सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 7

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Class 7 Sanskrit Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes

सड.कल्पः सिद्धिदायकः पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में वर्णन किया गया है कि किस प्रकार कठिन तपस्या करके पार्वती ने शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कथा के द्वारा शिक्षा दी गई है कि दृढनिश्चय और कठोर परिश्रम से कठिन-से-कठिन कार्य को पूर्ण किया जा सकता है। इस पाठ से धातुरूपों का अधिक ज्ञान प्राप्त होगा।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary

इस पाठ में बताया गया है कि दृढ़ इच्छा शक्ति सिद्धि को प्रदान करने वाली होती है। कथा का सार इस प्रकार हैनारद के वचन से प्रभावित होकर पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप करने की इच्छा प्रकट की। पार्वती की माता मेना उसे तप करने के लिए निरुत्साहित करती हुई कहने लगी कि मनचाहे देवता औरसुख के सभी साधन तुम्हारे घर में हैं। तुम्हारा शरीर कोमल है जो कठोर तप के अनुकूल नहीं है। इसलिए तुम्हें तपस्या में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 7.1

पार्वती ने माता को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह किसी भी प्रकार की बाधा से भयभीत नहीं होगी तथा अभिलाषा के पूर्ण हो जाने पर पुनः घर लौट आएगी। इस प्रकार पार्वती अपनी माता को वचन देकर वन में जाकर तपस्या करने लगी। उनकी कठोर तपस्या से हिंसक पशु भी उनके मित्र बन गए। उन्होंने वेदों का अध्ययन किया तथा कठोर तपस्या का आचरण किया।

कुछ समय पश्चात् एक ब्रह्मचारी उनके आश्रम में आया। कुशलक्षेम पूछने के पश्चात् ब्रह्मचारी ने उनसे तपस्या का उद्देश्य जानना चाहा। पार्वती की सहेली के मुख से तपस्या का प्रयोजन जानकर वह जोर से हँसने लगा।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 7.2

तब वह ब्रह्मचारी शिव की निंदा करने लगा। वह कहने लगा-शिव अवगुणों की खान है। वह श्मशान में रहता है। भूतप्रेत ही उसके अनुचर हैं। तुम उससे अपना मन हटा लो। शिव से सच्चा प्रेम करने वाली पार्वती शिव की निंदा सुनकर क्रोधित हो गईं। वह उस ब्रह्मचारी को बुरा भला कहने लगी और उसे वहाँ से चले जाने के लिए कहने लगी। ब्रह्मचारी के अडियल रवैये को देखकर पार्वती आश्रम से बाहर जाने को तत्पर हो गई। तब शिव ने अपना वास्तविक रूप प्रकट करके पार्वती से कहा कि मैं ब्रह्मचारी के रूप में शिव ही हूँ। आज तुम परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई हो। यह सुनकर पार्वती अत्यधिक प्रसन्न हो गईं।

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Word Meanings Translation in Hindi

(क) पार्वती शिवं पतिरूपेण अवाञ्छत्। एतदर्थं सा तपस्यां कर्तुम् ऐच्छत्। सा स्वकीयं
मनोरथं मात्रे न्यवेदयत्। तच्छ्रुत्वा माता मेना चिन्ताकुला अभवत्।

शब्दार्थाः (Word Meanings): अवाञ्छत् – चाहती थी (wanted/wished), एतदर्थम् (एतत्+अर्थम् )-इसके लिए (for this), कर्तुम्-करने के लिए (to do), ऐच्छत्-चाहती थी (wanted), मात्रे-माता को (to mother), न्यवेदयत्-निवेदन किया/बताया (told/informed), तच्छुत्वा (तत्+श्रुत्वा)-यह सुनकर (hearing this), चिन्ताकुला-चिन्ता से व्याकुल (restless with worry).

सरलार्थ :
पार्वती शिव को पति के रूप में चाहती थी। इसके लिए वह तपस्या करना चाहती थी। उसने अपनी इच्छा माँ को बताई। यह सुनकर माँ मेना चिन्ता से व्याकुल हो गईं।

English Translation :
Parvati wanted Shiva as her husband. For wanted to do penance. She informed her mother about her intention. Hearing this, Mother Mena became worried.

(ख) मेना- वत्से! मनीषिता देवता: गृहे एव सन्ति। तपः कठिनं भवति। तव शरीरं सुकोमलं वर्तते। गृहे एव वस।
अत्रैव तवाभिलाषः सफलः भविष्यति।
पार्वती- अम्ब! तादृशः अभिलाषः तु तपसा एव पूर्णः भविष्यति। अन्यथा तादृशं च पतिं कथं प्राप्स्यामि। अहं तपः एव चरिष्यामि इति मम सङ्कल्पः।
मेना- पुत्रि! त्वमेव मे जीवनाभिलाषः।।
पार्वती- सत्यम्। परं मम मनः लक्ष्यं प्राप्तुम् आकुलितं वर्तते। सिद्धिं प्राप्य पुनः तवैव शरणम् आगमिष्यामि। अद्यैव विजयया साकं गौरीशिखरं गच्छामि। (ततः पार्वती निष्क्रामति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वर्तते-है (is), तवाभिलाषः (तव+अभिलाषः)-तुम्हारी अभिलाषा (your desire), तपसा-तप द्वारा (with penance), अन्यथा-नहीं तो (otherwise), प्राप्स्यामि-पाऊँगी (shall obtain), चरिष्यामि-करूँगी (shall observe), प्राप्तुम्-पाने के लिए (to obtain), प्राप्य-पाकर (having obtained), अद्यैव (अद्य + एव)-आज ही (today only), साकम्-साथ (with),निष्क्रामति-निकल जाती है (goes out), सङ्कल्पः-संकल्प (determination).

सरलार्थः
मेना- बेटी! इष्ट देवता तो घर में ही होते हैं। तप कठिन होता है। तुम्हारा शरीर कोमल है। घर पर ही रहो। यहीं तुम्हारी अभिलाषा पूरी हो जाएगी। पार्वती- माँ! वैसी अभिलाषा तो तप द्वारा ही पूरी होगी। अन्यथा मैं वैसा पति कैसे पाऊँगी। मैं तप ही करूँगी-यह मेरा संकल्प है। मेना- पुत्री, तुम ही मेरी जीवन अभिलाषा हो। पार्वती- ठीक है। पर मेरा मन लक्ष्य पाने के लिए व्याकुल है। सफलता पाकर पुन: तुम्हारी ही शरण में आऊँगी। आज ही विजया के साथ गौरी शिखर पर जा रही हूँ। (उसके बाद पार्वती बाहर चली जाती है)

English Translation :
Mena- My dear! The gods we adore are in the home only. Penance is difficult.
Your body is very gentle. Stay at home. Your desire will be fulfilled here only.
Parvati – Mother! A desire like that can be fulfilled by penance only.
Otherwise how can I obtain a husband like that. I shall do penance only-this is my resolve. (determination.)
Mena- Daughter! you are my Life’s desire.
Parvati – True. But my heart yearns to acheive its goal. Having achieved success.
I shall return to you only. I shall go to Gauri Shikhar today itself with my friend Vijaya.

(ग) (पार्वती मनसा वचसा कर्मणा च तपः एव तपति स्म। कदाचिद् रात्रौ स्थण्डिले,
कदाचिच्च शिलायां स्वपिति स्म। एकदा विजया अवदत्।)
विजया- सखि! तपःप्रभावात् हिंस्रपशवोऽपि तव सखायः जाताः।
पञ्चाग्नि-व्रतमपि त्वम् अतपः। पुनरपि तव अभिलाष: न पूर्णः अभवत्।
पार्वती- अयि विजये! किं न जानासि? मनस्वी कदापि धैर्यं न परित्यजति। अपि च मनोरथानाम् अगतिः नास्ति।
विजया- त्वं वेदम् अधीतवती। यज्ञं सम्पादितवती। तपःकारणात् जगति तव प्रसिद्धिः।
‘अपर्णा’ इति नाम्ना अपि त्वं प्रथिता पुनरपि तपसः फलं नैव दृश्यते।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
मनसा-मन से (in mind), वचसा-वाणी द्वारा (in speech), कर्मणा-कर्म द्वारा (by one’s deed), कदाचित्-कभी (sometimes), रात्रौ-रात को (at night), स्थण्डिले-भूमि पर (on barrenland), स्वपिति स्म-सोती थी (slept), हिंम्रपश्वः-हिंसक पशु (ferocious animals), सखायः-मित्र (friends), पुनरपि (पुनः + अपि)-फिर भी (inspite of that), अतपः-तप किया (did penance), किं न जानासि-क्या नहीं जानती हो (do you not know), मनस्वी-ज्ञानी (high-minded), अधीतवती-अध्ययन किया (did study), जगति-जगत में (in the world), नाम्ना-नाम से (by name), प्रथिता-विख्यात (famous), तपसः-तप का (of penance), दृश्यते-दिखाई देता है (is seen).

सरलार्थः
(पार्वती ने मन, वचन व कर्म से तप ही किया। कभी रात को भूमि पर और कभी शिला पर सोती थी। एक बार विजया ने कहा)
विजया- सखी! तप के प्रभाव से हिंसक पशु भी तुम्हारे मित्र बन गए हैं। पञ्चाग्नि व्रत भी तुमने किया। फिर भी तुम्हारी इच्छा पूर्ण नहीं हुई।
पार्वती- अरी विजया! क्या तुम नहीं जानती हो? मनस्वी कभी धैर्य नहीं छोड़ता है। एक बात और इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती।
विजया- तुमने वेद का अध्ययन किया। यज्ञ किया। तप के कारण तुम्हारी संसार में ख्याति है। ‘अपर्णा’ इस नाम से भी तुम विख्यात हो। फिर भी तप का फल नहीं दिखाई दे रहा।

English Translation :
(Parvati observed only penance in mind, speech and action. Sometimes she slept on barren land and sometimes on stone slab. Once Vijaya said.) Vijya- Friend! under the influence of your penance even the ferocious animals have become your friends. You observed the (difficult) panchagni vrata too. Inspite of all this your desire did not get fulfilled. Parvati – O Vijaya! Don’t you know? A high-minded person never gives up courage.

Besides there is no end to desires. Vijya- You studied the Veda. You performed sacrifice. You are famous in the world because of penance. You are also famous by the name ‘Aparna’. Despite all this the fruit of your penance is nowhere to be seen.

(घ) पार्वती- अयि आतुरहृदये! कथं त्वं चिन्तिता ………. ।
( नेपथ्ये-अयि भो! अहम् आश्रमवटुः। जलं वाञ्छामि।)
(ससम्भ्रमम् ) विजये! पश्य कोऽपि वटुः आगतोऽस्ति।
(विजया झटिति अगच्छत्, सहसैव वटुरूपधारी शिवः तत्र प्राविशत्)
विजया-वटो! स्वागतं ते! उपविशतु भवान्। इयं मे सखी पार्वती। शिवं प्राप्तुम् अत्र तपः करोति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
नेपथ्ये-परदे के पीछे (backstage), ससम्भ्रमम्-हड़बड़ाहट से (nervously), वटुः-ब्रह्मचारी (a bachelor scholar), झटिति-झट से (जल्दी) (quickly), उपविशतु-बैठिए (please sit), भवान्-आप (your reversed self), इयं-यह (this).

सरलार्थः
पार्वती- अरे, व्याकुल हृदय वाली, तुम चिन्तित क्यों हो? (परदे के पीछे- अरे कोई है! मैं आश्रम में रहने वाला ब्रह्मचारी हूँ। मैं पानी पीना चाहता हूँ। (मुझे पानी चाहिए)। (हड़बड़ाहट से)। विजया! देखो कोई ब्रह्मचारी आया है। (विजया झट से गई और सहसा ही वटुरूपधारी शिव ने प्रवेश किया) विजया- हे ब्रह्मचारी आपका स्वागत है। कृपया बैठिए। यह मेरी सखी पार्वती है जो शिव को पति रूप में पाने के लिए तप कर रही है।

English Translation :
O impatient one! Why are you worried ? (Backstage-Is anyone there! I am a bachelor scholar/student from the hermitage. I want water.) (Nervously) Vijaya! please see some bachelor scholar/student has come. (Vijaya quickly went. All of a sudden Shiva in the guise of a bachelor scholar entered.) Vijya- 0 scholar! Welcome to you. Please sit. This is my friend Parvati. She is observing penance to obtain Shiva.

(ङ) वटुः- हे तपस्विनि! किं क्रियार्थं पूजोपकरणं वर्तते, स्नानार्थं जलं सुलभम् भोजनार्थं फलं वर्तते? त्वं तु जानासि एव शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।
( पार्वती तूष्णीं तिष्ठति) वटुः- हे तपस्विनि! किमर्थं तपः तपसि? शिवाय?
(पार्वती पुनः तूष्णीं तिष्ठति)
विजया-(आकुलीभूय) आम्, तस्मै एव तपः तपति।
(वटुरूपधारी शिवः सहसैव उच्चैः उपहसति)
वटुः- अयि पार्वति! सत्यमेव त्वं शिवं पतिम् इच्छसि? (उपहसन्) नाम्ना शिवः
अन्यथा अशिवः। श्मशाने वसति। यस्य त्रीणि नेत्राणि, वसनं व्याघ्रचर्म, अङ्गरागः चिताभस्म, परिजनाश्च भूतगणाः। किं तमेव शिवं पतिम् इच्छसि?

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
क्रियार्थम्-तप की क्रिया के लिए (for doing penance), शरीरमाद्यम् (शरीरम् आद्यम् )-शरीर सर्वप्रथम (body is foremost), तूष्णीम्-चुपचाप (quiet), आकुलीमूय-व्याकुल होकर (getting agitated), उपहसति-उपहास करता है (makes fun), अशिवः-अशुभ (inauspicious), श्मशाने-श्मशान में (in the cremation ground), वसनम् वस्त्र (clothing), परिजनाश्च-(परिजनाः + च) और परिजन (all attendants), उपहसन् उपहास करते हुए (making fun).

सरलार्थः
वटुः- हे तपस्विनी! क्या तपादि करने के लिए पूजा-सामग्री है, स्नान के लिए जल उपलब्ध है? भोजन के लिए फल हैं। तुम तो जानती ही हो शरीर ही धर्म का आचरण के लिए
मुख्य साधन है। (पार्वती चुपचाप बैठी है)
वटुः- हे तपस्विनी किसलिए तप कर रही हो? शिव के लिए?
(पार्वती फिर भी चुप बैठी है)
विजया- (व्याकुल होकर) हाँ, उसी के लिए तप कर रही है।
(वटुरूपधारी शिव अचानक ही ज़ोर से उपहास करता है)
वटुः- अरी पार्वती! सच में तुम शिव को पति (रूप में) चाहती हो? (उपहास/मज़ाक करते हुए) वह नाम से शिव अर्थात् शुभ है अन्यथा अशिव अर्थात् अशुभ है। श्मशान में रहता है। जिसके तीन नेत्र हैं, वस्त्र व्याघ्र की खाल है, अंगलेप चिता की भस्म और सेवकगण
भूतगण हैं। क्या तुम उसी शिव को पति के रूप में पाना चाहती हो?

English Translation :
Vatu- (Celibate) O Lady Hermit! Is means of worship (available) for observing
penance; is water for ablutions easily available? Is there fruit for food? (You know very well that the body is the foremost means of following the path of ‘Dharma’ i.e. righteous duty). (Parvati stays quiets)
Vatu- (Celibate) O Tapasvini! Why are you observing penance? Is it for Shiva? (Parvati is still quiet)
Vijya- (Getting agitated) Yes, she is doing penance only for Him. (Shiva in the guise of a celibate bursts into laughter all of a sudden).
Vatu- O Parvati! Is it true you wish to have Shiva as your husband. (laughing in a joking manner) He is Shiva (auspicious) by name only. Otherwise he is Ashiva i.e., just the opposite. He lives in the cremation ground. He who has three eyes, tiger skin as clothing, ashes form the funeral pyre for anointment and hosts of ghosts for his attendants. Do you want that
Shiva as your husband?

(च) पार्वती- (क्रुद्धा सती) अरे वाचाल! अपसर। जगति न कोऽपि शिवस्य यथार्थं स्वरूपं जानाति। यथा त्वमसि तथैव वदसि।
(विजयां प्रति) सखि! चल। यः निन्दां करोति सः तु पापभाग् भवति एव, यः शृणोति सोऽपि पापभाग् भवति।
(पार्वती द्रुतगत्या निष्क्रामति। तदैव पृष्ठतः वटो: रूपं परित्यज्य शिवः तस्याः
हस्तं गृह्णाति। पार्वती लज्जया कम्पते)
शिव- पार्वति! प्रीतोऽस्मि तव सङ्कल्पेन अद्यप्रभृति अहं तव तपोभिः क्रीतदासोऽस्मि।
(विनतानना पार्वती विहसति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वाचाल-बातूनी (one who talks too much/babbler), अपसर-दूर हट (go away), न कोऽपि (कः + अपि)-कोई भी नहीं (no body), पापभाग पापी (sinful), द्रुतगत्या-तीव्र गति से (hastily), पृष्ठतः-पीछे से (from behind), गृह्णति पकड़ लेता है (holds), लज्जया-लज्जा से (with shame), अद्यप्रभृति-आज से (today onwards), क्रीतदासः-खरीदा हुआ दास (slave), विनतानना-झुके हुए मुख वाली (with face hung).

सरलार्थः
पार्वती- (क्रुद्ध होकर) अरे वाचाल! चल हट। संसार में कोई भी शिव के यथार्थ (असली) रूप को नहीं जानता। जैसे तुम हो वैसे ही बोल रहे हो। (विजया की ओर) सखी! चलो। जो निन्दा करता है वह पाप का भागी होता है, जो सुनता है वह भी पापी होता है। (पार्वती तेज़ी से (बाहर) निकल जाती है। तभी पीछे से ब्रह्मचारी का रूप त्याग कर शिव उसका हाथ पकड़ लेते हैं। पार्वती लज्जा से काँपती है।)
शिव- पार्वती! मैं तुम्हारे (दृढ़) संकल्प से खुश हूँ। आज से मैं तुम्हारा तप से खरीदा दास हूँ। (झुके मुख वाली पार्वती मुस्कुराती है)

English Translation :
Parvati- (Being angry) 0 Babbler! go away. In this world no one knows the real Shiva. As you are so you speak. (To Vijaya) Friend, Move on. He who blames/criticizes (others) incurs sin; he who listens (to such talk) is also sinful. (Parvati exits in haste. At that very moment Shiva for saking the guise of the celibate hold her hand from behind. Parvati trembles with shame).
Shiva- Parvati! I am pleased with your (firm) resolve. Today onwards I am your slave bought by your acts of penance.
(Parvati smiles with her head hung)

सदाचारः Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 6

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Class 7 Sanskrit Chapter 6 सदाचारः Summary Notes

सदाचारः पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ के श्लोकों के द्वारा मनुष्य के सद्व्यवहार का ज्ञान दिया गया है। मनुष्य का आचरण समाज में, गुरुजन और माता-पिता एवं मित्रों के प्रति कैसा होना चाहिए, इसका उपदेश दिया गया है।

सदाचारः Summary

प्रस्तुत पाठ में सदाचार एवं नीति से सम्बन्धित बातें कही गई हैं। प्रथम श्लोक में कहा गया है आलस्य मनुष्य का महान शत्रु है और परिश्रम बन्धु। द्वितीय श्लोक में कहा गया है कि मृत्यु किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। मनुष्य को समय रहते ही कार्य पूर्ण कर लेने चाहिएँ।

तीसरे श्लोक में बताया है कि मनुष्य को प्रिय सत्य बोलना चाहिए तथा अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए। इसी प्रकार प्रिय असत्य भी नहीं कहना चाहिए। . चतुर्थ श्लोक में कहा है कि मनुष्य को कुटिल व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिए। उसे अपने व्यवहार में सरलता, कोमलता तथा उदारता आदि रखनी चाहिए।

पाँचवें श्लोक में बताया गया है कि मनुष्य को श्रेष्ठ गुणों से युक्त व्यक्ति व माता-पिता की मन, वचन और कर्म से सेवा करनी चाहिए। छठे श्लोक में कहा है कि मित्र के साथ कलह करके व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता है। अतः मनुष्य को ऐसा नहीं करना चाहिए।

सदाचारः Word Meanings Translation in Hindi

(क) आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपूः।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति॥

अर्थः निश्चय से आलस्य मनुष्यों के शरीर में रहने वाला सबसे बड़ा दुश्मन (शत्रु) है। प्रयत्न (परिश्रम) के साथ उसका (मनुष्य का) कोई मित्र नहीं है जिसे करके वह दु:खी नहीं होता है।

English Translation :
Certainly, laziness is the greatest enemy dwelling in the human body. Hard work has no enemy. By doing hard work man never becomes sad.

अन्वयः – हि …………. (i) मनुष्याणां शरीरस्थः ……. (ii) रिपुः (अस्ति)। ……………. (iii) बन्धुः नास्ति, यं कृत्वा (मानव:) न …………… (iv)
मञ्जूषा- अवसीदति, आलस्यं महान्, उद्यमसमः
उत्तर-
(i) आलस्यं (ii) महान् (iii) उद्यमसमः (iv) अवसीदति

भावार्थः –
अर्थात् अस्मिन् संसारे ………..(i) एव जनानां शरीरे स्थितः महान् ……… (ii) अस्ति तेन कारणेन एव जनाः दु:खानि, दरिद्रतां कष्टानि च प्राप्नुवन्ति/परन्तु तथैव ……… (iii) एव जनानां मित्रमपि वर्तते। तम् कृत्वा जनाः कदापि ………(iv) न भवन्ति अर्थात् सदैव सुखानि एव प्राप्नुवन्ति। मञ्जूषा- परिश्रम्, आलस्यम्, दुःखिनः, शत्रुः
उत्तर-
(i) आलस्यम् (ii) शत्रुः (iii) परिश्रम् (iv) दु:खिनः

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
आलस्यम्-आलस्य (laziness)। हि-निश्चय से (certainly)। शरीरस्थः -शरीर में रहने वाला (dwelling in the human body)। महान्-सबसे बड़ा (greatest/ biggest)। रिपुः-शत्रु (दुश्मन) है (enemy)। उद्यमसमः-परिश्रम के समान (similar to hard work)। बन्धुः-मित्र(friend)। यम्-जिसको (whom)। न-नहीं (no/not)। अवसीदति-दुःखी होता है (becomes sad)।

(ख) श्वः कार्यमद्य कुर्वीत पूर्वाह्ने चापराह्निकम्।
नहि प्रतीक्षते मृत्युः कृतमस्य न वा कृतम्॥2॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
कुर्वीत-करना चाहिए (should do), पूर्वाह्ने-दोपहर से पहले (in the forenoon), आपराह्निकम्-दोपहर का (of the afternoon), न प्रतीक्षते-प्रतीक्षा नहीं करती है (does not wait), कृतमस्य (कृतम् + अस्य)-इसका हो गया है (his work is done), वा-या (or)

सरलार्थ :
कल का काम आज कर लेना चाहिए और दोपहर का पूर्वाह्न में। मृत्यु प्रतीक्षा (इन्तज़ार) नहीं करती कि इसका काम हो गया या नहीं हुआ अर्थात् इसने काम पूरा कर लिया या नहीं। भाव यह है कि काम को कभी टालना नहीं चाहिए क्योंकि पता नहीं कब जीवन समाप्त हो जाए।

English Translation :
One should do today what needs to be done tomorrow and in the afternoon. Death never waits for anyone whether a person’s job is done or not, that is to say that one should not procrastinate for what one doesn’t know when death will strike.

(ग) सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥3॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
ब्रूयात्-बोलना चाहिए (should speak), प्रियम्-मधुर (sweet), सत्यं-सच (truth), अनृतम्-झूठ (lie), सनातन:-शाश्वत (सदा से चला आ रहा) (eternal), धर्म:-धर्म/आचार (ethic).

सरलार्थ :
सच बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए, अप्रिय सच नहीं बोलना चाहिए और प्रिय झूठ भी नहीं बोलना चाहिए। यही शाश्वत (सदा से चला आ रहा) धर्म (आचार) है।

English Translation :
One should speak the truth, should speak pleasant words, should never speak the bitter truth a sweet lie. This is an eternal ethic.

(घ) सर्वदा व्यवहारे स्यात् औदार्यं सत्यता तथा।
ऋजुता मृदुता चापि कौटिल्यं च न कदाचन ॥4॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सर्वदा-हमेशा (always), औदार्यम्-उदारता (generosity), ऋजुता-सीधापन (simplicity, straightforward), मृदुता-कोमलता (tenderness), कौटिल्यं-कुटिलता, टेढ़ापन (crookedness), न कदाचन-कभी नहीं (never).

सरलार्थ :
व्यवहार में हमेशा (सदैव) उदारता, सच्चाई, सरलता और मधुरता हो (होनी चाहिए), (व्यवहार में) कभी भी टेढ़ापन नहीं हो (होना चाहिए)।

English Translation :
There should always be generosity, truth, straight forwardness and pleasantness in behaviour. There should never be crookedness in behaviour.

(ङ) श्रेष्ठं जनं गुरुं चापि मातरं पितरं तथा।
मनसा कर्मणा वाचा सेवेत सततं सदा॥5॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वाचा-वाणी से (by speech), मनसा-मन से (by heart), कर्मणा-कार्यों से (by actions), सततं-निरन्तर (ceaselessly), सदा-हमेशा (always), सेवेत-सेवा करनी चाहिए (should serve).

सरलार्थ :
सज्जन, गुरुजन और माता-पिता की भी हमेशा मन से, कर्म से और वाणी से निरन्तर सेवा करनी चाहिए।

English Translation :
One should ceaselessly serve the good people, teachers and parents with (one’s) heart, (good) actions and sweet speech.

(च) मित्रेण कलहं कृत्वा न कदापि सुखी जनः।
इति ज्ञात्वा प्रयासेन तदेव परिवर्जयेत्॥6॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
मित्रेण-मित्र से (with friend), कलह-झगड़ा (variance quarrel), न कदापि-कभी भी नहीं (never), प्रयासेन-प्रयत्न से (by efforts), परिवर्जयेत्-दूर रहना चाहिए (stay away).

सरलार्थ :
मित्र के साथ झगड़ा करके मनुष्य कभी भी सुखी नहीं रहता है। यह जानकर प्रयत्न से उसे (झगड़े को) ही छोड़ देना चाहिए।

English Translation :
One never remains happy after quarrelling with a friend, knowing this one should stay away from quarrel i.e., make every effort to avoid strike.

CBSE Class 8 Sanskrit Sample Paper Set 2

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CBSE Class 8 Sanskrit Sample Paper Set 2

निर्धारित समय: 3 घंटे
अधिकतम अंका: 80

खण्डः – ‘क’
अपठित-अवबोधनम्

प्रश्न 1.
अधोलिखितं अनुच्छेदं पठित्वा प्रदत्त प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- (10)

एकस्मिन् नगरे द्वे मित्रे वसतः स्म। एकस्य नाम सोमेशः आसीत् अन्यस्य च धनेशः। सोमेशः विद्याम् इच्छति स्म धनेशः च प्रभूतं धनम्। एकदा मित्रद्वयं विदेशं अगच्छत्। तत्र सोमेशः परिश्रमेण अध्ययनं कृत्वा विद्यां प्राप्तवान्। धनेशः धनं अर्जितवान्। एवं अनेकानि वर्षाणि व्यतीतानि। तौ अचिन्तयताम्-“अधुना आवाम् गृहम् गच्छावः।” गृहम् प्रति आगमनसमये मार्गे चौराः आगच्छन्। ते धनेशस्य सर्वम् धनम् अहरन्। धनेशः दुःखी अभवत्। सः रिक्तहस्तः गृहम् आगच्छत्। परम् सोमेशः विद्याधनयुक्तः आसीत्। विद्याधनेन युक्तः सः शीघ्रम् अतीव प्रसिद्धः अभवत्। तस्य प्रसिद्धिम् श्रुत्वा राजा सोमेशं आहूय तस्य सम्मानम् अकरोत्। सः तस्मै मन्त्रिपदम् अपि अयच्छत्। सत्यम् एव कथ्यते–’विद्या एव सर्वत्र पूज्यते।’

प्रश्नाः
I. एकपदेन उत्तरत- (1 × 4 = 4)
(i) मित्रद्वयं कुत्र अगच्छत्?
(ii) कः धनं अर्जितवान्?
(iii) मार्गे के अगच्छन्?
(iv) कः विद्याधनम् प्राप्तवान्?

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत- (2 × 2 = 4)
(i) राजा सोमाय किम् अयच्छत्?
(ii) कः रिक्तहस्तः गृहम् आगच्छत्?

III. प्रदत्तविकल्पेभ्यः उचितं उत्तरं चित्वा लिखत- (½ × 2 = 1)
(i) ‘अचिन्तयताम्’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(क) राजा
(ख) सोमेशः
(ग) तौ
(घ) धनेशः

(ii) ‘शनैः’ इति पदस्य विलोमपदं किम् प्रयुक्तम्?
(क) प्रभूतं
(ख) शीघ्रम्
(ग) सर्वत्र
(घ) आहूय

IV. अस्य अनुच्छेदस्य समुचितं शीर्षकं चित्वा लिखत। (1)

खण्ड: – ‘ख’
रचनात्मकं कार्यम्

प्रश्न 2.
मञ्जूषातः प्रार्थनापत्रे उचितपदैः रिक्तस्थानानि पूरयत- (6)

पठनम्, आदरणीयाः, निवेदनम्, पितुः, प्रमाणपत्रं, विना

श्रीमन्तः प्राचार्यमहोदयः
राजकीयः विद्यालयः
इन्द्रप्रस्थम्
_______(1)_______ महोदयाः
सेवायाम् इदम् _______(2)_______ अस्ति यत् मम _______(3)_______ स्थानान्तरणम् जातम्। अतः मया अपि तत्रैव गत्वा _______(4)_______ अनिवार्यम् वर्तते। पितरौ _______(5)_______ मया अत्र एकाकिना अवस्थानं न शक्यते। अतः माम् विद्यालयान्तरणं _______(6)_______ प्रदापयन्तु भवन्तः इति प्रार्थये।
दिनांक: 20.8.2020
भवदीयः शिष्यः
कृष्णः

प्रश्न 3.
अधोदतं चित्रं दृष्ट्वा प्रदत्तशब्दानां सहायतया पञ्च संस्कृतवाक्यानि लिखत- (10)

मञ्जूषा- चिकित्सकः, सेविका, रुग्णं, औषधम्, पयके, करोति, रुग्णाय, फलानि, जलम्, पात्रे, उपविशन्ति, निरीक्षणं
CBSE Class 8 Sanskrit Sample Paper Set 2 Q3

प्रश्न 4.
अधोदत्तां कथाम् मञ्जूषायाम् प्रदत्तशब्दानाम् सहायतया पूरयत- (4)

घटः, मत्स्यान्, नदीतटम्, स्वकुटुम्बस्य

289 पुरा बोधिसत्त्वः वणिकपुत्रः आसीत्। एकदा सः ___________ अगच्छत्। सः एकं धीवरम् अपश्यत्। धीवरस्य समीपे मृत्तिकायाः एक: ___________ आसीत्। धीवरः जालेन ___________ गृहीत्वा घटे क्षिपति स्म। इत्थम् सः ___________ पालनं करोति स्म।

खण्ड: – ‘ग’
अनुप्रयुक्त-व्याकरणम्

प्रश्न 5.
सन्धिं सन्धिविच्छेदं वा कुरुत- (1 × 4 = 4)

(i) सप्त + एताः = _____________
(ii) देवेन्द्रः = ______ + ________
(iii) तथा + अपि = _____________
(iv) सु + आगतम् = _____________

प्रश्न 6.
(अ) मञ्जूषात: विपरीतार्थकान् शब्दान् चित्वा लिखत- (½ × 6 = 3)

गुणाः, वामहस्तः, कृतघ्नः, स्वीकारः, अनन्या, पण्डितः

(i) दक्षिणहस्तः _____________
(ii) अस्वीकारः _____________
(iii) दुर्गुणाः _____________
(iv) कृतज्ञः _____________
(v) मूर्खः _____________
(vi) अन्या _____________

(ब) तद्भव पदानाम् कृते मञ्जूषातः चित्वा संस्कृतपदानि लिखत- (½ × 6 = 3)

कृपणः, कटुकम्, पुच्छः, लुब्धः, मधुमक्षिका, तृणम्

(i) तिनका = _____________
(ii) कंजूस = _____________
(iii) लोभी = _____________
(iv) मधुमक्खी = _____________
(v) पूँछ = _____________
(vi) कड़वा = _____________

प्रश्न 7.
उदाहरणम् अनुसृत्य लकारपरिवर्तनम् कुरुत- (4)
(अ) वर्तमानकाल: – अतीतकालः
यथा- वयम् प्रतिदिनं पाठं पठामः – वयम् प्रतिदिनं पाठम् अपठाम।
(i) सः शिक्षकः अस्ति। _____________
(ii). महिलाः तडागात् जलं नयन्ति। _____________
(iii) त्वम् विद्यालयं गच्छसि। _____________
(iv) अहम् लेखम् लिखामि। _____________

(ब) अधोलिखित पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत- (4)

(i) भूमिः = _____________
(ii) शिक्षकाः = _____________
(iii) पुस्तकालये = _____________
(iv) फलानि = _____________

प्रश्न 8.
(अ) मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (4)

एषः, एताः, एतानि, एते

(i) _____________ फलानि मधराणि सन्ति।
(ii) _____________ क्रीडकः अद्वितीयः अस्ति।
(iii) _____________ बालिकाः नृत्यन्ति।
(iv) अहम् _____________ फले मित्राय यच्छामि।

(ब) कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (3)

(i) _____________ परितः भवनानि सन्ति। (विद्यालये / विद्यालय / विद्यालयस्य)
(ii) _____________ अधः व्याधः तिष्ठति। (वृक्षस्य / वृक्षात् / वृक्षम्)
(iii) धनिकः _____________ वस्त्राणि यच्छति। (याचकं / याचकाय / याचकः)

खण्ड: – ‘घ’
पठित-अवबोधनम्

प्रश्न 9.
अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- (5)

‘गजधरः’ इति सुन्दरः शब्दः तडागनिर्मातृणाम् सादरं स्मरणार्थम्। राजस्थानस्य केषुचिद् भागेषु शब्दोऽयम् अद्यापि प्रचलति। कः गजधर:? यः गजपरिणामं धारयति सः गजधरः। गजपरिमाणम् एव मापनकार्ये उपयुज्यते। समाजे त्रिहस्त-परिमाणात्मिकीं लौहयष्टिं हस्ते गृहीत्वा चलन्तः गजधराः इदानीं शिल्पिरूपेण नैव समादृताः सन्ति। गजधरः, यः समाजस्य गाम्भीर्यं मापयेत् इत्यस्मिन् रूपे परिचितः।

प्रश्नाः
I. एकपदेन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) कस्य राज्यस्य भागेषु गजधरः शब्दः प्रयुज्यते।
(ii) गजपरिमाणं कः धारयति?

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) गजधराः कस्मिन् रूपे परिचिताः?

III. यथानिर्देशं उत्तरत- (½ × 2 = 1)
(i) ‘करे’ इत्यर्थे किम् पदं प्रयुक्तम्?
(क) रूपे
(ख) हस्ते
(ग) शब्दः
(घ) चलन्तः

प्रश्न 10.
अधोलिखितं नाट्यांशं पठित्वा प्रश्नान् उत्तरत- (5)

विनयः – पश्य पश्य, तत्र-धुनः शाकफलानामावरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादति। यथाकथञ्चित् निवारणीया एषा।
(मार्गे कदलीफलविक्रेतारं दृष्ट्वा बालाः कदलीफलानि क्रीत्वा धेनुम् आह्यन्ति भोजयन्ति च, मार्गात् प्लास्टिकस्यूतानि चापसार्य पिहिते अवकरकण्डोले क्षिपन्ति)।

प्रश्नाः
I. एकपदेन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) बालाः किं क्रीत्वा धेनुम् आह्यन्ति?
(ii) बालाः कदलीफलानि क्रीत्वा काः भोजयन्ति?

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) धेनुः केषाम् आवरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादति।

III. यथानिर्देशं उत्तरत- (½ × 2 = 1)
(i) ‘अपसार्यं’ इत्यत्र कः प्रत्ययः?
(क) क्त्वा
(ख) ल्यप्
(ग) यत्
(घ) आर्यं

(ii) ‘पश्य’ इत्यत्र कः लकार:?
(क) लट
(ख) लोट
(ग) लङ्
(घ) लृट्

प्रश्न 11.
निम्नलिखितं पद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत।

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्।।

प्रश्ना:
I. पूर्णवाक्येन उत्तरत- (1 × 4 = 4)
(i) केषां चत्वारि वर्धन्ते?
(ii) आयुः कस्य वर्धते?
(iii) अभिवादनशीलस्य किं वर्धते?
(iv) बलं कस्य वर्धते?

प्रश्न 12.
रेखांकितपदानाम् आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत- (1 × 3 = 3)
(i) कर्गदोपरि लेखनं प्रारब्धम्।
(ii) पुस्तकानाम् आवश्यकता न भविष्यति।
(iii) भ्राता भवानीस्तुतिं करोति।

प्रश्न 13.
मञ्जूषातः शब्दान् चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत। (4)

सावित्रीबाई फुले, आर्यभटः, वंशोद्योगः, प्लास्टिकम्

(i) भारतस्य प्रथमोपग्रहस्य नाम _____________ अस्ति।
(ii) मृत्तिकायां _____________ कदापि न विनश्यति।
(iii) महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका _____________ आसीत्।
(iv) सप्तभगिनी-प्रदेशे _____________ सर्वप्रमुखः।

प्रश्न 14.
घटनाक्रमानुसारम् अधोलिखितानि वाक्यानि पुनः लेखनीयानि- (4)
(i) व्याधः जालम् प्रासारयत्।
(ii) व्याधः लोमाशिकायै निखिला कथां न्यवेदयत्।
(iii) जाले पुनः तम् बद्धं दृष्ट्वा सः व्याधः प्रसन्नः सन् गृहम् प्रत्यावर्तत।
(iv) सा अवदत्-बाढम्! अहम् पुनः व्याघ्रम् जाले बद्धं द्रष्टुम् इच्छामि।
(v) लोमाशिका व्याघ्रं अवदत्-सत्यं त्वया भणितम्।
(vi) लोमाशिका अवदत्-पुनः कूर्दनं कृत्वा दर्शय इति।
(vii) निःसहाय भूत्वा सः प्राणभिक्षामिव अयाचत्।
(viii) व्याघ्रः तम् वृत्तान्तं दर्शयितुम् पुनः जाले प्राविशत्।

पण्डिता रमाबाई Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 5

By going through these CBSE Class 7 Sanskrit Notes Chapter 5 पण्डिता रमाबाई Summary, Notes, word meanings, translation in Hindi, students can recall all the concepts quickly.

Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई Summary Notes

पण्डिता रमाबाई पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में विदुषी रमाबाई के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला गया है। रमाबाई ने अपना सम्पूर्ण जीवन बालिकाओं और महिलाओं की शिक्षा के लिए अर्पित कर दिया था। इन्होंने असहाय महिलाओं के लिए पुणे नगर में आश्रम स्थापित किए।

पण्डिता रमाबाई Summary

रमाबाई, संस्कृत और वेदों की विदुषी थी। उनका जन्म 1858 सन् में अनन्तशास्त्री और लक्ष्मीबाई के यहाँ हुआ। उन्हें  ‘सरस्वती’ आदि उपाधियाँ प्राप्त थीं। रमाबाई ने अपनी माता से संस्कृत का अद्वितीय ज्ञान प्राप्त किया।
पण्डिता रमाबाई Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 5.1
उनके माता-पिता और बड़ी बहन की मृत्यु हो गई। रमाबाई ने समग्र देश की पैदल यात्रा की। वह ब्रह्मसमाज से अत्यधिक प्रभावित थी। 1880 सन् में उन्होंने विपिन बिहारी दास से विवाह किया, परन्तु शीघ्र ही उनके पति का देहान्त हो गया।
पण्डिता रमाबाई Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 5.2

उन्होंने स्त्रीशिक्षा और समाज सेवा के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। रमाबाई ने कई देशों में भ्रमण किया। उन्होंने विधवा स्त्रियों की सहायता के लिए अमेरिका में धन एकत्रित किया। भारत आकर उन्होंने मुम्बई में शारदा-सदन की स्थापना की। शारदा-सदन में स्त्रियों को छपाई, टाइप तथा काष्ठ-कला आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ बेसहारा स्त्रियाँ सम्मानपूर्वक जीवन-यापन करती हैं। सन् 1922 में रमाबाई का देहान्त हो गया। परन्तु समाज सेवा तथा स्त्रीशिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

पण्डिता रमाबाई Word Meanings Translation in Hindi

(क) स्त्रीशिक्षाक्षेत्रे अग्रगण्या पण्डिता रमाबाई 1858 तमे ख्रिष्टाब्दे जन्म अलभत। तस्याः पिता अनन्तशास्त्री डोंगरे माता च लक्ष्मीबाई आस्ताम्। तस्मिन् काले स्त्रीशिक्षायाः स्थितिः चिन्तनीया आसीत्। स्त्रीणां कृते संस्कृतशिक्षणं प्रायः प्रचलितं नासीत्। किन्तु डोंगरे रूढिबद्धां धारणां परित्यज्य स्वपत्नी संस्कृतमध्यापयत्। एतदर्थं सः समाजस्य प्रतारणाम् अपि असहत। अनन्तरं रमा अपि स्वमातुः संस्कृतशिक्षा प्राप्तवती।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
चिन्तनीया-शोचनीय (pitiable), परित्यज्य-छोड़कर (giving up), अध्यापयत्-पढ़ाया (taught), प्रतारणाम्-ताड़ना को (to taunt), असहत-सहन किया (tolerated), स्वमातुः-अपनी माता से (from her mother), प्राप्तवती-प्राप्त की (received).

सरलार्थ :
स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में अग्रगण्या पण्डिता रमाबाई ने 1858 ई० में जन्म लिया। उनके पिता अनन्त शास्त्री डोंगरे और माता लक्ष्मीबाई थीं। उस समय में स्त्रियों की शिक्षा की दशा शोचनीय थी। स्त्रियों के लिए संस्कृत शिक्षा लगभग अप्रचलित थी। परन्तु डोंगरे ने रूढ़ियों से बँधी हुई धारणा को छोड़कर अपनी पत्नी को संस्कृत की शिक्षा दी। इसके लिए उन्होंने समाज की ताड़ना को भी सहा। इसके बाद रमा ने भी अपनी माता जी से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की।

English Translation :
Foremost in the field of female education scholar Ramabai was born in the year 1858. Her father was Anant Shastri Dongre and mother Lakshmi Bai. In those days the condition of women’s education was pitiable. Sanskrit education for women was almost not in vogue. But giving up the notion held by convention Dongre gave Sanskrit education to his wife. For this Rama’s father tolerated the taunts of the society also. After this Rama also received Sanskrit education from her mother.

(ख) कालक्रमेण रमायाः पिता विपन्नः सञ्जातः। तस्याः पितरौ ज्येष्ठा भगिनी च दुर्भिक्षपीडिताः दिवङ्गताः। तदनन्तरं रमा स्व-ज्येष्ठभ्रात्रा सह पद्भ्यां समग्रं भारतम् अभ्रमत्। भ्रमणक्रमे सा कोलकातां प्राप्ता। संस्कृतवैदुष्येण सा तत्र ‘पण्डिता’ ‘सरस्वती’ चेति उपाधिभ्यां विभूषिता। तत्रैव सा ब्रह्मसमाजेन प्रभाविता वेदाध्ययनम् अकरोत्। पश्चात् सा स्त्रीणां कृते वेदादीनां शास्त्राणां शिक्षायै आन्दोलनं प्रारब्धवती। 1880 तमे ख्रिष्टाब्दे सा विपिनबिहारीदासेन सह बाकीपुर न्यायालये विवाहम् अकरोत् । साधैकवर्षात्अनन्तरं तस्याः पतिः दिवङ्गतः।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
विपन्न:-निर्धन (poor), दुर्भिक्ष-अकाल (famine), कुर्वती करती हुई (while doing), आन्दोलनम्-आन्दोलन को (movement), प्रारब्धवती-आरम्भ किया (started), दिवङ्गताः-मृत्यु को प्राप्त हो गए (passed away), सार्धेकवर्षात्-डेढ़ साल से (के) (One and a half year).

सरलार्थ :
समय के बदलने से रमा के पिता निर्धन हो गए। उनके माता-पिता और बड़ी बहन अकाल से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए। इसके पश्चात् रमा अपने बड़े भाई के साथ पैदल सारे भारत में घूमती हुई कोलकाता पहुँचीं। संस्कृतविद्वता के कारण उन्हें वहाँ ‘पण्डिता’ और ‘सरस्वती’ उपाधियों द्वारा विभूषित किया गया। वहाँ ही ब्रह्म-समाज से प्रभावित होकर उन्होंने वेदों का अध्ययन किया। बाद में उन्होंने बालिकाओं और स्त्रियों के लिए संस्कृत और वेद-शास्त्र आदि की शिक्षा के लिए आन्दोलन आरम्भ किया। सन् 1880 ई० में उन्होंने विपिन बिहारी दास के साथ न्यायालय में विवाह किया। डेढ़ वर्ष के बाद उनके पति की मृत्यु हो गयी।

English Translation :
Time circle (fate) made Rama’s father poor. Her parents and elder sister passed away after suffering from famine. After that, touring India on foot Rama and her elder brother reached Kolkata. Due to deep knowledge of Sanskrit there she was adorned with ‘Pandita’ and ‘Saraswati’ titles.

After being impressed there with Brahmo-Samaj Rama studied Vedas. Later, she started a movement of teaching Sanskrit and Vedas, scriptures etc. to girls and women. In 1880 she married Vipin Bihari Das in court. After one and half years her husband expired.

(ग) तदनन्तरं । मनोरमया सह जन्मभूमिं महाराष्ट्र प्रत्यागच्छत्। नारीणां सम्मानाय शिक्षायै च सा स्वकीयं जीवनम् अर्पितवती। हण्टर-शिक्षा-आयोगस्य समक्षं रमाबाई नारीशिक्षाविषये स्वमतं प्रस्तुतवती।सा उच्चशिक्षार्थं इंग्लैण्डदेशं गतवती।तत्र ईसाईधर्मस्य स्त्रीविषयकैः उत्तमविचारैः प्रभाविता जाता।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रत्यागच्छत् ( प्रति+आगच्छत् )-लौट आई (returned), प्रस्तुतवती प्रस्तुत किया (presented.) सरलार्थः इसके पश्चात् वे पुत्री मनोरमा के साथ महाराष्ट्र लौट आईं। स्त्रियों के सम्मान और शिक्षा के लिए उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया। हण्टर-शिक्षा-आयोग के सामने रमाबाई ने महिला शिक्षा के विषय में अपना मत प्रस्तुत किया। वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गईं। वहाँ स्त्रियों के विषय में ईसाई धर्म के उत्तम विचारों से प्रभावित हुईं।

English Translation:
After that she returned to Maharashtra with (her) daughter Manorama. She devoted her life for the proper honour and education of women. She presented her opinion about women’s education in Hunter Education Commission. She went to England for higher education. She was impressed with the remarkable thinking of the Christian faith about women.

(घ) इंग्लैण्डदेशात् रमाबाई अमरीकादेशम् अगच्छत्। तत्र सा भारतस्य विधवास्त्रीणां सहायतार्थम् अर्थसञ्चयम् अकरोत्। भारतं प्रत्यागत्य मुम्बईनगरे सा ‘शारदा-सदनम्’ अस्थापयत्। अस्मिन् आश्रमे निस्सहायाः स्त्रियः निवसन्ति स्म। तत्र स्त्रियः मुद्रण टङ्कण-काष्ठकलादीनाञ्च प्रशिक्षणमपि लभन्ते स्म।परम् इदं सदनं पुणेनगरे स्थानान्तरितं जातम्। ततः पुणेनगरस्य समीपे केडगाँव-नाम्नि स्थाने ‘मुक्तिमिशन’ नाम संस्थानं तया स्थापितम्। अत्र अधुना अपि निराश्रिताः स्त्रियः ससम्मानं जीवनं यापयन्ति।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अर्थसञ्चयम्-धन इकट्ठा करना (collect money), प्रत्यागत्य (प्रति+आगत्य )-लौटकर (after returning), निस्सहायाः (ब०व०)-बेसहारा (destitute), मुद्रणम्-छपाई (printing), टङ्कणम्-टाइप (typing), काष्ठकला-लकड़ी पर कलाकारी (wood craft), संस्थानम्-संस्था (institution), निराश्रिताः (ब०व०)-बेसहारा (destitute), ससम्मानं आदर सहित (with honour), यापयन्ति-बिताती हैं (spending time).

सरलार्थः
इंग्लैण्ड देश से रमाबाई अमरीका गईं। वहाँ उन्होंने भारत की विधवा महिलाओं की सहायता के लिए धन इकट्ठा किया। भारत लौटकर मुम्बई नगर में उन्होंने ‘शारदा-सदन’ स्थापित किया। इस आश्रम में बेसहारा स्त्रियाँ रहती थीं। वहाँ महिलाएँ छपाई, टाइप और लकड़ी की कलाकारी आदि का प्रशिक्षण भी लेती थीं। परन्तु इस सदन का पुणे नगर में स्थान परिवर्तन हो गया। इसके पश्चात् पुणे नगर के समीप केडगाँव नामक स्थान पर इनके द्वारा ‘मुक्ति मिशन’ नामक संस्था स्थापित की गई। यहाँ अब भी बेसहारा महिलाएँ सम्मान का जीवन बिताती हैं।

English Translation :
Rama Bai went to America from England. There she collected money for the help of the Indian widows. After returning to India she founded ‘Sharda Sadan’ in Mumbai city. The destitute women lived in this asylum (shelter). Women also took training in typing, printing and woodcraft there. But this asylum (shelter) has been shifted to Pune. After this an institution by the name of ‘Mukti Mission’ was founded by her at a place named ‘Ked Gaon’ near Pune city. Here even now destitute women are spending their lives with honour.

(ङ) 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई-महोदयायाः निधनम् अभवत्। सा देश-विदेशानाम् अनेकासु भाषासु निपुणा आसीत्। समाजसेवायाः अतिरिक्तं लेखनक्षेत्रे अपि तस्याः महत्त्वपूर्णम् अवदानम् अस्ति। ‘स्त्रीधर्मनीति’, ‘हाई कास्ट हिन्दू विमेन’ इति तस्याः प्रसिद्ध रचनाद्वयं वर्तते।

शब्दार्थाः (Word Meanings):
निधनम्-मृत्यु (death), अवदानम्-योगदान (contribution), समाजसेवायाः-समाजसेवा का (of social service), रचनाद्वयं-दो रचनाएँ (two works.) पण्डिता रमाबाई

सरलार्थ :
सन् 1922 ई० में रमाबाई जी की मृत्यु हो गई। वह देश-विदेश की अनेक भाषाओं में निपुण थीं। समाजसेवा के अलावा लेखन के क्षेत्र में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। ‘स्त्री धर्म नीति’ और ‘हाई कास्ट हिन्दू विमेन’ ये उनकी प्रसिद्ध दो रचनाएँ हैं।

English Translation :
Madam Rama Bai died in the year 1922. She was proficient in many native and foreign languages. Besides social service, her contribution in the field of writing is also important. ‘Stree Dharma Niti’ and ‘High Caste Hindu Women’ are her two famous works.

CBSE Class 8 Sanskrit Sample Paper Set 1

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CBSE Class 8 Sanskrit Sample Paper Set 1

निर्धारित समय: 3 घंटे
अधिकतम अंकाः 80

खण्ड: – ‘क’
अपठित-अवबोधनम्

प्रश्न 1.
अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- (10)

पुरा सर्वे जनाः नीतिधर्मपरायणाः आसन्। तेषां कृते चरित्रमेव सर्वोपरि आसीत्। सर्वे समाजस्य सुव्यवस्थायै नियमान् पालयन्ति स्म। परं यदा नरैः नियमान् उल्लंघ्य व्यवहारम् आरब्धम् तदा प्रभृति एव भ्रष्टाचारस्य जन्म अभवत्। भ्रष्टाचारस्य मूले लोभस्य प्रवृत्तिः। लोभः च अनन्तक: व्याधिः। धनलोभिनः जनाः कस्यचित् लघुतरम् अपि कार्यं विना किमपि स्वीकृत्य न कुर्वन्ति। अन्यान् च उत्कोचादिग्रहणे प्रेरयन्ति। इत्थम् भ्रष्टाचारः शनैः शनैः प्रसरति। सम्पूर्ण राष्ट्र अधोगतिम् प्राप्नोति। अस्य परिपकारः भाषणेषु न अस्ति। लोभस्य विकारस्य दूरकरणाय प्रयतनीयम् येन भ्रष्टाचारस्य अन्तः भवेत्।

प्रश्नाः
I. एकपदेन उत्तरत- (1 × 4 = 4)
(i) जनाः समाजस्य नियमान् किमर्थं पालयन्ति?
(ii) लोभस्य प्रवृत्तिः कस्य मूले भवति?
(iii) अनन्तकः व्याधिः कः?
(iv) पुरा सर्वे जनाः कीदृशाः आसन्?

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत- (2 × 2 = 4)
(i) धनलोभिनः जनाः किम् कुर्वन्ति?
(ii) भ्रष्टाचारस्य अन्तः कथं भविष्यति?

III. प्रदत्तविकल्पेभ्यः शुद्धम् उत्तरम् चित्वा लिखत- (½ × 1 = 1)
(i) ‘सम्पूर्ण राष्ट्रम्” इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
(क) राष्ट्रम्
(ख) सम्पूर्ण
(ग) सम्पूर्ण राष्ट्रम्
(घ) राष्ट्रः

(ii) ‘भाषणेषु’ इत्यत्र का विभक्तिः?
(क) षष्ठी
(ख) सप्तमी
(ग) तृतीया
(घ) चतुर्थी

IV. अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (½ × 1 = ½)

खण्ड: – ‘ख’
रचनात्मक कार्यम्

प्रश्न 2.
मञ्जूषातः प्रार्थनापत्रे उचितपदैः रिक्तस्थानानि पूरयत-

दातव्यम्, अधोलिखितस्य, विवरणं, शीघ्रं, वर्तते, नवदिल्ली

नैनीताल-छात्रावासः
नैनीताल:
दिनांक: 12-9-2020
प्रबन्धक महोदय,
न्यू एज पब्लिशर्स
______(1)______
श्रीमन्तः
सेवायाम् निवेदनम् अस्ति यत् ______(2)______ पुस्तकस्य महती आवश्यकता ______(3)______। अतः वी.पी.पी. द्वारा ______(4)______ प्रेषणीयम्। समग्रं ______(5)______ अपि लेखनीयम्। समुचितं कमीशनं ______(6)______।
(i) रुचिरा-अष्टमी श्रेणी-एका प्रतिः।

भवदीयः
वैभवः

प्रश्न 3.
अधोदत्तं चित्रं दृष्ट्वा प्रदत्तशब्दानाम् सहायतया पञ्च संस्कृतवाक्यानि लिखत- (2 × 5 = 10)

मञ्जूषा – वृक्षाः, पर्वतीय, दृश्यम्, सूर्यः, उदेति, पुष्पाणि, सुन्दराणि पर्वताः, सन्ति, दृश्यन्ते, जनाः गच्छन्ति, रम्यं चित्रं
CBSE Class 8 Sanskrit Sample Paper Set 1 Q3

प्रश्न 4.
अधोदत्तां कथाम् मञ्जूषायाम् प्रदत्तशब्दानाम् सहायतया पूरयत- (1 × 4 = 4)

लंकायाः, चत्वारः, ज्येष्ठः, पतिव्रता

अयोध्यायाः नृपस्य दशरथस्य ______(1)______ पुत्राः आसन्। तस्य ______(2)______ पुत्रः श्रीरामः आसीत्। श्रीरामस्य पत्नी सीता ______(3)______ स्त्री आसीत्। युद्धे रामः ______(4)______. नृपम् रावणम् अजयत्।

खण्ड: – ‘ग’
अनुप्रयुक्त-व्याकरणम्

प्रश्न 5.
(अ) सन्धिं सन्धिविच्छेदं वा कुरुत- (1 × 4 = 4)
(i) अद्य + अपि = ___________
(ii) रमेशः = ______ + ______
(iii) सु + आगतम् = ___________
(iv) इत्यादि = ______ + ______

(ब) मञ्जूषातः अव्ययपदं चित्वा वाक्यानि पूरयत- (1 × 4 = 4)
विना, एव, यथा, पुरतः
(i) सत्यम् ___________ जयते।
(ii) विद्यालयस्य ___________ वाटिका अस्ति।
(iii) सः ___________ चिन्तयति तथा आचरति।
(iv) विद्यां ___________ जीवनं वृथा।

प्रश्न 6.
मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत- (½ × 6 = 3)

आदानम्, अवरोहः, समता, चलः, गमनम्, दत्वा

(i) आगमनम् ___________
(ii) गृहीत्वा ___________
(iii) अचलः ___________
(iv) प्रदानम् ___________
(v) विषमता ___________
(vi) आरोहः ___________

प्रश्न 7.
(अ) मञ्जूषातः पर्यायपदानि चित्वा लिखत- (½ × 6 = 3)

क्षिप्रम्, इदानीम्, शब्दं, प्रतिज्ञा, दृष्ट्वा, कानने

(i) सम्प्रति ___________
(ii) शीघ्रम् ___________
(iii) वने ___________
(iv) वीक्ष्य ___________
(v) रवं ___________
(vi) समयः ___________

(ब) कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 3 = 3)
(i) पथिकः ___________ गच्छति। (ग्राम / ग्राम: / ग्रामाः)
(ii) स्वामी ___________ धनं यच्छति। (सेवकं / सेवकाय / सेवकः)
(iii) ___________ विना जीवनं व्यर्थम्। (धर्म: / धर्मस्य / धर्म)

प्रश्न 8.
(अ) अधोलिखितपदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत- (1 × 4 = 4)
(i) हिमालयः ___________
(ii) उद्याने ___________
(iii) आकाशे ___________
(iv) विद्यालयः ___________

(ब) मञ्जूषातः अङ्कानाम् कृते पदानि लिखत- (1 × 4 = 4)

षोडश, द्वाचत्वारिंशत्, सप्तत्रिंशत्, षड्विंशतिः

(i) 26 ___________
(ii) 42 ___________
(iii) 37 ___________
(iv) 16 ___________

खण्ड: – ‘घ’
पठित-अवबोधनम्

प्रश्न 9.
अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नान् उत्तरत- (5)
सावित्री अनेकाः संस्थाः प्रशासनकौशलेन सञ्चालितवती। दुर्भिक्षकाले प्लेगकाले च सा पीडितजनानाम् अश्रान्तम् अविरतं च सेवाम् अकरोत्। सहायता-सामग्री-व्यवस्थायै सर्वथा प्रयासम् अकरोत्। महारोगप्रसारकाले सेवारता सा स्वयम् असाध्यरोगेण ग्रस्ता 1897 तमे ख्रिस्ताब्दे निधनं गता।
साहित्यरचनया अपि सावित्री महीयते। तस्याः काव्यसङ्कलनद्वयं वर्तते ‘काव्यफुले’ ‘सुबोधरत्नाकर’ चेति। भारतदेशे महिलोत्थानस्य गहनावबोधाय सावित्रीमहोदयायाः जीवन-चरितम् अवश्यम् अध्येतव्यम्।

प्रश्नाः
I. एकपदेन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) सावित्री केषाम् सेवाम् अकरोत्?
(ii) सावित्रीमहोदयायाः किम् अवश्यम् अध्येतव्यम्?

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) सावित्रीमहोदयायाः निधनम् कथम् अभवत्?

III. यथानिर्देशम् उत्तरत- (½ × 2 = 1)
(i) ‘निरन्तरम्’ इति पदस्य पर्यायः कः?
(क) अश्रान्तम्
(ख) अविरतम्
(ग) निधनम्
(घ) प्रयासम्

(ii) ‘सञ्चालितवती’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदम् किम्?
(क) अनेकाः
(ख) संस्थाः
(ग) सावित्री
(घ) प्रशासन

प्रश्न 10.
अधोलिखितं नाट्यांशं पठित्वा प्रश्नान् उत्तरत- (5)

छात्राः – वयम् सर्वे स्वदेशस्य राज्यानाम् विषये ज्ञातुम् इच्छामः।
अध्यापिका – शोभनम्। वदत। अस्माकम् देशे कति राज्यानि सन्ति?
सायरा – चतुर्विंशतिः महोदये।
सिल्वी – न हि न हि महाभागे! पञ्चविंशतिः राज्यानि सन्ति।
अध्यापिका – अन्यः कोऽपि……?
स्वरा – (मध्ये एव) महोदये! मे भगिनी कथयति यदस्माकं देशे अष्टाविंशतिः राज्यानि सन्ति। एतदतिरिच्य सप्त केन्द्रशासितप्रदेशाः अपि सन्ति।

प्रश्नाः
I. एकपदेन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) छात्राः केषाम् विषये ज्ञातुम् इच्छन्ति?
(ii) कति केन्द्रशासितप्रदेशाः सन्ति?

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत- (1 × 2 = 2)
(i) अस्माकं देशे कति राज्यानि सन्ति?

III. यथानिर्देशम् उत्तरत- (½ × 2 = 1)
(i) ‘इच्छामः’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(क) वयम्
(ख) सर्वे
(ग) देशस्य
(घ) विषये

(ii) ‘अस्माकं’ इति पदे किम् वचनम्?
(क) एकवचनम्
(ख) बहुवचनम्
(ग) द्विवचनम्
(घ) ममवचनम्

प्रश्न 11.
अधोलिखितं पद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- (1 × 4 = 4)

वने दिग्गजानां तथा केशरीणाम्,
तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्।
शिखीनां शुकानां पिकानां धरेयं,
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः।।

प्रश्नाः
I. पूर्णवाक्येन उत्तरत-
(i) केषां वनम् अस्ति?
(ii) भूधराणां का अस्ति?
(iii) इयं धरा केषाम् अस्ति?
(iv) क्षितौ का राजते?

प्रश्न 12.
रेखांकितपदानाम् आधृत्य प्रश्ननिर्माणम् कुरुत- (1 × 4 = 4)
(i) लुब्धस्य यशः नश्यति।
(ii) चञ्चलः वने जालम् प्रासारयत्।
(iii) सततं ध्येयस्मरणम् करणीयम्।
(iv) व्याधस्य नाम चञ्चलः आसीत्।

प्रश्न 13.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 4 = 4)

तदा, चला, अस्तं, सन्तः

(i) सूर्यः पूर्वदिशायाम् उदेति पश्चिमदिशि च ___________ गच्छति।
(ii) यदा पृथिव्याः छायापातेन चन्द्रस्य प्रकाशः अवरुध्यते ___________ चन्दगहणं भवति।
(iii) सूर्यः अचलः पृथिवी च ___________।
(iv) मधुरसूक्तरसं ___________ सृजन्ति।

प्रश्न 14.
अधोलिखितवाक्यानि कः / का, ‘कं / कां’ प्रति कथयति? (1 × 3 = 3)
यथा- इदानीम् अहम् त्वां खादिष्यामि / क: / का व्याघ्रः / कं / काम् व्याधम्
(i) जनाः मयि स्नानं कुर्वन्ति।
(ii) अरे मूर्ख! सर्वः स्वार्थं समीहते।
(iii) यत्र कुत्रापि छेदनं कुर्वन्ति।

हास्यबालकविसम्मेलनम् Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 4

By going through these CBSE Class 7 Sanskrit Notes Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम् Summary, Notes, word meanings, translation in Hindi, students can recall all the concepts quickly.

Class 7 Sanskrit Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम् Summary Notes

हास्यबालकविसम्मेलनम्  पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में रोचक हास्य कवि सम्मेलन का वर्णन किया गया है। पाठ में अव्ययों का प्रयोग हुआ है। अव्यय जो तीनों लिंगों, तीनों वचनों और सभी विभक्तियों में सदैव एक ही रूप में होता है, अर्थात् जिसका व्यय अर्थात् परिवर्तन (Change) नहीं होता है, वह ‘अव्यय’ कहलाता है।

हास्यबालकविसम्मेलनम् Summary

प्रस्तुत पाठ में हास्य बालकवियों के सम्मेलन को प्रस्तुत किया गया है। इसमें अनेक हास्य कविताओं को सम्मिलित किया गया है। पाठ में अव्ययों का प्रयोग हुआ है। जो शब्द तीनों लिंगों में, तीनों वचनों में तथा सभी विभक्तियों में सदा एक ही रूप में प्रयोग होते हैं वे ‘अव्यय’ कहलाते हैं।

एक श्लोक में वैद्य को यमराज का सहोदर बताया गया है। यमराज तो केवल प्राणों का ही हरण करता है, परन्तु वैद्य प्राणों के साथ धन का भी हरण करता है।दूसरे श्लोक में भी वैद्य के विषय में व्यंग्य किया गया है कि चिता में जलते हुए शव को देखकर वैद्य को आश्चर्य हुआ। वहं सोचने लगा कि यह किसकी कलाकारी है?
हास्यबालकविसम्मेलनम् Summary Notes Class 7 Sanskrit Chapter 4

तीसरे श्लोक में कहा है कि पराए माल पर जहाँ तक सम्भव हो हाथ फेर देना चाहिए। इस संसार में पराया अन्न मुश्किल से प्राप्त होता है। चौथे श्लोक में गजाधर कवि, खाने के लोभी तुन्दिल, यमराज, वैद्य इत्यादि पर व्यंग्य किया गया है।

हास्यबालकविसम्मेलनम् Word Meanings Translation in Hindi

(विविध-वेशभूषाधारिणः चत्वारः बालकवयः मञ्चस्य उपरि उपविष्टाः सन्ति। अधः श्रोतारः हास्यकविताश्रवणाय उत्सुकाः सन्ति कोलाहलं च कुर्वन्ति।)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उपरि-ऊपर (on/at), उपविष्टा:-बैठे हुए (are sitting), श्रोतार:-सुननेवाले (audience), कोलाहलम्-शोर (noise), अध:-नीचे (underneath).

सरलार्थ :
(विभिन्न वेशभूषा वाले चार बालकवि मञ्च के ऊपर बैठे हुए हैं। नीचे श्रोता हास्य कविता सुनने के लिए उत्सुक हैं और शोर मचा रहे हैं।)

English Translation :
(Four child-poets in different attires (dresses) are sitting on the stage. Below the audience are eager to hear the humorous poetry and is making a noise.)

(क) सञ्चालक:-अलं कोलाहलेन। अद्य परं हर्षस्य अवसरः यत् अस्मिन् कविसम्मेलने काव्यहन्तारः कालयापकाश्च भारतस्य हास्यकविधुरन्धराः समागताः सन्ति। एहि, करतलध्वनिना वयम् एतेषां स्वागतम् कुर्मः।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
काव्यहन्तार:-काव्य को नष्ट करनेवाले (the undoers of poetry), कालयापकाः-समय को नष्ट करनेवाले (those who waste time), धुरन्धरा:-अग्रणी/श्रेष्ठ (prominent), एहि-आइए (please come), करतलध्वनिना-तालियों से (with applause/with clapping sounds), उत्सुका:-जानने के इच्छुक (eager).

सरलार्थ :
सञ्चालक-शोर करने से बस करो (शोर मत करो)। आज बहुत प्रसन्नता का अवसर है कि इस कवि सम्मेलन में काव्यहन्ता (काव्य को नष्ट करनेवाले) और कालयापक (समय बर्बाद करनेवाले) भारत के श्रेष्ठ हास्य कवि आए हुए हैं। आओ! हम सब तालियों से इन सबका स्वागत करें।

English Translation :
Director-Don’t make noise. Today is an occasion of great pleasure that in this conference poets, the eminent humorous poets of India, the Kavyahantara (the undoers of poetry) and the Kalyapakah (those who waste time) are present. Please come! Let us welcome them with applause.

(ख) गजाधरः-सर्वेभ्योऽरसिकेभ्यो नमो नमः। प्रथमं तावद् अहम् आधुनिक वैद्यम् उद्दिश्य स्वकीयं काव्यं श्रावयामि वैद्यराज! नमस्तुभ्यं यमराजसहोदरः। यमस्तु हरति प्राणान् वैद्यः प्राणान् धनानि च॥ (सर्वे उच्चैः हसन्ति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अरसिकेभ्यः -नीरस जनों को (to uninteresting persons), आधुनिकम्-आधुनिक (आजकल के) (modern), नमस्तुभ्यम् (नमः + तुभ्यम्)-तुम्हें प्रणाम (Saluta tion to you), सहोदरः -सगा भाई (real brother), हरति-ले जाता है (takes away), यमराज मृत्यु का देवता (god of death), उच्चैः -जोर से (loudly), उद्दिश्य-लक्ष्य करके (aiming).

सरलार्थः
गजाधर-सब नीरस जनों को नमस्कार। तब तक पहले मैं आधुनिक वैद्यों को लक्ष्य करके अपनी कविता सुनाता हूँ हे वैद्यराज! यमराज के भाई, आपको नमस्कार है। यमराज तो प्राणों को ले जाता है, वैद्य प्राणों को और धन को ले जाता है। (सब जोर से हँसते हैं)

English Translation :
Gajadhar—Salutation to all the uninteresting persons. Then first of all I recite my poem aiming at the modern physician. Oh! Physician! brother of the God of death, I bow to you. The God of death takes away only life but the physician takes away both life and money.

(ग) कालान्तकः-अरे! वैद्यास्तु सर्वत्र परन्तु न ते मादृशाः कुशलाः जनसंख्यानिवारणे। ममापि काव्यम् इदं शृण्वन्तु भवन्तः चितां प्रज्वलितां दृष्ट्वा वैद्यो विस्मयमागतः। नाहं गतो न मे भ्राता कस्येदं हस्तलाघवम्॥ (सर्वे पुनः हसन्ति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
मादृशाः-मेरे जैसे (like me), चितां-चिता को (to pyre), प्रज्ज्वलितां-जलती हुई (burning), विस्मयमागतः (विस्मयम् + आगतः)-आश्चर्यचकित हो गया (surprised), मे भ्राता-मेरा भाई (यमराज) (my brother) (god of death), कस्येदं (कस्य + इदं) किसकी यह (whose), हस्तलाघवम्-हाथ की सफाई (sleight of hand).

सरलार्थ :
कालान्तक-अरे ! वैद्य तो सब जगह हैं, परन्तु वे जनसंख्या कम करने में मेरे जैसे निपुण नहीं हैं। आप सब मेरे भी इस काव्य को सुनिए। चिता को जलती हुई देखकर वैद्य ने आश्चर्य किया कि न मैं गया, न मेरा भाई, यह किसके हाथ की सफाई है। (सब फिर हँसते हैं)

English Translation :
Kalantak-Oh! the physicians are everywhere but they are not as expert as I am in reducing the population. All of you please listen to this poem of mine also. Looking at the burning pyre, the physician was surprised that neither he nor his brother (the God of death) went (there), then whose sleight of hand it was? (Again all laugh)

(घ) तुन्दिल:-(तुन्दस्य उपरि हस्तम् आवर्तयन्) तुन्दिलोऽहं भोः! ममापि इदं काव्यं श्रूयताम्, जीवने धार्यतां च परान्नं प्राप्य दुर्बुद्धे! मा शरीरे दयां कुरु! परान्नं दुर्लभं लोके शरीराणि पुनः पुनः॥ (सर्वे पुनः अट्टहासं कुर्वन्ति)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
तुन्दस्य उपरि-तोंद के ऊपर (on the pot belly), आवर्तयन् फेरता हुआ (stroking), धार्यताम्-धारण करें (adopt), परान्नम्-दूसरे के अन्न को (food grain of others) पर+अन्नम्, दुर्लभं-कठिनाई से प्राप्त करने योग्य (rare), लोके-संसार में (in the world), अट्टहासं-जोर से हँसना (laugh loudly).

सरलार्थ : –
तुन्दिल-(तोंद के ऊपर हाथ फेरते हुए) मैं तुन्दिल हूँ। अरे ! मेरी भी इस कविता को सुनो और जीवन में अपनाओ-दुष्टबुद्धिवाले! दूसरे का अन्न प्राप्त करके शरीर पर दया मत कर। संसार में दूसरे का अन्न दुर्लभ है। शरीर बार-बार मिलता रहता है। (सब फिर जोर से हँसते हैं)

English Translation :
Tundil-(stroking his pot belly) I am Tundil. Listen to this poem of mine and adopt it in your life. Hey! you wicked minded! Do not have mercy on your body (life) while accepting food from somebody else. The other’s food is rare in the world, one gets life again and again. (Again everyone laughs loudly)

(ङ) चार्वाकः- आम्, आम् शरीरस्य पोषणं सर्वथा उचितमेव। यदि धनं नास्ति, तदा ऋणं कृत्वापि पौष्टिकः पदार्थः एव भोक्तव्यः। तथा कथयति चार्वाककविः यावज्जीवेत् सुखं जीवेद् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्। श्रोतार:-तर्हि ऋणस्य प्रत्यर्पणं कथम्? चार्वाकः-श्रूयतां मम अवशिष्टं काव्यम् घृतं पीत्वा श्रमं कृत्वा ऋणं प्रत्यर्पयेत् जनः॥ (काव्यपाठश्रवणेन उत्प्रेरितः एकः बालकोऽपि आशुकवितां रचयति, हासपूर्वकं च श्रावयति)

बालकः- श्रूयताम् श्रूयतां भोः! ममापि काव्यम्
गजाधरं कविं चैव तुन्दिलं भोज्यलोलुपम्।
कालान्तकं तथा वैद्यं चार्वाकं च नमाम्यहम्॥
(काव्यं श्रावयित्वा ‘हा हा हा’ इति कृत्वा हसति। अन्ये चाऽपि हसन्ति सर्वे गृहं गच्छन्ति।)

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
आम्-हाँ (yes), ऋणं-कर्ज (loan), पौष्टिकः-पुष्टि देने वाला (nourishing), भोक्तव्यः-उपभोग करना चाहिए (should consume), यावज्जीवेत् (यावत् + जीवेत् )-जब तक जीवित रहो (as long as you live), घृतं-घी को (ghee, fatty eatables), प्रत्यर्पणम्-लौटाना (return), अवशिष्टम्-बचा हुआ (remaining), श्रम-परिश्रम/मेहनत ( hardwork), उत्प्रेरित:-प्रेरित हुआ (being inspired), हासपूर्वकम्-खुश होकर, हँसते हुए (joyfully), श्रावयति सुनाता है (recites), भोज्यलोलुपम्-खाने का लोभी (greedy of food), प्रत्यर्पणम्-(प्रति+अर्पणम्) MICHI (Repaying).

सरलार्थ :
चार्वाक- हाँ, हाँ। शरीर का पोषण हमेशा ही ठीक रहता है। अगर धन नहीं है (व्यक्ति के पास) तब कर्ज लेकर भी पौष्टिक (शरीर को बलवान बनाने वाले) पदार्थों का ही उपभोग करना चाहिए। और चार्वाक कवि कहते हैं जब तक जियो सुख से जियो (जीना चाहिए), कर्ज (उधार) लेकर भी घी पियो (पीना चाहिए)। श्रोतागण- तो कर्ज को कैसे चुकाया जाए? चार्वाक- मेरी बची हुई कविता भी सुनिए घी पीकर, परिश्रम करके लोगों को कर्ज वापस कर देना चाहिए। (काव्य पाठ से प्रेरित होकर एक बालक भी तुरंत कविता की रचना करता है और हँसते हुए सुनाता है-) बालक- अरे सुनिए, सुनिए! मेरी भी

कविता-गजाधर कवि और खाने के लोभी तुन्दिल, (प्राण लेने वाले) कालान्तक को तथा वैद्य चार्वाक को मैं प्रणाम करता हूँ। [कविता सुनाकर (बालक) ‘हा हा हा’ ऐसा करके हँसता है। दूसरे भी हँसते हैं और सभी घर जाते हैं।]

English Translation :
Charvak- Yes, yes. Nourishing the body is always most appropriate. If there is no money then one should even borrow and consume nourish ing food. The poet Charvak says- As long as one lives one should live in comfort. One should consume ghee (good nourishing food) even if one need to borrow.
Audience- Then how should one repay the debt.
Charvak- Please listen to my remaining poem. After drinking ghee (consuming healthy nourishing food) and doing hard work one should repay the debt.
(Inspired by this poetry-recitation, a boy hastily writes a verse and recites it with a laugh)
Boy- Please listen to my poem too.
(Salulte the poet Gajadhar, the glutton (greedy of food) Tundil as also Kalantaka (Destroyer of Time) and the physician Charvak.)
(On reciting the verse the boy laughs. The other laughs too. And everyone goes home.)

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions व्यावहारिकः शब्दकोशः

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions व्यावहारिकः शब्दकोशः

पशुओं के नाम (Name of Animals)

संस्कृत – हिन्दी – अंग्रेज़ी

1. धेनुः/गौः – गाय – Cow
2. महिषी – भैंस – Buffalo
3. वृषभः – बैल – Ox
4. अजा – बकरी – Goat
5. गजः – हाथी – Elephant
6. उष्ट्रः – ऊँट – Camel
7. अश्वः / घोटक: – घोड़ा – Horse
8. कुक्कुरः / सारमेयः – कुत्ता – Dog
9. सिंहः – शेर – Lion
10. वानरः / कपिः – बन्दर – Monkey
11. विडाल: / मार्जारः – बिलाव / बिल्ली – Cat
12. कूर्मः / कच्छपः – कछुआ – Tortoise
13. मृगः – हिरण – Deer
14. वृकः – भेडिया – Wolf
15. गर्दभः – गधा – Donkey
16. शृगालः – गीदड़ – Jackal
17. नकुलः – नेवला – Mongoose
18. मूषकः – चूहा – Mouse
19. शशकः – खरगोश – Rabbit
20. मण्डूकः / दर्दुरः – मेढक – Frog
21. भल्लूकः – भालू – Bear
22. व्याघ्रः – बाघ – Tiger

पक्षियों के नाम (Name of Birds)

संस्कृत – हिन्दी – अंग्रेज़ी

1. कपोतः – कबूतर – Pigeon
2. कुक्कुटः – मुर्गा – Cock
3. मयूरः – मोर – Peacock
4. शुकः – तोता – Parrot
5. काकः – कौआ – Crow
6. पिकः – कोयल – Koyal/Indian cuckoo
7. चटका – चिड़िया – Sparrow
8. उलूकः – उल्लू – Owl
9. हंसः – हंस – Swan
10. गृध्रः – गिद्ध – Eagle
11. श्येनः – बाज़ – Hawk
12. भ्रमरः – भौंरा – Beetle
13. चित्रपतङ्गः / तित्तिरी – तितली – Butterfly
14. मक्षिका – मक्खी – Housefly
15. मधुमक्षिका – मधुमक्खी – Honeybee
16. वर्तिका – बतख – Duck
17. बकः – बगुला – Crane

शरीर के अंग एवं अवयव (Parts and Organs of body)

संस्कृत – हिन्दी – अंग्रेज़ी

1. शिरः – सिर – Head
2. केशः – बाल – Hair
3. ललाट: / मस्तक: – माथा – Forehead
4. कर्णः – कान – Ear
5. नेत्रम्/चक्षुः – आँख – Eye
6. नासिका – नाक – Nose
7. आननम् – मुँह / चेहरा – Face
8. मुखम् – मुँह – Mouth
9. ओष्ठ / अधरः – होंठ – Lips
10. जिह्वा – जीभ – Tongue
11. ग्रीवा – गर्दन – Neck
12. कण्ठः – गला – Throat
13. उदरम् – पेट – Stomach
14. वक्षस्थल – छाती – Chest
15. स्कन्धः – कन्धा – Shoulder
16. अंगुष्ठम् – अँगूठा – Thumb
17. अंगुलिः – अंगुली – Finger
18. दन्तः – दाँत – Teeth
19. पादः – पैर – Foot
20. नखः – नाखून – Nail
21. पृष्ठः – पीठ – Back
22. जंघा – जाँघ – Thigh
23. कपोल: – गाल – Cheek
24. जानु – घुटना – Knee
25. बाहुः – बाजू – Arm
26. हृदयम् – हृदय / दिल – Heart
27. भ्रूः – भौंह – Eyebrow
28. करतलः – हथेली – Palm
29. अस्थि – हड्डी – Bone
30. कंकालः – हड्डियों का ढाँचा – Skeleton
31. त्वच / चर्म – खाल / चमड़ी – Skin
32. रक्तम् / रुधिरम् – रक्त / खून – Blood
33. अश्रु – आँसू – Tears
34. चित्तम् / मनः – मन – Mind
35. कफोणिः – कोहनी – Elbow

फलों के नाम (Names of Fruits)

संस्कृत – हिन्दी – अंग्रेज़ी

1. नारिकेलम् – नारियल – Coconut
2. कदलीफलम् – केला – Banana
3. आम्रम् – आम – Mango
4. जम्बुफलम् – जामुन – Black plum
5. दाडिमम् – अनार – Pomegranate
6. अमृतफलम् – अमरूद – Guava
7. नारंगम् – सन्तरा – Orange
8. निम्बफलम् / जम्बीरम् – नींबू – Lemon
9. द्राक्षाफलम् – अंगूर – Grapes
10. अंजीरम् – अंजीर – Fig
11. कूष्माण्डम् – तरबूज – Watermelon
12. एरण्डम् – पपीता – Papaya
13. इक्षुः / रसालः – गन्ना – Sugarcane
14. सीताफलम् – शरीफा – Custard apple
15. सेबफलम् – सेब – Apple
16. खजूरम् – खजूर – Date

खाद्यपदार्थों के नाम (Names of eatables)

संस्कृत – हिन्दी – अंग्रेज़ी

1. करपट्टिका – रोटी – Bread
2. सूपः – दाल – Pulse
3. दधि – दही – Curd
4. गोधूमम् – गेहूं – Wheat
5. मिष्टान्नम् – मिठाई – Sweets
6. तण्डुलम् – चावल – Rice
7. ओदनम् – भात – Cooked rice
8. शाकः – सब्जी – Vegetable
9. दुग्धम् – दूध – Milk
10. चणकः – चना – Gram
11. तैलम् – तेल – Oil
12. घृतम् – घी – Ghee
13. नवनीतम् – मक्खन – Butter
14. यवः – जौ – Barley

सम्बन्ध वाचक शब्द (Words for relation)

संस्कृत – हिन्दी – अंग्रेज़ी

1. जनकः / पिता – पिता – Father
2. अम्बा / जननी – माता – Mother
3. भ्राता – भाई – Brother
4. भगिनी – बहन – Sister
5. अग्रजः – बड़ा भाई – Elder brother
6. अनुजः – छोटा भाई – Younger brother
7. अग्रजा – बड़ी बहन – Elder sister
8. अनुजा – छोटी बहन – Younger sister
9. पितामहः – दादा – Grand father (paternal)
10. पितामही – दादी – Grand mother (paternal)
11. मातामहः – नाना – Grandfather (maternal)
12. मातामही – नानी – Grandmother (maternal)
13. पितृव्यः – चाचा – Uncle (paternal)
14. पितृव्या – चाची – Aunt (paternal)
15. मातुलः – मामा – Uncle (maternal)
16. मातुलानी – मामी – Aunt (maternal)
17. भागिनेयः – भाञ्जा – Nephew (maternal)
18. श्वश्रुः श्वशुरः – ससुर – Father-in-law
19. पुत्रः – पुत्र / बेटा – Son
20. पुत्री – पुत्री / बेटी – Daughter
21. सखी – सहेली – Friend (female)
22. मित्रम् – मित्र / सखा – Friend (male)

अन्य उपयोगी शब्द (Some other useful words)

संस्कृत – हिन्दी – अंग्रेज़ी

1. शुल्कः – फ़ीस – Fee
2. सूचनापट्टः – सूचनापट्ट – Noticeboard
3. श्यामपट्टः – श्यामपट्ट – Blackboard
4. प्रकोष्ठः – कमरा – Room
5. भवनम् – इमारत / भवन – Building
6. लेखाधारः – मेज़ – Table
7. आसन्दिका – कुर्सी – Chair
8. कर्गलम् – कागज – Paper
9. कलमम् – कलम – Pen
10. मञ्जूषा – पेटी – Box
11. व्यजनम् – पंखा – Fan
12. विद्युत्दीपकम् – बल्ब – Bulb
13. कपाट: – किवाड़ – Door
14. गवाक्षः – झरोखा – Ventilator
15. वातायनम् – खिड़की – Window
16. भित्तिः – दीवार – Wall
17. दैनन्दिनी – डायरी – Diary
18. वाचनालयः – वाचनालय – Reading room
19. पुस्तकालयः – पुस्तकालय – Library
20. शाटिका – साड़ी – Saree
21. उणविकरम् – स्वेटर – Sweater
22. कारागारः – कारावास – Jail
23. भुशुण्डी – बन्दूक – Gun
24. अश्मपट्टिका – स्लेट – Slate
25. श्वेतवर्तिका – चांक – Chalk
26. तृणम् – घास – Grass
27. छत्रम् – छाता – Umbrella
28. नागदन्तः – खूटी – Hook
29. लवित्रम् / छुरिका – चाकू / छुरी – Knife
30. कर्तनी – कैंची – Scissors
31. पादत्राणम् – जूता – Shoe
32. दीपकम् – दीपक / दीया – Lamp
33. मुद्रिका – अंगूठी – Ring
34. रुप्यकम् – रुपया – Rupee
35. पणकः – पैसा – Coin
36. न्यायालयः – न्यायालय – Court
37. औषधालयः – चिकित्सालय – Hospital
38. देवालयः – मन्दिर – Temple
39. संगणकम् – कम्प्यूटर – Computer
40. प्रक्षेपकयन्त्रम् – प्रोजेक्टर – Projector
41. ध्वनिविस्तारकयन्त्रम् – माइक / लाउडस्पीकर – Microphone / Loudspeaker
42. मञ्चम् – स्टेज / मञ्ज – Stage

कः रक्षति कः रक्षितः Summary Notes Class 8 Sanskrit Chapter 12

By going through these CBSE Class 8 Sanskrit Notes Chapter 12 कः रक्षति कः रक्षितः Summary, Notes, word meanings, translation in Hindi, students can recall all the concepts quickly.

Class 8 Sanskrit Chapter 12 कः रक्षति कः रक्षितःSummary Notes

कः रक्षति कः रक्षितः Summary

यह पाठ पर्यावरण पर केन्द्रित है। हमारे दैनिक जीवन में प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग होता है। पर्यावरण के लिए प्लास्टिक अत्यधिक घातक है। प्रस्तुत पाठ में पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या को उजागर किया गया है तथा पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के प्रति संवेदनशील समझ विकसित करने का प्रयास किया गया है। पाठ का सार इस प्रकार है :
कः रक्षति कः रक्षितः Summary Notes Class 8 Sanskrit Chapter 12.1

मनुष्य पूर्वकाल में कपास से, मिट्टी से अथवा लोहे से निर्मित वस्तुओं का उपयोग किया करता था। ये वस्तुएँ पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करती थीं। कारण कि, ये आसानी से गल जाती हैं और नष्ट-भ्रष्ट हो जाती हैं।

आजकल लोग प्लास्टिक का अधिक प्रयोग करते हैं। लोग प्लास्टिक से निर्मित थैलों को तथा अन्य वस्तुओं को इधर-उधर फेंक देते हैं। ये वस्तुएँ न तो गलती हैं और न ही सड़ती हैं। ये यथावत् पड़ी रहती हैं तथा वातावरण को दूषित करती हैं।
कः रक्षति कः रक्षितः Summary Notes Class 8 Sanskrit Chapter 12.2

मनुष्य कदापि इस ओर ध्यान नहीं देता कि प्लास्टिक पर्यावरण को बहुत क्षति पहुँचाता है और इससे मानव का अहित होता है। अतः हमारा यह परम कर्त्तव्य बनता है कि हम पर्यावरण की शुद्धि की ओर ध्यान दें तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाएँ।

कः रक्षति कः रक्षितः Word Meanings Translation in Hindi

मूलपाठः, अन्वयः, शब्दार्थः सरलार्थश्च ।

(क) (ग्रीष्मौ सायंकाले विद्युदभावे प्रचण्डोष्मणा पीडितः वैभवः गृहात् निष्क्रामति)
वैभवः – अरे परमिन्दर्! अपि त्वमपि विद्युदभावेन पीडितः बहिरागतः?
परमिन्दर् – आम् मित्र! एकतः प्रचण्डातपकालः अन्यतश्च विद्युदभावः परं बहिरागत्यापि पश्यामि यत् वायुवेगः तु सर्वथाऽवरुद्धः।

सत्यमेवोक्तम् प्राणिति पवनेन जगत् सकलं, सृष्टिर्निखिला चैतन्यमयी।
क्षणमपि न जीव्यतेऽनेन विना, सर्वातिशायिमूल्यः पवनः॥1॥

विनयः – अरे मित्र! शरीरात् न केवलं स्वेदबिन्दवः अपितु स्वेदधाराः इव प्रस्रवन्ति स्मृतिपथमायाति शुक्लमहोदयैः रचितः श्लोकः। तप्तर्वाताघातैरवितुं लोकान् नभसि मेघाः,
आरक्षिविभागजना इव समये नैव दृश्यन्ते॥2॥

अन्वयः-(इदम्) जगत् सकलं, चैतन्यमयी निखिला सृष्टिः पवनेन प्राणिति। अनेन विना क्षणमपि न जीव्यते। पवनः सर्वातिशायिमूल्यः।।1।।
तप्तैः वाताघातैः लोकान् अवितुं मेघाः नभसि आरक्षिविभागजना इव समये नैव दृश्यन्ते।।।2।।

शब्दार्थ-
प्रचण्ड-भयंकर।
बहिः-बाहर।
आगतः-आ गया।
प्रचण्ड-तीव्र।
अन्यतः-और भी।
आगत्य-आकर।
अवरुद्धः-रुक गया।
प्राणिति-जीवित है (Survives)।
सकलम्-सारा।
निखिला-सम्पूर्णं (Whole)।
जीव्यते-जीवित है।
सर्वातिशायि-सबसे बढकर।
स्वेदबिन्दवः-पसीने की बूंदें।
प्रस्रवन्ति-बह रही हैं।
तप्तैः-गर्म।
वाताघातैः-लू के द्वारा।
अवितुम्-रक्षा करने के लिए।
नभसि-आकाश में। आरक्षिः-पुलिस।
दृश्यन्ते-दिखाई पड़ते हैं।

सरलार्थ-
(गर्मी की ऋतु में शाम को बिजली के अभाव में तीव्र गर्मी के द्वारा पीड़ित वैभव घर से
बाहर निकलता है)
वैभव – अरे परमिन्दर्! क्या तुम भी बिजली के अभाव से पीड़ित होकर बाहर आ गए हो?
परमिन्दर – हाँ, मित्र! एक तो तीव्र गर्मी का समय, दूसरे बिजली का अभाव। परन्तु बाहर आकर भी देखता हूँ कि वायु की गति पूर्णतः रुक गई है। सच ही कहा है पवन के द्वारा समस्त जगत् तथा चैतन्यपूर्ण यह समग्र सृष्टि जीवित है। इसके बिना क्षणभर भी जीवित नहीं रहा जाता है। सबसे अधिक मूल्य वाली वायु है।

विनय – अरे मित्र! शरीर से न केवल पसीने की बूँदें, अपितु पसीने की नदियाँ बह रही हैं। शुक्लमहोदय के द्वारा रचित श्लोक याद आ रहा है गर्म लू से संसार की रक्षा करने के लिए आकाश में बादल पुलिस विभाग के लोगों के समान समय पर दिखाई नहीं पड़ते हैं।

(ख) परमिन्दर् – आम् अद्य तु वस्तुतः एव
निदाघतापतप्तस्य, याति तालु हि शुष्कताम्।
पुंसो भयादितस्येव, स्वेदवज्जायते वपुः॥3॥

जोसेफः – मित्राणि! यत्र-तत्र बहुभूमिकभवनानां, भूमिगतमार्गाणाम्, विशेषतः
मैट्रोमार्गाणां, उपरिगमिसेतूनाम् मार्गेत्यादीनां निर्माणाय वृक्षाः कर्त्यन्ते
तर्हि अन्यत् किमपेक्ष्यते अस्माभिः? वयं तु विस्मृतवन्तः एव

एकेन शुष्कवृक्षण दह्यमानेन वह्निना।
दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा॥4॥
परमिन्दर् – आम् एतदपि सर्वथा सत्यम्! आगच्छन्तु नदीतीरं गच्छामः। तत्र चेत्
काञ्चित् शान्तिं प्राप्तुं शक्ष्येम।

अन्वयः-निदाघतापतप्तस्य (जनस्य) तालु शुष्कतां याति। पुंसः भयादितस्येव वयुः स्वेदवत् जायते।।3।।
वह्निना दह्यमानेन एकेन शुष्कवृक्षेण सर्वं तद्वनं दह्यते, यथा कुपुत्रेण कुलम्।।4।।

शब्दार्थ-
वस्तुतः-वास्तव में।
निदाघ-गर्मी।
याति-प्राप्त होता है।
शुष्कताम्-सूखापन।
पुंसः-मनुष्य का।
भयादितस्य-भयभीत।
वपुः-शरीर।
स्वेदवत्-पसीने से तर।
उपरिगामि-ऊपर से जाने वाले।
कर्त्यन्ते-काटे जाते हैं।
शुष्क-सूखा।
विस्मृतवन्तः- भूल गए हैं।
वह्निना-अग्नि के द्वारा।
दह्यमानेन-जलाए जाते हुए।
शक्ष्येम-सकेंगे।
आगच्छन्तु-आओ।

सरलार्थ –

परमिन्दर् – हाँ! आज तो वास्तव में
गर्मी के ताप से पीड़ित मनुष्य का तालु सूख जाता है। भयभीत मनुष्य का शरीर पसीने से तर हो जाता है।
जोसेफ – मित्र! जहाँ-तहाँ अत्यधिक पृथ्वी पर भवनों का, भूमिगत मार्गों का, विशेषरूप से मैट्रो के मार्गों का, ऊपर से गुजरने वाले पुलों का-इत्यादि के निर्माण के लिए वृक्ष काटे जाते हैं। अवश्य ही हमसे क्या अपेक्षा की जाती है? हम तो भूल ही गए अग्नि के द्वारा जलाए जाते हुए एक सूखे वृक्ष के द्वारा ही समग्र वन जला दिया जाता है, जिस प्रकार कुपुत्र के द्वारा कुल (नष्ट हो जाता है।)
परमिन्दर् – हाँ, यह भी सत्य है! आओ, नदी के किनारे चलते हैं। वहाँ कुछ शान्ति प्राप्त कर सकेंगे।

(ग) (नदीतीरं गन्तुकामाः बालाः यत्र-तत्र अवकरभाण्डारं दृष्ट्वा वार्तालापं कुर्वन्ति)
जोसेफः – पश्यन्तु मित्राणि यत्र-तत्र प्लास्टिकस्यूतानि अन्यत् चावकरं प्रक्षिप्तमस्ति।
कथ्यते यत् स्वच्छता स्वास्थ्यकरी परं वयं तु शिक्षिताः अपि अशिक्षिता
इवाचरामः अनेन प्रकारेण…. वैभवः – गृहाणि तु अस्माभिः नित्यं स्वच्छानि क्रियन्ते परं किमर्थं स्वपर्यावरणस्य
स्वच्छतां प्रति ध्यानं न दीयते। विनयः पश्य-पश्य उपरितः इदानीमपि अवकरः मार्गे क्षिप्यते।
(आहूय) महोदये! कृपां कुरू मार्गे भ्रमद्भ्यः । एतत् तु सर्वथा अशोभनं कृत्यम्।
अस्मत्सदृशेभ्यः बालेभ्यः भवतीसदृशैः एवं संस्कारा देयाः ।

रोजलिन् – आम् पुत्र! सर्वथा सत्यं वदसि! क्षम्यताम्। इदानीमेवागच्छामि। (रोजलिन् आगत्य बालैः साकं स्वक्षिप्तमवकर मार्गे विकीर्णमन्यदवकर चापि सङ्गृह्य अवकरकण्डोले पातयति)

शब्दार्थ- अवकर-कूड़ा।
प्रक्षिप्तम्-फेंक दिया।
आचरामः-आचरण करते हैं।
दीयते-दिया जाता है।
उपरितः-ऊपर से।
भ्रमद्भ्यः -भ्रमण करते हुए। क
कत्यम्-कार्य।
क्षम्यताम्-क्षमा करिए।
अवगच्छामि-जानती हूँ।
कण्डोले-टोकरी में।

सरलार्थ-
(नदी के किनारे जाने के इच्छुक बालक जहाँ-तहाँ गन्दगी के ढेर देखकर वार्तालाप करते हैं)
जोसेफ – मित्र, देखो! जहाँ-तहाँ प्लास्टिक का थैला तथा अन्य कूड़ा फेंका हुआ है। कहा जाता है कि स्वच्छता स्वास्थ्यकर होती है, परन्तु हम शिक्षित होते हुए भी अनपढ़ों की तरह आचरण करते हैं, इस प्रकार हम घरों को नित्य स्वच्छ करते हैं, परन्तु किसलिए अपने पर्यावरण की स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। विनय देखो, देखो। ऊपर से अब भी मार्ग में कूड़ा डाला जा रहा है।
(बुलाकर)-देवी! मार्ग में भ्रमण करने वालों पर कृपा करो। यह तो पूर्णतः अशोभन कार्य है। हमारे जैसे बच्चों को आप जैसी (महिलाओं) को संस्कार देना चाहिए।
रोजलिन् – हाँ पुत्र! तुम पूर्णरूप से सच कहते हो। क्षमा कर देना। अब मैं जान गई हूँ। (रोजलिन् ने आकर बालकों के साथ अपने द्वारा फेंके गए कूड़े को मार्ग तथा शेष कूड़े को कूड़ादान में डाल दिया।)

(घ) बालाः – एवमेव जागरूकतया एव प्रधानमन्त्रिमहोदयानां स्वच्छताऽभियानमपि गतिं प्राप्स्यति।
विनयः – पश्य पश्य तत्र धेनुः शाकफलानामावरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि
खादति। यथाकथञ्चित् निवारणीया एषा। (मार्गे कदलीफलविक्रेतारं दृष्ट्वा बालाः कदलीफलानि क्रीत्वा धेनुमाह्वयन्ति भोजयन्ति च, मार्गात् प्लास्टिकस्यूतानि चापसार्य पिहिते अवकरकण्डोले क्षिपन्ति)

शब्दार्थ-
प्राप्स्यति-प्राप्त करेगा।
आवरणैः-छिलकों।
यथाकथञ्चित्-जैसे-तैसे।
निवारणीया-हटाना चाहिए।
कदली-केला।
अपसार्य-हटाकर।
पिहित-ढके हुए।

सरलार्थ-
बालक – इसी प्रकार जागरूकता से ही प्रधानमन्त्री महोदय का स्वच्छता अभियान भी गति प्राप्त करेगा।
विनय – देखो, देखो। वहाँ गाय सब्जी और फलों के छिलकों के साथ प्लास्टिक के थैले को भी खा रही है। जैसे तैसे-इसे हटाना चाहिए।

(मार्ग में केला बेचने वाले को देखकर बच्चे केले खरीदकर गाय को बुलाते हैं और खिलाते हैं। मार्ग से प्लास्टिक के थैलों को हटाकर ढके हुए कूड़ादान में डालते हैं।)

(ङ) परमिन्दर् – प्लास्टिकस्य मृत्तिकायां लयाभवात् अस्माकं पर्यावरणस्य कृते महती क्षतिः भवति। पूर्वं तु कार्पासेन, चर्मणा, लौहेन, लाक्षया, मृत्तिकया, काष्ठेन वा निर्मितानि वस्तूनि एव प्राप्यन्ते स्म। अधुना तत्स्थाने प्लास्टिकनिर्मितानि वस्तूनि एव प्राप्यन्ते।
वैभवः – आम् घटिपट्टिका, अन्यानि बहुविधानि पात्राणि, कलमेत्यादीनि सर्वाणि नु प्लास्टिकनिर्मितानि भवन्ति।
जोसैफः – आम् अस्माभिः पित्रोः शिक्षकाणां सहयोगेन प्लास्टिकस्य विविधपक्षाः विचारणीयाः। पर्यावरणेन सह पशवः अपि रक्षणीयाः। (एवमेवालपन्तः सर्वे नदीतीरं प्राप्ताः, नदीजले निमज्जिताः भवन्ति गायन्ति च
सुपर्यावरणेनास्ति जगतः सुस्थितिः सखे।
जगति जायमानानां सम्भवः सम्भवो भुवि॥5॥
सर्वे – अतीवानन्दप्रदोऽयं जलविहारः।

अन्वयः-
सखे, जगतः सुस्थितिः सुपर्यावरणेन अस्ति। जगति जायमानानां सम्भवः भुवि सम्भवः।।5।।

शब्दार्थ-
मृत्तिकायां-मिट्टी में।
क्षतिः-हानि। कार्पासेन-कपास से।
चर्मणा-चमड़े से। लाक्षया-लाख से।
काष्ठेन-काठ से। आलपन्तः-बात करते हुए।
निमज्जिताः-स्नान किया।

सरलार्थ –
परमिन्दर – प्लास्टिक के मिट्टी में नष्ट न होने के कारण हमारे पर्यावरण की महान् हानि होती है। पहले तो कपास से, चमड़े से, लोहा से, लाख से, मिट्टी से अथवा काठ से निर्मित वस्तुएँ ही प्राप्त होती थीं। अब उसके स्थान पर प्लास्टिक निर्मित वस्तुएँ ही प्राप्त होती हैं।
वैभव – हाँ, घड़ी की पट्टियाँ, अन्य बहुत से पात्र, कलम इत्यादि सभी प्लास्टिक से निर्मित होती हैं। जोसेफ हाँ, हमारे माता-पिता तथा गुरु जी के सहयोग से प्लास्टिक के विविध पक्षों पर विचार करना चाहिए। पर्यावरण के साथ पशुओं की भी रक्षा करनी चाहिए। (इस प्रकार वार्तालाप करते हुए सभी नदी के किनारे पहुँच गए और नदी के जल में स्नान किया तथा गाते हैं-) सुपर्यावरण के द्वारा ही जगत की सुन्दर स्थिति है। संसार में उत्पन्न होने वालों की उत्पत्ति पृथ्वी पर है।
सभी – जल में अति आनंद प्राप्त करते हैं।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions अशुद्धिशोधनम्

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions अशुद्धिशोधनम्

1. रेखाङ्कितपदं/स्थूलपदं संशोध्य लिखत। (रेखांकित/स्थूल-पदों को शुद्ध करके लिखिए। Correct the underlined words/bold words and write in the blank space.)

प्रश्न (क).
शब्द-लिङ्ग-प्रयोगः
1. तव गृहः कुत्र अस्ति? _______________
2. वृक्षात् पत्राः पतन्ति। _______________
3. कमल: रक्तम् अस्ति। _______________
4. पुष्पाः विकसन्ति। _______________
5. अहम् आम्रफलान् खादामि। _______________
6. एतत् वस्त्र: मलिनम्। _______________
7. छात्रः पुस्तकान् आनयति। _______________
उत्तरम्-
1. गृहम्
2. पत्राणि
3. कमलम्
4. पुष्पाणि
5. आम्रफलानि
6. वस्त्रम्
7. पुस्तकानि।

प्रश्न (ख).
कर्तृ-क्रियापद-समन्वयः। (कर्ता-क्रिया समन्वय। Agreement between the Subject and Verb.)
1. त्वम् कुत्र गच्छति? _______________
2. अहम् आपणम् गच्छति। _______________
3. तौ किम् खादन्ति? _______________
4. युवाम् लेखम् लिखन्ति। _______________
5. अहम् कानपुरम् अगच्छत्। _______________
6. तौ कुत्र अगच्छतम्? _______________
7. अध्यापिका आगच्छन्ति। _______________
8. वयम् आपणं गच्छावः। _______________
उत्तरम्-
1. गच्छसि
2. गच्छामि
3. खादतः
4. लिखथः
5. अगच्छम्
6. युवाम्
7. आगच्छति
8. आवाम्।

प्रश्न (ग).
सर्वनाम-प्रयोगः। (सर्वनाम-प्रयोग। Usage in Pronouns.)
1. सः बालिका नृत्यति। _______________
2. ते बालिकाः गायन्ति। _______________
3. सः छात्राः पठन्ति। _______________
4. ते अध्यापकः पाठयति। _______________
5. सः फलम् पक्वम् अस्ति। _______________
6. ते फलानि मधुराणि सन्ति। _______________
7. एषः पुस्तकम् कस्य अस्ति? _______________
उत्तरम्-
1. सा
2. ताः
3. ते
4. सः
5. तत्
6. तानि
7. एतत्।

प्रश्न (घ).
कारक-विभक्ति-प्रयोगः। (कारक-विभक्ति प्रयोग। Usage in Cases.)
1. बालक: आम्र-रसः पिबति। _______________
2. किं सः कन्दुकम् क्रीडति? _______________
3. वानरः वृक्षण अवतरति। _______________
4. सा देवाय नमति। _______________
5. अधुना वयम् विश्रामं गच्छामः। _______________
6. एषः रोहितः कलमः अस्ति। _______________
7. अहम् भोजनः खादामि। _______________
8. पिता पुत्रेण वदति। _______________
9. भक्तः ईश्वरस्य भजति। _______________
10. गुरुः शिष्येण पृच्छति। _______________
उत्तरम्-
1. आम्ररसम्
2. कन्दुकेन
3. वृक्षात्
4. देवम्
5. विश्रामाय
6. रोहितस्य
7. भोजनम्
8. पुत्रम्
9. ईश्वरम्
10. शिष्यम्।

प्रश्न (ङ).
उपपद-विभक्ति-प्रयोगः। (उपपद-विभक्ति प्रयोग। Usage in उपपद-विभक्ति.)
1. सूर्यम् नमः। _______________
2. सः गृहस्य प्रति अधावत्। _______________
3. उद्यमस्य विना न कार्यसिद्धिः। _______________
4. द्वीपस्य परितः जलम् अस्ति। _______________
5. अतुलः कस्य सह गच्छति? _______________
6. बालकः गृहस्य बहिः खेलति? _______________
7. वृक्षम् उपरि पिकः कूजति। _______________
उत्तरम्-
1. सूर्याय
2. गृहम्
3. उद्यमम् / उद्यमेन/उद्यमात्
4. द्वीपम्
5. केन
6. गृहात्
7. वृक्षस्य।

प्रश्न (च).
लकार-प्रयोगः। (लकार-प्रयोग। Usage in Tenses/Moods.)
1. अद्य मम संस्कृत-परीक्षा अभवत्। _______________
2. श्वः मम गणित-परीक्षा भवति। _______________
3. ह्यः अहम् पुस्तक-मेलकम् गच्छामि। _______________
4. गत-सप्ताहे मम परीक्षा अस्ति। _______________
5. अग्रिमे शनिवासरे क्रीडा-प्रतियोगिता अभवत्। _______________
उत्तरम्-
1. भवति
2. भविष्याति
3. अगच्छम्
4. आसीत्
5. भविष्यति।

(छ) धातुरूप प्रयोग। (Usage in Conjugation.)
1. वयम् अत्र एव तिष्ठिष्यामः। _______________
2. सः दुग्धं न पिबिष्यति। _______________
3. छात्राः कदा गच्छिष्यन्ति? _______________
4. किम् युवाम् चलचित्रम् न पश्यिष्यथः? _______________
5. आवाम् निर्धनेभ्यः वस्त्राणि यच्छिष्यावः। _______________
उत्तरम्-
1. स्थास्यामः
2. पास्यति
3. गमिष्यन्ति
4. द्रक्ष्यथः
5. दास्यावः।

(ज) उचित-शब्दरूप प्रयोगः-
1. पक्षिणः शाखे उपविष्टाः। _______________
2. पुत्र माते स्निह्यति। _______________
3. गुरुवे नमः। _______________
4. वयम् अध्यापिकात् संस्कृतं पठामः। _______________
5. विपुलः पितस्य चरणौ अस्पृशत्। _______________
उत्तरम्-
1. शाखायाम्
2. मातरि
3. गुरवे
4. अध्यापिकायाः
5. पितुः

2. कोष्ठकात् उचितं विशेषण-पद-रूपं चित्वा वाक्यानि पूरयत।
(कोष्ठक से विशेषण-पद का उचित रूप चुनकर वाक्य पूरे कीजिए। Pick out the correct form of the adjective from the bracket and complete the sentences.)
1. किम् इदम् फलम् _______________? (पक्व, पक्वम्, पक्व:)
2. मम अध्यापिका अतीव _______________। (योग्यः, योग्यम्, योग्या)
3. बालकाः _______________ अभवन्। (चकितः, चकितौ, चकिताः)
4. एषा वाटिका अति _______________। (विशालः, विशाला, विशालम्)
5. द्वौ एव बालको _______________ स्तः। (योग्यः, योग्यौ, योग्याः)
उत्तरम्-
1. पक्वम्
2. योग्या
3. चकिताः
4. विशाला
5. योग्यौ।

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions सन्धि

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions सन्धि

अधोदत्तानि पदानि अवलोकयत- (निम्नलिखित पदों को देखिए- Look at the words given below.)

सूर्योदयः – (सूर्य + उदयः – अ + उ = ओ)
विद्यार्थी – (विद्या + अर्थी – आ + अ = आ)
जगदीश्वरः – (जगत् + ईश्वरः – त् → द्; द् + ई = दी)
कश्चनः – (क: + चन – श्)
रामोऽपि – (रामः + अपि – अः → ओ; अ → ऽ)

ऊपर दिए गए प्रत्येक पद में पूर्वपद के अन्तिम वर्ण तथा उत्तर पद के प्रथम वर्ण के पास-पास आने से उनमें परिवर्तन आया है। इसी परिवर्तन (विकार) को सन्धि कहते हैं।

सन्धि तीन प्रकार की होती है-
1. स्वर-सन्धि – जब दो निकटवर्ती स्वर वर्णों के मेल से परिवर्तन होता है, वहाँ स्वर-सन्धि होती है; यथा- विद्या + आलयः = विद्यालयः।

2. व्यञ्जन-सन्धि – जब पूर्व पद के अन्तिम वर्ण व्यञ्जन और उत्तर पद के प्रथम वर्ण स्वर अथवा व्यञ्जन का मेल होता है, तब परिवर्तन व्यञ्जन में होता है। यह व्यञ्जन-सन्धि कहलाती है; यथा- जगत् + ईश्वर = जगदीश्वर, रामम् + कथयतु = रामं कथयतु।

3. विसर्ग-सन्धि – जब पूर्व पद का अन्तिम वर्ण विसर्ग और उत्तर पद का प्रथम वर्ण स्वर अथवा व्यञ्जन होता है, तब परिवर्तन विसर्ग में होता है। यह विसर्ग-सन्धि कहलाती है; यथा- बालः + अस्ति = बालोऽस्ति।

ध्यान दें- यहाँ केवल ‘स्वर-सन्धि’ पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
स्वर-सन्धि पाँच प्रकार की होती है-
1. दीर्घ-सन्धि – ह्रस्व या दीर्घ ‘अ, इ, उ, ऋ’ के बाद ह्रस्व या दीर्घ समान स्वर आए, तो दोनों के स्थान पर दीर्घ स्वर ‘आ, ई, ऊ, ऋ’ होता है।
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions सन्धि 1
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions सन्धि 2

2. गुण-सन्धि – जब पूर्व पद के अन्त में ‘अ’ या ‘आ’ और उत्तर पद के आरम्भ में ‘इ’ या ‘ई’ आए, तो ‘ए’ होता है। यदि उत्तर पद के अन्त में ‘उ’ या ‘ऊ’ आए, तो ‘ओ’, ‘ऋ’ आए, तो ‘अर्’ और ‘लु’ आए, तो ‘अल्’ हो जाता है।
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions सन्धि 3

3. वृद्धि-सन्धि – जब पूर्व पद के अन्त में ‘अ’ या ‘आ’ आए और उत्तर पद के आरम्भ में ‘ए’ या ‘ऐ’ आए, तो ‘ऐ’ और ‘ओ’ या ‘औ’ आए, तो ‘औ’ हो जाता है।
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions सन्धि 4

4. यण-सन्धि – जब पूर्व पद के अन्त में ह्रस्व अथवा दीर्घ ‘इ, उ, ऋ या लु’ हों उसके बाद उत्तर पद के आरम्भ में कोई भी असमान (भिन्न) स्वर आए, तो उन्हें क्रमशः ‘य, व्, र् और ल्’ हो जाते हैं।
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions सन्धि 5

5. अयादि-सन्धि – जब पूर्व पद के अन्त में ए, ऐ, ओ या औ’ आए और उत्तर पद के आरम्भ में कोई भी ‘असमान’ (भिन्न) स्वर आए, तो उन्हें क्रमशः ‘अय, आय, अव् या आव्’ हो जाता है।
Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions सन्धि 6

नोट- यदि छात्र पाठ्यपुस्तक में आए सन्धियुक्त पदों पर ध्यान दें तथा उसी संदर्भ में सन्धि नियम समझें, तो पाठगत शब्दों का अर्थ भी समझ आ जाएगा और नियम भी स्वतः ही याद रह जाएगा।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
संधिविच्छेदं कुरुत- (संधिविच्छेद कीजिए- Disjoin the Sandhi.)
(i) शिवालय = ________ + ___________
(ii) विद्यानंदः = ________ + ___________
(iii) कवीन्द्रः = ________ + ___________
(iv) धर्मेशः = ________ + ___________
(v) सूर्योदयः = ________ + ___________
(vi) महोत्सवः = ________ + ___________
(vii) भूर्ध्वम् = ________ + ___________
(viii) यमुनोर्मिः = ________ + ___________
(ix) मातेव = ________ + ___________
(x) महर्षिः = ________ + ___________
(xi) सदैव = ________ + ___________
(xii) एकैकम् = ________ + ___________
(xiii) अत्यधिकम् = ________ + ___________
(xiv) प्रत्येकम् = ________ + ___________
(xv) अन्वेषणम् = ________ + ___________
(xvi) मात्रुपदेशः = ________ + ___________
उत्तरम्-
(i) शिव + आलयः
(ii) विद्या + आनंदः
(iii) कवि + इन्द्रः
(iv) धर्म + ईशः
(v) सूर्य + उदयः
(vi) महा + उत्सवः
(vii) भू + ऊर्ध्वम्
(viii) यमुना + ऊर्मिः
(ix) माता + इव
(x) महा + ऋषिः
(xi) सदा + एव
(xii) एक + एकम्
(xiii) अति + अधिकम्
(xiv) प्रति + एकम्
(xv) अनु + एषणम्
(xvi) मातृ + उपदेशः

प्रश्न 2.
सन्धिं कुरुत- (सन्धि कीजिए- Join the Sandhi.)
(i) अति + आचारः = ________ + ___________
(ii) प्रति + उपकारम् = ________ + ___________
(iii) अनु + एषणम् = ________ + ___________
(iv) पितृ + आज्ञा = ________ + ___________
(v) सदा + एव = ________ + ___________
(vi) भानु + उदयः = ________ + ___________
(vii) ने + अनम् = ________ + ___________
(viii) पौ + अकः = ________ + ___________
(ix) शिव + आलयः = ________ + ___________
(x) नर + इंद्रः = ________ + ___________
(xi) रजनी + ईशः = ________ + ___________
(xii) रेखा + अंकितः = ________ + ___________
(xiii) महा + ईशः = ________ + ___________
(xiv) माता + इव = ________ + ___________
(xv) नि + ऊनम् = ________ + ___________
उत्तरम्-
(i) अत्याचारः
(ii) प्रत्युपकारम्
(iii) अन्वेषणम्
(iv) पित्राज्ञा
(v) सदैव
(vi) भानूदयः
(vii) नयनम्
(viii) पावकः
(ix) शिवालयः
(x) नरेंद्रः
(xi) रजनीशः
(xii) रेखांकितः
(xiii) महेशः
(xiv) मातेव
(xv) न्यूनम्

प्रश्न 3.
उचित विकल्पम् चित्वा रिक्तस्थानेषु लिखत- (उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों में लिखिए- Choose appropriate answer and fill in the blanks.)
(क) (i) नदी + अत्र = ___________ (नदीत्र, नद्यत्र, नदित्र)
(ii) देवी + इच्छा = ___________ (देव्यीक्षा, देवीच्छा, देवेच्छा)
(iii) लघु + ऊर्मिः = ___________ (लघोर्मिः, लघुर्मिः, लघूर्मि:)
(iv) महा + उदयः = ___________ (महोदयः, महोदयः, महादयः)
(v) सु + आगतम् = ___________ (सुगतम्, स्वगतम्, स्वागतम्)
उत्तरम्-
(i) नद्यत्र
(ii) देवीच्छा
(iii) लघूमिः
(iv) महोदयः
(v) स्वागतम्

(ख) (i) नयनम् = ________ + ___________ (ना + अनम्, ने + अनम्, नय + नम्)
(ii) पावकः = ________ + ___________ (पो + अकः, पौ + कः, पौ + अक:)
(iii) नाविकः = ________ + ___________ (नौ + इकः, नो + इक, नौ + विक:)
(iv) अन्विच्छा = ________ + ___________ (अन्वि + इच्छा, अनु + विच्छा, अनु + इच्छा)
(v) गायिका = ________ + ___________ (गे + यिका, गै + इका, गे + इका)
उत्तरम्-
(i) ने + अनम्
(ii) पौ + अक:
(iii) नौ + इकः
(iv) अनु + इच्छा
(v) गै + इका

सावित्री बाई फुले Summary Notes Class 8 Sanskrit Chapter 11

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Class 8 Sanskrit Chapter 11 सावित्री बाई फुले Summary Notes

सावित्री बाई फुले Summary

सावित्री बाई फुले ने आजीवन शोषितों व पिछड़ों के उत्थान के लिए संघर्ष किया। उनका नारा था- शिक्षा हमारा अधिकार है।’ फुले के समाज में कई समुदाय अत्यधिक लम्बे समय तक इस अधिकार से वञ्चित रहे हैं। उन्हें शिक्षा का, समानता का अधिकार दिलाने के लिए फुले ने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
सावित्री बाई फुले Summary Notes Class 8 Sanskrit Chapter 11

वञ्चित समुदाय में स्त्रियों की दशा तो और भी दयनीय थी। उनकी शिक्षा के लिए सावित्री फुले को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह अन्त तक स्त्रियों के अधिकारों के लिए लड़ती रही। सावित्री फुले स्त्रियों की शिक्षा पर बल देती रहीं।

सावित्री फुले महाराष्ट्र की पहली महिला शिक्षिका थीं। वह गरीब कन्याओं को शिक्षा देती थीं। इनका जन्म सन् 1831 ई० में हुआ। इसकी माता का नाम लक्ष्मीबाई तथा पिता का नाम खंडोजी था। सावित्री का विवाह ज्योतिबा फुले के साथ हुआ।
सावित्री बाई फुले Summary Notes Class 8 Sanskrit Chapter 11.2

सावित्री फुले ने सामाजिक कुरीतियों का प्रबल विरोध किया। उन्होंने मनुष्यों की समानता और स्वतन्त्रता के पक्ष का समर्थन किया। सावित्री फुले ने ‘पूना सेवासदन’ जैसी अनेक संस्थाओं की स्थापना की। सन् 1897 ई० में सावित्री फुले का देहान्त हो गया।

सावित्री बाई फुले Word Meanings Translation in Hindi

मूलपाठः, अन्वयः, शब्दार्थः सरलार्थश्च

(क) उपरि निर्मितं चित्रं पश्यत। इदं चित्रं कस्याश्चित् पाठशालायाः वर्तते। इयं सामान्या पाठशाला नास्ति। इयमस्ति महाराष्टस्य प्रथमा कन्यापाठशाला। एका शिक्षिका गहात पस्तकानि आदाय मार्गे कश्चित् तस्याः उपरि धूलिं कश्चित् च प्रस्तरखण्डान् क्षिपति। परं सा स्वदृढनिश्चयात् न विचलति। स्वविद्यालये कन्याभिः सविनोदम् आलपन्ती सा अध्यापने संलग्ना भवति। तस्याः स्वकीयम् अध्ययनमपि सहैव प्रचलति। केयं महिला? अपि यूयमिमां महिलां जानीथ? इयमेव महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले नामधेया।

शब्दार्थ-
उपरि-ऊपर।
पश्यत-देखो।
इदम्-यह (नपुं.)।
कस्याश्चित्-किसी।
नास्ति-नहीं है।
प्रथमा-प्रथम (स्त्री.)
निर्मितम्-बने हुए।
गृहात्-घर से।
एका-एक (स्त्री.)।
मार्गे-रास्ते में।
आदाय-लेकर।
प्रस्तरखण्डान्-पत्थर के टुकड़ों को।
कश्चित्-कोई।
परम्-परन्तु।
क्षिपति-फेंकता है।
सविनोदम्-मजाक के साथ।
विचलति-विचलित होती है।
सहैव-साथ ही।
आलपन्ती-बात करती हुई।
जानीथ-जानते हो।
केयं-कौन है यह।
संलग्ना-लगी हुई।
नामधेया-नामक।
स्वकीयम्-अपना।
स्वदृढनिश्चयात्-अपने मजबूत संकल्प से।
प्रचलति-चलता है।

सरलार्थ-
ऊपर बने हुए चित्र को देखो। यह चित्र किसी पाठशाला का है। यह सामान्य विद्यालय नहीं है। यह महाराष्ट्र की पहली कन्या पाठशाला है। एक अध्यापिका घर से पुस्तकें लेकर चलती है। मार्ग में कोई उसके ऊपर धूल और कोई पत्थर के टुकड़े फेंकता है। परन्तु वह अपने दृढ़ निश्चय से विचलित नहीं होती है। अपने विद्यालय में लड़कियों से हँसी मजाक के साथ बात करती हुई वह पढ़ाने में लगी होती है। उसका अपना अध्ययन भी साथ ही चलता है। कौन है यह महिला? क्या तुम सब इस महिला को जानते हो? यह ही महाराष्ट्र की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले है।

(ख) जनवरी मासस्य तृतीये दिवसे 1831 तमे ख्रिस्ताब्दे महाराष्ट्रस्य नायगांव-नाग्नि स्थाने सावित्री अजायत। तस्याः माता लक्ष्मीबाई पिता च खंडोजी इति अभिहितौ। नववर्षदेशीया सा ज्योतिबा-फुले महोदयेन परिणीता। सोऽपि तदानीं त्रयोदशवर्षकल्पः एव आसीत्। यतोहि सः स्त्रीशिक्षायाः प्रबल: समर्थकः आसीत् अतः सावित्र्याः मनसि स्थिता अध्ययनाभिलाषा उत्साहं प्राप्तवती। इतः परं सा साग्रहम् आङ्ग्लभाषाया अपि अध्ययनं कृतवती।

शब्दार्थ-
तृतीये दिवसे-तीसरे दिवस (तारीख) में।
नववर्षदेशीया-नौ साल वाली।
नाम्नि-नामक।
ख्रिस्ताब्दे-ईस्वीय वर्ष में।
अजायत-उत्पन्न हुई।
तदानीम्-तब।
अभिहितौ-कहे गए हैं।
यतोहि-क्योंकि।
परिणीता-ब्याही गई (Married)।
अध्ययनाभिलाषा-पढ़ने की इच्छा।
त्रयोदश०-तेरह (Thirteen)।
इतः परम्- इससे भी बढ़कर।
मनसि-मन में।
आंग्ल०-अंग्रेजी भाषा का। उत्सम्-बल।
साग्रहम्-आग्रह के साथ।

सरलार्थ-
3 जनवरी, सन् 1831 में महाराष्ट्र के नायगांव नामक स्थान पर सावित्री का जन्म हुआ। उसकी माता लक्ष्मीबाई तथा पिता खंडोजी नामक हुए हैं। नौ वर्ष की अवस्था में वह ज्योतिबा फुले महोदय के साथ ब्याही गई। उस समय वह भी तेरह वर्ष का ही था। क्योंकि वह स्त्री शिक्षा का प्रबल समर्थक था अतः सावित्री के मन में स्थित पढ़ने की इच्छा को बल प्राप्त हुआ। इससे बढ़कर उसने आग्रहपूर्वक अंग्रेजी भाषा का भी अध्ययन किया।

(ग) 1848 तमे ख्रिस्ताब्दे पुणेनगरे सावित्री ज्योतिबामहोदयेन सह कन्यानां कृते प्रदेशस्य प्रथम विद्यालयम् आरभत। तदानीं सा केवलं सप्तदशवर्षीया आसीत्। 1851 तमे ख्रिस्ताब्दे अस्पृश्यत्वात् तिरस्कृतस्य समुदायस्य बालिकानां कृते पृथक्तया तया अपरः विद्यालयः प्रारब्धः।

शब्दार्थ-
कन्यानां कृते-लड़कियों के लिए।
आरभत-प्रारम्भ किया।
पृथक्तया-अलग से (Separate)
सप्तदश०-सत्रह वर्ष की (Seventeen)
तदानीम्-तब।
तिरस्कृतस्य-तिरस्कृत का (Hated)
अस्पृश्यत्वात्-छुआछूत के कारण
प्रारब्धः-आरम्भ किया (Started) (Untouchability)।
अपरः-दूसरा (Other)

सरलार्थ-
1848 ईस्वी सन् में पुणे नगर में सावित्री ने ज्योतिबा महोदय के साथ कन्याओं के लिए प्रदेश के प्रथम विद्यालय को आरम्भ किया। तब वह केवल सत्रह वर्ष की थी। ईस्वी सन् 1851 में छुआछूत के कारण अपमानित समुदाय की बालिकाओं के लिए पृथक् उसके द्वारा दूसरा विद्यालय प्रारम्भ किया गया।

(घ)सामाजिककुरीतीनां सावित्री मुखरं विरोधम् अकरोत्। विधवानां शिरोमुण्डनस्य निराकरणाय सा साक्षात् नापितैः मिलिता। फलतः केचन नापिताः अस्यां रूढी सहभागिताम् अत्यजन्। एकदा सावित्र्या मार्गे दृष्टं यत् कृपं निकषा शीर्णवस्त्रावृताः तथाकथिताः निम्नजातीयाः काश्चित् नार्यः जलं पातुं याचन्ते स्म। उच्चवर्गीयाः उपहासंकर्वन्तः कपात जलोदधरणं अवारयन् । सावित्री एतत् अपमानं सोढं नाशक्नोत् । सा ताः स्त्रियः निजगृहं नीतवती। तडागं दर्शयित्वा अकथयत् च यत् यथेष्टं जलं नयत। सार्वजनिकोऽयं तडागः। अस्मात् जलग्रहणे नास्ति जातिबन्धनम्। तया मनुष्याणां समानतायाः स्वतन्त्रतायाश्च पक्षः सर्वदा सर्वथा समर्थितः।

शब्दार्थ-
मुखरम्-प्रबलता से (Severe)।
अकरोत्-किया।
निराकरणाय-दूर करने के लिए।
नापितैः-नाई लोगों से (Barbers)
केचन-कुछ।
रूढौ-रिवाज में (Custom)
अत्यजन्-छोड़ दिया (Left)
एकदा-एक बार
यत्-कि।
निकषा-पास (Near)
शीर्णवस्त्रावृताः-फटे पुराने वस्त्रों से ढकी हुई।
निम्नजातीया:-नीच जाति वाली।
नार्यः-नारियाँ (Women)
पातुम्-पीने के लिए।
उपहासम्-मजाक (Fun)
जलोद्धरणम्-जल को निकालना।
अवारयन्-मना करते हैं।
सोढुम्-सहने के लिए।
नाशक्नोत्-नहीं सकी।
नीतवती-ले गई।
दर्शयित्वा-दिखाकर।
यथेष्टम्-इच्छा के अनुसार।
जातिबन्धनम्-जाति का बन्धन (Casteism)।
तया-उसने। सर्वदा-सदा।
सर्वथा-पूर्ण रूप से (Fully)।
समर्थितः-समर्थन किया (Supported)।

सरलार्थ-
सावित्री ने सामाजिक कुरीतियों (समाज में फैले बुरे रिवाजों, परंपराओं) का प्रबल विरोध किया। विधवाओं के शिर को मूंडने की प्रथा को दूर करने के लिए वह साक्षात् नाई लोगों से मिली। (इसके) फलस्वरूप कुछ नाइयों ने इस रिवाज़ में सहभागिता का त्याग कर दिया। एक बार सावित्री ने मार्ग में देखा कि कुएँ के पास फटे पुराने वस्त्रों में ढकी हुई तथाकथित नीच जाति की कुछ स्त्रियाँ जल पीने के लिए याचना कर रही थीं। उच्च वर्ग वाले उनका मज़ाक उड़ाते हुए कुएँ से जल निकालने के लिए मना कर रहे थे।

सावित्री इस अपमान को सहन न कर सकी। वह उन स्त्रियों को अपने घर ले गई और तालाब को दिखाकर उसने कहा कि (तुम) इच्छा के अनुसार जल ले जाओ। यह तालाब सार्वजनिक है। इससे जल लेने में जाति का बन्धन नहीं है। उसने मनुष्यों की समानता और स्वतन्त्रता के पक्ष का सदा तथा पूर्ण रूप से समर्थन किया।

(ङ) ‘महिला सेवामण्डल”शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह’ इत्यादीनां संस्थानां स्थापनायां फुलेदम्पत्योः अवदानम् महत्वपूर्णम्। सत्यशोधकमण्डलस्य गतिविधिषु अपि सावित्री अतीव सक्रिया आसीत्। अस्य मण्डलस्य उद्देश्यम् आसीत् उत्पीडितानां समुदायानां स्वाधिकारान् प्रति जागरणम् इति।

शब्दार्थ –
अवदानम्-योगदान (Contribution)।
संस्थानाम्-संस्थाओं के।
गतिविधिषु-गतिविधियों में।
उत्पीडितानाम्-सताए गए।
प्रतिबन्धक-रोकने वाला।
स्थापनायां-स्थापना में।
उद्देश्यम्-लक्ष्य।
अतीव-अत्यधिक।
जागरणम्-जागरण (जगाना)।

सरलार्थ-
‘महिला सेवामण्डल’ व ‘शिशुहत्या प्रतिबन्ध गृह’ इत्यादि संस्थाओं की स्थापना में फुले दम्पति (पति-पत्नी) का योगदान महत्त्वपूर्ण है। सत्य शोधक-मण्डल की गतिविधियों में भी सावित्री अत्यधिक सक्रिय थी। इस मण्डल का उद्देश्य था सताए गए समुदायों का अपने अधिकारों के प्रति जागरण।

(च) सावित्री अनेकाः संस्थाः प्रशासनकौशलेन सञ्चालितवती। दुर्भिक्षकाले प्लेग-काले च सा पीडितजनानाम् अश्रान्तम् अविरतं च सेवाम् अकरोत्। सहायता-सामग्री-व्यवस्थायै सर्वथा प्रयासम् अकरोत। महारोगप्रसारकाले सेवारता सा स्वयम असाध्यरोगेण ग्रस्ता 1897 तमे खिस्ताब्दे निधनं गता। साहित्यरचनया अपि सावित्री महीयते। तस्याः काव्यसङ्कलनद्वयं वर्तते ‘काव्यफुले’ ‘सुबोधरत्नाकर’ चेति। भारतदेशे महिलोत्थानस्य गहनावबोधाय सावित्रीमहोदयायाः जीवनचरितम् अवश्यम् अध्येतव्यम्।

शब्दार्थ-
सञ्चालितवती-सञ्चालन किया (चलाया)।
दुर्भिक्ष०-अकाल समय में।
अश्रान्तम्-बिना थके।
अविरतम्-निरन्तर।
प्रयासम्-प्रयत्न।
प्रसार०-फैलना।
निधनम्-मृत्यु को।
महीयते-बढ़-चढ़कर है।
गहन०-गहराई से।
अवबोधाय-समझने के लिए।
अध्येतव्यम्-पढ़ना चाहिए।
प्रशासनकौशलेन-शासन (निर्देशन)
प्लेग-काले-प्लेग (चूहों के द्वारा फैलने की कुशलता से। वाला रोग) के समय में।
उत्थानस्य-उन्नति का।

सरलार्थ-
सावित्री ने अनेक संस्थाओं को प्रशासन कौशल के द्वारा चलाया। अकाल के समय तथा प्लेग (रोग) के समय उसने पीड़ित लोगों की बिना थके निरन्तर सेवा की। सहायता-सामग्री की व्यवस्था के लिए उसने पूर्णरूपेण प्रयत्न किया। महारोग के प्रसार के समय सेवा में लगी हुई वह स्वयं असाध्य रोग से ग्रस्त होकर सन् 1897 में मृत्यु को प्राप्त हो गई। . साहित्य रचना के द्वारा भी सावित्री महान् है। उसके दो काव्यसंकलन हैं-‘काव्य फुले’ तथा ‘सुबोधरत्नाकर’। भारतदेश में महिलाओं की उन्नति को गहराई से समझने के लिए सावित्री महोदया के जीवन चरित का अवश्य अध्ययन करना चाहिए।