतु शांत किरणें मन को शांति दे जाती हैं। पक्षी भी कलरव छोड़कर घोंसलों में घुस जाते हैं।

प्रश्न 2.
कीचड़ में पैदा होनेवाली फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
धान, सिघाडा आदि।

प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र में दिखाएँ कि धान की फसल प्रमुख रूप से किन-किन प्रांतों में उपजाई जाती है?
उत्तर:
भूगोल की पुस्तक का सहारा लें। कुछ उदाहरण—बिहार, झारखण्ड, पंजाब, हरियाणा, आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु।

प्रश्न 4.
क्या कीचड़ ‘गंदगी’ है? इस विषय पर अपनी कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:

  1. एक छात्र – कीचड़ गंदगी प्रतीत होती है। एक बार कीचड़ में पैर धंस जाए तो घिन आती है।
  2. दूसरा छात्र – परंतु मैं तो रोज ही खेतों की कीचड़ में से गुजरता हूँ। मुझे अच्छा लगता है। इसी कीचड़ में से अन्न पैदा होता है।
  3. तीसरा छात्र – जब मैं किसी मजदूर को गारे और कीचड़ में सना देखता हूँ तो मेरा मन भी करता है कि उस कीचड़ ‘ में घुसकर काम करूं। मुझे अच्छा लगता है।
  4. चौथा छात्र – परंतु जब बारिश के बाद अपनी गली के गंदे कीचड़ में से गुजरता हूँ तो घिन आती है।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 11

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 11 सवैये

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है? [CBSE]
अथवा
कवि रसखान ने ब्रजभूमि के प्रति अपने प्रेम को किस प्रकार प्रकट किया है? [CBSE]
उत्तर:
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम, निम्न रूपों में अभिव्यक्त हुआ है।

  • वह अगले जन्म में मनुष्य बनकर ब्रज के ग्वाल-बालों के मध्य बसना चाहता है।
  • वह पशु बनकर नंद की गायों के मध्य चरना चाहता है।
  • वह पत्थर के रूप में गोवर्धन पर्वत का हिस्सा बनना चाहता है।
  • वह पक्षी बनकर यमुना-किनारे कदंब के पेड़ पर बसेरा बनाना चाहता है।
  • कवि ब्रज के वन-बाग और तालाब निहारते रहना चाहता है।

प्रश्न 2.
कवि को ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं? [CBSE]
उत्तर:
कवि श्रीकृष्ण और उनसे जुड़ी हर वस्तु से अगाध प्यार करता है। ब्रज के वन, बाग, तथा तालाबों के आसपास श्रीकृष्ण आया करते थे। वे इनमें गाय चराते हुए, रासलीला रचाते हुए आया-जाया करते थे। उनसे कवि कृष्ण का जुड़ाव तथा लगाव महसूस करता है। इसलिए कवि इन वनों, बागों और तालाबों को निहारते रहना चाहता है क्योंकि वह उनमें कृष्ण का अंश महसूस करता है।

प्रश्न 3.
एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है? [Imp.] [CBSE]
अथवा
कवि कृष्ण की लाठी और कंबल के बदले क्या त्यागने को तैयार हैं? [CBSE]
अथवा
रसखान किस पर कैसे न्योछावर हो जाने को तैयार है? [CBSE]
उत्तर:
एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ इसलिए न्योछावर करने को तैयार है क्योंकि ये वस्तुएँ उसके आराध्य प्रभु से जुड़ी हैं और इन वस्तुओं में कृष्ण की यादें बसी हैं।

प्रश्न 4.
सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सखी ने गोपी से वही सब कुछ धारण करने को कहती है, जो श्रीकृष्ण धारण किया करते थे। वह गोपी से कहती है कि सिर पर मोर के पंख को मुकुट, गले में कुंजों की माला, तन पर पीले वस्त्र धारण कर तथा हाथ में लाठी लिए वन-वन गायों को चराने जाए।

प्रश्न 6.
चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
अथवा
गोपी कृष्ण की किन विशेषताओं से प्रभावित होती है? [CBSE 2012]
उत्तर:
इस सवैथे के अनुसार-श्रीकृष्ण की मुरली की धुन अत्यंत मधुर तथा मादक है तथा उनका रूप अत्यंत सुंदर है। उनकी मुरली की मधुरता तथा उनके रूप सौंदर्य के प्रति गोपियाँ आसक्त हैं। वे इनके समक्ष स्वयं को विवश पाती हैं और कृष्ण की होकर रह जाती हैं।

प्रश्न 7.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।

उत्तर:
भाव
(क) कवि रसखान श्रीकृष्ण और ब्रज क्षेत्र से असीम लगाव रखते हैं। श्रीकृष्ण ब्रज के करील के कुंजों की छाया में विश्राम किया करते थे। इस करील के कुंजों की छाया के बदले वे सोने के महलों का सुख भी न्योछावर करने को तैयार थे।

(ख) श्रीकृष्ण की मुसकान की मादकता के विषय में गोपी कहती हैं कि माई री, वह मुसकान इतना आकर्षक है कि मैं उससे बच नहीं पाऊँगी और मुझसे स्वयं को सँभाला नहीं जाएगा।

प्रश्न 8.
‘कालिंदी कुल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।

प्रश्न 9.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए| या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। [CBSE]
उत्तर:
भाव-सौंदर्य- गोपी कह रही है कि वह श्रीकृष्ण का स्वांग करने को तैयार है पर वह मुरलीधर की मुरली को अपने होठों पर नहीं रखेगी।
शिल्प सौंदर्य

  • भाषा में व्रजभाषा की मधुरता है।
  • छंद सवैया है।
  • ‘म’ की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार तथा अधरा न – अधरों पर, अधरा न – अधरों पर नहीं में यमक अलंकार है।
  • दृश्य बिंब साकार हो उठा है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 10.
प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मैं अपनी मातृभूमि से बहुत प्यार करता हूँ। मैं इसी मातृभूमि का अन्न ग्रहण कर बड़ा हुआ हूँ। इसी की पावन तथा शीतल वायु में साँस लेकर पला-बढ़ा हूँ। यहीं की पावन नदियों का जल पीकर प्यास बुझाई है। मुझे यहाँ की गौरवशाली प्राचीन संस्कृति का अंग बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं हर जन्म में यहाँ की पावन भूमि पर जन्म लेना चाहूँगा। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हूँ।

प्रश्न 11.
रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

पाठेतर सक्रियता

• सूरदास द्वारा रचित कृष्ण के रूप-सौंदर्य संबंधी पदों को पढ़िए।
उत्तर:
छात्र पढ़ें।

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुंचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर:
भिखमंगे के वेश में भी लेखक थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँचने पर इसलिए ठहरने का अच्छा स्थान पा गया क्योंकि उसके साथ सुमति थे। उस गाँव में सुमति के जानने वाले थे। दूसरी यात्रा के समय सभ्य लोगों की वेशभूषा में था परंतु वह रुकने की जगह इसलिए नहीं पा सका क्योंकि उस गाँव के लोगों के लिए वह अजनबी था। इसके अलावा शाम के समय छङ् पीकर मदहोश हुए लोगों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।

प्रश्न 2.
उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था? [Imp.][CBSE]
उत्तर:
उस समय तिब्बत में हथियार का कानून न होने के कारण यात्रियों को हमेशा अपने जान और माल का खतरा रहता था। वहाँ के लोग आत्मरक्षा के लिए खुलेआम हथियार लेकर घूमते रहते थे। वहाँ अनेक निर्जन स्थान थे, जहाँ डाकुओं को किसी का भय नहीं रहता था। ऐसे स्थानों पर पुलिस का भी प्रबंध नहीं होता था। ऐसे में डाकू यात्रियों की पहले हत्या करते थे, फिर उससे माल लूटते थे।

प्रश्न 3.
लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया? [CBSE]
उत्तर:
लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से इसलिए पिछड़ गया क्योंकि-

  • उसका घोड़ा बहुत धीरे चल रहा था।
  • वह रास्ता भटककर गलत रास्ते पर चला गया फिर वापस आया।

प्रश्न 4.
लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया? [Imp.][CBSE]
उत्तर:
शेकर विहार में सुमति के बहुत से यजमान रहते थे, जिनके पास जाकर सुमति गंडा बाँटते थे। बोधगया से लाए गए इन गंडों को बाँटने में अधिक समय लगता था, इसलिए लेखक ने समुति को यजमानों के पास जाने से रोका।

दूसरी बार लेखक को शेकर विहार के एक मंदिर में बुद्ध वचन अनुवाद की 103 पोथियाँ मिल गई थीं। इन भारी-भरकम पोथियों के अध्ययन से ज्ञानार्जन के लिए समय की आवश्यकता थी। लेखक उस समय इनके अध्ययन में रम चुका था, इसलिए उसने दूसरी बार सुमति को रोकने का प्रयास नहीं किया।

प्रश्न 5.
अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा? [CBSE]
उत्तर:
तिब्बत यात्रा के दौरान निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा-

  • उसे भिखमंगों के वेश में यात्रा करनी पड़ी।
  • उसे धूप में जलते हुए तथा सरदी सहते हुए यात्रा करनी पड़ी।
  • भरिया न मिलने पर उसे अपना सामान पीठ पर लादना पड़ा।
  • उसे धीमा चलने वाला घोड़ा मिला जिससे वह विलंब से पहुँचा।
  • वह सुमति के गुस्से का शिकार हुआ।
  • उसे डाँड़े पर अपनी जान हथेली पर रखकर यात्रा करनी पड़ी।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था? [Imp.][CBSE]
उत्तर:
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर उस समय के तिब्बती समाज के बारे में पता चलता है कि

  1. उस समय का तिब्बती समाज बहुत खुला था, जिसमें जाति-पाँति, छूआछूत, ऊँच-नीच जैसी बातें न थीं।
  2. महिलाएँ पर्दा नहीं करती थीं। वे अपरिचितों को भी चाय बनाकर दे दिया करती थीं।
  3. जान-पहचान के बिना लोग रात बिताने के लिए आश्रय नहीं देते थे।
  4.  समाज में मदिरा-पान (छंङ्) का रिवाज था।
  5. लोग धार्मिक प्रवृत्ति के तथा अंधविश्वासी थे जो गंडे के नाम पर साधारण कपड़ों के टुकड़ों पर भी विश्वास कर लेते थे।

प्रश्न 7.
‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था।’ नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर:
लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं? [CBSE]
उत्तर:
सुमति के यजमान और उनके परिचित हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं; जैसे|

  1. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति थे, जो लोगों से समय-समय पर मिलते रहते थे।
  2.  सुमति उन लोगों के बीच धर्मगुरु के समान थे, जो उन्हें बोधगया से लाए गंडे दिया करते थे।
  3. सुमति समय के पाबंद थे। वे समय पर लेखक के न पहुँचने पर नाराज हो जाते
  4.  सुमति लालची स्वभाव के व्यक्ति थे। वे यजमानों में बोधगया में लाए गंडे समाप्त हो जाने पर साधारण कपड़े का गंडा उन्हें देकर धन प्राप्त करते थे।
  5.  सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान रखते थे।
  6. वे आतिथ्य सत्कार में कुशल थे। उन्होंने लेखक को इंतजार करते हुए चाय को तीन बार गर्म किया।

प्रश्न 9.
हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।’
–उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर:
यह सही है कि वेशभूषा हमारे आचार-विचार के तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिस व्यक्ति की वेशभूषा अच्छी होती है वह आदर का पात्र बन जाता है। इसके विपरीत खराब वेषभूषा हमें उपेक्षा का पात्र बना देती है। मेरे विचार से वेशभूषा के आधार पर हमारे आचार-विचार और व्यवहार का आँकलन नहीं किया जाता है। हमारे देश के ऋषि-मुनि और महापुरुषों ने सादा जीवन उच्च विचार को महत्त्व देते हुए अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहकर उच्च कोटि का कार्य किया है। अच्छे पहनावे से ही कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता है।

प्रश्न 10.
यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है? [Imp.][CBSE]
उत्तर:
तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित है जो नेपाल का पड़ोसी देश है। इसकी सीमा भारत और चीन से लगती है। यह समुद्रतल से सत्रह-अठारह हजार फीट ऊँचाई पर है। इस पहाड़ी प्रदेश के रास्ते बहुत ही ऊँचे-नीचे हैं। यहाँ पहाड़ों के मोड़ सुनसान और खतरनाक हैं। यहाँ दूर-दूर तक आबादी नहीं होती है।
यहाँ एक ओर हिमालय की ऊँची चोटियाँ हैं तो दूसरी ओर नंगे पहाड़ हैं। यहाँ की जलवायु भी अनुपम है। धूप वाले भाग में जहाँ तेज गर्मी पड़ती है वहीं छाया वाले भाग में खूब ठंडक होती है। थोला यहाँ का दुर्गम डाँड़ा है। तिी एक विशाल मैदानी भाग है, जिसके चारों ओर पहाड़ है। यहाँ बीच में एक पहाड़ी है, जिस पर देवालय स्थित है।

प्रश्न 11.
आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर:
छात्र अपने अनुभव के आधार पर स्वयं लिखें।

प्रश्न 12.
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है?
उत्तर:
हमारी पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में निम्नलिखित पाठ और विधाएँ हैं
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2 1
प्रस्तुत विधा (यात्रा-वृत्तांत) अन्य विधाओं-कहानी, संस्मरण, व्यंग्य, निबंध आदि से अलग है। इसमें लेखक ने यात्रा की समस्त वस्तुओं, व्यक्तियों तथा घटनाओं का वर्णन किया है। इससे तिब्बत का भौगोलिक परिदृश्य हमारी आँखों के सामने सजीव हो उठता। है। वहाँ के सुनसान इलाकों, पहाड़ी भागों के अलावा सामाजिक रीतिरिवाजों, भाषा एवं संस्कृति की जानकारी मिलती है। इस तरह यह अन्य विधाओं से अलग है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे सुबह होने से पहले हमें गाँव में थे। पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे। तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए। नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए ‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर:
इस वाक्य को इन तरीकों से लिखा जा सकता है-
इसका पता ही नहीं चल पा रहा था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।
यह ज्ञान ही नहीं हो रहा था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।
यह अनुमान लगाना कठिन हो रहा था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।

प्रश्न 14.
ऐसे शब्द जो किसी ‘अंचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आए हुए आंचलिक शब्द फरी-कलिङपोङ, चोड़ी, खोटी, राहदारी, छ, थोङ्ला, डांड़ा, कुची-कुची, लङ्कोर, कंडे, भीटा, थुक्पा, गाँव-गिराँव, भरिया, गंडा, तिी कन्जुर

प्रश्न 15.
पाठ में कागज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों : से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर:
व्यापारिक, फौज़ी, चीनी, परिव्यक्त, निम्न, अपरिचित, टोंटीदार, विकट, निर्जन, अगला, नंगे, सर्वोच्च, रंग-बिरंगे, लाल, अच्छा, गरमागरम, लालच, पतला, तेज़, छोटे-छोटे आदि।

• यह यात्रा राहुल जी ने 1930 में की थी। आज के समय यदि तिब्बत की यात्रा की जाए तो राहुल जी की यात्रा से कैसे भिन्न होगी?
उत्तर:
आजकल काठमांडू से ल्हासा वायुयान द्वारा एक घण्टे में पहुँचा जा सकता है। -या काठमांडू से ल्हासा, जीप द्वारा लगभग 900 किलो मीटर की सड़क यात्रा द्वारा पहुँचा जा सकता है।

• क्या आपके किसी परिचित को घुमक्कड़ी/यायावरी का शौक है? उसके इस शौक का उसकी पढ़ाई/काम आदि पर क्या प्रभाव पड़ता होगा, लिखें।
उत्तर-
परीक्षोपयोगी नहीं।

• अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
आम दिनों में समुद्र किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे
जुड़े दूसरे कारोबारों में लगे हैं। दिसंबर 2004 को सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफ़ानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण भी बन सकती है।

प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलट कर रख देगी, कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिज़ाज को उसका कोप कह लें या कुछ और, मगर यह अबूझ पहेली अकसर हमारे विश्वास के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं। एशिया के एक बड़े हिस्से में आने वाले उस भूकंप ने कई द्वीपों को इधर-उधर खिसकाकर एशिया का नक्शा ही बदल डाला। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजें इनसान से वापस ले ली हैं जिसकी कसक अभी तक है।

दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सकें और रोशनी को बचाए रखने के लिए जतन करें। इस जतन से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, उसे निराशा के चश्मे से न देखें। ऐसे समय में भी मेघना, अरुण और मैगी जैसे बच्चे हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते हैं। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। इंडोनेशिया की रिजा।

पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी कि एक विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आई समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की यह जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने। दस मीटर से ज्यादा ऊँची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थीं, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुईं।

जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवता हार नहीं मानती।।

  1. कौन-सी आपदा को सुनामी कहा जाता है?
  2. ‘दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
  3. मैगी, मेघना और अरुण ने सुनामी जैसी आपदा का सामना किस प्रकार किया?
  4. प्रस्तुत गद्यांश में ‘दृढ़ निश्चय’ और ‘महत्त्व’ के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है?
  5. इस गद्यांश के लिए एक शीर्षक ‘नाराज़ समुद्र’ हो सकता है। आप कोई अन्य शीर्षक दीजिए।

उत्तर-

1. समुद्र में आए भीषण भूकंप के कारण उठने वाली तूफानी लहरों को सुनामी आपदा कहा जाता है। इसके कारण समुद्र तथा आस-पास का भूगोल तक बदल जाता है।

2. दुख जीवन को और अधिक साफ-सुथरा बनाता है और प्रगति करने की कला सिखाता है। सूनामी को ही लें। इसके कारण भीषण तबाही हुई। अनेक लोग मर गए। संपत्ति स्वाहा हो गई। यह दुख तो आया। किंतु इसी दुख से सबक सीखकर हमने सुनामी से बचने के उपाय खोजे। उजड़े हुए गाँवों-नगरों को फिर से बसाया। यह नया निर्माण पुराने निर्माण से अच्छा, स्वच्छ और सुरक्षित होगा। इस प्रकार हम प्रगति की ओर ही बढे।

3. 13 वर्ष की मेघना और अरुण दो दिनों तक समुद्र में तैरते रहे। अनेक समुद्री जीवों ने उन्हें निगलने का प्रयास किया। किंतु वे सफलतापूर्वक किनारे आ लगे और सुरक्षित बच गए।
मैगी ने सुनामी की चुनौती को चुनौती दी। उसने 10 मीटर ऊँची लहरों के बीच अपना बेड़ा उतार दिया। उसमें अपने परिजनों को बिठाकर समुद्र की लहरों से संघर्ष करती रही। 18 साल की इस जलपरी ने सुनामी की लहरों को परास्त कर दिया।

4. ‘दृढ़ निश्चय’ के लिए बुलंद इरादे’ का प्रयोग हुआ है।
‘महत्त्व’ के लिए ‘अहमियत’ शब्द का प्रयोग हुआ है।

5. समुद्र की चुनौती अथवा सुनामी और हम।

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