Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः

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Sanskrit Vyakaran Class 6 Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
वर्णमालां पूरयत। (वर्णमाला पूरी कीजिए। Complete the alphabets.)
Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः 1
उत्तर:
अ, इ, ऊ, ऋ, ए, ओ

(ख)
Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः 2
उत्तर:
Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः 3

प्रश्न 2.
अधोदत्ते पदानां वर्णविच्छेदे अथवा वर्णसंयोगे रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत। (नीचे दिए गए पदों के वर्ण-विच्छेद अथवा वर्ण-संयोग से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए। Fill in the blanks in segregation of syllables in words given below.)

Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः 4
उत्तर:
(i) अ, र्, अ
(ii) र् , थ् , म्,
(iii) ए , र्
(iv) द्, य्
(v) ज् , अ, अ
(vi) म् , :

(ख)

(i) …………………. = व् + इ + द् + य् + आ
(ii) …………………… = क् + उ + त् + र् + अ
(iii) …………………… = व् + अ + र् + ण् + अ + :
(iv) …………………… = प् + र् + अ + त् + य् + ए + क् + अ + म्
(v) …………………….. = आ + श् + र् + अ + म् + अ + :
उत्तर:
(i) विद्या
(ii) कुत्र
(iii) वर्णः
(iv) प्रत्येकम्
(v) आश्रमः

प्रश्न 3.
(क) मूलस्वरं चिनुत। (मूल स्वर चुनिए। Pick out the basic vowel.)

(i) ए
(ii) आ
(iii) इ
(iv) य्
उत्तर:
(iii) इ

(ख) दीर्घस्वरं चिनुत। (दीर्घ स्वर चुनिए। Pick out the long vowel.)

(i) औ
(ii) ऋ
(iii) लु
(iv) अ
उत्तर:
(i) औ

(ग) स्वरं चिनुत। (स्वर चुनिए। Pick out the vowel.)

(i) र्
(ii) ल्
(ii) श्
(iv) ओ
उत्तर:
(iv) ओ

(घ) स्वरयुक्त व्यञ्जनं चिनुत। (स्वरयुक्त व्यञ्जन चुनिए। Pick out the consonant with vowel.)

(i) ख्
(ii) ग्
(iii) घ
(iv) ङ्
उत्तर:
(iii) घ

(ङ) स्वररहितं व्यञ्जनं चिनुत। (स्वर रहित व्यञ्जन चुनिए। Pick out the consonant without vowel.)

(i) शी
(ii) ष
(iii) से
(iv) हु
(v) क्त्
(vi) श्र
उत्तर:
(v) क्त्

(च) संयुक्त व्यञ्जनानि चिनुत। (संयुक्त व्यञ्जन चुनिए। Pick out the conjuncts.) द्य, क्त, म, म, कृ, प्र
उत्तर:
द्य, क्त, र्म, कृ, प्र

वर्णमाला (Alphabets)|

वर्ण अथवा अक्षर दो प्रकार के होते हैं । (Letters of the alphabet are of two types.)

1. स्वरा: (स्वर -Vowels) – वे अक्षर जिनका उच्चारण करने के लिए किसी अन्य अक्षर की सहायता नहीं लेनी पड़ती। (Those letters which do not need the help of any other letter for their pronunciation.)

2. व्यञ्जनानि (व्यञ्जन – Consonants)-वे अक्षर जिनका उच्चारण करने के लिए किसी स्वर की सहायता लेनी पड़ती है। (Those letters that cannot be pronounced without the help of a vowel.)

स्वर के भेद (Classification of Vowels)

उच्चारण के आधार पर स्वरों के तीन भेद हैं

(क) ह्रस्व स्वर-जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगे, उन्हें ‘ह्रस्व स्वर’ कहते हैं; जैसे —
अ, इ, उ, ऋ, और ।

(ख) दीर्घ स्वर-जिन स्वरों का उच्चारण ह्रस्व स्वर से दुगुने समय में हो, उन्हें ‘दीर्घ स्वर’ कहते हैं; जैसे —
आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

(ग) प्लुत स्वर-जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तिगुना समय लगता है, उसे ‘प्लुत स्वर’ कहते हैं;
जैसे
ओ३म्, हे राइम्! इसके प्रतीक के रूप में ३ (तीन) लिखा जाता है।

व्याकरण की दृष्टि से स्वर के अन्य दो भेद भी होते हैं-
(i) मूल स्वर और
(ii) सन्धि स्वर।

(i) मूल स्वर- वे स्वर हैं, जो अखण्ड हैं। अर्थात् इनके और छोटे खंड (टुकड़े) नहीं किए जा सकते हैं।
ये पाँच हैं – अ, इ, उ, ऋ, ।

(ii) सन्धि स्वर- सन्धि स्वर दो स्वरों की सन्धि से बनते हैं। ये आठ हैं—आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ; जैसे
अ+अ = आ,
इ+इ = ई,
उ+उ = ऊ
ऋऋ = ऋ
अ+इ = ए
अ+ए = ऐ
अ+उ = ओ
अ+ओ = औ।

स्वराः (स्वर – Vowels) – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

व्यञ्जनानि (व्यञ्जन-Consonants)

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हलन्त चिह्न Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः 7
यदि हम ‘क’ का उच्चारण करें तो ‘क्’ के साथ ‘अ’ की ध्वनि भी मुख से निकलती है। वास्तव में ‘क्’ या अन्य सभी व्यञ्जनों का उच्चारण ‘अ’ की सहायता से ही संभव होता है।
जैसे-
क = क् + अ
ख = ख + अ
ग = ग् + अ
घ = घ् + अ इत्यादि

अवधेयम्-किसी व्यञ्जन में ‘अ’ जुड़ने पर उसके नीचे लगे हलन्त चिह्न Class 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः 7 का लोप हो जाता है।

1. When we utter the consonant ‘क’, we are actually uttering not one but two sounds ____ viz.
क् and अ.

2. In fact it is possible to pronounce a consonant only with the help of a vowel,

3. When 37 is added to a consonant the diagonal strokeClass 6 Sanskrit Grammar Book Solutions वर्णमाला तथा वर्णविचारः 7 under the consonant ___ disappears.

अयोगवाह-स्वर तथा व्यञ्जन के अतिरिक्त संस्कृत भाषा में दो और ध्वनियाँ भी हैं, जिन्हें अयोगवाह कहते हैं

  • अनुस्वार (.) – यथा- संगीतम्, संस्कृतम्, संस्कारः आदि।
  • विसर्ग (:) – यथा- रोहितः, संदीपः, छात्रः, सिंहः, शुक: आदि।

अनुस्वार तथा विसर्ग – ये दोनों ध्वनियाँ केवल स्वरों के साथ ही प्रयोग में लाई जाती हैं। अनुस्वार नासिक (नाक से निकलने वाली) ध्वनि है। विसर्ग का उच्चारण ‘ह’ की भाँति होता है। (These two sounds called अनुस्वार are used only in conjunction with vowels 377ar is a nasal sound and विसर्ग is pronounced like ह्.)

मात्रा-जंब कोई स्वर व्यञ्जन में जोड़ा जाता है तो मात्रा के रूप में दर्शाया जाता है। [When a vowel is added to a consonant, it is shown in the form of a symbol (मात्रा).]
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स्वर तथा व्यञ्जन के सार्थक मेल से शब्द बनते हैं।
वर्ण-विन्यास-शब्द में आए वर्णों को क्रम से अलग-अलग करने को वर्ण-विन्यास कहते हैं। (The process of separating each letter either a vowel or a consonant in a given word is called वर्ण-विन्यास.)
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संयुक्त – अक्षराः

संस्कृत भाषा में कुछ संयुक्त अक्षर भी हैं। जब एक स्वर-रहित व्यञ्जन दूसरे व्यञ्जन से जुड़कर एक अक्षर (व्यञ्जन) बन जाता है, उसे संयुक्त अक्षर कहते हैं; यथा
क् + ए = क्ष् (क्षमा)
त् + र् = ञ् (क्षत्रियः)
श् + र् = २ (आश्रमः)
ज् + ञ् = ज् (ज्ञानी)
द् + य = छ् (विद्या)
र् + प् – प् (सर्पः) इत्यादि।

(In Sanskrit there are some conjuncts (joint consonants) too. When a consonant combines with another consonant without any vowel intervening, a conjunct is formed. A few examples have been given above.)

अकारान्त तथा आकारान्त शब्द |
अब उपर्युक्त दोनों वाक्यों पर विचार करते हैं

  • बालकः पठति और
  • राधा लिखति।

इनमें दो मूल संज्ञा शब्द हैं

  • बालक और
  • राधा ।

‘बालक’ (बालक् + अ) अकारान्त शब्द है। अकारान्त वे शब्द होते हैं जिनका अंतिम अक्षर ‘अ’ होता है; जैसे
– बालक, छात्र, अध्यापक, विद्यालय, कलम, अश्व, सिंह आदि अकारान्त हैं। ‘राधा’ (राध् + आ) आकारान्त शब्द है। आकारान्त वे शब्द होते हैं जिनका अंतिम अक्षर ‘आ’ होता है; जैसे – माला, लता, अध्यापिका, शाखा, दिव्या, बालिका, वाटिका आदि भी आकारान्त शब्द हैं।

[Two sentences have been given,

  • बालकः पठति
  • राधा लिखति.

In these the word बालक ends in the letter ‘अ’ and the word राधा ends in ‘आ’. So बालक (बालक् + अ) is अकारान्त (ending in अ) and राधा (राध् + आ) is आकारान्त (ending in आ)].

इकारान्त (कवि, मुनि), उकारान्त (साधु, शिशु) ईकारान्त (नदी, सखी) ऋकारान्त (मातृ, पितृ) शब्द भी होते हैं। इनकी चर्चा अगली कक्षा में होगी। There are words ending in इ, उ, ई, ऋ too in the Sanskrit language. These will be dealt with in the next class.

Class 10 Sanskrit Grammar Book Solutions अपठित-अवबोधनम्

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Sanskrit Vyakaran Class 10 Solutions अपठित-अवबोधनम्

गद्यांशः
गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर लिखने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-

  • सबसे पहले दिए गए गद्यांश को तीन-चार बार ध्यान से पढ़ना चाहिए।
  • गद्यांश में दिए गए अव्ययों तथा विभक्तियों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
  • किसी शब्द का अर्थ स्पष्ट न होने की स्थिति में पूरे वाक्य (जिस वाक्य में शब्द दिया गया है) को ध्यान से पढ़कर शब्द का भाव ग्रहण करना चाहिए।
  • शीर्षक सार्थक वाक्य या सूक्ति की एक प्रसिद्ध पंक्ति में ही होना चाहिए।
  • ‘भाषिककार्यम्’ से संबंधित प्रश्नों के उत्तर संबंधित वाक्यों को अच्छी तरह से पढ़कर और उन्हें समझकर ही दिए जा सकते हैं।

निम्नलिखित गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तरों को ध्यान से पढ़िए।

गद्यांश 1

दीपावली प्राचीनतमं पर्व। अस्मिन् दिने सर्वाधिकम् आकर्षकं मनोरञ्जञ्च भवति स्फोटकानाम् आस्फोटनम्। विचित्राणि वर्णयुक्तानि स्फोटकानि आकाशे भूमौ च विविधरूपाणि दर्शयन्ति। जनाः तानि दृष्ट्वा तुष्यन्ति। परन्तु अति सर्वत्र वर्जयेत्। रात्रौ आस्फोटकानां शब्दः कर्णौ बधिरीकरोति वायुमण्डलं च दूषयति। पूर्वं जनसंख्या सीमिता आसीत्। वृक्षाः वायुं शुद्धं कुर्वन्ति स्म। इदानीम् जनसंख्या प्रवृद्धा, वृक्षसंख्या क्षीणा। विस्फोटकेभ्यः निर्गतः धूमः रुग्णान् पीडयति, नवजातशिशुभ्यः हानिकरः सिध्यति। दीपावली-समये शरदि आकाशः निर्मलः भवति। सर्वत्र पवित्रता विराजते। अतः वयम् आनन्देन दीपावलीम् मानयेम, वसुन्धरां भूषितां कुर्याम न तु दूषिताम्। सर्वेषां जीवन सुखमयं भवेत्। किं तेन उत्सवेन यः कस्मैचित् अपि कष्टकर: भवेत्? ‘मा कश्चिद् दुःखभाग भवेत्’ इति अस्माकम् आदर्शः।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) केषाम् आस्फोटनम् सर्वेभ्यः आकर्षकम् मनोरञ्जकम् च?
(ii) दीपावली कस्यां ऋतौ भवति?
(iii) दीपावली कीदृशं पर्व अस्ति?
उत्तराणि:
(i) स्फोटकानाम्
(ii) शरदि
(ii) प्राचीनतमम्

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence only two questions.)
(i) अस्माकं कः आदर्शः?
(ii) स्फोटकानां धूमः कान् पीडयति?
(iii) वयं दीपावलीम् कथं मानयेम?
उत्तराणि:
(i) ‘मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्’ इति अस्माकम् आदर्शः।
(ii) स्फोटकानां धूमः रुग्णान् पीडयति।
(iii) वयम् आनन्देन दीपावलीम् मानयेम, वसुन्धरां भूषितां कुर्याम न तु दूषिताम्।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language-only three questions.)
(i) ‘प्रवृद्धा’ इत्यस्य किं विलोमपदम् अत्र प्रयुक्तम्?
(क) सीमिता
(ख) निर्गतः
(ग) क्षीणा
(घ) पवित्रता
उत्तराणि:
(ग) क्षीणा

(ii) ‘पर्व’ इत्यस्य किं विशेषणम् अत्र प्रयुक्तम् ?
(क) प्राचीनतमम्
(ख) आकर्षकम्
(ग) मनोहरम्
(घ) शुद्धम्
उत्तराणि:
(क) प्राचीनतमम्

(iii) ‘लाभकरः’ इत्यस्य किं विपर्ययपदं प्रयुक्तम्?
(क) निर्गतः
(ख) कष्टकर:
(ग) आदर्श:
(घ) हानिकरः
उत्तराणि:
(घ) हानिकरः

(iv) ‘सर्वत्र पवित्रता विराजते’ अत्र क्रियापदं किम्?
(क) सर्वत्र
(ख) विराजते
(ग) पवित्रता
(घ) पवित्रताम्
उत्तराणि:
(ख) विराजते

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
दीपावल्याः पर्यावरणे प्रभावः / अति सर्वत्र वर्जयेत् / वयं दीपावली कथं मानयेम / दीपावली महापर्व।

गद्यांश 2

तक्षकः तं सकौतूहलं पृष्टवान् “भोः! भवान् केन वा उद्देश्येन राजधानीं गच्छति? तत्र तु इदानीं महती विशृङ्खला वर्तते। श्वः तक्षक : नाम विषधरः सर्पः महाराजं दक्ष्यति इति श्रूयते। अतः तत्र सुरक्षा व्यवस्था दृढ़तरा सञ्जाता। कोऽपि महाराज्ञः समीप गन्तुं तं द्रष्टुं वा न अनुमन्यते” इति।
“एतत् सर्वं ज्ञायते मया। किन्तु अहं मृतसञ्जीवनी विद्यां जानामि। तक्षक: यदि राजानं दशेत् तर्हि अहमेव तस्मै पुनर्जीवनं प्रदातुं शक्नोमि इति मन्ये। तदर्थमेव तत्र गच्छामि” इति धन्वन्तरिः सस्पृहम् अवदत्। तच्छ्रुत्वा छद्मवेषी तक्षकः शंकितोऽभवत्। ‘यदि सत्यमेव धन्वन्तरिः राजानं मरणाद् रक्षेत्, तर्हि मुनिवचनस्य अन्यथा गतिः भवेत्, ततः मुनेरपि अवमाननं स्यात्’ इति विचिन्त्य सः धन्वन्तरि बहुधा अबोधयत् – “भोः, तक्षकस्य विषम् अतिभीषणम् अस्ति। तक्षक-दंशमात्रेण प्राणी भस्मीभविष्यति। अतः तस्य राज्ञः समीपं गमनेन प्रयोजनमेव नास्ति।”

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए -केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) कः तक्षक सस्पृहम् अवदत्?
(ii) कः धनवन्तरि बहुधा अबोधयत्?
(iii) तक्षकः तं कथं पृष्टवान्?
उत्तराणि:
(i) धन्वन्तरिः
(ii) सः
(iii) सकौतूहलम्

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence-only two questions.)
(i) धन्वन्तरिः छद्मवेशं तक्षक सस्पृहं किम् अवदत्?
(ii) किं विचिन्त्य तक्षकः धन्वन्तरि बहुधा अबोधयत्?
(iii) तच्छ्रुत्वा कः शंकितोऽभवत्?
उत्तराणि:
(i) धन्वन्तरिः छद्मवेशं तक्षकं सस्पृहम् अवदत्-“एतत् सर्वं ज्ञायते मया। किन्तु अहं मृतसञ्जीवनीविद्यां जानामि। तक्षक: यदि राजानं दशेत् तर्हि अहमेव तस्मै पुनर्जीवनं प्रदातुं शक्नोमि इति मन्ये। तदर्थमेव तत्र गच्छामि।”
(ii) ‘यदि सत्यमेव धन्वन्तरिः राजानं मरणाद् रक्षेत् तर्हि मुनिवचनस्य अन्यथा गतिः भवेत्, ततः मुनेरपि अवमाननं स्यात्’ इति विचिन्त्य तक्षकः धन्वन्तरिं बहुधा अबोधयत्।
(iii) तच्छ्रुत्वा छद्मवेषी तक्षकः शंकितो ऽभवत्।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) अनुच्छेदे ‘चिन्तयित्वा’ इति पदस्य कः पर्यायः आगतः?
(क) सस्पृहम्
(ख) अन्यथा
(ग) विचार्य
(घ) विचिन्त्य
उत्तराणि:
(घ) विचिन्त्य

(ii) ‘ह्यः’ इति पदस्य कः विपर्ययः अत्र लिखितः?
(क) श्वः
(ख) तर्हि
(ग) अतः
(घ) अन्यथा
उत्तराणि:
(क) श्वः

(iii) ‘एतत् सर्वं ज्ञायते मया’। अस्मिन् वाक्ये क्रियापदं किम्?
(क) मया
(ख) सर्वम्
(ग) ज्ञायते
(घ) एतत्
उत्तराणि:
(ग) ज्ञायते

(iv) ‘विषम् अतिभीषणम्’ अनयोः पदयोः विशेषणपदं किम्?
(क) विषम्
(ख) अतिभीषणम्
(ग) अति
(घ) भीषणम्
उत्तराणि:
(ख) अतिभीषणम्

प्रश्न IV.
उपरिलिखिताय अनुच्छेदाय समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
मुनेः शापस्य गतिः। धन्वन्तरिः महावैद्यः।

गद्यांश 3

‘रामायणम् इतिहासः, न तु पुराणम्’ इति हि भारतीया श्रद्धा। या घटना प्रवृत्ता तां विवृणोति इतिहासः। किन्तु पुराणं तथा न। भक्तिश्रद्धादीनाम् उत्पादनाय कथा कल्पते तत्र। पुराणेषु अपि क्वचित् ऐतिहासिकाः अंशाः समाविष्टाः भवन्ति इति तु अन्यद् एतत्। इतिहासग्रन्थे तु यत् वर्ण्यते तत् समग्रं वास्तविकं भवति। वर्णनादिषु कविकल्पना स्यात् चेदपि वृत्तं तु वास्तविकमेव। रामायणमहाभारतयोः ऐतिहासिकताविषये पारम्परिकाणां न सन्देहः कदापि।
किन्तु आधुनिकाः इतिहासपुराणयोः भेदस्य अवगमने (ज्ञातुम्) असमर्थाः सन्ति। येन कथा वर्ण्यते विस्तरेण, सः सर्वोऽपि ग्रन्थराशिः पुराणतुल्यः एव इति तेषां मतम् अस्ति। अतः ते रामायणस्य ऐतिहासिकताविषये प्रमाणम् अपेक्षन्ते। तद्विषये मान्येन पुष्कर भटनागर वर्येण कश्चन सफलः प्रयासः कृतः अस्ति। आधुनिकं तन्त्रांशम् (Software) उपयुज्य सः रामायणे वर्णिताः खगोलीयघटनाः वास्तविकाः एव इति सप्रमाणं निरूपितवान् अस्ति।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए -केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) रामायणम् किम्?
(ii) या घटना प्रवृत्ता तां कः विवृणोति?
(iii) पुराणेषु क्वचित् कीदृशाः अंशाः समाविष्टाः भवन्ति?
उत्तराणि:
(i) इतिहासः
(ii) इतिहासः
(iii) ऐतिहासिकाः

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence only two questions.)
(i) किन्तु आधुनिकाः कस्मिन् असमर्थाः सन्ति?
(ii) पुराणेषु का कल्पते?
(iii) कुत्र कदापि पारम्परिकाणां न सन्देहः?
उत्तराणि:
(i) किन्तु आधुनिकाः इतिहासपुराणयोः भेदस्य अवगमने (ज्ञातुम्) असमर्थाः सन्ति।
(ii) पुराणेषु भक्तिश्रद्धादीनाम् उत्पादनाय कथा कल्पते।
(iii) रामायणमहाभारतयोः ऐतिहासिकताविषये पारम्परिकाणां न सन्देहः कदापि।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language-only three questions.)
(i) ‘आधुनिकं तन्त्रांशम्’। अनयोः पदयोः विशेष्यपदं किम्?
(क) आधुनिकम्
(ख) तन्त्रांशम्
(ग) तन्त्रांशः
(घ) आधुनिकः
उत्तराणि:
(ख) तन्त्रांशम्

(ii) अनुच्छेदे ‘कल्पते’ इति क्रियायाः कर्तृपदं किम्?
(क) उत्पादनाय
(ख) भक्तिश्रद्धादीनाम्
(ग) तत्र
(घ) कथा
उत्तराणि:
(घ) कथा

(iii) ‘या घटना प्रवृत्ता’ अत्र क्रियापदं किम्?
(क) या
(ख) घटना
(ग) प्रवृत्ता
(घ) घटनाः
उत्तराणि:
(ग) प्रवृत्ता

(iv) अनुच्छेदे ‘असफलः’ इति पदस्य कः विपर्ययः आगतः?
(क) प्रयासः
(ख) सफल:
(ग) कृतः
(घ) सन्देहः
उत्तराणि:
(ख) सफल:

प्रश्न IV.
उपरिलिखितस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
ऐतिहासिकं काव्यं रामायणम्।

गद्यांश 4

कश्चन बालकः आसीत्। तस्य पिता नितरां निर्धनः आसीत्। बालकः अध्ययनं कर्तुम् इच्छति स्म। किन्तु यस्मिन् गृहे उदरपूर्ति-समस्यायाः एव उत्तरं न स्यात् तत्र तस्य अध्ययनाय व्यवस्था कथं भवेत्? अतः बालक: विद्यालयं गच्छतः स्वसम वयस्कान् बालकान् दृष्ट्वा निश्श्वसिति स्म।
सः स्नेहपरः मृदुभाषी, उत्साहमूर्तिः च आसीत्। पित्रा सह कार्यं कुर्वन् स: बहूनां बालानां मैत्री सम्पादितवान्। ते बालाः तम् अक्षराणि अपाठयन्। अक्षराभ्यासं कृत्वा अन्यैः उपयुक्तपूर्वाणि पुस्तकानि पठन् शब्दज्ञानादिकं प्राप्तवान् सः। ‘पुत्रः विद्यालयं प्रति प्रेषणीयः’ इति पितुः अपि तीव्र इच्छा आसीत्। किन्तु निर्धनता जन्या असहायकता तं बाधते स्म। अधिक धनसम्पादनस्य आशया सः कदाचित् पुत्रेण सह कलकत्ता नगरं प्रति प्रस्थितवान्। रेलयानेन गमनाय धनं नासीत् अतः तौ पादाभ्याम् एव प्रस्थितवन्तौ।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) बालकस्य पिता कीदृशः आसीत्?
(ii) तौ कथमेव प्रस्थितवन्तौ?
(iii) बालकस्य गृहे कस्याः समाधानं न आसीत्?
उत्तराणि:
(i) निर्धनः
(ii) पादाभ्याम्
(iii) उदरपूर्ति-समस्यायाः

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence-only two questions.)
(i) सः बालकः कथं निश्श्वसिति स्म?
(ii) सः कीदृशः आसीत्?
(iii) सः कथं शब्दज्ञानिदिकं प्राप्तवान्?
उत्तराणि:
(i) सः बालक: विद्यालयं गच्छतः स्वसमवयस्कान् बालकान् दृष्ट्वा निश्श्वसिति स्म।
(ii) सः स्नेहपरः, मृदुभाषी उत्साहमूर्तिः च आसीत्।
(iii) अक्षराभ्यासं कृत्वा अन्यैः उपयुक्तपूर्वाणि पुस्तकानि पठन् शब्दज्ञानादिकं प्राप्तवान् सः।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) ‘कश्चन बालकः आसीत्। अत्र कर्तृपदं किम् अस्ति?
(क) कश्चन
(ख) कः
(ग) बालकः
(घ) आसीत्
उत्तराणि:
(ग) बालकः

(ii) ‘सः स्नेहपरः, मृदुभाषी, उत्साहमूर्तिः च आसीत्।’ अस्मिन् वाक्ये क्रियापदं किम्?
(क) सः
(ख) आसीत्
(ग) स्नेहपरः
(घ) मृदुभाषी
उत्तराणि:
(ख) आसीत्

(iii) ‘तस्य पिता नितरां निर्धनः आसीत्।’ अस्मिन् वाक्ये ‘पिता’ पदस्य किं विशेषणम् आगतम्?
(क) नितरां
(ख) निर्धनः
(ग) तस्य
(घ) आसीत्
उत्तराणि:
(ख) निर्धनः

(iv) अनुच्छेदे “धनहीनः” पदस्य कः पर्यायः आगत?
(क) अधनः
(ख) सधनः
(ग) निर्धनः
(घ) निर्धनता
उत्तराणि:
(ग) निर्धनः

प्रश्न IV.
उपरिलिखितस्य अनुच्छेदस्य कृते उचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
विद्याप्रेमिणौ पितापुत्रौ।

गद्यांश 5

संस्कृतं नाम भारतम्। संस्कृतं नाम भगवद्गीता। संस्कृतं नाम वेदाः रामायणं महाभारतं वा। संस्कृतं हि भारतस्य आत्मा वर्तते। सा भारतस्य आउत्तरात् दक्षिणान्तं, आपूर्वस्मात् पश्चिमान्तं च ऐक्यसाधिकाशक्तिः अस्ति। संस्कृतस्य स्मरणात् पञ्चाङ्गं स्मर्यते, तत्रत्याः तिथयः नक्षत्राणि च अपि स्मर्यन्ते, यासाम् आधारेण एव सर्वैः अपि भारतीयैः पर्वाणि, कुम्भ-मेलकं, होलिकोत्सवः, दीपावली, दुर्गापूजा, रक्षाबन्धनम् इत्यादीनि आचर्यन्ते। गुरुः गोविन्द सिंहः स्वीयान् श्रेष्ठान् सिक्खपण्डितान् काशी प्रति प्रेषितवान् आसीत्-संस्कृतम् अधीयताम् इति आदिश्य। ते च योद्धाः, पण्डिताः क्रान्तिकारिणः च ‘नामधारिणः’ इति विख्याताः आसन्। संस्कृतं भारतात् अपसारितं चेत् तेनेदं नाम एव अस्माकं शरणं स्यात्। आजन्मनः मरणपर्यन्तं संस्कृतस्य अवलम्बनम् अपरिहार्यम् एव अस्माकम्।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) भगवद्गीता कस्यां भाषायां वर्तते?
(ii) संस्कृतस्य समरणात् किं स्मर्यते?
(iii) के “नामधारिणः’ इति विख्याताः सन्ति?
उत्तराणि:
(i) संस्कृतभाषायाम्
(ii) पञ्चाङ्गम्
(iii) पण्डिताः

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence only two questions.)
(i) गुरुः गोविन्द सिंहः कान् काशी प्रति प्रेषितवान् आसीत्?
(ii) संस्कृतं भारतात् अपसारितं चेत् कि भविष्यति?
(iii) अस्माकं कस्य अवलम्बनम् अपरिहार्यम् एव?
उत्तराणि:
(i) गुरुः गोविन्द सिंहः स्वीयान् श्रेष्ठान् सिक्खपण्डितान् काशी प्रति प्रेषितवान् आसीत्।
(ii) संस्कृतं भारतात् अपसारितं चेत् तेनेदं नाम एव अस्माकं शरणं स्यात् इति।
(iii) अस्माकम् आजन्मनः मरणपर्यन्तं संस्कृतस्य अवलम्बनम् अपरिहार्यम् एव।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) ‘ऐक्यसाधिका शक्तिः’ अनयोः पदयोः विशेषणपदं किम्?
(क) शक्तिः
(ख) ऐक्यसाधिका
(ग) साधिका
(घ) ऐक्यम्
उत्तराणि:
(ख) ऐक्यसाधिका

(ii) ‘प्रेषितवान् आसीत्’ इति क्रियायाः कर्तृपदं किम् वर्तते अनुच्छेदे?
(क) गुरुः गोविन्दसिंहः
(ख) गुरुः
(ग) गोविंद सिंहः
(घ) काशीम्
उत्तराणि:
(क) गुरुः गोविन्दसिंहः

(iii) ‘अवलम्बनम् अपरिहार्यम् एव अस्माकम्।’ अत्र ‘अस्माकम्’ पदं केभ्यः प्रयुक्तम्?
(क) भारतीय
(ख) भारतीयाय
(ग) भारतीयेभ्यः
(घ) जनेभ्यः
उत्तराणि:
(ग) भारतीयेभ्यः

(iv) अनुच्छेदे ‘विद्वांसः’ पदस्य कः पर्यायः आगतः?
(क) योद्धाः
(ख) शिष्याः
(ग) क्रान्तिकारिणः
(घ) पण्डिताः
उत्तराणि:
(घ) पण्डिताः

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्।

गद्यांश 6

षट् कारणानि श्रियं विनाशयन्ति। प्रथमं कारणमस्ति असत्यम्। यः नरः असत्यं वदति, तस्य कोऽपि जनः विश्वासं न करोति। उक्तञ्च–’सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।’ निष्ठुरता अस्ति द्वितीयं कारणम्। कदापि केनापि सह निष्ठुरता (निर्दयता) न उचिता। सदैव जगति सर्वैः सह करुणा, दया नम्रता च करणीयाः। तृतीयं कारणम् अस्ति कृतघ्नता। जीवने अनेके जनाः अस्मान् उपकुर्वन्ति। प्रायः जनाः उपकारिणं विस्मरन्ति, प्रत्युपकारं न कुर्वन्ति। एतादृशः स्वभावः कृतघ्नता इति उच्यते। आलस्यम् अपरः महान् दोषः, ‘आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थः महारिपुः’। अहङ्कारः मनुष्यस्य मतिं नाशयति। अहङ्कारी मनुष्यः सर्वदा आत्मप्रशंसाम् एव करोति। न कदापि कस्यचित् उपकारं करोति। व्यसनानि अपि श्रियं हरन्ति। ये मद्यपानं कुर्वन्ति तेषाम् आत्मिकबलम्, बुद्धिबलं शारीरिकबलं च नश्यन्ति। अतः बुद्धिमान् एतान् दोषान् सर्वथा त्यजेत्।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) कीदृशं सत्यं न ब्रूयात्?
(ii) मनुष्याणां शरीरस्थ: महारिपुः कः?
(iii) द्वितीयं कारणं किमस्ति?
उत्तराणि:
(i) अप्रियम्
(ii) आलस्यम्
(ii) निष्ठुरता

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence-only two questions.)
(i) अहङ्कारी मनुष्यः किं करोति?
(ii) तृतीयं कारणं किम् उच्यते?
(iii) किम् उक्तम्?
उत्तराणि:
(i) अहङ्कारी मनुष्यः सर्वदा आत्मप्रशंसाम् एव करोति। न कदापि कस्यचित् उपकारं करोति।
(ii) तृतीयं कारणं कृतघ्नता उच्यते।
(iii) उक्तञ्च–’सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।’

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) ‘नाशयति’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(क) अहङ्कारः
(ख) गर्वम्
(ग) धनम्
(घ) बलम्
उत्तराणि:
(क) अहङ्कारः

(ii) ‘स्मरन्ति’ इति क्रियापदस्य किं विपर्ययपदम् अत्र प्रयुक्तम्?
(क) उपकुर्वन्ति
(ख) अनुस्मरन्ति
(ग) विस्मरन्ति
(घ) कुर्वन्ति
उत्तराणि:
(ग) विस्मरन्ति

(iii) ‘षट्’ इति पदं कस्य विशेषणम्?
(क) कारणस्य
(ख) कारणाम्
(ग) अहङ्कारस्य
(घ) श्रियस्य
उत्तराणि:
(क) कारणस्य

(iv) अनुच्छेदे ‘बुद्धिम्’ इति पदस्य कः पर्यायः आगतः?
(क) मतिम्
(ख) कृतज्ञेता
(ग) निष्ठुरता
(घ) विषम्
उत्तराणि:
(क) मतिम्

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
मनुष्याणां षड्दोषाः।

गद्यांश 7

एकदा शरीरस्य सर्वाणि इन्द्रियाणि-हस्तौ, पादौ, मुखं, नासिका, कर्णी इत्यादीनि मिलित्वा अचिन्तयन्-“वयं सर्वे प्रतिदिनं परिश्रमं कुर्मः। एतद् उदरं सर्वं स्वीकरोति, स्वयं किमपि कार्यं न करोति। अद्यप्रभृति वयमपि कार्यं न करिष्यामः”। एवं चिन्तयित्वा सर्वाणि अङ्गानि कार्यम् अत्यजन्। पादौ स्थिरौ भूत्वा अतिष्ठताम्। हस्तौ निश्चलौ अभवताम्। मुखं अन्नकणम् अपि न प्रावेशयत् एवं द्वे दिने व्यतीते जाते। शनैः शनैः सर्वाणि अङ्गानि शिथिलानि अभवन्। कार्यशक्तिः क्षीणा अभवत्। कथमपि पुनः मिलित्वा विचारम् अकुर्वन् “अहो! अस्माकं प्रमादः। भुक्तस्य अन्नस्य पाचनं तु उदरमेव करोति। एतद् एव अस्मभ्यं शक्तिं ददाति। अस्य कृपया एव वयं जीवामः। अतः अस्माभिः सर्वैः अनेन सह सहयोगः करणीयः”। नूनं संहतिः एव कार्यसाधिका।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) शनैः शनैः सर्वाणि अङ्गानि कीदृशानि अभवन्?
(ii) कार्यसाधिका का भवति?
(iii) कानि मिलित्वा अचिन्तयन्?
उत्तराणि:
(i) शिथिलानि
(ii) संहतिः
(iii) इन्द्रियाणि

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence-only two questions.)
(i) कानि अङ्गानि मिलित्वा कार्यं त्यक्तवन्तः?
(ii) कस्य कृपया अङ्गानि शक्तियुक्तानि भवन्ति?
(iii) सर्वाणि इन्द्रियाणि मिलित्वा कि विचारम् अकुर्वन्?
उत्तराणि:
(i) शरीरस्य सर्वाणि इन्द्रियाणि-हस्तौ, पादौ, मुखं, नासिका, कौँ इत्यादीनि मिलित्वा कार्यं त्यक्तवन्तः।
(ii) उदरस्य कृपया अङ्गानि शक्तियुक्तानि भवन्ति।
(iii) मिलित्वा विचारम् अकुर्वन्-“अहो! अस्माकं प्रमादः। भुक्तस्य अन्नस्य पाचनं तु उदरमेव करोति। एतद् एव अस्मभ्यं शक्तिं ददाति। अस्य कृपया एव वयं जीवामः। अतः अस्माभिः सर्वैः अनेन सह सहयोगः करणीयः”।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) ‘करिष्यामः’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(क) वयमपि
(ख) वयम्
(ग) कार्यम्
(घ) अद्यप्रभृति
उत्तराणि:
(ख) वयम्

(ii) ‘भुक्तस्य’ इति विशेषणस्य विशेष्यपदं किम्?
(क) अन्नस्य
(ख) कार्यस्य
(ग) अन्नकणस्य
(घ) सहयोगस्य
उत्तराणि:
(क) अन्नस्य

(iii) ‘चलौ’ इति पदस्य किं विपर्ययपदम् अत्र प्रयुक्तम्?
(क) हस्तौ
(ख) अचलौ
(ग) निश्चलौ
(घ) पादौ
उत्तराणि:
(ग) निश्चलौ

(iv) अनुच्छेदे ‘सर्वाणि अङ्गानि’ इति कर्तृपदस्य क्रियापदं किम् अस्ति?
(क) अभवन्
(ख) शिथिलानि
(ग) अतिष्ठताम्
(घ) करोति
उत्तराणि:
(क) अभवन्

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
संहतिः एव कार्यसाधिका।

गद्यांश 8

चीनदेशस्य प्रख्यातः दार्शनिकः ‘हू लाई’ प्रतिदिनं प्रातः पर्वते अभ्रमत्। मार्गे तस्य मित्रम् अमिलत् यः तं प्राणमत् परं स दार्शनिक: तस्य उत्तरम् अर्धहोराऽनन्तरमददात् यतः स विचारेषु मग्नः अभवत्। एकदा मित्रस्य एको बन्धुः तेन सह आसीत्। सः स्वभावत: दार्शनिकमनमत् अग्रे च गत्वा अवदत्। “अहो कीदृशं शोभनमस्ति प्रभातम्, कीदृशानि मनोमोहकानि सन्ति दृश्यानि अत्र।” दार्शनिक: स्वमित्रं तस्य बन्धुं च सक्रोधमपश्यत्। यथैव दिने दार्शनिकमित्रं तस्य गृहं प्राप्तः तु दार्शनिक: अकथयत्–’तव बन्धुः तु अधिकमेव वदति, पुनः एनं मम गृहे मा आनय। एषः सर्वान् दर्शयति एतानि सुन्दराणि दृश्यानि।’

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) कः पर्वते अभ्रमत्?
(ii) दार्शनिक: स्वमित्रं कथमपश्यत्?
(iii) मार्गे कः अमिल?
उत्तराणि:
(i) दार्शनिकः
(ii) सक्रोधम्
(iii) मित्रम्

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer ina complete sentence only two questions.)
(i) गृहे प्राप्तं स्वमित्रं दार्शनिकः किम् अकथयत्?
(ii) दार्शनिकस्य मित्रस्य बन्धुः अग्रे गत्वा किम् अवदत्?
(iii) कः प्रातः पर्वते अभ्रमत्?
उत्तराणि:
(i) गृहं प्राप्तं स्वमित्रं दार्शनिक: अकथयत् ‘तव बन्धुः तु अधिकमेव वदति, पुनः एनं मम गृहे मा आनय। एषः सर्वान् दर्शयति एतानि सुन्दराणि दृश्यानि’।
(ii) दार्शनिकस्य मित्रस्य बन्धुः अग्रे गत्वा अवदत्-‘अहो कीदृशं शोभनमस्ति प्रभातम्, कीदृशानि मनोमोहकानि सन्ति दृश्यानि अत्र’।
(iii) चीनदेशस्य प्रख्यातः दार्शनिकः ‘हू लाई’ प्रतिदिनं प्रातः पर्वते अभ्रमत्।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) ‘दृश्यानि’ अस्य किं विशेषणम् अनुच्छेदे आगतम्?
(क) सुन्दराणि
(ख) एतानि
(ग) सुन्दरम्
(घ) एतत्
उत्तराणि:
(क) सुन्दराणि

(ii) ‘अवदत्’ अस्याः क्रियायाः कर्तृपदं किम्?
(क) स्वभावतः
(ख) दार्शनिकम्
(ग) अग्रे
(घ) सः
उत्तराणि:
(घ) सः

(iii) अनुच्छेदे ‘असुन्दराणि’ अस्य विपर्ययपदं किम्?
(क) मनोमोहकानि
(ख) मोहकानि
(ग) सुन्दराणि
(घ) उत्तमानि
उत्तराणि:
(ग) सुन्दराणि

(iv) अनुच्छेदे ‘दार्शनिकः’ इति कर्तृपदस्य क्रियापदं किम्?
(क) अकथयत्
(ख) आनय
(ग) अवदत्
(घ) अमिलत्
उत्तराणि:
(क) अकथयत्।

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
दार्शनिकस्य चिन्तनम्।

गद्यांश 9

एकस्य भिक्षुकस्य भिक्षापात्रे अञ्जलिपरिमिताः तण्डुलाः आसन्। सः अवदत्- “भगवन्! दयां कुरु। कथम् अनेन उदरपूर्तिः भविष्यति ।” तदैव अन्यः एक: अभिक्षुकः तत्र आगच्छति वदति च ‘भिक्षां देहि।’ क्रुद्धः प्रथमः भिक्षुकः अगर्जत्-‘रे भिक्षुक! भिक्षुकमेव भिक्षां याचसे । तव लज्जा नास्ति।” द्वितीयः भिक्षुकः उक्तवान्–“तव भिक्षापात्रे अञ्जलिपरिमिताः तण्डुलाः, मम तु पात्रं रिक्तम्। दयां कुरु।” अर्धं देहि । प्रथमः भिक्षुकः तत् न स्वीकृतवान्। द्वितीयः भिक्षुकः पुनः अवदत्- “भोः, कृपणः मा भव। केवलम् एकं तण्डुलं देहि।” प्रथमः भिक्षुकः तस्मै एकम् एव तण्डुलं ददाति। द्वितीये भिक्षुके गते सति प्रथमः भिक्षुकः भिक्षापात्रे तण्डुलाकारं स्वर्णकणं पश्यति। आश्चर्यचकितः शिरः ताडयन् सः पश्चात्तापम् अकरोत्-“धिक माम्। धिक् मम मूर्खताम्।”

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) कस्य भिक्षुकस्य भिक्षापात्रं रिक्तम् आसीत्?
(ii) धिक् माम्’ इति कः वदति?
(iii) तदैव अन्यः कः तत्र आगच्छति?
उत्तराणि:
(i) द्वितीयस्य
(ii) प्रथमभिक्षुकः
(iii) भिक्षुकः

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence only two questions.)
(i) प्रथमः भिक्षुकः स्वभिक्षापात्रे किं पश्यति?
(ii) द्वितीयः भिक्षुकः एकस्य तण्डुलस्य कृते किं ददाति?
(iii) प्रथमः भिक्षुकः किं कथयित्वा पश्चात्तापमकरोत्?
उत्तराणि:
(i) प्रथमः भिक्षुकः स्वभिक्षापात्रे तण्डुलाकारं स्वर्णकणं पश्यति।
(ii) द्वितीयः भिक्षुकः एकस्य तण्डुलस्य कृते तण्डुलाकारं स्वर्णकणं ददाति।
(iii) आश्चर्यचकितः शिरः ताडयन् सः प्रथमः भिक्षुकः पश्चात्तापम् अकरोत्-“धिक माम्। धिक् मम मूर्खताम्।”

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language-only three questions.)
(i) ‘क्रुद्धः’ इति कस्य विशेषणम्?
(क) प्रथमस्य भिक्षुकस्य
(ख) भिक्षुकस्य
(ग) प्रथमस्य
(घ) द्वितीयस्य भिक्षुकस्य
उत्तराणि:
(ग) प्रथमस्य भिक्षुकस्य

(ii) प्रथम भिक्षुकः तस्मै एकं तण्डुलं ददाति। अत्र ‘तस्मै’ सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्?
(क) एकम्
(ख) तस्मै
(ग) ददाति
(घ) भिक्षुकः
उत्तराणि:
(ग) ददाति

(iii) ‘स्वीकृतवान्’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदम् किम्?
(क) भिक्षुकः
(ख) द्वितीयः भिक्षुकः
(ग) प्रथमः
(घ) प्रथमः भिक्षुकः
उत्तराणि:
(घ) प्रथमः भिक्षुकः

(iv) अनुच्छेदे भरितम् (पूर्णम्) अस्य पदस्य कः विपर्ययः आगतः?
(क) अपूर्णम्
(ख) रिक्तम्
(ग) पात्रम्
(घ) मम
उत्तराणि:
(ख) रिक्तम्

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
लोभः पापस्य कारणम्।

गद्यांश 10

एकदा एकः कर्तव्यपरायणः नगररक्षकः इतस्ततः भ्रमन् एकम् अशीतिवर्षीयं महापुरुषम् अपश्यत्। सः आम्रवृक्षस्य आरोपणे तल्लीनः आसीत्। इदं दृष्ट्वा नगररक्षकः तं महापुरुषम् अवदत्-अवलोकनेन प्रतीयते यत् यदा एषः वृक्षः फलिष्यति तदा भवान् जीवितः न भविष्यति। अतः किमर्थं वृथा परिश्रमं कुर्वन्ति भवन्तः? महापुरुषः हसित्वा अवदत्-पश्यन्तु एतान् फलयुक्तान् वृक्षान्। एतेषाम् आरोपणं मया न कृतं परं फलानि अहं खादित्वा सन्तुष्टः भवामि। अतः यदा मम आरोपितस्य वृक्षस्य फलानि अन्ये खादिष्यन्ति, अहं पुनः प्रसन्नः भविष्यामि। महापुरुषस्य वचनं श्रुत्वा तं स नमस्कृत्य नगररक्षकः उक्तवान्-अनुकरणीया एव सज्जनानां सज्जनता।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) नगररक्षकः कीदृशं महापुरुषम् अपश्यत्?
(ii) सज्जनानां सज्जनता कीदृशी भवति?
(iii) कः हसित्वा अवदत्?
उत्तराणि:
(i) अशीतिवर्षीयं
(ii) अनुकरणीया
(iii) महापुरुषः

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence only two questions.)
(i) नगररक्षक: अशीतिवर्षीयं महापुरुषं कुत्र अपश्यत्?
(ii) महापुरुषेण आरोपितस्य वृक्षस्य फलानि के खादिष्यन्ति?
(iii) महापुरुषस्य वचनं श्रुत्वा सः नगररक्षकः किम् उक्तवान्?
उत्तराणि:
(i) नगररक्षक: अशीतिवर्षीयं महापुरुषं इतस्ततः भ्रमन् अपश्यत्।
(ii) महापुरुषेण आरोपितस्य वृक्षस्य फलानि अन्ये खादिष्यन्ति।
(iii) महापुरुषस्य वचनं श्रुत्वा तं नमस्कृत्य स:नगररक्षकः उक्तवान्–अनुकरणीया एव सज्जनानां सज्जनता।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language-only three questions.)
(i) ‘नगररक्षकः’ इति पदस्य विशेषणपदं किम् अस्ति?
(क) एकदा
(ख) एकः
(ग) कर्तव्यपरायणः
(घ) परायणः
उत्तराणि:
(ग) कर्तव्यपरायणः

(ii) ‘दुर्जनानाम्’ इति पदस्य क: विपर्ययः?
(क) सज्जनानाम्
(ख) महापुरुषणाम्
(ग) जनानाम्
(घ) सज्जननाम्
उत्तराणि:
(क) सज्जनानाम्

(iii) अस्मिन् गद्यांशे भविष्यामि’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(क) पुनः
(ख) प्रसन्नः
(ग) सन्तुष्टः
(घ) अहम्
उत्तराणि:
(घ) अहम्

(iv) अनुच्छेदे ‘दर्शनेन’ इति पदस्य कः पर्यायः लिखितः?
(क) प्रतीयते
(ख) अन्ये
(ग) अवलोकनेन
(घ) आरोपणे
उत्तराणि:
(ग) अवलोकनेन

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
‘अनुकरणीया एव सज्जनानां सज्जनता’ अथवा ‘कर्त्तव्यपरायणता’।

गद्यांश 11

एकस्मिन् वने एकः विशाल: वृक्षः आसीत् । तस्मिन् बहवः खगाः वसन्ति स्म। एकदा ते अतीव बुभुक्षिताः आसन्। अतः भोजनं खादितुम् इतस्ततः भ्रमन्ति स्म। ते दूर-दूरं गच्छन्ति स्म। अन्ते च एकस्मिन् क्षेत्रे तण्डुलकणान् अपश्यन्। ते तत्र गत्वा प्रसन्नतया तण्डुलान् खादन्ति स्म परन्तु जालेन बद्धाः अभवन्। ‘अधुना किं करणीयम्’ इति चिन्तयित्वा ते सर्वे जालेन सह एव एकं स्वमित्रम् उपागच्छन्। तेषां मित्रम् एकः मूषकः आसीत्। सः जालं दन्तैः अकर्तयत्। अन्ते सर्वे स्वतन्त्राः भूत्वा अनृत्यन् अगायन् च-सुखं तु एकतायाम् एव विद्यते।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) विशालवृक्षे के वसन्ति स्म?
(ii) सुखं कुत्र विद्यते?
(ii) खगाः एकस्मिन् क्षेत्रे कान् अपश्यन्?
उत्तराणि:
(i) खगाः
(ii) एकतायाम्
(iii) तण्डुलकणान्

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence only two questions.)
(i) खगाः भोजनाय कुत्र भ्रमन्ति स्म?
(ii) मूषकः किम् अकरोत्?
(iii) अन्ते सर्वे किम् अगायन्?
उत्तराणि:
(i) खगाः भोजनाय इतस्ततः भ्रमन्ति स्म।
(ii) मूषकः जालं दन्तैः अकर्तयत्।
(iii) अन्ते सर्वे स्वतन्त्राः भूत्वा अनृत्यन्-अगायन् च-सुखं तु एकतायाम् एव विद्यते।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language-only three questions.)
(i) अस्मिन् गद्यांशे ‘वृक्षः’ किं विशेषणपदं प्रयुक्तम्?
(क) वने
(ख) विशाल:
(ग) एकः
(घ) सः
उत्तराणि:
(ख) विशालः

(ii) अस्मिन् गद्यांशे ‘खादन्ति स्म’ इति क्रियापदस्य कतृपदं किम्?
(क) ते
(ख) मूषकाः
(ग) बहवः
(घ) खगाः
उत्तराणि:
(ख) खगाः

(iii) ‘मुक्ताः’ इति पदस्य अत्र किं विपर्ययपदं प्रयुक्तम्?
(क) स्वतन्त्रताः
(ख) बहवः
(ग) बुभुक्षिताः
(घ) बद्धाः
उत्तराणि:
(घ) बद्धाः

(iv) अनुच्छेदे ‘ते सर्वे’ इति कर्तृपदस्य क्रियापदं किम्?
(क) स्वतन्त्रताः
(ख) वसन्ति स्म
(ग) आसन्
(घ) उपागच्छन्
उत्तराणि:
(घ) उपागच्छन्

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
‘एकतायाम् सुखम्’ अथवा खगाः मूषकः च “सुखं तु एकतायाम् एव विद्यते।”

गद्यांश 12

एकदा राजकुमारः सिद्धार्थः विहाराय उद्यानं गतवान् । अकस्मात् सः क्रन्दनध्वनिम् अशृणोत् । तदैव च एक: हंसः तस्य सम्मुखे भूमौ अपतत् । तं दृष्ट्वा सिद्धार्थः करुणापूर्णः सञ्जातः । पुनश्च स हंसस्य शरीराद् बाणं निष्कास्य यावत्पश्यति तावद् देवदत्तः तत्र समागतः। स सिद्धार्थम् उक्तवान् “भो सिद्धार्थ! एषः हंसः मया हतः, अतः इमं हंसं मह्यं देहि।” सिद्धार्थः उच्चैः अवदत्-“न दास्यामि इमम् हंसम्, यतः अहम् अस्य रक्षकः” तौ परस्परम् विवदमानौ राजसभां गतवन्तौ। राजा सर्वम् उदन्तं श्रुत्वा आदिष्टवान्-‘यस्य समीपे हंस: गमिष्यति स तस्यैव भविष्यति । हंस: तु सानन्दम् सिद्धार्थमेव उपगतः।” उक्तम् हि रक्षकः भक्षकात् श्रेयान्।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) भूमौ कः पतितः आसीत्?
(ii) क: उच्चैः अवदत्?
(iii) सिद्वार्थः विहाराय कुत्र गतवान्?
उत्तराणि:
(i) हंसः
(ii) सिद्धार्थः
(iii) उद्यानम्

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer ina complete sentence only two questions.)
(i) देवदत्तः किम् अवदत्?
(ii) राजा किम् आदिष्टवान्?
(iii) संसारे किम् उक्तम्?
उत्तराणि:
(i) देवदत्तः अवदत्-‘भो सिद्धार्थ ! एषः हंसः मया हतः, अतः इमं हंसं मह्यं देहि।”
(ii) राजा आदिष्टवान्–“यस्य समीपे हंस: गमिष्यति स तस्यैव भविष्यति।”
(iii) संसारे उक्तम् हि रक्षकः भक्षकात् श्रेयान्।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) अत्र ‘गमिष्यति’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(क) समीपे
(ख) यस्य
(ग) हंसः
(घ) नृपः
उत्तराणि:
(ग) हंसः

(ii) ‘सहसा’ इति अव्ययस्य कः पर्यायः?
(क) अकस्मात्
(ख) सः
(ग) उच्चैः
(घ) यतः
उत्तराणि:
(क) अकस्मात्

(iii) ‘सिद्धार्थः करुणापूर्णः’ अनयोः पदयोः विशेषणं किम्?
(क) सिद्धार्थः
(ख) करुणापूर्णः
(ग) सिद्धार्थ
(घ) करुणा
उत्तराणि:
(ख) करुणापूर्णः

(iv) अनुच्छेदे ‘परोक्षे’ इति पदस्य कः विपर्ययः?
(क) उच्चैः
(ख) अकस्मात्
(ग) सहसा
(घ) सम्मुखे
उत्तराणि:
(घ) सम्मुखे

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
सिद्धार्थस्य दयालुता अथवा राजकुमारः सिद्धार्थः।

गद्यांश 13

अस्माकं विद्यालयः राजकीयः विद्यालयः अस्ति। अत्र पठनस्य तु श्रेष्ठा व्यवस्था अस्ति एव, युगपदेव क्रीडानामपि सुलभा व्यवस्था अस्ति। अतएव अस्माकं विद्यालयस्य सर्वासां कक्षाणां परिणाम: शतप्रतिशतं भवति। क्रीडानां प्रतियोगितासु अपि अस्माकं विद्यालयस्य छात्राः बहुन् पुरस्कारान् अलभन्त। अस्माकं विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः परह्यः सम्पन्नो जातः। तदा अस्माकं राज्यस्य राज्यपाल: मुख्यातिथिः आसीत्। यदैव मुख्यातिथि: द्वारं सम्प्राप्तः छात्रा: वाद्ययन्त्राणां ध्वनिना तस्य स्वागतमाचरन्। ततः सः मञ्चस्य सम्मुखे आसनं भूषितवान्।

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) अस्माकं विद्यालयः कीदृशः अस्ति?
(ii) परीक्षापरिणामः कीदृशः अस्ति?
(iii) परह्यः विद्यालये कः सम्पन्न जातः?
उत्तराणि:
(i) राजकीयः
(ii) शतप्रतिशतं
(iii) वार्षिकोत्सवः

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence-only two questions.)
(i) वार्षिकोत्सवे मुख्यातिथिः कः आसीत्?
(ii) मुख्यातिथौ आगते छात्राः किम् अकुर्वन्?
(iii) अत्र पठनस्य कीदृशी व्यवस्था अस्ति?
उत्तराणि:
(i) वार्षिकोत्सवे राज्यस्य राज्यपाल: मुख्यातिथिः आसीत्।
(ii) मुख्यातिथौ आगते छात्रा: वाद्ययन्त्राणां ध्वनिना तस्य स्वागतम् आचरन् (अकुर्वन्)।
(iii) अत्र पठनस्य तु श्रेष्ठा व्यवस्था अस्ति।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन प्रश्नों के ही। Work of Language only three questions.)
(i) ‘व्यवस्था’ इति पदस्य किं विशेषणम्?
(क) युगपत्
(ख) युगपदेव
(ग) श्रेष्ठा
(घ) क्रीडानाम्
उत्तराणि:
(ग) श्रेष्ठा

(ii) ‘जातः’ इत्यस्य विलोमपदं किम्?
(क) अस्ति
(ख) भवति
(ग) आसीत्
(घ) आचरन्
उत्तराणि:
(ख) भवति

(iii) अस्मिन् गद्यांशे ‘आचरन्’ इति क्रियायाः कर्तृपदं किम्?
(क) मुख्यातिथि:
(ख) स्वागतम्
(ग) छात्राः
(घ) तस्य
उत्तराणि:
(ग) छात्राः

(iv) अनुच्छेदे ‘छात्राः’ इति कर्तृपदस्य क्रियापदं किम्?
(क) अलभन्त
(ख) भूषितवान्
(ग) अस्ति
(घ) भवति
उत्तराणि:
(क) अलभन्त

प्रश्न IV.
अस्य अनुच्छेदस्य कृते समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद के लिए समुचित शीर्षक लिखिए। Write a suitable title for this paragraph.)
उत्तराणि:
“अस्माकं विद्यालयः” अथवा “विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः।।”

गद्यांश 14

सत्सङ्गतेः महिमानं को न जानाति? संसारे सज्जनाः अपि दुर्जनाः अपि सन्ति। दुर्जनस्य संगतिं कोऽपि कर्तुं न इच्छति। अपरत्र सत्संगं विना मानवस्य जीवनम् एव दुर्जीवनं भवति। वस्तुतः सत्संगतिः जनानां पोषिका कुसंगतिश्च नाशिका। सर्वे जनाः स्वपोषमेव इच्छन्ति विनाशं तु न इच्छन्ति। अतः सत्संगतिः एव श्रेयसी। सज्जना: तु स्वगुणैः एव सन्तः कथ्यन्ते, अतएव जनाः सज्जनानां गुणेभ्यः स्पृह्यन्ति। सद्गुणेनैव जनः मनसा वाचा कर्मणा स्वस्थो भवति। तेन तस्य आयुः वर्धते, यशः अपि सततं वर्धते। को न जानाति यत् सर्वेषां देशानां महापुरुषाः अपि सत्संगत्या श्रेष्ठां पदवी प्राप्नुवन्। उक्तं हि भवभूतिना-‘सत्संगजानि निधनान्यपि तारयन्ति।’

प्रश्न I.
एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (एक पद में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in one word only-only two questions.)
(i) सत्संगतिं विना जीवनं किं भवति?
(ii) कुसंगतिः कीदृशी?
(ii) कस्याः महिमानं को न जानाति?
उत्तराणि:
(i) दुर्जीवनम्
(ii) नाशिका
(iii) सत्संगते:

प्रश्न II.
पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयमेव)। (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-केवल दो प्रश्नों के ही। Answer in a complete sentence-only two questions.)
(i) संसारे कीदृशाः जनाः सन्ति?
(ii) भवभूतिना किम् उक्तम्?
(ii) सर्वे जनाः किम् इच्छन्ति किं वा न?
उत्तराणि:
(i) संसारे सज्जनाः दुर्जनाश्च जनाः सन्ति।
(ii) भवभूतिना उक्तम्- “सत्संगजानि निधनान्यपि तारयन्ति।”
(iii) सर्वे जनाः स्वपोषमेव इच्छन्ति विनाशं तु न इच्छन्ति।

प्रश्न III.
भाषिककार्यम् (केवलं प्रश्नत्रयमेव)। (भाषा संबंधी कार्य-केवल तीन के ही। Work of Language only three questions.)
(i) ‘कुसंगतिः’ पदस्य किं विपर्यय पदं गद्यांशे लिखितम्?
(क) सत्संगतेः
(ख) सत्संगतिः
(ग) सद्गुणेन
(घ) दुस्संगति
उत्तराणि:
(ख) सत्संगतिः

(ii) ‘जनाः गुणेभ्यः स्पृह्यन्ति’ अत्र कर्तृपदं किम्?
(क) जनाः
(ख) गुणः
(ग) गुणेभ्यः
(घ) स्पृह्यन्ति
उत्तराणि:
(क) जनाः

(iii) ‘श्रेष्ठां पदवीम्’ अनयोः विशेषणं किम्?
(क) पदवी
(ख) पदवीं
(ग) श्रेष्ठा
(घ) श्रेष्ठाम्
उत्तराणि:
(घ) श्रेष्ठाम्

(iv) अनुच्छेद ‘दुष्टाः’ इति पदस्य कः पर्यायः वर्तते?
(क) दुर्जनाः
(ख) दुर्जीवनम्
(ग) सज्जनाः
(घ) कर्मणा
उत्तराणि:
(क) दुर्जनाः

प्रश्न IV.
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उत्तराणि:
सत्सङ्गतिः।

CBSE Class 10 Sanskrit Notes | कक्षा 10 के लिए संस्कृत नोट्स

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NCERT Sanskrit Notes for Class 10

  1. शुचिपर्यावरणम् Class 10 Notes
  2. बुद्धिर्बलवती सदा Class 10 Notes
  3. व्यायामः सर्वदा पथ्यः Class 10 Notes
  4. शिशुलालनम् Class 10 Notes
  5. जननी तुल्यवत्सला Class 10 Notes
  6. सुभाषितानि Class 10 Notes
  7. सौहार्दं प्रकृतेः शोभा Class 10 Notes
  8. विचित्रः साक्षी Class 10 Notes
  9. सूक्तयः Class 10 Notes
  10. भूकंपविभीषिका Class 10 Notes
  11. प्राणेभ्योऽपि प्रियः सुह्रद् Class 10 Notes
  12. अनयोक्त्यः Class 10 Notes

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CBSE Class 12 English Notes Summary of All Chapters | Flamingo Vistas Class 12 Chapters Summary

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English Class 12 Notes Summary | Summary of Class 12 English Flamingo Vistas

Flamingo Class 12 Chapters Summary | Class 12 English Flamingo Summary

Vistas Class 12 Chapters Summary | Class 12 English Vistas Summary

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CBSE Class 11th Maths Notes | Maths Revision Notes Class 11

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Class 11th Maths NCERT Notes | Maths Notes Class 11

Notes of Maths Class 11

  1. Sets Class 11 Notes
  2. Relations and Functions Class 11 Notes
  3. Trigonometric Functions Class 11 Notes
  4. Principle of Mathematical Induction Class 11 Notes
  5. Complex Numbers and Quadratic Equations Class 11 Notes
  6. Linear Inequalities Class 11 Notes
  7. Transformations and Combinations Class 11 Notes
  8. Binomial Theorem Class 11 Notes
  9. Sequences and Series Class 11 Notes
  10. Straight lines Class 11 Notes
  11. Conic Sections Class 11 Notes
  12. Introduction to three Dimensional Geometry Class 11 Notes
  13. Limits and Derivatives Class 11 Notes
  14. Mathematical Reasoning Class 11 Notes
  15. Statistics Class 11 Notes
  16. Probability Class 11 Notes

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Important Questions for Class 11 Maths Chapter Wise with Solutions

Important Questions for Class 11 Maths Chapter Wise with Solutions 2020-2021: Here we are providing CBSE Important Extra Questions for Class 11 Maths with Solutions State Board Pdf download in Hindi and English Medium. Students can get Class 11 Maths NCERT Solutions, Maths Class 11 Important Extra Questions and Answers designed by subject expert teachers.

CBSE Class 11th Maths Important Extra Questions and Answers Chapter Wise Pdf

Maths Class 11 Important Questions | Important Questions of Maths Class 11

  1. Sets Important Question of Maths for Class 11
  2. Relations and Functions Class 11 Important Questions
  3. Trigonometric Functions Class 11 Important Questions
  4. Principle of Mathematical Induction Class 11 Important Questions
  5. Complex Numbers and Quadratic Equations Class 11 Important Questions
  6. Linear Inequalities Class 11 Important Questions
  7. Permutations and Combinations Class 11 Important Questions
  8. Binomial Theorem Class 11 Important Questions
  9. Sequences and Series Class 11 Important Questions
  10. Straight lines Class 11 Important Questions
  11. Conic Sections Class 11 Important Questions
  12. Introduction to three Dimensional Geometry Class 11 Important Questions
  13. Limits and Derivatives Class 11 Important Questions
  14. Mathematical Reasoning Class 11 Important Questions
  15. Statistics Class 11 Important Questions
  16. Probability Class 11 Important Questions

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शुचिपर्यावरणम् Summary Notes Class 10 Sanskrit Chapter 1

By going through these CBSE Class 10 Sanskrit Notes Chapter 1 शुचिपर्यावरणम् Summary, Notes, word meanings, translation in Hindi, students can recall all the concepts quickly.

Class 10 Sanskrit Chapter 1 शुचिपर्यावरणम् Summary Notes

शुचिपर्यावरणम् पाठपरिचयः
प्रस्तुत पाठ आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा के रचना-संग्रह ‘लसल्लतिका’ से संकलित है। इसमें कवि ने महानगरों की यांत्रिक-बहुलता से बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह लौहचक्र तन-मन का शोषक है, जिससे वायुमण्डल और भूमण्डल दोनों मलिन हो रहे हैं। कवि महानगरीय जीवन से दूर, नदी-निर्झर, वृक्षसमूह, लताकुञ्ज एवं पक्षियों से गुञ्जित वनप्रदेशों की ओर चलने की अभिलाषा व्यक्त करता है।

शुचिपर्यावरणम् Summary

प्रस्तुत पाठ आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा के रचना संग्रह ‘लसल्लतिका’ से संकलित है। इनमें कवि ने महानगरों में बढ़ते प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त करते हुए और मानव कल्याण के लिए पर्यावरण शुद्धि व स्वच्छता का संदेश देकर शुद्ध पर्यावरण की ओर जनजागरण करने का प्रयास किया है।

शुचिपर्यावरणम् Summary Notes Class 10 Sanskrit Chapter 1 Img1

महानगरों में दिन-रात दौड़ते हुए यातायात साधनों से मनुष्य का शारीरिक व मानसिक ह्रास हो गया है। इस कारण वहाँ रहना मनुष्यों के लिए दुष्कर हो गया है। काले धुएँ को छोड़ती असंख्य गाड़ियों के कोलाहलपूर्ण मार्गों पर चलना भी कठिन है।

प्रदूषित वातावरण के कारण वायुमण्डल, जल, भोज्य पदार्थ और समस्त धरातल सब कुछ अति दूषित हो गया है। अतः प्रदूषण को दूर कर पर्यावरण को शुद्ध करना चाहिए।

प्रदूषित पर्यावरण से दु:खी कवि की इच्छा है कि कुछ समय के लिए महानगर से दूर प्रकृति की गोद में, एकान्त वन में वास करें, जहाँ पवित्र व शुद्ध जलपूर्ण नदियाँ, झरने और जलाशय हैं। जहाँ पक्षियों के मधुर कलरव से वन प्रदेश गुञ्जित हैं। चकाचौंध पूर्ण इस वातावरण से दूर प्राकृतिक दृश्यों को निहारते हुए जीवन को रसमय करना चाहता है।

शुचिपर्यावरणम् Summary Notes Class 10 Sanskrit Chapter 1 Img2

कवि की आशंका है कि इस प्रदूषित पर्यावरण में हमारी संस्कृति, प्राकृतिक छटा, पाषाणी सभ्यता लुप्त न हो जाए। सुखमय मानव जीवन की कामना करता हुआ कवि पर्यावरण को शुद्ध व सुरक्षित करने की प्रार्थना करता है।

शुचिपर्यावरणम् Word Meanings Translation in Hindi

1. दुर्वहमत्र जीवितं जातं प्रकृतिरेव शरणम्।
शुचि-पर्यावरणम्॥
महानगरमध्ये चलदनिशं कालायसचक्रम्।
मनः शोषयत् तनुः पेषयद् भ्रमति सदा वक्रम्॥
दुर्दान्तैर्दशनैरमुना स्यान्नैव जननसनम्। शुचि… ॥1॥

शब्दार्थाः:
दुर्वहम् – कठिन। जीवितम् – जीवन। जातम् – हो गया है। शुचिः – पवित्र शुद्ध। महानगरमध्ये – महानगरों के बीच में। चलत् – चलते हुए। कालायसचक्रम् – काला लोहे का पहिया। अनिशम् – रात-दिन। मनः – मन को। शोषयत् – सुखाते हुए। तनुः – शरीर को। प्रेषयद् – पीसते हुए। वक्रम् – टेढ़ा। दुर्दान्तैः – कठोर (भयानक)। दशनैः – दाँतों से। अमुना – इसके द्वारा। स्यात् – होवे। जनग्रसनम् – जनता का नाश।

हिंदी अनुवाद
जीवित रहना (जीवन) कठिन हो गया, अब प्रकृति की ही शरण है, शुद्ध पर्यावरण ही (हमारा आश्रय) है। महानगरों के बीच रात-दिन काले लोहे का पहिया (चक्का) चल रहा है। जो मन को सुखाते हुए और शरीर को पीसते हुए सदा टेढ़ा चलता रहता है। इसके द्वारा (इससे) अपने कठोर (भयानक) दाँतों से जनता का नाश न हो, इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही (हमारा आश्रय) है।

सन्धिः- विच्छेदो वा
पदानि = सन्धिं / सन्धिविच्छेद
दुर्वहम् = दुः + वहम्
प्रकृतिः + एव = प्रकृतिरेव
परि + आवरणम् = पर्यावरणम्
चलदनिशम् = चलत् + अनिशम्
कालायसचक्रम् = काल + आयसचक्रम्
पेषयद् भ्रमति = प्रेषयत् + भ्रमति
दुर्दान्तैर्दशनैरमुना = दु: + दान्तैः + दशनौः + अमुना
स्यान्नैव = स्यात् + न + एव

समासो-विग्रहो वा
पदानि = समासः / विग्रहः – समासनामानि
शुचि-पर्यावरणम् = शुचि च तत् पर्यावरणम् – कर्मधारयः
पर्यावरणम् = परितः आवृणोति इति – उपपद तत्पुरुषः
महानगरमध्ये = महानगराणाम् मध्ये – षष्ठी तत्पुरुषः
अनिशम् = न निशम् – नञ् तत्पुरुषः
कालायसचक्रम् = कालायसस्यचक्रम् – षष्ठी तत्पुरुषः
दुर्दान्तैः दशनैः = दुर्दान्तदशनैः – कर्मधारयः
जनग्रसनम् = जनानाम् ग्रसनम् – षष्ठी तत्पुरुषः

प्रकृति-प्रत्ययोः विभाजनम्
पदानि = प्रकृतिः + प्रत्ययः
जीवितम् = जीव् + क्त
जातम् = जन् + क्त
चलत् = चल् + शतृ
शोषयत् = शुष् + शतृ
पेषयद् = पिष् + शतृ

अव्यय-पद-चयनम् वाक्य-प्रयोगश्च
अव्ययाः = वाक्येषु प्रयोगः
अत्र = अत्र भारते शान्तिः भवेत्।
सदा = सदा सत्यमेव वदेत्।
एव = स्वम् एव मम बन्धुः असि।

विपर्ययपदानि
पदानि = विपर्ययाः
सुवहम् = दुर्वहम्
अजीवितम् (मृतम्) = जीवितम्
अशुद्धम् (अशुचि) = शुचि
अवक्रम् = वक्रम्
कदाचित् = सदा
सरलैः = दुर्दान्तैः

2. कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति शतशकटीयानम्।
वाष्पयानमाला संधावति वितरन्ती ध्वानम्॥
यानानां पङ्क्तयो ह्यनन्ताः कठिनं संसरणम्। शुचि …॥2॥

शब्दार्थाः
कज्जलमलिनम् – काजल की तरह काले। धूमम् – धुएँ को। मुञ्चति – छोड़ती है। यातानाम् – गाड़ियों की। शतशकटीयानाम् – सैकड़ों मोटर गाड़ियाँ। वाष्पयानमाला – रेलगाड़ियों की पंक्तियाँ। संधावति – दौड़ रही है। वितरन्ती – फैलाती हुई। ध्वानम् – शोर को। हि – निषेचय से। पङ्क्तयः – पक्तियाँ। अन्नता: – अनन्त (अनगिनत) है। कठिनम् – कठिन। संसरणम् – चलना।

हिंदी अनुवाद
(आज देश में) सैकड़ों मोटरगाड़ियाँ काजल की तरह मैले (काले) धुएँ को छोड़ रही हैं। अनेकानेक रेलगाड़ियाँ चारों ओर शोर करती हुईं दौड़ रही हैं। गाड़ियों की पंक्तियाँ अनंत हैं, जिससे चलना कठिन हो गया है। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही (हमारी शरण) है।

सन्धिः – विच्छेदो वा
पदानि = सन्धिं/सन्धिविच्छेदं
धूमं मुञ्चति = धूमम् + मुञ्चति
संधावति = सम् + धावति
यानानां पङ्क्तयः = यानानाम् + पञ् + क्तयः
पङ्क्तयो ह्यनन्ताः = पङ्क्तयः + हि + अनन्ताः
हि + अनन्ताः = ह्यनन्ताः
सम् + सरणम् = संसरणम्

समासो-विग्रहो वा
पदानि = समासः / विग्रहः – समासनामानि
कज्जलमलिनम् = कज्जलम् इव मलिनम् – कर्मधारयः
शतशकटीयानम् = शतस्य / शतानाम् शकटीयानाम् समाहारः – द्विगुः
वाष्पयानमाला = वाष्पयानानाम् माला – षष्ठी तत्पुरुषः
यानानाम् पङ्कतयः = यानापङ्क्तयः – षष्ठी तत्पुरुषः
अनन्ताः = न अन्ताः – नञ् तत्पुरुषः

प्रकृति-प्रत्ययोः विभाजनम्
पदानि = उपसर्ग + प्रकृतिः + प्रत्ययः
वितरन्ती = वि + त् + शत् + ङीप्
पङ्क्तयः = पञ् + क्तिम्

अव्यय-पद-चयनम् वाक्य-प्रयोगश्च
अव्ययः – वाक्यषु प्रयोगः
हि (निश्चय से) – नगरेषु हि अनन्तमि वाहनानि भवन्ति।

विपर्ययपदानि
पदानि – विपर्ययाः
मलिनम् = उज्जवलम्
वितरन्ती = ग्रह्णन्ती
मञ्चति = ग्रह्णाति
कठिनम् = सरलम्

3. वायुमण्डलं भृशं दूषितं न हि निर्मलं जलम्।
कुत्सितवस्तुमिश्रितं भक्ष्यं समलं धरातलम्॥
करणीयं बहिरन्तर्जगति तु बहु शुद्धीकरणम्। शुचि…॥3॥

शब्दार्थाः
भृशम् – अत्यधिक। दूषितम् – प्रदूषित। जगति – संसार में। कुत्सितम् – गलत। समलम् – मैली। धरातलम् – धरती। बहु – बहुत भक्ष्यम् – खाने योग्य वस्तु। शुद्धीकरणम् – शुद्धता।

हिंदी अनुवाद
आज वायुमण्डल बहुत प्रदूषित हो गया है और जल (पानी) शुद्ध नहीं रहा। खाने योग्य सारी वस्तुएँ आज अशुद्ध (विषैली) वस्तुओं से मिलावटी हो गई हैं तथा सारी धरती मैली (अशुद्ध) हो चुकी है। इन सभी अशुद्धियों (मैल) को दूर बाहर करके अन्तर्जगत् अर्थात् मन व बुद्धि आदि को बहुत अधिक शुद्ध करना चाहिए। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है

पदानि = सन्धिं / सन्धिविच्छेद
भक्ष्यं समलम् = भक्ष्यम् + समलम्
बहिः + अन्तः + जगति = बहिरन्तर्जगति
निर्मलं जलम् = निर्मलम् + जलम्
समलम् + धरातलम् = समलं धरातलम्

समासो-विग्रहो वा
पदानि = समासः / विग्रहः – समासनामानि
वायुमण्डलम् = वायोः मण्डलम् – षष्ठी तत्पुरुषः
निर्मलं जलम् = निर्मलजलम् – कर्मधारयः
कुत्सितवस्तुमिश्रितम् = कुत्सितेभ्यः वस्तुभ्यः मिश्रितम् – षष्ठी तत्पुरुषः
समलम् = मलेन/मलैः सह – अव्ययीभाव
धरातलम् = धरायाः तलम् – षष्ठी तत्पुरुषः
शुद्धीकरणम् = शुद्धेः (शुद्धयाः) करणाम् – षष्ठी तत्पुरुषः

प्रकृति-प्रत्ययोः विभाजनम्
पदानि = प्रकृतिः + प्रत्ययः
दूषितम् = दूष् + क्त
भक्ष्यम् = भक्ष् + अनीयर्

अव्यय-पद-चयनम् वाक्य-प्रयोगश्च
अव्ययाः = अर्थः – वाक्येषु प्रयोगः
भृषम् = अत्यधिक – अधुना भृशं दूषणम् अस्ति।
हि = निश्चय से – बहवः जनाः दूषणेन हि म्रियन्ते।
बहिः = बाहर – जनाः नगरात् बहिः गच्छन्ति।
अन्तः = अन्दर – सर्वे गृहाणाम् अन्तः वसन्ति।
तु = तो – अधुना तु जनाः स्वच्छतां प्रति जागृताः सन्ति।

पर्यायपदानि
पदानि = पर्यायाः
भृषम् = बहु / अत्यधिकम् (अतीव)
निर्मलम् = शुद्धम्
जलम् = आपः
भक्ष्यम् = खाद्यम्
समलम् = अशुद्धम्
जगति = संसारे

विपर्ययपदानि
पदानि = विपर्ययाः
न्यूतम् = भृषम्
समलम् = निर्मलम्
बहिः = अन्तः
भक्ष्यम् = अभक्ष्यम्

4. कञ्चित् कालं नय मामस्मान्नगराद् बहुदूरम्।
प्रपश्यामि ग्रामान्ते निर्झर-नदी-पयःपूरम् ॥
एकान्ते कान्तारे क्षणमपि मे स्यात् सञ्चरणम्। शुचि…॥4॥

शब्दार्थाः
कञ्चित् – कुछ। कालं – समय। बहुदूरम् – बहुत दूर। मे – मेरा। प्रपश्यामि – देखू। निर्झर – नदी-झरने-नदी (को)। पयःपुरम् – जल से भरा हुआ तालाब। एकान्ते – एकान्त (निर्जन)। कान्तारे – जंगल में। नय – ले चलो। क्षणमपि – क्षण भर भी। स्यात् – हो। सञ्चरणम् – भ्रमण।

हिंदी अनुवाद
कुछ समय को (के लिए) मुझे इस (प्रदूषित) नगर से बहुत दूर ले चलिए। जहाँ गाँव की सीमा पर जल से भरी हुई नदी और झरने को देखू। निर्जन जंगल में मेरा क्षण भर के लिए भी भ्रमण होवे। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है।

सन्धिः- विच्छेदो वा
पदानि = सन्धिं / सन्धिविच्छेदं
कञ्चित् = कम् + चित्
मामस्मान्नगराद् = माम् + अस्मात् + नगरात्
ग्राम + अन्ते = ग्रामान्ते
सम् + चरणम् = सञ्चरणम्

समासो-विग्रहो वा
पदानि = समासः / विग्रहः – समासनामानि
ग्रामान्ते = ग्रामस्य अन्ते – षष्ठी तत्पुरुषः
पयःपूरम् = पयसा पूरम् – तृतीया तत्पुरुषः
एकान्ते कान्तारे = एकान्त कान्तारे – कर्मधारयः

प्रकृति-प्रत्ययोः विभाजनम्
पदानि = प्रकृति + प्रत्ययः
सञ्चरणम् = सम् + चर् + ल्युट्

पर्यायपदानि
पदानि = पर्यायाः
विपिने / कानने = कान्तारे
मम = मे
समयम् = कालम्
जलम् = पयः
भ्रमणम् = सञ्चरणम्

विपर्ययपदानि
पदानि = विपर्ययाः
अधिकम् = किञ्चित्
ग्रामात् = नगरात्
बहुदूरम् = अतिसमीपम्
नगरान्ते = ग्रामान्ते
क्षणम् = दीर्षसमयम्
ग्रामे/नगरे = कान्तारे

5. हरिततरुणां ललितलतानां माला रमणीया।
कुसुमावलिः समीरचालिता स्यान्मे वरणीया॥
नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम्। शुचि…॥5॥

शब्दार्थाः
हरिततरुणाम् – हरे भरे वृक्षों की। स्यात् – हो। ललितलतानाम् – सुंदर लताओं की। मे – मेरा (मेरे लिए)। माला – पंक्ति रमणीया – सुन्दर। समीरचलिता – हवा से चलाई हुई। वरणीया – वरण करने योग्य। नवमालिका – नई पंक्ति। रसालम् – आम (की)। मिलिता – प्राप्त हो। रुचिरम् – सुंदर। संगमनम् – मेल।

हिंदी अनुवाद
हरे-भरे वृक्षों की, सुन्दर लताओं की सुन्दर माला, हवा से हिलाई गई फूलों की पंक्ति (गुच्छे) मेरे लिए सुन्दर हो। आम की नई पंक्ति रुचिपूर्वक (मुझे) प्राप्त रहे।

सन्धिः-विच्छेदो वा
पदानि = सन्धिं / सन्धिविच्छेद
कुसुमावलिः = कुसुम + आवलिः
स्यान्मे = स्यात् + मे
रसालं मिलिता = रसालम् + मिलिता
सम् + गमनम् = संगमनम्

समासा-विग्रहा वा
पदानि = समासः / विग्रहः – समासनामानि
हरितरुणाम् = हरितानाम् तरुणाम् – कर्मधारयः
ललितलतानाम् = ललिता लता, तासाम् – कर्मधारयः
कुसुमावलिः – कुसुमानाम् आवलिः – षष्ठी तत्पुरुषः
समीरचालिता = समीरेण चालिता – तृतीया तत्पुरुषः
नवमालिका = नवा मालिका – कर्मधारयः

प्रकृति-प्रत्ययोः विभाजनम्
पदानि = प्रकृति + प्रत्ययः
रमणीया = रम् + अनीयर् + टाप / रमणीय + टाप्
चालिता = चल् + णिच् + टाप / चालित + टाप्
वरणीया = वृञ् + अनीयर् + टाप / वरणीय + टाप्
मालिका = माला + टाप
मिलिता = मिल् + क्त् + टाप
संगमनम् = सम् + गम् + ल्युट्

पर्यायपदानि
पदानि = पर्यायाः
वृक्षाणाम् = तरुणाम्
वायु = समीर
सुन्दरी = रमणीया
चयनीया = वरणीया
पुष्पपंक्तिः = कुसुमावलिः
आम्रम् = रसालम्
उत्तमम् = रुचिरम्

विपर्ययपदानि
पदानि = विपर्ययाः
अवरणीया = वरणीया
अरुचिरम् = रुचिरम्
पुरातन = नव
शुष्क = हरित
ते = में

6. अयि चल बन्धो! खगकुलकलरव गुञ्जितवनदेशम्।
पुर-कलरव सम्भ्रमितजनेभ्यो धृतसुखसन्देशम्॥
चाकचिक्यजालं नो कुर्याज्जीवितरसहरणम्। शुचि…॥6॥

शब्दार्थाः
अयि – अरे। नः – हमारे। बन्धो! – मित्र। खगकुलकलरव – पक्षियों के समूह की आवाज़ से। गुञ्जितवनदेशम् – गुंजायमान वन के स्थान को। पुर – कलरव-नगर की कोलाहल से। सम्भ्रमितजनेभ्यः – भ्रमित लोगों के लिए। धृतसुखसन्देशम् – धैर्य के सुख का सन्देश। चाकचिक्यजालम् – चकाचौंध के जाल को। चल – चलो। कुर्यात् – करे। जीवितरसहरणम् – जीवन के स का हरण।

हिंदी अनुवाद
मित्र (बन्धु/भाई)! पक्षियों के समूह की आवाज़ से गुंजायमान वन में चलो। नगर की आवाज़ (कोलाहल) से परेशान लोगों को धैर्य के सुख का सन्देश दो, नगरों की चकाचौंध भरी दुनिया कहीं हमारे जीवन के रस का हरण न कर ले। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है।

सन्धिः-विच्छेदो वा
पदानि = सन्धिं / सन्धिविच्छेद
सम्भ्रमितजनेभ्यो = सम् + भ्रमितजनेभ्यः
नो कुर्याज्जीवित = नः + कुर्यात् + जीवित
चाकचिक्यजालम् + नो = चाकचिक्यजालं नो

समासो-विग्रहो वा
पदानि = समासः / विग्रहः – समासनामानि
खगकुलकलरव = खगानाम् कुलम् तेषां कलरव – षष्ठी तत्पुरुष
गुञ्जितवनदेशम् = गुञ्जितम् वनदेशम् – कर्मधारयः
वनदेशम् = वनस्य देशम् – षष्ठी तत्पुरुषः
पुर-कलरव = पुराणाम् / पुरस्य कलरव – षष्ठी तत्पुरुषः
सम्भ्रमित जनेभ्यः = सम्भ्रमितेभ्यः – कर्मधारयः
धृतसुखसन्देशम् = धैर्यस्यसुखम् तस्य सन्देशम् – षष्ठी तत्पुरुष
चाकचिक्यजालम् = चाकचिक्यस्य जालम् – षष्ठी तत्पुरुष
जीवितरसहरणम् = जीवितस्य रसम् तस्यहरण – षष्ठी तत्पुरुष

प्रकृति-प्रत्ययोः विभाजनम्
पदानि = प्रकृति + प्रत्ययः
गुञ्जितम् = गुञ् + क्त
धृत = धृत + क्त
सम्भ्रमित = सम् + भ्रम् + क्त
जीवित = जीव् + क्त

अव्यय-पद-चयनम् वाक्य-प्रयोगश्च
अव्ययाः = अर्थाः – वाक्येषु प्रयोगः
अयि! = अरे! – अयि भो! ग्राम प्रति चल।
नः = हमारे – ईश्वरः एव नः पिता वर्तते।

पर्यायपदानि
पदानि = पर्यायाः
मित्र! = बन्धो!
चाकचिक्यजालम् = जगमगवातावरणम्
पक्षी = खगः
जीवनं = जीवित
नगर-कोलाहल = पुर-कलरव

विपर्ययपदानि
पदानि = विपर्ययाः
तिष्ठ = चल
दुःखसन्देशम् = सुखसन्देशम्
शान्तम् = गुञ्जितम्
मरणरसहरणम् = जीवितरसहरणम्
ग्राम = पुर

7. प्रस्तरतले लतातरुगुल्मा नो भवन्तु पिष्टाः।
पाषाणी सभ्यता निसर्गे स्यान्न समाविष्टा॥
मानवाय जीवनं कामये नो जीवन्मरणम्। शुचि…॥7॥

शब्दार्थाः
प्रस्तरतले – पत्थर के नीचे। लतातरुगुल्मा: – बेले, पेड़ और झाड़ियाँ। नो – नहीं। भवन्तु – हों। पिष्टा: – पिसी हुई। पाषाणीसभ्यता – पत्थरों वाली सभ्यता। निसर्गे – प्रकृति में / संसार में। स्यात् – हों। समाविष्टा – मिली (सम्मिलित)। कामये – कामना करता हूँ। जीवन्मरणम् – जीवन की समाप्ति।

हिंदी अनुवाद
पत्थर के तल (नीचे) पर लताएँ, पेड़ और झाड़ियाँ पिसें नहीं। प्राकृति में पथरीली सभ्यता समाविष्ट (सम्मिलित) न हो। मैं मनुष्य के लिए जीवन की कामना करता हूँ, जीवित मृत्यु की नहीं। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है।

सन्धिः-विच्छेदो वा
पदानि = सन्धिं / सन्धिविच्छेद
लतातरुगुल्मा नो भवन्तु = तलातरुगुल्मा + न + भवन्तु
स्यात् + न = स्यान्न
नो जीवन्मरणम् = नः + जीवत् + मरणम्

समासो-विग्रहो वा
पदानि = समासः / विग्रहः – समासनामानि
प्रस्तरतल = प्रस्तरस्य तले – षष्ठी तत्पुरुषः
लतातरुगुल्माः = लताः च तरवाः च गुल्मा:च – इतरेतर द्वन्द्वः
पाषाणी सभ्यता = पाषाणसभ्यता – कर्मधारयः
मानवाय जीवनम् = मानवजीवनम् – चतुर्थी तत्पुरुषः
जीवन्मरणम् = जीवत:मरणम् – षष्ठी तत्पुरुषः

प्रकृति-प्रत्ययोः विभाजनम्
पदानि = प्रकृतिः (धातु) + प्रत्ययः
पिष्टाः = पिष् + क्त
पाषाणी = पाषाण + ङीप्
सभ्यता = सभ्य + तल्
समाविष्टा = सम् + आ + विश् + क्त + टाप्
मरणम् = मृ + ल्युट्

विपर्यायपदानि
पदानि = विपर्ययाः
असभ्यता = सभ्यता
जीवन् = मरणम्
नवीना (आधुनिकी) = पाषाणी
मरणम् = जीवनम्

पदानां वाक्येषु प्रयोगः
पदानि = अर्थः = वाक्येषु प्रयोगः
भवन्तु = हों = सर्वेजनाः मम मित्राणि भवन्तु।
नो = नहीं = तत्र अशान्तिः नो स्यात्।
निसर्गे = प्रकृति में = निसर्गे कुत्रापि कष्टं न भवेत्।
स्यात् = होवे = ईश्वरः सर्वेषां सहायकः स्यात्।
कामये = कामना करता हूँ = अहं परोपकारम् कामये।

CBSE Class 6 Sanskrit Notes | कक्षा 6 के लिए संस्कृत नोट्स

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NCERT Sanskrit Notes for Class 6

  1. शब्द परिचयः 1 Class 6 Notes
  2. शब्द परिचयः 2 Class 6 Notes
  3. शब्द परिचयः 3 Class 6 Notes
  4. विद्यालयः Class 6 Notes
  5. वृक्षाः Class 6 Notes
  6. समुद्रतटः Class 6 Notes
  7. बकस्य प्रतिकारः Class 6 Notes
  8. सूक्तिस्तबकः Class 6 Notes
  9. क्रीडास्पर्धा Class 6 Notes
  10. कृषिकाः कर्मवीराः Class 6 Notes
  11. पुष्पोत्सवः Class 6 Notes
  12. दशमः त्वम असि Class 6 Notes
  13. विमानयानं रचयाम Class 6 Notes
  14. अहह आः च Class 6 Notes
  15. मातुलचन्द्र Class 6 Notes

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CBSE Class 8 Sanskrit Notes | कक्षा 8 के लिए संस्कृत नोट्स

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NCERT Sanskrit Notes for Class 8

  1. सुभाषितानि Class 8 Notes
  2. बिलस्य वाणी न कदापि में श्रुता Class 8 Notes
  3. डिजीभारतम् Class 8 Notes
  4. सदैव पुरतो निधेहि चरणम् Class 8 Notes
  5. कण्टकेनैव कण्टकम् Class 8 Notes
  6. गृहं शून्यं सुतां विना Class 8 Notes
  7. भारतजनताऽहम् Class 8 Notes
  8. संसारसागरस्य नायकाः Class 8 Notes
  9. सप्तभगिन्यः Class 8 Notes
  10. नीतिनवनीतम् Class 8 Notes
  11. सावित्री बाई फुले Class 8 Notes
  12. कः रक्षति कः रक्षितः Class 8 Notes
  13. क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः Class 8 Notes
  14. आर्यभटः Class 8 Notes
  15. प्रहेलिकाः Class 8 Notes

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Class 12 Accountancy 1 Mark Questions Chapter 1 Accounting for Not for Profit Organisation

Here we are providing 1 Mark Questions for Accountancy Class 12 Chapter 1 Accounting for Not for Profit Organisation are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

One Mark Questions for Class 12 Accountancy Chapter 1 Accounting for Not for Profit Organisation

Question 1.
How are specific donations treated while preparing final accounts of a ‘Not-For-Profit Organisation’ (CBSE Delhi 2019)
Answer:
Specific donation is treated as capital receipt & it is shown on liabilities side of Balance Sheet.

Question 2.
State the basis of accounting of preparing ‘Income and Expenditure Account’ of a ‘Not-For-Profit Organisation. (CBSE Delhi 2019)
Answer:
Accrual basis.

Question 3.
Differentiate between ‘Receipts and Payments Account’ and ‘Income and Expenditure Account’ on the basis of ‘Period’. (CBSE Outside Delhi 2019)
Answer:

Class 12 Accountancy Important Extra Questions Chapter 1 Accounting for Not for Profit Organisation 1

Question 4.
What is meant by ‘Life membership fees’ ₹ (Outside Delhi 2019)
Answer:
Membership fee paid in lump stun to become a life member of a not-for-profit organisation.

Question 5.
How are the following items presented in financial statements of a Not-for-Profit organisation: (CBSE Delhi 2019)
(a) Tournament Fund 80,000
(b) Tournament expenses 14,000
Answer:
Class 12 Accountancy Important Extra Questions Chapter 1 Accounting for Not for Profit Organisation 2

Question 6.
How are general donations treated while preparing financial statements of a not-for-profit organisation (CBSE Compt. 2019)
Answer:
General donations are treated as revenue receipts.
or
How are general donations treated while preparing financial statements of a not-for-profit organisation (CBSE Compt. 2019)
Answer:
Life membership fee is the membership fee paid by some members as a lump sum amount instead of a periodic subscription.

Question 7.
State the basis of accounting on which ‘Receipt and Payment Account’ is prepared in case of Not-for Profit Organisation. (CBSE Sample Paper 2018-19)
Answer:
Cash basis of accounting.

Question 8.
Where will you show the ‘Subscription received in advance’ during the current year in the Balance Sheet of a Not-For-Profit Organisation₹ (CBSE Sample Paper 2018-19)
Answer:
Liability side of current year’s balance sheet.

Question 9.
A not-for-profit organisation sold its old furniture. State whether it will be treated as revenue receipt or capital receipt.
Answer:
Revenue.

Question 10.
Mention a fund who are specific in nature.
Answer:
Sports fund.

Question 11.
Income and Expenditure Account of a not-for-profit organisation has shown credit balance of ₹ 1,20,000 during 2012-13. When will you show it
Answer:
It will be added in the capital fund on the liability side.

Question 12.
Do not for profit organisation maintain proper system of accounts
Answer:
No.

Question 13.
Name any one account prepared by not for profit organisations.
Answer:
Receipts and Payment Account, Income and Expenditure Account and Balance Sheet.

Question 14.
Give one example of not for profit organisations.
Answer:
Charitable dispensaries, schools, educational institutions, trusts, societies etc.

Question 15.
State one source of not for profit organisations.
Answer:
Subscriptions, donations, legacies, government grant etc.

Question 16.
State the receipts relating to non-recurring in nature.
Answer:
Capital receipts.

Question 17.
State the payments relating to non-recurring in nature.
Answer:
The payments can be classified into capital payment and revenue payment.

Question 18.
Give an example of revenue receipt.
Answer:
Subscription.

Question 19.
Give an example of capital receipt.
Answer:
Government grant.

Question 20.
Give an example of capital payments.
Answer:
Purchase of assets.

Question 21.
What name is used for the cash book in case of not for profit organisations?
Answer:
Receipts and Payments Account.

Question 22.
Which side the revenue receipts are transferred in the income and enpenditure account?
Answer:
Credit side.

Question 23.
When the capital receipts are shown?
Answer:
Liabilities side.

Question 24.
Where the capital payments are shown?
Answer:
Assets side.

Question 25.
In which account the funds are transferred in case of not for profit organisation?
Answer:
Capital Fund.

Question 26.
What is the major source of income for not for profit organisations?
Answer:
Subscription.

Question 27.
What name is used for profit in case of not for profit organisations?
Answer:
Surplus.

Question 28.
What name is used for loss in case of not for profit organisations?
Answer:
Deficit.

Question 29.
Is the surplus or deficit in case of not for profit organisations distributed among members?
Answer:
No.

Question 30.
What type of rec eipts are recorded in the income and expenditure account?
Answer:
Revenue Receipts.

Question 31.
What type of payments are recorded in the income and expenditure account?
Answer:
Revenue Payments.

Question 32.
Which system of accountancy is followed to prepare receipts and payments account?
Answer:
Cash system of accounting.

Question 33.
Which system of account is followed to prepare income and expenditure account.
Answer:
Accrual system of accounting.

CBSE Class 7 Sanskrit Notes | कक्षा 7 के लिए संस्कृत नोट्स

Studying from CBSE Class 7 Sanskrit Notes helps students to prepare for the exam in a well-structured and organised way. Making NCERT Sanskrit Notes for Class 7 saves students time during revision as they don’t have to go through the entire textbook. In CBSE Notes, students find the summary of the complete chapters in a short and concise way. Students can refer to the NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit (Ruchira Bhag 2), to get the answers to the exercise questions.

NCERT Sanskrit Notes for Class 7

  1. सुभाषितानि Class 7 Notes
  2. दुर्बुद्धि विनश्यति Class 7 Notes
  3. स्वावलम्बनम् Class 7 Notes
  4. हास्यबालकविसम्मेलनम् Class 7 Notes
  5. पण्डिता रमाबाई Class 7 Notes
  6. सदाचारः Class 7 Notes
  7. सड.कल्पः सिद्धिदायकः Class 7 Notes
  8. त्रिवर्णः ध्वजः Class 7 Notes
  9. अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Class 7 Notes
  10. विश्वबंधुत्वम् Class 7 Notes
  11. समवायो हि दुर्जयः Class 7 Notes
  12. विद्याधनम् Class 7 Notes
  13. अमृतं संस्कृतम् Class 7 Notes
  14. अनारिकायाः जिज्ञासा Class 7 Notes
  15. लालनगीतम् Class 7 Notes

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